persuasion movie story in Hindi Film Reviews by Jitin Tyagi books and stories PDF | प्रसुएसन फ़िल्म समीक्षा

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प्रसुएसन फ़िल्म समीक्षा

ये फ़िल्म भी ऐसी ही हैं। जैसी इस तरह की और फिल्में हैं। मतलब नॉवेल की कहानी को डायरेक्टर द्वारा सिनेमैटिक लिबर्टी लेकर अपने ढंग से दिखाना। वैसे इस बात में कोई बुराई भी नहीं हैं। अगर सब एक जैसा दिखाएंगे तो फिर अलग क्या दिखेगा और बिल्कुल नॉवेल की तरह दिखाएंगे तो फिल्मी एक्सपेरिमेंट का क्या होगा। इसलिए फ़िल्म देखने में अच्छी लगती हैं।

कहानी; कहानी शुरू होती हैं। anne और फ्रेडरिक की सगाई टूटने से(ये बात anne के द्वारा कहलवाई गई हैं।) और पहुँच जाती हैं। anne के पिता के घर, जो अपने बेफ़िज़ूल के खर्चों की वजह से कर्ज के नीचे दब गए हैं। और अब कर्ज़े को चुकाने के लिए उन्हें अपना घर किराये पर देना होगा और उन्हें बाथ नाम की जगह पर जाकर रहना होगा। anne उनके साथ ना जाकर कुछ समय के लिए अपनी छोटी बहन mary के यहाँ चली जाती हैं। जहाँ पर उसकी मुलाकात फ्रेडरिक से होती हैं। फ्रेडरिक के प्रति mary की ननद louisa आकर्षक दिखाती हैं। लेकिन फिर अचानक एक दिन वो फ्रेडरिक के साथ मजाक करते हुए पहाड़ी से गिर जाती हैं। और उसके सर में चोट लग जाती हैं। इसके बाद पहले anne और बाद में फ्रेडरिक दोनों बाथ आ जाते हैं। जहाँ छोटी मोटी घटनाओं के बाद दोनों एक-दूसरे से एक बार डर बड़े मार्मिक ढंग से प्यार का इज़हार कर देते हैं। और फिर वहीं जो सामान्यतः हॉलीवुड की फिल्मों में होता हैं। मतलब किस होता हैं। और फ़िल्म खत्म।

डायरेक्शन; डायरेक्टर ने अपना काम बखूभी ढंग से किया हैं। उन्होंने बड़ी खूबसूरती से पूरी फिल्म को फिल्माया हैं। जेन ऑस्टिन के काफ़ी लोकप्रिय नॉवेल पर आधारित होने के बावजूद फ़िल्म देखते वक़्त लगता हैं। जैसे कुछ नया देख रहे हो, कहानी का अंत जिन्होंने नॉवेल पढ़ा हैं। उन्हें मालूम हैं। लेकिन फिर भी वो अंत तक फ़िल्म से जुड़े रहते हैं। और एक अच्छी हैप्पी एंडिंग का इंतजार करकर ही नेटफ्लिक्स को बंद करते हैं।

अठारवीं सदी के हिसाब से डायरेक्टर ने अच्छा सेट बनाया हैं। समुन्द्र के दृश्य, जंगल के दृश्य आँखों को एक्शन फिल्मों की तरह सुकून देते हैं।

डॉयलोग; संवाद नार्मल ही हैं। जैसे नॉवेल में थे ह्यूमर से भरपूर, कहीं-कहीं तो संवादों का इतना अच्छा इस्तेमाल किया हैं। कि दर्शक हँसने पर मजबूर हो जाते हैं। और जेन ऑस्टेन की ख़ास बात तो थी ही कि वो इंसान के मनोविज्ञान को काफी अच्छे से समझती थी। इसलिए संवादों से दर्शक खुद को जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। हालांकि भारत के दर्शक थोड़ा सा अलग महसूस कर सकते हैं। पर अगर ऑस्टिन को पढ़ा हैं। तो कुछ भी अजीब नहीं लगेगा।

फ़िल्म की हिंदी डबिंग भी अच्छी हैं। पर कहीं-कहीं इंग्लिश में जो संवाद हैं। उसका भारतीयकरण कर दिया हैं। जैसे आजकल हर डबिंग फ़िल्म में देखने को मिलता हैं। पर इस बात ध्यान देने से ही जाता हैं। और अगर थोड़ी सी लापरवाही रखते हैं। तो कोई फर्क नहीं पड़ता

एक्टिंग; Anne elliot के किरदार में Dakota johnson को देखना थोड़ा अजीब लग सकता हैं। क्योंकि आज तक Dakota ने हर फिल्म में केवल कपड़े ही उतारे हैं। और इसमें बस चार किसिंग सीन हैं। वो भी बहुत सामान्य से, पर फिर भी एक्टिंग अच्छी की हैं। और बाकी एक्टर्स ने भी अपने किरदार को अच्छे से निभाया हैं। दरअसल ब्रिटिश इतिहासमें वो दौर कुछ ऐसा ही हैं। कि सब अंग्रेज उस समय की चीज़ों में बड़ी जल्दी फिट हो जाते हैं। इसलिए कोई भी किरादर ओवर एक्टिंग करता हुआ नहीं दिखता हैं।


तो अंतिम बात ये हैं। कि अगर लव स्टोरी ड्रामा देखने का शौक हैं। तो इस फ़िल्म को मिस ना करें। क्योंकि ऑस्टिन से अच्छा लव स्टोरी ड्रामा कौन लिख सकता हैं। और दूसरी बात फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर आई हैं। तो बारिश में घर से बाहर जाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।