भारत जितना पुराना देश है यहाँ की संस्कृति भी उतनी ही पुरानी है जो की हमे यहां पर मौजूद पुराने मंदिर , किले , हवेलियां के रूप में देखने पर मिल जाएगा है ।
जो की काफी पुरानी है
जिनमे से कुछ अभी भी आबाद है और कुछ खण्डर में तबदील हो गयी है ।
ये जितनी ज्यादा पुरानी होगी। उसमे होने वाली
अजीबो गरीब रहस्यमयी घटनाएं घटने
का जिक्र उतने ही ज्यादा सुनने को मिलेगा।इन घटनाओं के घटित होने को लेकर बहुत सी कहानिया भी प्रचलित होती है । जिनमे कितना सच होता है ये हम बता नही सकते बस उन के ऊपर विश्वास कर सकते है
या नही कर सकते।
कुछ लोग ऐसी कहानियों को सच मानते है और
कुछ इनको बस काल्पनिक स्थानीय लोगो की मन गढ़ंत कहानी मानते है।
और सिर्फ लोगो को लोगों को डराने का ज़रिया मानते है।
आज मैं आपको राजस्थान की एक ऐसी ही रहस्यमय जगह के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसके बारे में बहुत कम लोगो ने सुना होगा । या यूँ कहूँ की आज तक उससे बेखबर है
हम बात कर रहे है एक ऐसे ही मंदिर के बारे में जो अपने समय में काफी आबाद और प्रचलित हुआ करता था
फिर कुछ ऐसा घटित हुआ की वो एक वीरान खण्डर में तब्दील हो गया।
खंडरनुमा जर्जर से दिखते इस मंदिर की श्रृंखला और कलाकृति बनावट देखने वाले को मोहित कर लेती है।
जिसके बारे में आपको बहुत सी कहानियां यहां के स्थानीय लोगो से सुनने को मिल जाएगी ।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की शाम ढ़लने
के बाद कोई भी इस मंदिर में रुकता नही।
मंदिर तो दूर इसके आस पास भी नही भटकता।
कहा जाता है के शाम होने पर जो भी इसके अंदर या आस पास जाता है । वो इंसान पत्थर में बदल जाता है।
इसमें कितना झूठ है या सचाई है ये तो आप लोगो को वहां जाकर ही पता चलेगा।
इस मंदिर का नाम किराड़ू मंदिर है।
जो राजस्थान के बाड़मेर जिला के हाथमा गाँव में स्थित है।
जिसको 11 शताब्दी में बनाया गया था।
जो दिखने में बहुत ही खूबसूरत है। इसमें मौजूद नकाशी
सच में काबिले तारीफ है।
इसमें बनी कलाकृतियां इतिहास की याद दिलाती है
यही वजह है की इसको राजस्थान का खजूराहो कहा जाता है।
लेकिन इस 900 साल पुराने मंदिर की तरफ बहुत कम लोगो का ध्यान गया है।
कभी जहां श्रद्धालूओ की भीड़ जमा रहती थी।
आज ये गुमनाम अँधेरे में है।
इस मंदिर के अंदर एक मंदिर शिवजी जी का है
और एक मंदिर विष्णु जी का है।
इसके रहस्य के बारे में वहां के लोगो का कहना है
की आज से करीब 900 साल पहले वहां किराड़ू में परमार वंश का राज हुआ करता था।
इस मंदिर का निर्माण भी उस समय के राजा ने बहुत खूबसूरती से करवाया था।
उस समय एक दिन वहां एक साधू अपने कुछ शिष्य के साथ रहने के लिए आए थे।यहां पर कुछ दिन रहने के बाद साधू ने दूसरे गाँव घूमने का निश्चय किया ।
ओर अपने शिष्य को वहीं छोड़ दूसरे गाँव घूमने के लिए निकल गया।
साधू को दूसरे गांव में देखा राजा नाराज हो गया और
सब शिष्यों का खाना पीना बंद करवा दिया
जिसके कारण अचानक सारे शिष्य बीमार पड़ गए
और इस लिए उन्होंने गाँव वालों से मदद मांगी ।
पर किसी भी गांव वालों से उनकी कोई मदद नही की।
उनकी हालात देख कर गाँव में मौजूद एक कुम्हरिन ने उन शिष्यों की नीस्वार्थ भाव से मदद की जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक हो जाए।
साधू जब घूम कर वापस आया तो अपने शिष्यों की ऐसे कमजोर हालात देख उनको गुस्सा आ गया।
उन्होंने गाँव वालो को कहा की तुम कैसे इंसान हो तुम में इंसानियत नाम की कोई चीज नही है ।तुम इंसान होकर दूसरे इंसान की मदद नही कर सकते ।
तुम सब पत्थर दिल हो तुमको इंसान बनने का कोई हक़ नही है। ना ही जीने का कोई हक़ है।
और इतना बोल कर उस साधू से पुरे गाँव वालों को पत्थर की मूर्ति बनने का श्राप से दे दिया। सिर्फ उस कुम्हरिन को छोड़ जिसने उनके शिष्यों की निःस्वार्थ भाव से सेवा की थी ।
उसे इस श्राप से दूर रखा और शाम से पहले उससे बिना पीछे मुड़े गाँव को छोड़
इससे दूर जाने को बोल दिया ।
और खुद गांव छोड़ चले गए।
लेकिन आखरी वक्त में उस महिला ने पीछे मुड़कर देख लिया और सब गांव वालों की तरह वो भी एक पत्थर की मूर्ति में तब्दील हो गयी।
उसके बाद जो भी कभी वहां रात को रुक है वो मूर्ति में बदल गया।
जिसके बाद से ये गाँव वीरान हो गया और लोगो ने वहां रात को रुकना बन्द कर दिया।
सुना है की नजदीक गाँव वालों के पास आज भी उस कुम्हरिन की मूर्ति मौजूद है।
और मंदिर में जो भी मुर्तिया है वो कभी इंसान हुआ करती थी।
वहां पर मौजूद मूर्तियां भी वहां के गाँव वालों की है।
धन्यवाद
इसे पढ़ने के लिए उम्मीद करता हूँ । आपको इस मंदिर का इतिहास पसन्द आया होगा।
From :- karan mahich