सपने......(भाग-6)
आस्था को खुशी के मारे सुबह 3 बजे के बाद ही नींद आयी......और 8 बजे उठ भी गयी। रात को निखिल भाई ने जो मौके पर चौका मारा है, उसके लिए थैंक्यू कहना तो बनता है, बस यही सोच कर चाय पीते हुए निखिल के पास जा कर बैठ गयी, "थैंक्यू भाई पापा को मनाने के लिए"! आस्था की बात सुन कर चिढाते हुए बोला," अब तो मैंने कर दिखाया, उस दिन कैसे कह रही थी, तुमसे न हो पाएगा"!! कोई और दिन होता तो निखिल से उलझ पड़ती ,पर इस बार उसके चिढाने को नजरअँदाज करके बोली," हाँ भाई तुम सही कह रहे हो, तभी तो थैंक्यू कह रही हूँ"!! "अच्छा अब चेक कर ले, एडमिशन ओपन हैं या नहीं ? ध्यान रखना पापा से तूने आगे पढने का भी प्रॉमिस किया है तो दोनो में एडमिशन का पता करके रख जल्दी ही ये काम कर डालते हैं, इससे पहले की कोई और रिश्ता पापा ले आएँ"?? निखिल ने कहा तो आस्था बोली," मैं आज सब कुछ देख कर बताती हूँ".......! मोबाइल में नेट ऑन किया तो देखा शेखर का मैसेज था, "मेरे चाचा जी ने आपके पापा से बात करके न कह दी होगी, अब अपने घर में बात करो और अपने सपने पूरे करो....बेस्ट ऑफ लक"! आस्था ने उसका मैसेज पढा तो मुस्कुरा दी और जवाब में "थैंक्यू" लिख भेज दिया। पिछले साल कॉलेज का रिजल्ट आया तो उसने सोच लिया था कि आगे थियेटर ही करना है तो पढाई को टाटा बॉय बॉय कर दिया था....पर अब फिर आगे पढना ही होगा सोच कर सारी जानकारी ढूँढ निकाली.....इलाहाबाद से कोर्स करने का मतलब नहीं दिल्ली से ही N.S.D में ही एडमिशन लेने का सपना देख रखा है आस्था ने......अगले महीने एंट्रेस देना पडे़गा पहले.....बस फार्मऑनलाइन भर ने की तैयारी कर ली...ज्यादा पैसा नहीं लगेगा फीस में और होस्टल भी मिल जाएगा रहने को सोच सोच कर आस्था फूली नहीं समा रही थी और लगे हाथ IGNOU का फॉर्म की तारीख भी देख ली। एडमिशन ऑनलाइन हो ही जाएगा।
बच्चों की डांस क्लॉस लेने के बाद वो बेसब्री से रात का इंतजार कर रही थी। अनिता जी उसकी बेचैनी पर हँस रही थी, "बेटा क्यों परेशान हो रही है...सब अपने टाइम पर ही आएँगे"। "हाँ मम्मी पता है, पर आज टाइम बीत ही नहीं रहा और ऊपर से आप भी मजे ले रही हो, जब पढने जाऊँगी न दिल्ली तो याद करोगी मुझे और फिर मैं हँसूगी" ! "क्या कहा"?आस्था की बात सुन कर अनिता जी चौंक गयीं। "क्या हुआ मम्मी? ठीक ही तो कह रही हूँ दिल्ली जाना पड़ेगा न ड्रामा स्कूल जॉइन करने के लिए.....अब यहाँ वाला तो कुछ खास नहीं है। मैं तो वहीं से करूँगी"! "हम तुझे अकेले न भेजने वाले दिल्ली काम खोल कर सुन ले बात"! आस्था की बात सुन कर अनिता जी दिल्ली के बारे में सोच कर ही परेशान हो गयीं। दिल्ली तो बिल्कुल सही जगह नही है लड़कियों के लिए........बड़बड़ाती जा रही थी। "मम्मी अब ललिता पवार या शशिकला जैसे बिहेव मत करो, कितनी मुश्किल से आपके अमरीश पुरी जैसे पति को मनाया है, अब आप मत शुरू हो जाओ"! माँ को हँसाने के लिए आस्था ने जानबूझ कर कहा तो मम्मी की जगह निकिता को हँसी आ गयी। "मम्मी जी आप चिंता मत कीजिए मैंने सब पता करवाया है, वहाँ हॉस्टल में रहना पड़ेगा....लड़को और लड़कियों का हॉस्टल अलग है और फिर हमें आस्था पर भरोसा करना चाहिए, बहुत समझदार है हमारी आस्था। फिर ऐसे अकेले कुछ टाइम रहेगी तो अपने आप को संभालना भी सीख जाएगी"! सासू माँ को बहु का ननद की साइड लेना अच्छा तो नहीं लग रहा था, पर बहु गलत भी नहीं कह रही थी, आस्था को भी निकिता की तरह अपने पैरों पर खड़े होने का मौका मिलना ही चाहिए.......रात को फिर वही बात उठी, पर इस बार विजय जी को मन मार कर हाँ करना ही पड़ा दिल्ली जा कर रहने के लिए.....निखिल ने अपने पापा को इस बार मौका नहीं दिया कि वो आस्था को मना कर सके....उसने आश्वासन दिया कि, "अभी तो पहले उसे एंट्रेस क्लीयर करना है, उसके बाद ही आगे सोचा जाएगा"। उसी रात दोनो फार्म भर दिए गए......और एक हफ्ते बाद ही N.S.D से एंट्रेस के पेपर की तारीख भी आ गयी थी.......आस्था को ले कर निखिल एक दिन पहले ही दिल्ली पहुँच गया अपने एक दोस्त के घर.......अगले दिन पूरा एंट्रैस एग्जाम में निकल गया।
कुछ लिख कर और कुछ प्रैक्टिकल में हुआ था पेपर.....रिजल्ट आने में 1 महीना लगने वाला था। आस्था के हिसाब से उसके दोनो टेस्ट बहुत अच्छे हुए थे। प्रैक्टिकल में तो टीचर्स के चेहरों पर अपने लिए तारीफ देखी थी उसने, इसलिए भी वो रिलैक्सड थी.....उसी दिन रात को ही दोनो की वापसी थी और अगले दिन सुबह वो घर पहुँच गए.....।
वहाँ से आने के बाद वो अंदर ही अंदर जाने की तैयारियाँ कर रही थी....थोड़ी थोड़ी शॉपिंग करना शुरू कर चुकी थी। जहाँ विजय जी को लग रहा था कि आस्था का एडमिशन होना मुश्किल है, कितने दिग्गज फिल्म स्टार्स ने वहाँ से सीख कर करियर बनाया है, आस्था में कहाँ वो गुण हैं, वो खुश थे कि एडमिशन तो होगा नहीं, फिर निखिल या आस्था कोई कह नहीं सकता कि मैंने मौका नहीं दिया.....पर इस बार भगवान भी आस्था के सपने को पूरा करना चाहते थे तभी तो उसके एडमिशन की कंफर्मेशन आ गयी।
विजय जी को भारी मन से आस्था की खुशी में शरीक होना ही पड़ा एक शानदार पार्टी दे कर......उधर अनिता जी को भी इस एक महीने में समझ आ गया कि आस्था को रोकना उसके सपनों का गला घोंटना होगा.....सो वो खुशी खुशी उसके साथ दिल्ली चली गयी उसे छोड़ने। विजय जी भी जाना चाहते थे, पर वो जा नहीं पाए तो निखिल को साथ भेज दिया साथ में ढेर सारी हिदायतों की लिस्ट थमाकर.....शायद सभी माँ बाप ऐसे ही करते हैं.. क्योंकि उन्हें फिक्र होती है अपने बच्चों की....खास कर लड़कियों की...पर आस्था बहुत खुश थी उसने पहला कदम जो रख दिया था अपने सपनों की पहली सीढी पर.........
क्रमश: