Mahila Purusho me takraav kyo ? - 15 - 1 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 15 - कजरी की कहानी - 1

Featured Books
Categories
Share

महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 15 - कजरी की कहानी - 1

सालासर से लौटने के बाद केतकी अपने पीहर जाने के लिए उत्साहित हो रही थी । केतकी का पति अभय भी अपने ससुराल जाने के लिए तैयार हो गया था । केतकी के ससुर ने एक टाटा सुमो गाड़ी किराये से बुलवा ली थी । ड्राईवर ने एक तरफ का गेट खोल रखा था और शीशे पर कपड़ा मार रहा था । अभय ने पीछे की सीट पर केतकी के दो बैग रख दिये ..केतकी को साथ लिए कस्तुरी (केतकी की सास) व मौहल्ले की महिलाएं गीत गाती हुई गाड़ी तक आई ..केतकी गाड़ी मे बैठ गयी.. केतकी के बैठते ही केतकी का भाई व उसका दोस्त भी बैठ गया ..गाड़ी रवाना हुई ..बुआ ने पानी के लौटे से गाड़ी के पहियों पर थोड़ा सा पानी गिराया ..गाड़ी केतकी के पीहर के लिए रवाना हो गयी ..
उधर कजरी केतकी का बेसब्री से इंतजार कर रही थी ..अपनी सहेली से मिलने के लिए दो तीन चक्कर काट चुकी थी ..केतकी को आया हुआ नही देखा तो , उधर ही चारपाई पर बैठ गयी..
रसोई का सब काम निपटाकर केतकी की मॉ संतोष भी उसके पास आकर बैठ गयी ..कजरी चारपाई पर बैठी हुई अपना एक पांव हिला रही थी ..केतकी की मा ने उसे टोकते हुए कहा ..बेटी ..पांव मत हिलाओ ..इसे अच्छा नही मानते ..कजरी ने अपने दोनों पांव चारपाई पर समेट लिए ..
केतकी की मा उसके हाथ और पांवो को बड़े गौर से देखे जा रही थी ..कजरी बोली क्या हुआ आंटी ! क्या देख रही हो ? बेटी तेरे पांवों मे सूजन है ..सूजन तो प्रेग्नेंट महिला को आ जाती है पर ..ये निशान ? कजरी ने अपने पांव ढक लिए और बोली कुछ नहीं आंटी ..ऐसे ही बन गये .. केतकी की मा बोली ..मै ठीक समझ रही हूँ तो, ये कोई चोट के निशान है.. तुम बताना न चाहो तो अलग बात है ..तुम चाहो तो मुझसे दिल की बात कहकर हल्का हो सकती हो ..कजरी साइड मे देखने लगी ..उसके होठ हिलने लगे ..उसकी आंखो से आंसुओं की धार बह निकली .. केतकी की मा ने उसके कंधो पर हाथ रखा और बोली ..क्या बात है मेरी बेटी ! तुम बताओ ..क्या बात है ? तुम मेरी केतकी की तरह हो ..अपना दुःख मुझसे बांटलो..तुम्हे अच्छा लगेगा .. कजरी फफक कर रोने लगी ..आंटी ..मै आयी हूं जबसे किसी ने मुझसे नही पूछा ..सब अपनी ही बात सुनाने मे लगे है ..सब खुद ही मेरे ससुराल की बड़ाई करने लग जाते है ..मुझसे कोई पूछता ही नहीं .. कजरी को ढाढस बंधाते हुए संतोष बोली ..चलो छत पर चलते हैं ..अरे हां..तू तो छत पर जा ही नही सकती .. ऐसा कुछ नहीं है आंटी ..मै चलती हूँ ..नहीं नहीं तुम्हारे पांव भारी हैं ..ठीक है आंटी फिर केतकी के रूम में बैठकर बात करते है..हां हां ..यह ठीक रहेगा .. केतकी के रूम मे दोनो बैठ गये .. केतकी की मा ने वहां रखी पानी की बोतल कजरी की तरफ करके कहा .. लो यह पी लो ..कजरी गटगट कर आधी बोतल पी गयी ..फिर लंबा श्वास भरते हुए आंखो मे आंसू लिए बोली .. मै बर्बाद हो गयी आंटी..मुझे मेरे हसबैंड ने धोका दिया है ..मुझ गर्भवती को पीटा, इतना टॉचर किया कि मुझे ..उ..उ कर रोने लगी ..आंटी ये चोट के निशान मेरे पति ने ही दिये है । मेरा पति वकील है तो क्या हुआ उसे छोड़ूंगी नहीं ..उसके खिलाफ जरूर ..कार्रवाई करूंगी .. आंटी जानती हो उसने मुझे घर से बाहर निकाल दिया है अब मै अबला नारी कहां जांऊ ..अब मुझे पीहर में ही रहन होगा..यह सब सुन संतोष की भी आंख भर आई ..बोली बेटा जमाना बहुत खराब आगया है ..अब तो अच्छा दिखने की लोग एक्टिंग करते है .. इतने में ही कजरी की मा आवाज लगाते हुए ..कजरी ! ओ कजरी ..तेरे पापाजी आ गये है साथ मे कंवर साहब भी आये हैं ...चलो चलो जल्दी चलो .. कजरी की मा ने उसकी रूंहासी शक्ल देखी ओर बोल पड़ी ..शुरू हो गयी तेरी नौटंकी .. अरे संतोष यह नौटंकीबाज है ..आजकल एक्टिंग का भूत चढ़ा है ..केतकी की मा बोली ..यह तो कह रही थी कि ससुराल वालों ने पीटा है ,घर से निकाल दिया है ..नही नही संतोष ! वे सब इस पर जान छिड़कते हैं ..तो फिर इसके पैरों पर निशान कैसे बन गये ..अरे संतोष तू भोली है..इसने टैटू बना रखे हैं ..यह क्या होता है ..बस यह समझ लो हम मेंहदी लगाते है और आजकल की छोरियां टैंटू बनवाती है ।
इतने मे ही बाहर से आवाज आती है ...