Sapne - 11 in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-11)

Featured Books
  • ભીતરમન - 58

    અમારો આખો પરિવાર પોતપોતાના રૂમમાં ઊંઘવા માટે જતો રહ્યો હતો....

  • ખજાનો - 86

    " હા, તેને જોઈ શકાય છે. સામાન્ય રીતે રેડ કોલંબસ મંકી માનવ જા...

  • ફરે તે ફરફરે - 41

      "આજ ફિર જીનેકી તમન્ના હૈ ,આજ ફિર મરનેકા ઇરાદા હૈ "ખબર...

  • ભાગવત રહસ્ય - 119

    ભાગવત રહસ્ય-૧૧૯   વીરભદ્ર દક્ષના યજ્ઞ સ્થાને આવ્યો છે. મોટો...

  • પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 21

    સગાઈ"મમ્મી હું મારા મિત્રો સાથે મોલમાં જાવ છું. તારે કંઈ લાવ...

Categories
Share

सपने - (भाग-11)

सपने.........(भाग-11)
 
आदित्य और श्रीकांत के जाने के बाद आस्था कुछ उदास हो गयी थी, उसने काफी देर स्नेहा से बात की तो थोड़ा ठीक हो गया था उसका मन.......पढाई के साथ मस्ती भी करते रहते थे सब.....आस्था ने अपनी एक खास जगह बना ली थी टीचर्स और दोस्तों के दिलो में...... हँसी मजाक पढाई, वर्कशॉप सब कामों में वो बढ चढ कर हिस्सा लेती। आस्था संडे को भी बिजी रहने लग गयी थी। दोस्ती सबसे हो गयी तो एक ग्रुप बन गया था। फिर तो बाहर घूमने का प्रोग्राम बन ही जाता। कई बार घर भी चली जाती थी....और कभी घर से कोई न कोई मिलने आ जाता। एक बार तो स्नेहा भी मिलने आयी थी। संडे को सुबह पहुँच कर दोनो ने घूमा फिर ररत की ट्रैन से वापिस भी चली गयी। इस ग्रुप के लड़के लड़कियाँ बाहर जाते तो ड्रि्ंक करते थे। वार्डन सख्त थी, पर लोकल कुछ न कुछ बहाने बना कप रात भर गायब भी रहते थे। एक बार आस्था को दोस्तों ने बहुत फोर्स करके बीयर पिला दी......पहली बार पीने की वजह से आस्था अपने को संभाल नहीं पा रही थी। उसने अपनी रूममेट को वापिस चलने की रिकवेस्ट की.......वो उसे हॉस्टल ले आयी। उसके बाद उसने सोच लिया कि कभी देर तक बाहर नहीं रहेगी और ड्रिंक भी नहीं करेगी। वो समझ गयी थी कि जो दोस्त किसी गलत काम को करने को मजबूर करें, वो अच्छे दोस्त कभी नहीं हो सकते। उस रात के बाद उसके ग्रुप ने उसका कई बार मजाक बनाया पर वो हँस कर टालती रही। आदित्य और श्रीकांत से उसकी बात 2-3 दिन में एक बार हो ही जाती थी। श्रीकांत ने बताया कि आदित्य की एक दोस्त की आंटी के पेैंटहाउस को रेंट पर लिया है.....बहुत बड़ा फ्लैट है। आदित्य अपनी पढाई में बिजी हो गया है और उसने एक जगह एकाउंटस देखने का काम शुरू कर दिया है। सब कुछ न कुछ करने में बिजी थे तो वक्त जैसे भागता हुआ सा लग रहा था। आदित्य की जब कुछ छुट्टियाँ हुई तो वो दिल्ली आ गया साथ ही श्रीकांत भी। आस्था एक लिए ये सरप्राइज था, वो बहुत खुश हुई उन दोनो को देख कर.....!! तीनों एक साथ गले लग गए........ वो मिलने आए और आ कर चले भी गए....! आदित्य ने बताया कि उसको अगले तीसरा सेमेस्टर दुबई पढने जाना है और चौथा सेमेस्टर सिंगापुर तो दूसरा सेमेस्टर खत्म होने पर वो आएगा......और फिर यहीं से दुबई जाएगा।
आदित्य थोड़ा बदला बदला सा लगा आस्था को और श्रीकांत तो वैसे का वैसे ही....... मस्तमौला और बात बात पर हँसने वाला। आस्था उनके जाने के बाद फिर कुछ दिन उदास सी रही पर फिर पढना भी तो था, सो फोकस बनाए रखने की जरूरत समझ कर खुद को पढने और सीखने में लगा लिया। कभी लाइब्रेरी चली जाती तो कभी कुछ न कुछ डिस्कस करती रहती अपनी रूम मेटस के साथ.......थियेटर का हिस्सा बनना आसान नहीं, ये तो आस्था यहाँ आने के कुछ दिनो में ही समझ गयी थी.....! धीरे धीरे लड़के लड़कियों की पर्सनेल्टी और उनके गुणों को निखारा जा रहा था.....ठीक वैसे ही जैसे मूर्तिकार पत्थर को तराश कर मूर्ति बनाता है....... उनको और निखारने के लिए टाइम टाइम पर प्ले किए जा रहे थे, जिससे हर स्टूडेंट को पता चल सके कि वो कितना तैयार हैं और उन्हें जज करने के लिए गेस्टस को बुलाया जाता था। जैसे ही परफार्म करो
तुरंत बाद सब को बताया जाता था कि क्या गलतियाँ कर रहे हैं और कहाँ उन्होंने अच्छा किया.....बस ऐसे ही एक प्ले जिसमें सिनियर्स और जूनियर्स सब ने हिस्सा लिया था, उनको जज करने के लिए एक जाने माने थियेटर आर्टिस्ट और डायेरक्टर नचिकेत दत्ता जो अपने नए ड्रामा के लिए हीरोइन भी ढूँढ रहे थे, वो गेस्ट बन कर आए........ आस्था की एक्टिंग देख कर उन्हें उसमें अपनी हीरोइन की तलाश पूरी होती नजर आयी।प्ले खत्म होने के बाद नचिकेत दत्ता ने आस्था के बारे में सब पता किया और फिर उसे बुलाया गया.......नचिकेत दत्ता ने उसे अपने नए नाटक के लिए हिरोइन का ऑफर दिया तो आस्था को लगा कि वो जैसे खुली आँखो से कोई सपना देख रही है.......उसे बताया गया कि नाटक की रिहर्सल वो 3-4 महीने के बाद शुरू करेंगे तब तक उसका यहाँ फाइनल सेमेस्टर खत्म हो जाएगा। नचिकेत से जब पता चला कि उसे मुंबई आना होगा तब तो वो और ज्यादा खुश हो गयी......मायानगरी में कदम रखना कोई मजाक नहीं था और उसे बिना Struggle किए ही मौका मिल गया तो उसने तुरंत "हाँ" कर दी........नचिकेत ने अपने मैनेजर को कांट्रेक्ट तैयार करवा कर आस्था सक्सेना के लिए भेजने को कह कर चले गए.....आस्था ने अपने घर पर सबसे पहले फोन करके ऑफर के बारे में बताया तो सब बहुत खुश हो गए, पर उसके मम्मी पापा परेशान भी हो गए उसकी मुंबई जाने की बात सुन कर। फिर ये सोच कर खुद को खुश करने की कोशिश कर ली कि, "उनकी बेटी के सपने पूरे हो रहे हैं"। स्नेहा को जब आस्था ने बताया तो वो भी खुश हो गयी......... कुछ दिनों के बाद उसे कांट्रेक्ट मिल गया और उसने साइन करके दे दिया। "कांट्रेक्ट के मुताबिक उसे 3 साल तक नचिकेत दत्ता के साथ काम करना होगा, उसके मुबंई जाने का खर्च और एक हफ्ते का खर्चा नचिकेत उठाएगा, उसके बाद उसे अपने खर्च पर रहना खाना वगैरह देखना होगा"...... .! आस्था को अपने ऊपर यकीन था कि वो सब मैनेज कर लेगी....उसने अपने फेवरेट शास्त्री सर को कांट्रेक्ट की सब शर्ते बतायी तो उन्होंने भी आस्था पर भरोसा दिखाया कि वो सब कर लेगी......आस्था ने उस दिन साइन करके अपने सपने को पूरा करने की तरफ एक कदम और बड़ा दिया।उधर श्रीकांत को अकेला पन लग रहा था। आदित्य दुबई से आएगा तो 6 महीने बाद फिर चला जाएगा यही सोच कर जू तब मायूस हो जाता.....फिर एक दिन उसकी दोस्ती सोफिया से हो गयी तो उसको अपना अकेलापन भी वरदान लग रहा था, बहुत कम टाइम में उसने सोफिया से दोस्ती से ले कर," I LOVE YOU" कहने का सफर तय कर लिया था। सोफिया उसके बेकार से बेकार जोक पर भी जब खुल कर हँसती तो श्रीकांत का दिल जोरो से धड़क जाता,ये सब वो आस्था को फोन पर बता रहा था। उधर आदित्य सबके साथ फ्रैंडली था तो हमेशा की तरह कोई न कोई उसे कंपनी दे ही देता था। जब तब आस्था और श्रीकांत से बात कर लेता....! तीनों का लाइफ में क्या चल रहा है, ये बात तीनों को पता चल ही जाता था जब भी बात होती.....दोस्ती वो नहीं जो रोज बात हो तभी टिकी रहती है......बस कभी एक हफ्ते में तो कभी 2 हफ्ते में बात हो ही जाती थी....पर आस्था ने कांट्रेक्ट की बात छुपा ली क्योंकि वो दोनो को सरप्राइज देना चाहती थी.... ..
क्रमश: