Me and My Feelings - 59 in Hindi Poems by Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 59

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में और मेरे अहसास - 59

आँखों से छाया हैं पागलपन l
साफ़ दिख रहा है दीवानापन ll

अपनों ने गैरों का चोला पहना l
हर कही दिखता है बेगानापन ll

सब अपनी मस्ती में जी रहे हैं l
ढूंढते हैं जहाँ मे अब अपनापन ll

बेगाने और अजीब हो गये लोग l
किसे सीखाए हम सयानापन ll
३०-६-२०२२

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आज जिंदगी मंज़िल से भटक गई l
प्यार की नैया साहिल से भटक गई ll

इस मतलबी और लालची क़ायनात में l
न्याय की दोर आदिल से भटक गई ll

चुप बैठने का वक्त हाथ से निकल गया l
रूह मे तितलियां तिल से भटक गई ll

बड़ी से बड़ी कुठि पल में सुलझ गई l
बात छोटी सी आकिल से भटक गई ll

प्यार में बगावत की  तौफ़ीक़ चाहिए l
मुहब्बत की बाजी दिल से भटक गई ll
१-७-२०२२

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नींद में हैं पर ख्वाब जागते हैं l
समय समय हौसले नापते हैं ll

क़ायनात का ज़ज्बा देखकर l
नाकामी के ख्याल भागते हैं ll

सुनो ज़ुल्म-ओ-सितम से l
डर कैसा खुदा से राब्ते हैं ll

हर पल साथ रहते हैं रब के l
झोली में खुशियाँ डालते हैं ll

मुसलसल आगे ही बढ़ते हैं l
रूठी किस्मत को सँवारते हैं ll
२-७-२०२२

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नादिमोंने दी तल्खियाँ बेशुमार l
दिल को दी तसल्लियाँ बेशुमार ll

कई बार फ़रेबो में देखी जाती l
ख़ुदाई की झलकियाँ बेशुमार ll

महसूस की है यार दोस्तों की l
महफिल में तन्हाईयाँ बेशुमार ll

लबों पर मुस्कुराहट बहोत l
छाई हैं उदासियाँ बेशुमार ll

कितने ही उदास क्यूँ न हो l
लुटाते है ख़ुशियाँ बेशुमार ll
३-७-२०२२

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हर पल दुआ देती हैं क़ायनात l
खुशियो से रोशन हो दिन रात ll

कहना चाहते हो जो मन की तुम l
आज कह भी डालों अधूरी बात ll

धरती पर माँ को भेजकर सखी l
खुदा ने की हैं बड़ी इल्तिफ़ात ll

राही संभालकर चला कर तू l
देख नज़दीक से गुज़री हैं घात ll

इन्तहा बहोत लिए है फ़िर भी l
जिंदगी ने दी हैं मौत को मात ll
४-७-२०२२

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दिल खुशी के गीत गा रहा है l
चैन और सुकून पा रहा हैं ll

मनचाहे हमसफ़र के साथ l
दूर कहीं दूर वो जा रहा है ll

बाँधा हैं रिसता ज़माने से l
पास अपनों को ला रहा हैं ll

य़ह जानकर बहोत ख़ुश है l
सखी का पैगाम आ रहा है ll

अंजाम सदाक़तों का देखो l
आज चुनौतियां खा रहा हैं ll
सदाक़तों - सच्चाइयों
५-७-२०२२

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लम्हा अरमां लेकर आता है l
लुटेरे सा दिल लूट जाता है ll

ख्वाईशो पशेमां क्यूँ होते हो l
किस बात पर शर्माता है ll

अपनों से की हुई नादानी l
याद करके पछताता है ll

जल्द ही मुलाकात होगी l
जूठे वादों से भरमाता है ll

प्यार भरे रंगो की झोली मे l
खुशी के रंग भर लाता है ll

अरमान सोये पड़े हैं उसे l
गहरी नींद से उठाता है ll

ख्वाबों को सुन्दर सजाकर l
नये लिबास में आता है ll
६-७-२०२२

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कौन कहता है मजबूर हूँ l
मन से बहुत मजबूत हूँ ll

