Chaah in Hindi Short Stories by Latha Ramachandran books and stories PDF | चाह

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लेखिका- सिवसंकरी

अनुवादक - डॉ लता रामचंद्रन

वह अपनी आँखों को मूंदें उस लड़की की तस्वीर को मन ही मन देख रहा था. पिछले एक महीने से वह उस लड़की को याद कर रहा था, और अपने दिल के आईने में उसे लगातार देख रहा था. अब तो उसे उस लड़की के ख्यालों के साथ रहने की आदत सी पड़ गयी थी.

उस लड़की का क़द क़रीब पांच फुट होगा, न ज़्यादा मोटी थी, न पतली। पर, उस लड़के की नज़र तो उस लड़की की पतली सी कमर पर जाकर ही रुक जाती थी. उसकी कमर में एक लचीलापन था, जिससे उसकी ख़ूबसूरती में चार चाँद लग जाते थे.

उसने कभी भी नहीं चाहा था कि, उसे 36-24-34 ही मिले, लेकिन इस बात पर वह अपने आप को बहुत लकी समझने लगा था, क्योंकि उसे बिना चाहे ही 36-24-34 जो मिल गयी थी. अगर उसके नाक नक़्श को ज़रा ग़ौर से देखें तो शायद कुछ कमियाँ निकल सकतीं हैं,पर वह इन सब बातों को ज़्यादा कुरेदकर नहीं देखना चाहता था. उस लड़की का रंग गोरा था. इस बात पर लड़के की तो लॉटरी लगी समझो.

उस सन्डे की ख़ूबसूरत दोपहर को जब वह उस लड़की को देखने गया, उसकी निगाहें तो जैसे सुनहरी हो गयीं। उस लड़की ने गार्डन की पीले रंग की जॉर्जेट की साड़ी पहनी हुई थी. उसके काले सिल्की बाल उसकी कमर तक आ रहे थे. लगता था कि उसने अभी अभी अपने बालों को ब्रश से सँवारा है. उसने अपने इन ख़ूबसूरत बालों को काले रंग के रबर बैंड से बांध रखा था, ताकि वह कहीं हवा के झोंके से उड़ न जाये.

"अक्सर जब लड़केवाले शादी के लिए लड़की देखने जाते हैं, तो झुण्ड बनाकर जाते है. फिर होती है लड़की की नुमाईश- सभी एक एक करके उस लड़की को गवाते हैं,नचाते हैं, और यहां तक की चलकर दिखाने के लिए भी कहते हैं, पता नहीं और क्या क्या करवाते हैं। मुझे तो इन सब बातों से सख़्त नफ़रत है!"- यह बात उसने पहले ही अम्मा अप्पा से कह दी थी, कि अगर लड़की देखने जायेंगे, तो सिर्फ़ हम तीनों ही जायेंगे.

यह लड़का पहली बार लड़की देखने जा रहा था. और जैसे ही उस लड़के ने लड़की को देखा, तो बस देखता ही रह गया. और बिना किसी हिचकिचाहट के उसी वक़्त पसंद भी कर लिया। उसे लड़की की नज़ाकत और उसका शांत स्वाभाव बहुत पसंद आया. उसने, उसी दिन, उसी समय, अप्पा से कहलवा भी दिया था कि -"लड़के को लड़की पसंद है !"

एक तो इतने सालों के बाद लड़का शादी करने के लिए तैयार हुआ, और उसके ऊपर इतनी सारी शर्तें भी रख दीं - "शादी की रस्में बिलकुल सिम्पल होनी चाहिए, कोई दहेज़ या लेन देन की बातें नहीं होनी चाहिए और न ही लड़कीवालों को कोई कुछ भला बुरा कहेगा." -यह सब सुनकर अम्मा,अप्पा की तो बोलती ही बंद हो गयी.

हाय, हाय! हेमालिनी जैसी आँखें, के.आर विजया की मुस्कान, वाणी जयराम की आवाज़, ऐसे सपने तो कभी उसने अपनी होनेवाली लाइफ पार्टनर के लिए नहीं देखे थे. पर, हाँ, उसके मन में एक इच्छा ज़रूर थी, कि उनकी मैरिड लाइफ, मिसेस & मिस्टर मित्रा की तरह होनी चाहिए। हाँ, मिसेस & मिस्टर मित्रा। फिर,चलिए सुनते हैं, आगे का हाल…

पांच साल पहले की बात है. उत्तर भारत के उस शहर में एक बड़ी सी फैक्ट्री में उसे जूनियर इंजीनियर की नौकरी मिली थी. सबसे पहले उसकी पहचान मिसेस & मिस्टर मित्रा से ही हुई थी. इसे सी टाइप क्वॉर्टर मिला था, और मित्रा कपल डी टाइप क्वार्टर में रहते थे, जो सी टाइप से थोड़ा बड़ा था.

