Secret Admirer - 48 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 48

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Secret Admirer - Part 48

कबीर अपने बैड की तरफ बढ़ा ही था की अमायरा की आवाज़ ने उसे रोक दिया।

"मिस्टर मैहरा।"

"येस मिसिस मैहरा।" कबीर थोड़ा मुस्कुराया और इंतजार करने लगा की अमायरा क्या कहने वाली है।

"उह्ह्हह...... हैप्पी वैलेंटाइन्स डे।" अमायरा ने कबीर की आंखों में देख कर कहा और कबीर मुस्कुराने लगा।

अमायरा ने फूलों के गुलदस्ते से एक फूल निकाल कर कबीर को दिया।

"आपके लिए," अमायरा ने कहा और कबीर ने एक्सेप्ट कर लिया।

"थैंक यू," कबीर की मुस्कुराहट बड़ी हो गई थी।

"आई एम सॉरी। मैं आपके लिए कुछ नही ला पाई।" अमायरा एक्सक्यूज़ देने की कोशिश कर रही थी पर कबीर की आवाज़ पर रुक गई।

"तुम्हे सॉरी बोलने की बिलकुल भी जरूरत नही है। तुमने आज का पूरा दिन मेरे साथ बिताया है। इस से ज्यादा मेरे लिए कीमती तौहफा कुछ भी नही। थैंक यू।" कबीर ने दूरी कम करते हुए उसे गले लगा लिया। अमायरा नही जानती थी की उसे यह एहसास चाहिए था की नही पर उसने महसूस किया की कबीर ने उसे चारों ओर से जकड़ लिया है।

उस रात दोनो के ही चेहरे पर सुकून भरी मुस्कुराहट थी। और दोनो चैन की नींद सोए थे।

****

अगली सुबह जब अमायरा उठी तोह देखा बैड पर कबीर की जगह खाली थी। वोह एक्सपेक्ट कर रही थी की कबीर फिर स्टडी रूम में होगा क्योंकि मंडे उसने ऑफिस मिस किया था। वोह उठी और कॉफी लेने चली गई।

"गुड मॉर्निंग," अमायरा ने कबीर के हाथ में कॉफी पकड़ाते हुए कहा।

"गुड मॉर्निंग। इसी की जरूरत थी। आज कल तुम इतनी जल्दी क्यों उठ जा रही हो?" कबीर ने अमायरा का हाथ पकड़ते हुए कहा, जिसमे थोड़ी देर पहले कॉफी थी।
"ऐसा तोह नही है की तुम्हे नींद नहीं आती, जब मैं तुम्हारे आसपास नही होता हूं तोह?"

"ओह प्लीज़, मिस्टर गलतफैमी। मैं बहुत अच्छे से सोई थी। आप यह बताओ, की नाश्ते में क्या खाओगे?"

"तुम्हे," कबीर ने उसकी तरफ इंटेंशनली देखते हुए कहा।

"क्या?" अमायरा चौंक गई थी।

"उउह्ह्ह..... तुम्हे..... आज भी नाश्ता बनाना है?" कबीर ने किसी तरह बात संभाल ली।

"येस मिस्टर मैहरा। आप क्या चाहते हैं?"

"मैं चाहता हूं की तुम मुझे यह अंकल जैसा महसूस कराना बंद करदो।"

"आप के कहने का क्या मतलब?"

"यह 'मिस्टर मैहरा' मुझे सच में अंकल होने का एहसास दिलाता है। तुम मुझे मेरे नाम से क्यों नही बुलाती हो?" कबीर इरिटेट होने लगा था।

"मैं क्यों बुलाऊं," अमायरा ने चिढ़ाया।

"क्योंकि मैं कह रहा हूं।" कबीर ने उसे खीच कर अपनी गोद में बिठा लिया। वोह हल्का सा हिली लेकिन उठ नही पाई जबकि कबीर ने उसे कस कर नही पकड़ा था।

"आपने मुझे पहले ही आपको गले लगाने या आपका नाम लेने में से एक चुनने को कहा था, और मैने चुन लिया था। अब आप दूसरी चीज़ डिमांड नही कर सकते।" अमायरा हँस पड़ी।

