Aangan ki Chandni - 2 in Hindi Motivational Stories by Sabreen FA books and stories PDF | आँगन की चाँदनी - 2

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आँगन की चाँदनी - 2

वो अपने कदम पीछे लिए जल्दी से सीढ़ियों से उतरते हुए सोचने लगी, दी ने तो बताई ही नही थी उनका कोई मेहमान आने वाला है, पता नही यह अजनबी कौन है, दी से पूछती हु।

इसी खयाल के साथ आरोही आरूषि के कमरे में गयी, कमरे में जा कर देखा तो आरूषि रोहित की शर्ट को प्रेस कर रही थी।

आरोही: दी
आरूषि सर उठा कर मुस्कुराते हुए बोली तुम उठ गई।
आरोही: लेकिन आप यह बताये आपने मुझे जगाया क्यों नही।
आरुषि: मैं तुम्हारे कमरे में गयी तो थी लेकिन तुम इतनी गहरी नींद में सो रही थी तुम्हे उठाने का दिल नही किया तो मैं वापस आ गयी।
आरोही: दी वोह,,,,,,,,,,, वो आगे बोल पाति इससे पहले ही आरुषि ने चीखते हुए अपने सर पर एक चपेट लगाई।
आरोही जल्दी से आरुषि के पास आ कर बोली,
क्या हुआ दी?
आरुषि: वो मैं ने अंडे उबलने के लिए रखे थे और आ कर रोहित की शर्ट प्रेस करने लगी कहि अंडे जल न गए हो।
आरोही तेज़ी से भागती हुई किचन में आई, गैस बंद करने के बाद देखा तो पानी जल गया था ज़रा सी ओर देर होती तो अंडे जल कर कोइला हो जाते,
वो बर्तन से अंडे निकाल कर छिलके छील कर प्लेट में रखने लगी।

सुनो लड़की,,,,,,,,

किसी ने उसे आवाज़ दी आरोही ने पीछे पलट कर देखा तो नाईट ड्रेस पहने वही लड़का किचन के दरवाजे पर खड़ा था।

आरोही की नज़रे खुद पर जमी पाकर वो हल्का सा मुस्कुराया, और दरवाज़े से हट कर आरोही के करीब आने लगा।

मुझे लग रहा है रोशनी को हटा कर तुम्हे नई नौकरानी रखा गया है, तुम तो बहोत खूबसूरत स्मार्ट और पढ़ी लिखी मालूम होती हो इस नौकरी के इलावा कोई और नौकरी भी तुम्हे मिल सकती थी। लेकिन मुझे तुम्हारी नीझी ज़िन्दगी से क्या , तुम एक काम करो एक गिलास दूध उसमे दो चमच शहद डाल कर मेरे कमरे में पहोंचा दो वो अपनी बात पूरी करके चुप होगया।

आरोही के होंठ खुले में एक ही बात कहूंगी आपको बात करने का तरीका नही आता और नही किसी को बुलाने की तमीज़ है।

कमाल है मैं ने एस भी क्या कर दिया जो तुम मुझे तरीका और तमीज़ सिखाने लगी जबकि तुम्हे मालिकों से बात करने का ढंग नही है।

एक्सक्यूज़ मि! मैं आपको बता दूं ये घर आपका नही है तो आप यहां के मालिक कहा से बन बैठे।

क्या मज़ाक है मेरे ही घर मे मुझसे कहा जा रहा है यह घर मेरा नही है सुनो लड़की तुम यहाँ नौकरानी हो अपनी हद में रह कर बात करो।

अब आरोही को गुस्सा आ गया वो गुस्से से बोली,हद तो आप कर रहे है एक तो ज़बरदस्ती खुद को इस घर का मालिक कह रहे है ऊपर से मुझे नौकरानी कह रहे है, पहले मुझे नौकरानी कहना बन्द कीजिये।

वो खुद की तरफ इशारा करते हुए बोला देखो तुम मुझे जानती नही हो।

आरोही उसी की टोन में उसे जवाब देते हुए बोली आप भी मुझे नही जानते है।

वो अपना दोनो हाथ अपनी कमर पर रख कर आरोही को घूरते हुए बोला, अच्छा,, मुझे तुम्हे जानने की ज़रूरत भी नही बस तुम वही करो जो तुमसे कहा जाए एक वफादार नौकर अपने मालिक का हुक्म मानते है,, समझ गयी।

इतना कह कर वो मुड़ कर चला गया आरोही को बहोत तेज़ गुस्सा आया,,,,,,,,,,
जीजू और दी का जवाब नही न जाने किसको मेहमान बना लिया पूरा घर दनदनाता फिर रहा है, कह तो ऐसे रहा है जैसे यह इसका घर हो में अभी जीजू से कहती हूं इसको चलता करें, कहि यह घर पर डेरा न जमा ले। और यह भी कहूँगी मुझे तमीज़ से पेश नही आया और मुझे नौकरानी कह रहा था। और मुझ पर हुकुम चला रहा था,,,, आरोही ने बड़बड़ाते हुए गैस पर चाय का पानी रखा।

आरुषि किचन में आई आरोही अंडे जले तो नही।
आरोही: नही।
आरुषि: अच्छा तुम ऐसा करो जा कर मुंह हाथ धो लो।
आरोही: नही मैं आपका हाथ बटाऊंगी।
आरुषि: नही मैं कर लुंगी तुम जाओ।

