Secret Admirer - 47 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 47

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Secret Admirer - Part 47

कबीर और अमायरा गाड़ी में बैठे थे। और गाड़ी रफ्तार से चल रही थी। कबीर उसे मुंबई से बाहर लेकर जा रहा था। हाईवे पर रुक कर उन्होंने अपने फेवरेट रिजॉर्ट में ब्रेकफास्ट किया, जहां अमेजिंग बफेट ब्रेकफास्ट सर्वड किया गया था। जिसमे कॉन्टिनेंटल, नॉर्थ इंडियन और साउथ इंडियन तीनो ही तरह का ब्रेकफास्ट सर्वड किया गया था। खाना अमायरा की कमज़ोरी है, यह बात कुछ महीनों पहले ही कबीर को पता चली थी। वोह बस इस जानकारी को इस्तेमाल कर रहा था ताकी सुबह की शुरुआत अच्छी हो सके। कबीर यह सोच कर अपने आप में ही मुस्कुराने लगा, वोह सोच रहा था की अगर अमायरा को यह बात पता चला तोह वोह सोचेगी की खाना भी कबीर की कोई चाल है और फिर कभी भी अपना खाना उससे शेयर नही करेगी, कभी भी नही। इस वक्त वैसे भी अमायरा अपना खाना खाने में बिज़ी थी की उसने ध्यान ही नही दिया की कबीर उसी को देख कर शरारत से मुस्कुरा रहा है।

अच्छी तरह से पेट भरने के बाद वोह अपने डेस्टिनेशन की तरफ निकल गए। और अमायरा बहुत ही उत्सुक थी जानने के लिए कबीर उसके लिए क्या करने वाला था। और दो घंटे गाड़ी ड्राइव करने के बाद कबीर ने एक एडवेंचर कैंप के बाहर गाड़ी रोकी। अमायरा बहुत ही कन्फ्यूज्ड थी की वोह यहां क्यों आए हैं।

"यह क्या है? हम यहां क्यों आए हैं?" अमायरा ने पूछा।

"तुमने नही कहा था की तुम एक बार जॉर्बिंग, रैपलिंग और दूसरी एडवेंचर एक्टिविटीज करना चाहती हो?" कबीर ने अपने एक भौंहे को ऊपर उच्चका कर पूछा।

अमायरा ने याद किया की एक बार वोह दोनो एक साथ टीवी देख रहे थे तोह टीवी देखते देखते उसने कबीर को यूहीं कैजुअली कहा था की उसे भी ऐसी एडवेंचरस एक्टिविटीज बहुत पसंद लगती है लेकिन उसने कभी ट्राय नही किया। और उस वक्त कबीर ने कहा था की उसे ये एक्टिविटीज बोर लगती है इससे बस समय बरबाद होता है और कुछ नही। कबीर की कंपनी के एचआर डिपार्टमेंट हर साल इस तरह का एडवेंचर कैंप ऑर्गनाइज करता है, टीम बिल्डिंग एक्टिविटीज के लिए पर कभी भी कबीर ने उसे अटेंड नही किया था, वोह कभी जाना प्रेफर नही करता था। उस वक्त अमायरा ने कबीर को पुराने ज़माने के अंकल कह कर बहुत चिढ़ाया था की वोह इन सब से भागते हैं। और कबीर ने इसे नज़रंदाज़ कर दिया था।

आज कबीर के साथ यहां बैठ कर, वोह पुरानी बात चीत याद कर के उसकी तोह सांसे ही मानो अटक गई थी। वोह बिलकुल भी यहां आना नही चाहता था, वोह तोह उसके लिए यहां आया था, क्योंकि उसकी पत्नी चाहती थी।

"पर हमे वहां जाने की जरूरत नहीं है। आपको तोह इस तरह की एक्टिविटीज पसंद भी नहीं है ना।" अमायरा ने कहा।

"मैं शायद पुराने ज़माने का अंकल हूं। लेकिन जितने भी गेम्स अंदर हैं उनमें से मैं तुम्हे कई गेम्स में चैलेंज दे सकता हूं।" कबीर ने चिढ़ते हुए कहा।

"पर आप तोह......" अमायरा बोलते बोलते रुक गई क्योंकि कबीर बीच में बोल पड़ा था।

"डर गई, हुंह..... किडडो? मैं पूरी तरह से फिट हूं यहां आने के लिए, क्या तुम हो?" कबीर ने कहा। अमायरा को डाउट नही था कबीर बस वोह डर रही थी।

"थोड़ी सा तो डर है।" अमायरा ने धीरे से कहा।

"डरो मत। यह सारे गेम्स यहां बहुत सेफली ही कंडक्ट होते हैं किसी की सुपरविजन में। और तुम्हे बहुत मजा आएगा। चलो भी।" कबीर गाड़ी से उतर गया और अमायरा बेमन से उतर गई।