"पर मैं तोह डिमांड नही कर रहा। मैं तोह रिक्वेस्ट कर रहा हूं।" कबीर ने प्यार से कहा। उसका एक हाथ अमायरा की कमर पर था जो की अमायरा को बेचैन कर रहा था, और दूसरे हाथ से वोह उसके इयरलोब के साथ प्यार से खेल रहा था।

"आपको नहीं लगता कि आप की डिमांड्स और रिक्वेस्ट धीरे-धीरे बढ़ रही है।" अमायरा ने कबीर की नज़दीकी से हो रही बेचैनी को कम करने की कोशिश करते हुए कहा।

"मुझे किसी और डिमांड के बारे में तोह कुछ नही याद।" कबीर ने अपनी एक आईब्रो को उच्च का के पूछा।

"और मेरे साथ दो दिन बिताए उसका क्या?" अमायरा ने घूरा।

"ओह वोह। मुझे ऐसा लगता है की तुम्हे भी वोह दो दिन बहुत पसंद आए थे की मुझे उस दिन तुम्हे समुद्र किनारे से घसीट के वापिस लेकर आना पड़ा और कल कैंप में भी। तुम तोह वापिस ही नही आना चाहती थी। अगर मैं तुम्हारी ही बातों को सोचूं तो तुम उन दो दिन को मेरी डिमांड तोह अब बिलकुल भी नहीं कह सकती।" कबीर ने हँसते हुए कहा।

"आह्ह्ह.....मैने ऐसा कुछ भी नही कहा था।" अमायरा साफ झूठ बोल गई और मुस्कुराने लगी।

"जो भी हो। चलो अब, कहो भी," कबीर ने अपनी उंगलियों से उसके कमर पर शरारत करते हुए कहा।

"क्या?" अमायरा ने अनजान बनते हुए पूछा।

"कबीर," कबीर ने गंभीर होते हुए कहा।

"नही," अमायरा ने फिर चिढ़ाया।

"प्लीज़," कबीर ने रिक्वेस्ट की।

"उउह्ह.......ऊऊंन......" अमायरा को अब मज़ा आने लगा था।

"अमायरा," कबीर ने क्यूटली धमकाया।

"ठीक है, आपको मेरा मिस्टर मैहरा बुलाना नही पसंद ना?" अमायरा ने पूछा और कबीर सिर हिला दिया।

"तोह तुम मुझे कोई और नाम देना चाहती हो, समथिंग पर्सनल, राइट?" कबीर का दिमाग तेज चलने लगा था। उसे लग रहा था कि अमायरा कुछ प्लान कर रही है और वह उसके बोलने का इंतजार करने लगा।

"तोह मैंने सोच लिया है, आज से मैं आपको खडूस बुलाऊंगी। क्या कहते हैं?" अमायरा ने शरारत से पूछा और कबीर हक्का बक्का रह गया।

"खडूस? क्या मैं पूछ सकता हूं कि क्यों?"

"क्योंकि यह एक बहुत क्यूट नेम है। जब शादी के बारे में बात करने के लिए आप मुझसे पहली बार मिले थे तब आपने मुझसे बहुत रूड बात की थी इसलिए यह पर्सनल भी है।" अमायरा ने अपनी हँसी छुपाते हुए कहा, वोह हँसी जो किसी भी वक्त फूट कर बाहर निकल सकती थी।

"नही। तुम मुझे कबीर बुलाओगी। खडूस या कुछ और नही।"

"नही। मैं नही बुलाऊंगी।" अमायरा ने कबीर की गोद से उठते हुए कहा और कबीर उसके अचानक दिए जवाब से कन्फ्यूज्ड हो गया। पिछले कुछ दिनों से अमायरा थी जो शर्मीली बनी हुई थी और कबीर उसको टीज करता रहता था। और अब अचानक वो पुरानी अमायरा वापिस आ गई थी कबीर उसके लिए तैयार नहीं था। कबीर ने उसे वापिस अपने पास खींचने की कोशिश की लेकिन अमायरा उससे थोड़ा तेज़ निकली।

"मैं आपसे काफी तेज़ हूं, खडूस। जल्दी से तैयार हो जाइए और नीचे आ जाइए नाश्ते के लिए।" अमायरा कबीर को चिढ़ा कर हँसते हुए वहां से भाग गई। कबीर भी मुस्कुरा पड़ा पुरानी अमायरा को देख कर। जबकि वोह अभी भी इरिटेट हो रहा था उसके दिए हुए नाम से।