आरुषि खौलते पानी मे चाय की पत्ती डालने लगी, आरोही के दिल मे आया दी को उस पागल की बात बता दे,
फिर उसने सोचा अभी यो दी नाश्ता बनाने में बिजी है नाश्ते के वक़्त जीजू भी होंगे उस वक़्त बात करना ठीक होगा।
इसी इरादे के साथ आरोही किचन से बाहर आई।

कुछ देर बाद जब आरोही नाश्ते के लिए ड्राइंग रूम में आई तो देखा, वो पागल लड़का भी ड्राइंग रूम में जा रहा था।
अच्छा तो यह हमारे साथ नाश्ता करेगा वो आदर गयी तो देखा रोहित भी वही मौजूद है और वो लड़का उनकी बराबर वाली कुर्सी पे बैठ गया, और दरवाज़े के तरफ देखने लगा।

आरोही पर नज़र पड़ते ही वो आरुषि से बोला, आपने रोशनी को हटा कर नई नौकरानी रखली है, लेकिन यह काम कर बहस ज़्यादा करती है।

आरोही: देखिए मैं बहोत बर्दाश्त कर चुकी हूं अब अगर आपने मुझे नौकरानी कहा तो...........तो......

वो आरोही को घूरते हुए बोला, तो क्या?

रोहित बीच मे बोल पड़ा ये क्या हो रहा है।

उसके बीच मे बोलने की वजह से आरोही रोहित की तरफ बढ़ी, देखिए जीजू यह जो मेहमान है यह मुझर नौकरानी कह कर मुझ पर हुकुम चला रहे थे, और यही नही ये खुद को इस घर का मालिक बात रहे थे, आप इन्हें समझ दी जिये मेहमान है तो मेहमान की तरह रहे।

यह तुम भईया को जीजू क्यों बोल रही हो और मेमन किसे बोल रही हो। उसका अंदाज़ लड़ने वाला था,
आरोही भी कहा पीछे हटने वाली थी, मेहमान को मेहमान ही बोल जाएगा, और आपको नही पता तो बता दु बहन के पति को जीजू ही बोलते है।

तो इसका मतलब आरुषि भाभी तुम्हारी बहन है?

आरोही अपने शब्दों पर ज़ोर देते हुए बोली जी हाँ।

ओह! शिट टेबल पर मुक्का मरते हुए वो खुद के ऊपर झल्लाया।

रोहित वहां बैठे उन दोनों के झगड़े को देख कर हँसे जा रहे थे, उसके बाद आरुषि की निहारते हुए बोले, इसमे आपकी गलती है आपको पहले ही आरोही और राहुल को मिला देना चाहिए था। अगर वो दोनों पहले ही एक दूसरे से मिल लेते तो ऐसे न लड़ते।

आरोही चोंकते हुए यह जीजू का छोटा भाई है।
वो मन ही मन सोचने लगी तभी तो यह इस घर पर अपना हक जाता रहा था, और वो अनजाने में उससे लड़ने के लिए तैयार हो गयी। वो दिल ही दिल मे शर्मिंदा होने लगी, आरोही ने अपना सर झुका लिया।

आरुषि रोहित का जवाब देते हुए, कल तक मुझे भी कहा पता था यह आने वाला है यह तो रात को अचानक से आ गया और उस टाइम पर आरोही सो चुकी थी। अब देखो इन दोनों को मिलवा नही पाई और देखिए सुबह सुबह इन दोनों की मुड़भेड़ हो गयी।

आरुषि: राहुल बात सुनो ज़रा।
राहुल उसकी तरफ मुड़ आरुषि आगे बोली,तुम्हे मेरी सूंदर गुड़िया जैसे बहन नौकरानी क्यों लगी?

राहुल: देखने मे स्मार्ट सूंदर है मैं ने यह बात इन्हें बोली थी। अब क्योंकि यह किचन में रोशनी की जगह काम कर रही तो मुझे लगा यह नही नौकरानी है।

रोहित: तुम्हारी इस हरकत से आरोही बहोत नाराज़ है, इसकी नाराज़गी दूर करने का एक ही तरीका है उसे से माफी मानगो।

राहुल:उन्हों ने भी मुझे कम नही सुनाया है।

आरुषि: ठीक है तुम दोनों एक दूसरे से माफी मानगो।

सर झुकाये ही आरोही बोली मुझे माफ़ कर दीजिए।
राहुल:आप भी मुझे माफ़ कर दीजिए।

रोहित:चलो अब हाथ मिलाओ।

राहुल अपना हाथ आगे बढ़ते हुए, हेलो मैं राहुल रावत हु।
रूही अपना नाज़ुक हाथ उसकी तरफ बढ़ते हुए धीरे से बोली हाई मैं आरोही सक्सैना।

रोहित हस्ते हुए बोले चलो अब तुम दोनों के दरमियान सुलह हो गयी अब बैठ कर नाश्ता करो।
नाश्ता ठंडा हो चुका था सब ने वही ठंडा नाश्ता किया।

रोहित नाश्ते के बाद ऑफिस के लिए निकल गया,
आरोही और आरुषि ने बर्तन साफ किये और रूम में आकर कुछ बात कर रही थी कि तभी राहुल भी आ कर उन दोनों के पास बैठ गया।

आरुषि: राहुल कुछ अंदाज़ है तुम्हारी पोस्टिंग कहा होगी?

राहुल:इसी शहर में होने के चान्सेस ज़्यादा है।
आरुषि: मैं तो दुआ करती हूं तुम्हारी पोस्टिंग यही हो जाये इसकी वजह से मम्मी पापा को भी तसल्ली रहेगी, और हम दोनों भी चाहते है तुम घर से दूर न जाओ।


© "साबरीन"