मित्रा कपल ने अपने घर को बहुत ही ख़ूबसूरत अंदाज़ से सजाकर रखा हुआ था. और उनका घर और उनके घर का बाग़ीचा हर आने जाने वाले को आकर्षित करता था. मित्रा फैक्ट्री में सेक्शन इंजीनियर था. मै जब भी उनके घर के बाहर से गुज़रता था मेरी नज़र उनके ख़ूबसूरत घर की तरफ पड़ती, और ऐसे ही एक दिन शाम को मित्रा ने मुझे अपने घर चाय पर बुलाया।

“अंजु जी,ज़रा इधर आईये!" जैसे ही मित्रा ने आवाज़ दी, मैंने देखा, घर के अंदर से मुस्कुराती हुई सलवार कमीज़ पहने हुए, बलखाती, लहराती हुई मिसेस मित्रा आयी. मै तो उन्हें देखता ही रह गया. फिर मित्रा ने उनसे मेरा त'आरुफ़ करवाया - "मीट माय वाइफ,अंजुजी!" मै सुनकर हैरान रह गया. मित्रा ने अपनी पत्नी को "जी " कहकर बुलाया. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था इस बात पर. "हाउ नाइस!"

मित्रा कपल के साथ में बितायी उस शाम ने मुझे पूरी तरह से बदल दिया था.

मैंने देखा - "अंजू चाय बनाती तो मित्रा ट्रे निकालकर उस पर कप और सॉसर रखता। खाने के बाद अंजू प्लेट और बोल्स धोती, तो मित्रा उन सबको पोंछकर अलमारी के अंदर रखता। कभी कभी मै और मित्रा बातों  में लगे रहते तो अंजू गाड़ी में पेट्रोल भरवा लाती।"

बातों बातों में मित्रा कहता - "मै अंजू जी का पार्ट टाइम नौकर हूँ!" और अंजू मुस्कुराती हुई कहती - "मै मित्रा जी की पार्ट टाइम ड्राइवर हूँ !"

हमेशा उन दोनों के चेहरों पर स्माइल रहती, और उनसे जब भी मै मिलता था - उनके एक्सप्रेशन्स से ऐसा लगता जैसे वह एक दूसरे से कह रहें हों - "तुम्हारे बग़ैर मै नहीं और मेरे बग़ैर तुम नहीं!"

मित्रा कहता - " दो साल हम दोनों अमेरिका में रहे, बस वहीं से मैंने बहुत कुछ सीखा है- जैसे , पत्नी का आदर करना चाहिए, उसको प्यार करना चाहिये, और उसे ख़ुश रखना चाहिए. अंजू ने भी वहीं से सीखा है कि, हमेशा पति की, उसके कामों में मदद करनी चाहिए। पति का ध्यान रखना चाहिए और कभी कभी उसका ड्राइवर भी बनना चाहिए।"

I was amazed. "What a wonderful love!" उस दिन के बाद से ही उसका आकर्षण मित्रा कपल की तरफ दिन पर दिन बढ़ता ही गया. और उसके मन में भी ऐसी ही मैरिड लाइफ जीने का ख़्वाब पैदा हुआ.

"अच्छी नौकरी मिल गयी है, अब जल्दी जल्दी शादी के लिए लड़की भी देखनी शुरू करनी पड़ेगी "- कह कहकर अम्मा तंग कर रही थी. पर मैंने अम्मा की इस बात पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया और शादी के मामले में मैंने बिलकुल भी जल्दबाज़ी नहीं की. मित्रा ने तो तीस साल में ही शादी कर ली थी. मित्रा ने बहुत मेहनत की, और पैसा कमाया, ताकि घर के लिए ज़रूरी सामान ख़रीद सके और उसके बाद ही उसने शादी की थी.

मुझे भी ऐसा ही करना है.अभी मेरी उम्र ही क्या है? चौबीस और सेलरी, 1200 रूपए, राइट! मेरी पत्नी को घर के कामों को करने में ज़रा भी तकलीफ नहीं होनी चाहिए। उसके लिए घर में गैस, मिक्सर, फ्रिज, प्रेशर कुकर इन सब चीज़ों का होना बहुत ज़रूरी है। अब मैं उसे बाहर घुमाने तो ले जाऊंगा न, अब इसके लिए मेरे पास कम से कम एक वेस्पा स्कूटर तो होना ही चाहिए। और इन सब के लिए लगेगा पैसा, मनी! अब पैसा तो कमाना ही पड़ेगा न? अब इतने पैसे कमाने के लिए कम से कम पांच साल तो लगेंगे। तभी मेरा लक्ष्य पूरा हो सकता है. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए, मैंने अम्मा को चिट्टी लिख दी, कि मुझे अभी शादी नहीं करनी है.

Obviously,अम्मा नाराज़ हुई और कहने लगी- "यह क्या बात हुई भला,.....!"

मैंने भी कहा - "अभी कौन सी जल्दी है !"

"जल्दी? शादी की उम्र जो हो गयी है तुम्हारी,और अच्छा कमा रहे हो, और क्या चाहिए?"

अम्मा के सवालों का उसने कोई जवाब नहीं दिया। देता भी क्या? अगर वह कहता - "अम्मा, मुझे पैसा जमा करना है. घर के लिए चीज़ें ख़रीदनी है. वाइफ को ख़ुश रखना चाहता हूँ. मै और वह, मित्रा और अंजू की तरह आदर्श कपल बनना चाहते हैं। " आपको क्या लगता है, क्या अम्मा यह सब बातें मान लेती, बिलकुल नहीं मानती। और अम्मा ज़रूर यह भी सोचती- " यह लड़का तो बीवी का ग़ुलाम बनने के लिए तैयार बैठा है। वह भी ऐसी बीवी का, जिसका अभी तक कोई पता नहीं, और वह भी ऐसी बीवी जो बिना दहेज़ के आनेवाली है. पता नहीं, यह लड़का चाहता क्या है? यह सब तो मेरी समझ के बाहर है. "

इन सब बातों की वजह से उसने अम्मा को चिट्टी भी नहीं लिखी और बार बार छुट्टियों में घर जाना भी टालने लगा.

अब लड़का था लकी, उसने चार ही सालों में रूपए जमा कर लिए थे. अब वह एक हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया था. और उसने स्कूटर, फ्रिज, गैस, मिक्सर सभी चीज़ें उसी साल ख़रीद ली और उसके बावजूद उसके पास अभी भी पैसे बचे थे. जिससे वह कैसेट रिकॉर्डर, सोफा, अलमारी भी ख़रीद सकता था. चलो, All well, that ends well. अब यह सब होने के बाद उसने आख़िरकार अम्मा को, शादी के लिए हरी झंडी दिखा ही दी।

अम्मा के तो जैसे पैर ज़मीन पर टिकते ही नहीं थे. फ़ौरन एक ही महीने के अंदर अंदर उसे आठ लड़कियों की तस्वीरें भेज दी. अम्मा की भेजी हुई आठ तस्वीरों में से उसने एक लड़की की तस्वीर पसंद कर ली. पहली छुट्टी में घर गया. लड़की को देखा और "हाँ " भी कर दी । और वापस लौटते वक़्त उसने अम्मा से लड़की की एक फोटो भी मांग ली. अम्मा ने भी मुस्कुराते हुए फोटो दे दी और बेटे को प्यार से गले लगा लिया.आख़िर यह फोटो उसे मित्रा कपल को जो दिखानी थी. और उसने जब उनको लड़की की तस्वीर दिखाई तो वह ख़ुशी से बोल उठे- "O...she is very pretty! नाम क्या है इसका ?"

"अअअ …रमा!"

"कहाँ तक पढ़ी है ?"

“बी.एस.सी होम साइंस & लाइब्रेरी साइंस!”

"वॉव, ग्रेट! लगता है, हमारे ऑफिस की लाइब्रेरी के लिए एक ख़ूबसूरत लाइब्रेरियन आनेवाली है!"- मित्रा ने कुछ मज़ाकिया अंदाज़ में कहा. और उसके बाद जब भी मित्रा और अंजू उससे मिलते हमेशा उसकी खिंचाई करते। मित्रा और अंजू कपल ने उसे उसके घर को सजाने में भी उसकी बहुत मदद की.

ऑफिस का क्वार्टर होने के बावजूद उसने अपने खर्चे से पूरे क्वार्टर को पेंट करवाया। मित्रा ने सलाह दी- "पिंक इस हॉट, बैडरूम में उसी रंग का पेंट लगवाइये!" और उसने बिलकुल वैसा ही किया. "बरामदे में न, क्रोटन्स के गमले खरीदकर रखिये!"- उसने मित्रा की यह बात भी मान ली। कर्टेन्स तो फ्लोरल ही होने चाहिए, लीजिये, फ्लोरल कर्टेन्स भी आ गए.

"सभी लाइट के होल्डर्स में शेड्स लगवाइये, सुन्दर लगेगा।"- यह बात भी मित्रा की उसने मान ली." और, इतने में उस लड़के की नज़र मेज़ पर रखी लड़की की तस्वीर पर पड़ी, और वह मन ही मन सोचकर ख़ुश होने लगा. "बस,और एक ही हफ्ते की तो बात है, फिर तो वह यहीं होगी, मेरी आँखों के सामने, मेरी बाहों में!"

फिर वह सोचने लगा- "जब मैं उससे कहूंगा कि, उसे ख़ुश रखने के लिए मैं पिछले पांच साल से तैयारी कर रहा हूँ, तो यह जानकर उसे कितनी ख़ुशी होगी? जब वह इस घर की सजावट को देखेगी, तो वह ख़ुशी से उछल ही पड़ेगी! जब मैं उससे कहूंगा कि, मैं ज़िन्दगी भर के लिए हर बात में उसका भागीदार रहूंगा तो वह कितना गर्व महसूस करेगी ! She will be so proud of me!"

इन्ही ख़यालों में डूबा हुआ, आज वह चेन्नई जा रहा है। गिनकर उसने सिर्फ सात दिनों की छुट्टी ली थी. बहुत सोच समझकर उसने कम छुट्टी ली थी. क्योंकि उसकी इच्छा थी, कि चेन्नई से लौटने के बाद पंद्रह दिनों की और छुट्टियाँ लेकर उसके साथ हनीमून के लिए कश्मीर जाये। How romantic..

शादी, लड़के की शर्तों के मुताबिक़ ही हुई. न कोई बारात, न कोई रिसेप्शन और न ही कोई दहेज़ की रसम. शादी बिलकुल सिम्पल तरीक़े से हुई. शादी के अगले ही दिन पूरा परिवार न्यूली वेड कपल के साथ तिरुपति दर्शन के लिए गया. और बस, अगले ही दिन लड़का अपनी वाइफ के साथ चेन्नई से निकल पड़ा. इस दौरान उन दोनों को एक पल के लिए भी एक दूसरे के साथ अकेले में वक़्त बिताने का मौक़ा नहीं मिला.

वह दोनों ट्रैन की फर्स्ट क्लास कूपे कम्पार्टमेंट में बैठे थे. अब ट्रैन स्टेशन से चल पड़ी थी और तेज़ रफ़्तार से जा रही थी. लड़की कम्पार्टमेंट के कोने में खिड़की के पास बैठी बाहर देख रही थी. लड़का उसे देखकर मन ही मन ख़ुश हो रहा था और उसे थोड़ी सी बेचैनी भी हो रही थी, Nervousness you know. अब वह हिम्मत करके उसके पास गया. और, उसके बिलकुल क़रीब बैठ गया. और उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर बोला, "हे, बाहर क्या देख रही हो?" और फिर बड़े प्यार से बोला - "I love you my darling!" फिर उसने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और प्यार से अपनी तरफ करते हुए बोला -“ज़रा मेरी तरफ देखो!”

लड़की बिना पलकें झपकाये, उसे कुछ पलों के लिए एक टक देखती रही. लड़की के चेहरे पर कोई expression नहीं था और न ही कोई excitement. लड़की ने धीरे से उसके हाथों को अपने चेहरे से अलग किया और बहुत ही बेजान और रूखे शब्दों में कहा- "सॉरी, यह शादी मेरी इच्छा से नहीं हुई है. I love somebody else. अप्पा और अम्मा दोनों मेरे love affair के सख़्त ख़िलाफ़ थे. और,उन्होंने मुझे धमकी दी थी, कि अगर मैंने तुमसे शादी न की तो वह ज़हर खाकर मर जायेंगे। सिर्फ़, और सिर्फ़ उनके लिए ही मैंने तुमसे शादी की है. That's all.. अपने दिल में मेरे लिए किसी भी तरह की इच्छा या चाह को बढ़ावा मत देना और मेरे क़रीब आने की तो बिलकुल भी कोशिश मत करना. This marriage has no meaning for me.....I am sorry.."

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