सांसो की गाड़ी चलाता l
जिंदगी का मज़दूर हूँ ll

फ़िक्र नहीं है अब कोई l
गोद में माँ की महफूज हूँ ll

सदाकतो से जीता हूँ l
रब के साथ महसूस हूँ ll

लोगों की परवाह नहीं l
अपने आप में मगरूर हूँ ll
७-७ -२०२२ 

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मुस्कराके जीना सीख लिया हैं l
सखी ग़मों को रुख़सत किया हैं ll

सुनो खुदा बस्ते हैं हर इन्सां में l
रक़ीबी के बदले प्यार दिया हैं ll

मक्क्म हौसलों के धागों से l
जिंदगी का दामन सिया हैं ll

कोई ख्वाइश मुकम्मल न हुई l
जीवन जिंदादिली से जिया है ll

मतलबी क़ायनात में यहां l
ख़ुदाई और खुदा ठिया हैं ll
८-७-२०२२

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काश ये वक़्त यहीं थम जाता l
खुशी का लम्हा वही जम जाता ll

प्यार का लिहाफ़ ओढ़ना है l
दिल को दिल से जोड़ना है ll

वक्त थम सा गया है जैसे l
रुख हवाओ का मोड़ना है ll

रिवाजो दायरे से नीकलकर l
समाज़ का बंधन तोड़ना है ll

दोस्ती का माहौल बना कर l
शक के गुब्बारे को फोड़ना है ll

तबस्सुम का दरिया बहाके l
सखी दामन निचोड़ना है ll

रिसते की दौर मजबूत करके l
नफ़रतो को सिकोड़ना है ll
१०-७-२०२२


लिहाफ़-आवरण

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महफिलों की महकती शाम हो l
और हाथ मे बहकता जाम हो ll

हर साँस तुझ पे कुर्बानी करके l
माँ भौम को आखरी सलाम हो ll

बहतरीन ग़ज़लो के बादशाह l
मशहूर शायर का क़लाम हो ll

तबस्सुम आ जाए पढ़ के वो l
कहानी का प्यारा अंजाम हो ll

जिंदगी में अहमियत न मिली l
क़ायनात में शायद नाम हो ll
११-७-२०२२

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कुछ तुम समझो कुछ हम समझे सनम l
जिंदगी साथ साथ हँसके गुज़रे सनम ll

पर्दा उठाके एक झलक क्य़ा दिखाई l
प्यारी सुरीली सी ग़ज़ल छलके सनम ll

ख़ुदाई और खुदा को मिलने के लिए l
मंदिर और मस्जिद में भटके सनम ll

आदत नहीं है यू दरबदर भटकने की l
जामखाने को देख कदम बहके सनम ll

बंदगी भी तू है इबादत भी तू ही हैं l
सुबह से शाम दीदार को तड़पे सनम ll
१२-७-२०२२

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आया सावन झुम के l गीत
सखी आओ भीगे तन मन l
आया सावन झुम के ll

लुफ्त लेले मौसम का l
आज लखलूट बरसे है गगन l
आया सावन झुम के ll

हरकही जीवन महक रहा l
देख खिल उठा है चमन ll
आया सावन झुम के ll

चलो शेर करे बारिस में l
एक छाते में हमतुम सजन l
आया सावन झुम के ll
१३-७-२०२२

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काटे नहीं कटता जिंदगी का सफ़र l
कैसे कटेगा सोचते रहते हैं अक्सर ll

मंझिल तक तो पहोचना है आख़िर l
आज कोई बात न करो अगर मग़र ll

सांसो की आव जाव चलती रहती l
काश कोई हमसफ़र मिलता अगर ll

दर्दो-ग़मों ने,घेर रखा है कब से l
इसे नहीं कर सकते मुख़्तसर ll

एक एक कदम सभलकर रखते हैं l
लग न जाए किसी भी की नज़र ll

१४-७-२०२२

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