komal tumhaare liye. in Hindi Short Stories by Lalit Rathod books and stories PDF | कोमल तुम्हारे लिए...

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कोमल तुम्हारे लिए...

कोमल तुम्हारे लिए...

जब कोई अपना शहर छोड़कर चला जाता है, तब ना जाने क्यों समय भी उसके अभाव में रिसने लगता है। ऐसे समय में मुझे मौसम भी बदला हुआ प्रतीत होता है। रात को आसमान पर चमकीला चांद भी तारों के झुंड के बीच खुद को अकेला महसूस करता हुआ मुझे दिखाई देता है। कोमल से पहली मुलाकात लगभग चार साल पहले हुई थी। हमारी मित्रता को भी उतने ही वर्ष हो चुके हैं। बीते दिनों जब उसने सूचना दी कि वह शहर छोड़कर जाने वाली है.., यह सुनते ही एक बारगी तो मेरा माथा चकरा गया। उसके बाद कोमल के साथ बिताए यादगार पल एक के बाद एक बिन बुलाए आंखों के सामने आते चले आए। मानो उसने शहर से जाने की बात कहने की जगह 'यादगार दिनों' का सालों पुराना कोई पिटारा खोल दिया हो! इस शहर से जुड़ी उसकी यादें इतनी हैं कि कोशिश करूं फिर भी अब उन्हें बटोरकर उस पिटारे में बंद नहीं कर सकता है। पता नहीं क्यों उस वक्त मुझे उसकी बातें सुनने से कहीं ज्यादा उन दिनों को याद करना चाहता था, जिस वक्त कोमल मेरे करीब थी। हम करीब थे ठीक यह कहना गलत भी हो सकता है।


असल में मेरा उलझा हुआ हर प्रयास एक समय के बाद नए झगड़े को जन्म देता रहा। मैं खुद को बदलने के सभी प्रयासों में असफल रहा। हम दोनों के बीच काफी मतभेद रहे हैं, कुछ अब भी हैं, लेकिन कोमल आज भी दिल के करीब ही है। मुझे कोमल से प्रेम कब हुआ, इसका सही जवाब शायद आज भी मेरे पास नहीं है। मैंनें कई बार इस विषय पर खुद से मंथन भी किया लेकिन प्रेम का भाव पैदा होना अदृश्य था। हां उसका हर दिन बढ़ना महसूस कर सकता था। जिस वक्त मुझे लगा कोमल करीब है, उससे दिल की बात कह देनी चाहिए उसी दौरान ना चाहते हुए परिस्थिति विपरीत होने लगी। शायद यही कारण है उसे कभी बता नहीं सका। सच कहूं तो असल में उसके साथ बूढ़ा होना चाहता था।


मुझे उसका कोमल नाम काफी पसंद है। आज भी बंद आंखों से अगर कोमल शब्द बुदबुदाऊं तो उसका चित्र बनता हुआ नजर आता है। उसके शहर छोड़ने से अब उसे कोमल नाम से पुकारना भी अधूरा रह जाएगा! बातचीत में वह शहर छोड़ने के निर्णय से खुश लगी, मैंने भी बातचीत में अपनी खुशी तलाश ली। इस पूरी चर्चा के बीच एक टीस ना जाने कब तैरती हुई आंखों के आसपास आकर बैठ गई। अब भी वह वहीं है। उसकी बातों को यकीन करना मुश्किल नहीं था लेकिन बचकाने सवाल मेरे मन में आने लगे, जिन्हें मैं पूछना चाहता था कि जिस तार से हमारी मित्रता चार साल से जुड़ी है.., क्या दूसरे शहर में भी यह हमें जोड़े रखेगा? क्या तार की लंबाई इस शहर तक ही है, जो दूसरे शहर जाने के ठीक पहले सिमट कर रह जाएगी? इस सवाल केजवाब का अंदाजा मुझे पहले से था, इसलिए मैंने इसे खुद तक रखा, क्योंकि मैंने गहरे प्रेम की बात केवल लिखने तक ही सीमित रखी। ऐसी बात कर उसे कभी असहज होने नहीं दिया।


हम दोनों का काम एक होने के बाद भी हमारी दुनिया शुरुआत से ही भिन्न रही। वह आज भी अपने सपनों को उसकी नियति तक जाकर देखना चाहती है और मैंनें उस नियति के बारे में कभी सोचा ही नहीं। मैं कभी उसके तरह सामाजिक व्यक्ति न बन सका।फोन में कोमल को उसकी बातों का जवाब देने के साथ ही मुझे चार साल पहले उस होटल में खाना खाते हुए का वह दृश्य नजर आने लगा, जहां हमारी पहली मुलाकात हुई थी। मुझे उस वक्त इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि भविष्य में कोमल मेरे इतने करीब होगी, जिसका होना मैं महसूस कर पाऊंगा। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि उसका दूर जाना मुझे अभाव के किसी चौराहे पर अकेला खड़ा कर देगा। मैंनें भी अनमने मन से उसकी उपलब्धि पर उसे शुभकामनाएं दीं।


मेरे कहने पर उसने आगे कहा, तुम्हारे साथ इस शहर की काफी अच्छी यादें शामिल हैं, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। यह सुनते ही मेरी चेतना कोमल से पहली मुलाकात यानि मेरे अपने रूम में लौट आई, जहां वह पहली बार मुझसे मिलने आई थी। वह पहली लड़की थी, जो मेरे दिल के इतने करीब थी जिसे मैंने अपने रूम आने की अनुमति दी थी।मुझे याद है उसके आने से पहले पूरा रूम उसके पसंद के अनुसार सजा दिया था। दीवार में उसकी पसंद के स्टीकर लगा दिए थे। खिड़की के पर्दे भी बदल दिए थे, ताकि उसे रूम बिलकुल नया लगे।


