Sapne - 7 in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-7)

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सपने - (भाग-7)

सपने......(भाग-7)

इलाहाबाद से "प्रयागराज ट्रेन" सबसे बढिया है दिल्ली के लिए......ट्रैन में बैठते ही आस्था के मन के घोड़े अपनी पूरी स्पीड के साथ इधर उधर भागने लगे....माँजी मैं यहाँ बैठ जाऊँ कुछ देर? मेरी सीट ऊपर है, मैं अभी अपनी जगह चला जाऊँगा....एक लड़के की आवाज ने आस्था को सपनो से निकाल दिया। एक 23-24 साल का पतला दुबला और सावंला सा लड़का, जिसका मुँह आस्था को दशहरी आम जैसा लगा वो अपना बैग संभाले अनिता जी के जवाब का इंतजार कर रहा था....."हाँ बेटा बैठ जाओ"....निखिल ऊपर लेटा हुआ था। आस्था और अनिता जी दोनो की सीट नीचे थी....वो लड़का आराम से एक तरफ बैठ गया और अपना बैग निखिल के सामने वाली सीट पर रख दिया....। रात का टाइम था तो पैसेंजर वैसे भी सो ही जाते हैं जल्दी....पर आस्था और अनिता जी अभी जागी थी तो लड़के का मन कर रहा था जान पहचान बढाने का..... "आप लोग कहाँ जा रहे हैं आँटी जी"? हम दिल्ली जा रहे हैं बेटा, "आप कहाँ जा रहे हो"? अनिता जी ने जवाब दिया तो वो खुश हो कर बोला, "जी मैं भी वहीं जा रहा हूँ"......फिर तो उसने जो बातें करना शुरू किया चुप ही नहीं हुआ उसने बताया, "उसका नाम श्रीकांत वागले है, नासिक के पास किसी गाँव से दिल्ली में पढने आया है, यहाँ वो अपने दोस्त की शादी में आया था, पोस्ट ग्रेजुएशन के आखिरी साल में है"।श्रीकांत सोने के बारे में सोच ही नहीं रहा था, बात बात पर खिलखिला कर हँस रहा था, पिछली सीट से किसी अँकल जी की आवाज आयी ," बेटा सो जाओ और सोने दो"! अनिता जी ने भी कहा," बेटा जाओ अब तुम भी सो जाओ"! वो अपनी जगह पर चला तो गया, पर ऊपर से कुछ न कुछ आवाजें आस्था को परेशान कर रही थी.....पर वो बिना कुछ कहे चुपचाप लेटी रही, वैसे भी आँखों में नींद भरी थी, पर सोने पर नींद में सीट से गिरने के डर से वो सोना भी नहीं चाहती थी......!! ऊपर श्रीकांत और नीचे आस्था दोनो ही जाग रहे थे...... उसने नीचे झांक कर देखा कि आस्था भी जागी है तो वो फिर नीचे आ गया......और वो आस्था की सीट पर पैरों की साइड बैठ गया और धीरे से बोला, आप को भी शायद नींद नहीं आ रही तो क्यों न हम बातें करें......
आस्था को भी ये सही लगा और दोनो धीरे धीरे बातें तो कर रहे थे। दोनो ने खूब बाते की जिससे आस्था को पता चल गया कि ये लड़का सिंपल तो है पर पुराने जोक्स सुना कर पकाता भी बहुत है.....जब उसने इस मराठी लडके को पहली बार देखा तो वो उसको दशहरी आम लगा था, पर जब उतरने को टाइम आया तो अच्छा दोस्त बन सकता है, ये समझ आ गया आस्था को और दोनो ने एक दूसरे का नं. ले लिया......ऐसा शायद हम सबकी जिंदगी में कभी न कभी जरूर होता है जब ऐसे ही कभी बस,ट्रेन या प्लेन में अनजान लोग मिलते हैं और हम इनसे बातें करते हैं और कई बार इतने अच्छे लगते हैं कि फिर मिलने की उम्मीद में अपना एड्रेस और फोन नंबरों का आदान प्रदान कर लेते हैं..........श्रीकांत ने उतरने से पहले बताया कि उसके भी कुछ सपने हैं, जिन्हें वो फिर कभी बताएगा......उसे उम्मीद थी कि वो आस्था से दोबारा जल्दी ही मिलेगा....!!
अब तक आप लोग आस्था और श्रीकांत से मिल ही चुके हैं कोई और भी है जिससे आप अभी मिलने जा रहे हैं.......
"छोटे साब आप उठ गए? नाश्ते में आप क्या लेंगे? आदित्य को उठाने आई नौकरानी राधा ने जब देखा कि उसके छोटे मालिक तो पहले से नहा धो कर तैयार हो गए हैं तो वो नाश्ते में क्या खाएँगे पूछने के बाद वो एक तरफ जवाब सुनने के लिए खड़ी हो गयीं। राधा की उम्र तकरीबन 50-55 साल की है, वो इस घर में तब आयीं थी जब आदित्य पैदा होने वाला था....राधा को वो अम्मां बुलाता है। आज फिर राधा के मुँह से अपने लिए छोटे साब सुन कर गुस्सा हो गया, " अम्मां आप को कितनी बार कहा है कि आप मुझे छोटे साहब या मालिक मत बुलाया करो,मुझे सुनना पसंद नहीं आप मुझे बेटा कहा करो"! "ठीक है बेटा जी गलती हो गयी, माफ कर दो और बताओ कि क्या बनाने को कह दूँ पवन को"? राधा अम्मां की बात सुन कर हँस दिया," हाँ अम्मां और अब दोबारा ये गलती न हो, इसका ध्यान रखना, आप पवन को मेरे लिए सैंडविच और जूस तैयार करने को कह दीजिए, मैं अभी आ रहा हूँ"! "जल्दी से नीचे आ जाओ बेटा जी, बड़े मालिक और मेमसाब आपका इंतजार कर रहे हैं"! राधा ने आदित्य की बात सुन कर कहा तो वो तुरंत बोला, "आज कोई खास बात है जो मिस्टर ने मिसेज खन्ना मेरा इंतजार कर रहे हैं"?
आदित्य की बात में जो तंज था उसे राधा समझ गयी थी..."बेटा अपने माँ बाप से इतना गुस्सा होना ठीक नहीं....जल्दी से नीचे आ जाओ"!"ठीक है राधा अम्मां मैं आ रहा हूँ"। आदित्य के पिता एक बहुत बड़े बिजनेसमेन हैं तो वो बहुत बिजी रहते हैं अपने काम में और आदित्य की मॉम सोशल वर्क और किटी पार्टीज में बिजी रहती हैं। जिसकी वजह से वो अपने बेटे को न तो कभी टाइम दे पाए और न ही प्यार.....राधा जब इस घर में आयी थी तो उससे कुछ दिन पहले उसकी नवजात बेटे की मौत हो गयी थी और वो दोबारा माँ भी नहीं बन सकती थी तो उसके ससुराल वालों ने उसे घर से बाहर निकाल दिया था....आदित्य के पापा का ड्रॉइवर रमेश उसे फुटपाथ पर रात में अकेले बैठे देख इस घर में काम का वादा करके ले आया था....राधा के आने के कुछ समय बाद ही आदित्य का जन्म हुआ था......आदित्य को पैदा जरूर उसकी माँ ने किया था, पर पाला राधा ने!
आदित्य भी इतना घुलमिल गया कि उसे राधा ही अपनी माँ लगती थी और आज भी आदित्य अपनी मॉम से ज्यादा अपनी अम्मां की इज्जत करता है। आदित्य नीचे उतरा और डायनिंग हॉल की तरफ बढ गया। जहाँ उसके मॉम डैड बैठे अपना नाश्ता कर रहे थे...."गुड मॉर्निंग मॉम,डैड! अम्मां ने कहा आप मेरा वेट कर रहे हैं"? आदित्य ने सवालिया नजर अपने मॉम डैड की तरफ डाली फिर पवन को नाश्ता ले कर आने को कहा.....राधा पहले ही ट्रे में उसके लिए नाश्ता लगा रही थी। "आदित्य आज मिस्टर एंड मिसेज गुप्ता ने हम तीनों को डिनर पर इंवाइट किया है! 7बजे तक रेडी रहना तुम और तुम्हारी मॉम"!! "सॉरी डैड मैं बिजी हूँ, नहीं आ सकता"! अपने डैड की बात का आदित्य ने जवाब दिया जिसे सुन कर उसके डैड मिस्टर राज खुराना को थोड़ा गुस्सा आ गया," What's wrong with you Adi? cancel your all plan's you are coming with us". डैड का फरमान सुन कर आदित्य कुछ कहता उससे पहले ही उसकी मॉम मिसेज अनुराधा खन्ना बोली, "तुम टैंशन मत लो राज हम दोनो रेडी रहेंगे"! "No Mom, I am not going to cancel my plans". आदित्य ने अपनी मॉम की बात भी काट दी और चुपचाप नाश्ता करने लगा। "तुम देख रही हो अनु हमारे साहबजादे एक दिन एडजस्ट नहीं कर सकते हमारे लिए"! डैड को गुस्सा करते देख भी आदित्य चुप रहा.....कुछ तो बोलो आदि....! "क्या जरूरी काम है तुम्हें क्यों पापा का मूड खराब कर रहे हो", अनु जी ने अपना इमोशनल कार्ड खेला पर आदि टस से मस नहीं हुआ..!"अच्छा मॉम डैड आप एक बात बताइए, आप मेरे स्कूल टाइम में कितनी बार आप दोनो में से एक भी मेरे स्कूल की P.T.M में गए थे? शायद 1-2 बार मॉम गयी थी बस...अच्छा ये छोडिए ये बताइए कि आप मेरे कॉलेज के ग्रेजुएशन डे पर क्यों नहीं आए थे"? बेटे के मुँह से ऐसी बातें सुन कर मिस्टर राज चुप हो गए।"अच्छा मॉम डैड को तो बिजनेस के सिवा कुछ याद नहीं, पर आप बताइए कि मेरे कितने दोस्त हैं? मेरे स्कूल के बेस्ट फ्रैंड का नाम"? अब आँखे नीचे करने की बारी अनु जी की थी! मुझे आप दोनो के 5 मिनट और चाहिएँ, फिर आप अपने अपने काम पर जा सकते हैं...राधा अम्मां मेरे स्कूल के दोस्तों के नाम बताओ," "आदि बाबा, आप चुप हो जाइए, बड़ों से ऐसे बात नहीं करते".....राधा ने उसे चुप कराना चाहा पर आदित्य बोला, आप को जो मैं कह रहा हूँ वो बताइए, "बाबा आपके स्कूल में बस 3 ही दोस्त बने जो आज भी आपके दोस्त हैं, साहिल, मेहुल और आर्या"...."सुना आप दोनो ने मि. एंड मिसेज खन्ना, आप को आपके सवाल का जवाब मिल गया, मैं आज पूरे 2 महीने के बाद आप दोनो को एक साथ इस घर में देख रहा हूँ और मॉम को 22 दिन के बाद और आप मुझसे अकेले कब मिले ये मुझे याद भी नहीं डैड, मैं कुछ दिन के लिए हमारे दूसरे फ्लैट में शिफ्ट हो रहा हूँ, तब तक के लिए बॉय", कह कर वो वापिस अपने कमरे में आ गया अपना सामान पैक करने के लिए।
क्रमश: