Exploring east india and Bhutan... - Part 13 in Hindi Travel stories by Arun Singla books and stories PDF | Exploring east india and Bhutan... - Part 13

Featured Books
  • चाळीतले दिवस - भाग 6

    चाळीतले दिवस भाग 6   पुण्यात शिकायला येण्यापूर्वी गावाकडून म...

  • रहस्य - 2

    सकाळ होताच हरी त्याच्या सासू च्या घरी निघून गेला सोनू कडे, न...

  • नियती - भाग 27

    भाग 27️मोहित म्हणाला..."पण मालक....."त्याला बोलण्याच्या अगोद...

  • बॅडकमांड

    बॅड कमाण्ड

    कमांड-डॉसमध्ये काम करताना गोपूची नजर फिरून फिरून...

  • मुक्त व्हायचंय मला - भाग ११

    मुक्त व्हायचंय मला भाग ११वामागील भागावरून पुढे…मालतीचं बोलणं...

Categories
Share

Exploring east india and Bhutan... - Part 13

Exploring East India and Bhutan-Chapter-13

आठवां दिन  

 

सोचा था सुबह जल्दी कलिम्पोंग के लिए निकलेंगे पर ये हो ना सका,मानसी के दोबारा आ जाने की बाद एक बार फिर सुबह कैबिनेट की मीटिंग हुई, और अब आगे टूर में क्या,कब,केसे करना है, इस पर पुनर्विचार हुआ. 

फिर आराम से होटल में नास्ता कर के हम तीनों ड्राईवर विनोद के साथ कलिम्पोंग की खूबसूरती से रूबरू होने सफ़र पर निकल लिए. कालिम्पोंग, अगर आप गंगटोक के रास्ते से आ रहें है,तो यहाँ तक पहुंचने के लिए आपको छोटे-छोटे गांवों के बीच से तंग व् घुमावदार, सांप की तरह लहराते रास्तों से हो कर गुजरना पड़ता है. रास्ते के दोनों तरफ रंग बिरंगे पहाडी घर व् दूर पहाड़ों की नजर आनी वाली सुंदरता के अलोकिक और दिल को लुभा लेने वाले दृश्यों को शब्दों में बयाँ करना बेहद मुश्किल काम है, यह एक यादगार सफर था, मेरी तरह आप भी यह सफ़र आप भुला ना पायेंगे.

 

कालिम्पोंग से Deolo hill तक का रास्ता भी सांप की तरह लहराता हूआ था. रास्ते के दोनों तरफ सफेद रंग के बादल छाये हुए थे, और उनसे एकदम सफेद धुंआ निकल रहा था, जिसने पहाड़ों और वादियों दोनों के ढक रखा था, ऐसा लग रहा  मानो गाडी बादलों की सड़क पर लहराती हुई, अनन्त की और उडी जा रही हो. रास्ते मे कहीं कहीं दो चार छोटे-छोटे,सूंदर टिन की छत वाले घर मिल जाते थे, और ऐसे नशीले समां में, मै गुनगुना उठा “दिल कहे रुक जा रे रुक जा, यहीं पे कहीं, जो बात यहाँ है, कहीं पे नही”

मदहोशी में खोये हम चले जा रहे थे, की विनोद ने अचानक ब्रेक लगाये, देखा, सामने से एक गाडी बीच सड़क पर दोडी आ रही है, ब्रेक लगाने के बाद विनोद ने गाडी एकदम सड़क से नीचे उतार ली, सामने वाली गाडी तेजी से हमे क्रॉस कर गई, और उसकी की इस सावधानी से संभावित हादसा टल गया और हमने भगवान् का शुक्रिया अदा किया ही था, कि सामने एक मंदिर नजर आया.

गंगटोक से कालिम्पोंग जाते समय रास्ते में देवी दुर्गा  माँ का मंदिर आता है.

Durga Temple, Kalimpong West Bengal India

मंदिर एक छोटे से बाज़ार में बना हुआ है, और यह गंगटोक से लगभग 68 km की दूरी पर है. मंदिर में  माँ दुर्गा की मूर्ती बेठी हुई अवस्था में निर्मित की गई है.

मंदिर में चारों तरफ रंग बिरंगे झंडे लगे हैं, मंदिर के विशाल प्रांगन में  भगवा रंग के कपडे पहने हुए मोंक टहल रहे थे, व् कुछ छोटे मोंक बच्चे ( क्योंकि उन्होंने ने भी मोंक की तरह कपडे पहन रखे हे ) खेल रहे थे. हमने उन शर्मीले बच्चों के साथ एक दो फोटो ली.

हम यहाँ कुछ समय रुके, मंदिर में आगे की सुखमय यात्रा के लिए दुर्गा माँ से प्राथना की, और मन शांत हो गया.  दुर्गा मंदिर के साथ में ही शिव मंदिर है, सोचा थोड़ा और पुण्य कमा लें, शायद कहीं हिसाब होता हो तो काम आये.

Shiv Mandir, Kalimpong West Bengal India

यह एक छोटा सा शान्तिपूर्ण वातावरण में बना भगवान् शिव का मंदिर है, जिन्हें भगवान् महादेव, आशुतोष, भोले शंकर के नाम से भी पुकारा जाता है, महादेव यानी देवों का देव. एक छोटे से बाज़ार में मंदिर का प्रवेश द्वार है. मंदिर में भगवान् गणेश जी के प्रीतिमा भी स्थापित की गई है. मंदिर के बाहर प्रांगन में एक छोटा सा उपवन है. स्थानीय लोगों में मंदिर की बहुत मान्यता है. यहाँ भी हमने पूजा अर्चना की और नजदीक ही स्थित हनुमान मंदिर में भगवान् हनुमान के दर्शन के लिए चल दिए.

Hanuman Mandir, Kalimpong West Bengal India

यह मंदिर भी एक छोटे से बाज़ार में बना हुआ है, और यह गंगटोक से लगभग 68 km की दूरी पर है. भगवान् हनुमान जी की एक खडी विशाल मूर्ति तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं, एक रास्ता घुमावदार सड़क से हो कर उपर पहुंचता है व् दुसरा सीडीयों से चढ़ कर उपर पहुंचता है.

मंदिर में असीम शांती का वातावरण है, और यहाँ से आप चारों और फेली प्राकृती के शानदार नजारे देख सकते हैं. उपर मंदिर में एक बुढा पुजारी भी मोजूद था जो भक्तों को रीति-रिवाज़ से पूजा करवा रहा था. स्थानीय लोग बताते हैं, कि यहाँ माँगी गई हर इच्छा पुरी होती है.

आप यहाँ रुकें, पूजा करें, दो चार फोटो क्लिक करें, आगे चल दें. यही हमने भी किया.

गंगटोक से कलिम्पोंग की दूरी लगभग 75 km है, और गाडी से लगभग पोने तीन घंटे का समय लगता है. पर हम रुकते हुए रास्ते का आनंद लेते हुए जा रहे थे, तो पांच घंटे में कलिम्पोंग पहुचे .

यहाँ पहुँच कर, अँधेरा होने तक  sightseeing की गई, यहां देखने को डोलो हिल व्यू पॉइंट है, जो की पहाड़ की चोटी पर है.

 

Deolo Hill Kalimpong West Bengal India

यह कालिम्पोंग बस अड्डे से 10 km, नजदीकी हवाई अड्डे बागडोगरा से 79 km व् नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाई गुडी से 80 km की दूरी पर, कालिम्पोंग शहर की सबसे उनसे पहाडी, जिसकी ऊंचाई समुंदर तट से लगभग 5590 फूट है, पर स्थित है.

पहाड़ी के शिखर पर एक विशाल पार्क पर्यटकों के लिए बनाया गया है, जिस के लिए आप को थोड़ा पैदल चडाई करनी पड़ेगी. यहाँ चारों और हरियाली का वातावरण है व् दूर बर्फ से ढके पहाड नजर आते हैं .

अगर आप के पास समय है तो आप यहाँ पैराग्लाइडिंग, घुड़सवारी और ट्रेकिंग जेसे सपोर्ट का लुत्फ़ उठा सकते हैं. बस एक दिक्कत है, पेराग्ल्डिंग  के लिए मौसम साफ़ होना चाइये.  

खुलने का समय: सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक

प्रवेश शुल्क: 20 रू प्रति व्यक्ति

 

हम रात को Deolo Cliff Eco Resort में रुके.