बहुत जल्द ही अमायरा सभी एक्टिविटीज में इंवॉल्व हो गई और बहुत एंजॉय करने लगी। उसने माउंटेन रैपलिंग, वाटर जॉर्बिंग, फ्लाइंग फॉक्स, पेंटबॉल, और एटीवी रेसिंग किया। एक छोटे से लंच ब्रेक के बाद वोह दोनो फिर से एक्टिविटीज में इंवॉल्व हो गए। पहले अमायरा को लगा था की कबीर किसी भी एक्टिविटी में पार्टिसिपेट नही करेगा क्योंकि वोह एक बोरिंग पर्सन है लेकिन आज वोह महसूस नही कर रही थी, क्योंकि कबीर आज पूरा दिन अमायरा के साथ एक्टिविटी में बिज़ी रहा। दिन के अंत में वोह बुरी तरह थक चुकी थी लेकिन रुकना नही चाहती थी लेकिन उन्हें गेम्स बंद करना पड़ा क्योंकि दिन अब पहले ही ढलने लगा था। और अमायरा का चहरा भी बता रहा था की वोह कितना थक चुकी है, उसे देख कर कबीर ने प्रोमिस किया की वोह उसे जल्द ही घर लेकर जायेगा। अब अमायरा गाड़ी में बैठी आज का पूरा दिन याद कर रही थी और खुश हो रही थी की इस तरह उसने अपना आज का दिन बिताया। इन दो दिनों में उसने महसूस किया की कबीर के साथ वक्त बिताना उतना भी बुरा नही है जितना वोह सोच रही थी। वोह उसका एक अच्छा दोस्त है ये तो वो जानती ही है पर वोह एक अच्छा साथी भी है। इन दो दिनों में कबीर कोई भी ऐसी हरकत नही की जिससे उसे ऑकवार्ड फील हो। वोह तोह एक जेंटलमैन है ना की फ्लर्ट करता हुआ आशिक जैसा की कुछ दिनो पहले वोह कमरे में बिहेव करता था। पहले दिन उसे गले लगाने के लिए कहने के अलावा कबीर ने अब तक कोई भी ऐसा काम नही किया था या ऐसा कुछ नही कहा था जिससे अमायरा अनकंफर्टेबल हो जाए।

कबीर एक जेंटलमैन ही तो था। और जेंटलमैन को तोह वोह अच्छे से हैंडल कर सकती है। कबीर की गाड़ी दो घंटों तक हाइवे पर दौड़ती रही और फिर घर आने से कुछ दूर पहले उसने गाड़ी रोक दी। वोह बाहर निकला और कुछ देर बाद वापिस आया। उसके हाथ में बहुत बड़ा अलग अलग फूलों का गुलदस्ता था। उसने बहुत ही प्यार से वोह अमायरा को दिया। उसे वोह फूल बहुत ही पसंद आए, वोह उसकी खुशबू में ही खो गई। उसने देखा की इसमें एक भी गुलाब का फूल नही है। उसे याद था की मुझे गुलाब बिलकुल भी पसंद नही है।

"थैंक यू," अमायरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। "पर आप यह क्यों लाए हैं।"

"उह्ह्........वैसे वोह अपनी पत्नी को फूल देने की कोई वजह नही होती। लेकिन मेरे पास कुछ वजह है आज। एक तो की मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। और यह बात आज मैने तुम्हे एक बार भी नही कही थी तोह मुझे बुरा लग रहा था। दूसरी, तुम्हारी जैसे एक खूबसूरत लड़की को हर वक्त, हर समय फूल देने चाहिए।" कबीर ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा और अमायरा तोह सोच में ही पड़ गई की क्या रिएक्ट करे। वोह जेंटलमैन कहां गया जिसकी तारीफों के पुल बांध रही थी वोह अभी थोड़ी देर पहले?

पर अनजेंटलमैन वाली भी कौनसी हरकत करदी कबीर ने। कई भी तो नहीं।

"अमायरा।" अमायरा कबीर की आवाज़ पर अपने खयालों से वापिस आई।

"हम्मम।" अमायरा कोई इस वक्त अपनी आवाज़ पर बिलकुल भरोसा नहीं हो रहा था की उसके गले से निकलेगी भी या नही।

"हैप्पी वैलेंटाइन्स डे।" अपने शब्दों बेहद मिठास और प्यार घोल कर कबीर ने कहा। और वोह तोह दंग ही रह गई।

"हुंह..... उउह्ह्ह...... थै......थैंक यू।" वोह श्योर नही थी की उसके गले से आवाज़ निकली भी या नही। कबीर मुस्कुराया और गाड़ी स्टार्ट करदी। थोड़ी ही देर में वो अपने घर के बाहर पहुंच चुके थे।

दोनो अपने कमरे में पहुंचे, तोह कबीर तुरंत बाथरूम में चला गया और अमायरा तोह अभी भी हैरान ही थी। वोह सोच रही थी की वोह अब क्या करे। इसने कोई शक नहीं है की कबीर उसके लिए एक जेंटलमैन ही है और यह दो दिन उसके लिए सबसे बेस्ट थे अपनी जिंदगी के। उसने कहा था की वोह उससे प्यार करता है और उसे खुश रखने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगा। कभी भी कबीर ने उसे उसको वापिस प्यार करने के लिए नही कहा। क्या अब उसे नही थोड़ा उसको कंसीडर करना चाहिए, उसकी तरफ ध्यान देना चाहिए?

जब कबीर बाथरूम से वापिस बाहर आया तोह उसने देखा अमायरा अभी तक उसी जगह पर खड़ी थी जहां वोह उसे छोड़ कर गया था। फूल अभी भी उसके हाथ में थे और वोह अपने ही खयालों में खोए हुई थी।

"क्या हुआ? कुछ गड़बड़ है?" कबीर कन्फ्यूज्ड था।

"न....नही तो।"

"आर यू श्योर?"

"यस।"

"ओके। फिर जाओ फ्रेश अप हो कर आओ।" कबीर ने कहा और अमायरा ने अपना सिर हिला दिया।

कबीर अपने बैड की तरफ बढ़ा ही था की अमायरा की आवाज़ ने उसे रोक दिया।

"मिस्टर मैहरा।"

"येस मिसिस मैहरा।" कबीर थोड़ा मुस्कुराया और इंतजार करने लगा की अमायरा क्या कहने वाली है।

"उह्ह्हह......"









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