कबीर हर मुमकिन कोशिश कर रहा था अमायरा को खुश रखने की। वोह सब कुछ करता था जिससे अमायरा को अच्छा लगता था। यह उसके लिए कोई मुश्किल नहीं था की उसे यहां से दूर ले जाए और सिर्फ अपनी मजूदगी का एहसास दिलाएं। उसे बार बार अपने प्यार का एहसास दिला कर उसका यकीन जीत ले। पर वोह ऐसा नही चाहता था, वोह चाहता था की अमायरा उसे पूरे दिल से अपना ले। जब तक अमायरा उसे एक चांस देने के लिए तैयार नहीं हो गई थी तब तक कबीर उसे अपने प्यार का एहसास दिलाता रहा था। अब जब अमायरा उसे एक चांस देने के लिए मान गई थी तोह कबीर उसे स्पेस देना चाहता था। ताकि वोह अपनी फीलिंग्स को खुद पहचान पाए और अपनी उसे खुद एक्सेप्ट करे। उसमे धीरे धीरे तोह बदलाव आ रहा था। अब वोह उसके सामने पहले से ज्यादा सहज महसूस करती थी, परिवार के सामने भी। हां सबके सामने थोड़ा एंबारेसमेंट जरूर फील करा देती थी वोह क्योंकि सबके यानी पूरे परिवार के सामने वोह उसे खडूस के देती थी। जब उससे पूछा गया था की वोह कबीर को खडूस क्यों बुला रही है तोह उसने एक्सक्यूज़ दिया की वोह बोर हो चुकी है कबीर को मिस्टर मैहरा कह कह कर इसलिए उसने खडूस बुलान शुरू किया और उसकी इस बात पर और कबीर पर सब हँस पड़े थे। पिछले दो दिन से सब कबीर पर हँस रहे थे और कबीर उन्हे रोक भी नही पा रहा था ऐसा करने से।

पर उसे अच्छा भी लग रहा था। वोह खुश था की अमायरा उस पर अपना हक जाता रही है जबकि वोह जनता था की अमायरा उसकी दी हुई आजादी का कुछ नजायज फायदा उठा रही है पर उसे गुस्सा नही आता था। जबकि वोह उसके दिए हुए नाम से इरिटेट होता था लेकिन फिर भी अमायरा की क्यूट हरकतों से उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती थी। कई बार उसे मन करता था की उसे अपने सीने से लगा ले, उसे महसूस करे, उसे शिद्दत से किस करले लेकिन वोह जनता था की इससे अमायरा घबरा जायेगी। फिर वो अपने आप को रोक लेता था। वोह अपने प्यार के लिए अपनी इच्छा के लिए उसे डराना नही चाहता था। और वोह यह भी जानता था की उसका प्यार इतना कमज़ोर नही है। वोह उसे पूरी जिंदगी अपने आस पास रखना चाहता था। उसका प्यार चंद लम्हों का नही था जैसा अमायरा सोचती थी और इसलिए वोह इंतज़ार करने के लिए तैयार था। वोह कई बार कोशिश करता की अमायरा को थोड़ा परेशान कर सके अपनी शरारत से, ताकि उसके चेहरे पर आई शर्म देख सके लेकिन उसके इतने एफर्ट्स के बाद जो वोह स्माइल देती थी इन दिनो उसे देख कर कबीर को उसपर और प्यार आने लगा था। उसके लिए यह एक बहुत मुश्किल काम था की हर वक्त अमायरा के आस पास रहे पर एक जेंटलमैन बन कर, लेकिन उसके लिए वोह सब कुछ करने को तैयार था। यह बहुत जरूरी था की वोह उसके साथ, उसके सामने कंफर्टेबल फील करे और उसकी हर कोशिश रंग ला रही थी। अमायरा का उसे एक चांस देने की बात कहने के बाद एक हफ्ता गुज़र चुका था और इस सुबह अमायरा ने खुद जा कर कबीर को गले लगा लिया बिना उसके रिमाइंडर दिए। कबीर खुश था प्रोग्रेस देख कर, उसका मूड आज पूरा दिन ऑफिस में अच्छा था। लेकिन तब तक जब तक की उसे यह रियलाइज नही हुआ की तारीख क्या है आज।

















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