सारी चीजें वहीं रखी हुई थीं जहां उन्हें रहना चाहिए था। मुझे यह भी याद है कि उसे मुझमें और मेरे कमरे में इतनी आत्मीयता लगी कि वह गाहे-बगाहे मुझसे मुलाकात करने आने लगी। अब हर बार तो कमरा व्यवस्थित कर नहीं सकता था सो यहां वहां सामान बिखरा पड़ा रहता था। वह आती तो कमरे की साज-सज्जा अपने हिसाब से मन लगाकर या यूं कहें कि अपना समझकर करती।कोमल से अपने दिल की बात कहने के लिए मैंने सब प्रयास किए। उसके रूम आने से पहले अक्सर रात में लिखी हुई कुछ छूटी हुई कहानियों को भी टेबल में ऐसे छोड़ दिया करता जैसे लिखते-लिखते वे वहीं छूट गईं। इस सबके पीछे मेरा एक ही मकसद रहा कि वह चोरी चुपके से कैसे भी इन्हें पढ़ ले।


मुझे अहसास था कि वह मुझसे सवाल जरूर करेगी कि कहानी में वह लड़की कौन है जिससे तुम प्यार करते हो? मेरी समझ से उसने कभी पन्नों और डायरी में लिखी कहानी को नहीं खंगाला। अगर पढ़ा भी होगा तो कभी कहा नहीं। उसने पूछा नहीं इसलिए मेरा यह बताना भी अधूरा रह गया कि असल में वह लड़की तुम ही हो जिस पर मैं कहानियां लिखता हूं। मुझे हर कहानी में लिखते हुए तुमसे प्रेम हो जाता है। यह लिखते वक्त भी यही महसूस कर रहा हूं। अपनी हर कहानी में सिर्फ और सिर्फ तुमसे ही प्रेम करता हूं।


आज वह शहर से जा चुकी है, मगर उसकी आत्मीयता और उसका प्यार से यह कहना कि 'यार वर्तमान जीओ.. यही खूबसूरत' है, शायद मेरी जिंदगी का लक्ष्य बन गया है। कोमल के जाने के बाद अब मैं वर्तमान में ही जीता हूं मगर उसकी याद जब भी करता हूं मुझे बीता हुआ कल भी वर्तमान लगने लगता है। अंतिम मुलाकात के साथ कई बातें और दिल की ख्वाहिश अधूरी रह गईं, लेकिन कोमल का यह कहना कि अधूरी चीजें कभी न कभी जरूर पूरी होंगी मेरे अंदर एक उम्मीद जगाए है। बस मैं इसी उम्मीद को लेकर खुश हूं।


फोन में हमारी बातचीत लगभग 30 मिनट हो चुके थी। कुछ समय बाद वही कहने वाली थी अब फोन रखती हूं, लेेकिन इसकी शुरुआत कैसी होगी मैं यही सोच रहा था। बातचीत में उसके शहर छोड़कर जाने का दु:ख गिनाने लगा कि, कोमल तुम्हारे जाने के बाद अब इस शहर में तुम्हारे तरह कोई दोस्त नहीं रहेगा, जो साथ सिगरेट की लंबी कस लेते हुए मुझे यह कहे चिंता छोड़ा..,अब झगड़ा करने वाला भी कोई नहीं रहेगा! छुट्टी के दिनों तुम्हारे साथ शराब का नशा भी फिका रहेगा । मुझे तो शराब से ज्यादा तुम्हारा नशा है.. इस बात पर उसकी हंसी फूट गई है, लेकिन जब मैंने 'तुम्हारे बिना गम भी अधूरा' तब शांत हो गई है।


लेकिन थोड़े सेकेंड के बाद उसने अंतिम मुलाकात की बात कहते हुए अपनी चुप्पी तोड़ी, जिस पर मैंने भी सहमति दर्ज की। कोमल ने कहा, मैं शहर छोड़ने से पहले तुमसे मिलना चाहती है, जिसे तुम अंतिम भेट भी समझ सकते हो! जल्द ही तुम्हारे रूम में अथाह शराब के नशे में एक और यादगार समय बीतेगा। यह कहते हुए फोन रख दिया लेकिन मुझे उसकी इस बात से ज्यादा खुशी नहीं हुई क्योंकि मैंने कभी अंतिम मुलाकात नहीं चाहता था।


असल मैं किसी को चीज को अंतिम समझकर उसे हमेशा के लिए अगल करना नहीं चाहता। हर संबंध के बीच मैं एक उम्मीद बनाए रखना चाहता हूं.., मैं चाहता था कोमल मेरे लिए शहर से कुछ इस तरह से चली जाए जैसे चलते हुए पेन की रिफिल खत्म हो जाती हैं और हमें यह बात बाद में मालूम चलती है। शायद यही कारण महीने से फोन से उसका नंबर हटा दिया है। सोशल मीडिया में जहां उसे देख सकता हूं वहां से दूर हूं। ऐसा करने के पीछे का कारण मुझे खुद को पता नहीं, लेकिन जितना खुद को समझता हूं ऐसा करना अपनी कायरता हो छुपाना कह सकता हूं।