Nakaab - 28 in Hindi Fiction Stories by Neerja Pandey books and stories PDF | नकाब - 28

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नकाब - 28

भाग 28

प्रभास की बातों से सुहास के मन की शंका समाप्त हो गई। तभी मंजू उन्हें नाश्ता के लिए बुलाने आई। दोनो भाई ने साथ साथ नाश्ता किया। रश्मि से सामना हुआ पर प्रभास बिलकुल सामान्य अंदाज में उससे बातें करता है। इसके बाद सुहास उसे फैक्ट्री के प्लाट पर ले जाता है। जहां तेजी से काम चल रहा है।

समय पूरा होने से पहले ही रश्मि ने एक सुंदर सी बेटी को जन्म दिया। वो हुबहू प्रभास की छाया लगती थी। फैक्ट्री का काम पूरा हो गया था। बच्ची के नाम करन के दिन ही उसका भी उद्घाटन हुआ। ठाकुर गजराज सिंह ने बच्ची का नाम सिया रक्खा और फैक्ट्री नाम भी सिया फार्मास्यूटिकल्स रक्खा। प्रभास को कुछ न कुछ मकसद चाहिए था। उसे जीवन का मकसद मिल गया। वो अपना खाना पीना सोना सब कुछ भूल कर दिन रात फैक्ट्री को आगे बढ़ाने में लगा रहता।

पांच वर्ष बाद रश्मि की गोद में एक बेटी दिया और बेटा दीपू आ गए। वो अब उन्हीं में व्यस्त रहती। दवा फैक्ट्री से लगा एक अस्पताल भी सुहास ने बनवा लिया था। अब उसमे मरीज देखने बाहर से भी डाक्टर आते थे। घर की स्थिति बिल्कुल बदल गई थी। अगर नहीं बदला था तो प्रभास का शादी नही करने का संकल्प।

आज जब सुहास अपने अस्पताल में बैठा मरीज देख रहा था तो देखा एक महिला एक बच्ची को गोद में लिए बिना बारी के दिखाने के लिए झगड़ रही थी। एक बच्ची गोद में थी । उसकी तेज आवाज सुहास को परेशान कर रही थी। उसने अपने असिस्टेंट से बोला की जी भी महिला हल्ला कर रही है लाओ उसे ही पहले देख लेता हूं। शायद उसका बच्चा ज्यादा बीमार हो।

असिस्टेंट उसे ले कर अंदर आया। जब सुहास की नज़र उस महिला के चेहरे पर गई वो चौक गया अरे..! ये तो कजरी है। आज लगभग छह वर्ष बाद ये आज क्या करने आ गई..? और ये बच्ची क्या उसकी है..? क्या कजरी की शादी हो गई.?"

कजरी सुहास की ओर देख कर अर्थ पूर्ण ढंग से मुस्कुराई और बोली, "जरा बच्ची को तो देखो डाक्टर साहब।"

कह कर बच्ची को सामने कर दिया। सुहास के होश उड़ गए। अरे..! ये तो उसकी ही छोटी बेटी दिया है। सुहास लगभग मूर्छित सी अपनी बच्ची को देख कर घबरा गया। जल्दी से उसका नब्ज देखने लगा। बच्ची ठीक थी सिर्फ हल्की सी बेहोश थी जो पानी के छींटे मारने से ठीक हो गई।

सुहास को सालों पहले दी गई कजरी की वो धमकी याद आ गई। वो डर गया। क्या कजरी वही बदला लेने आई है..? वो डरे हुए स्वर में पूछा, " तुम कजरी हो न..! तुम्हे मेरी बेटी कहां मिल गई..? वो बेहोश कैसे हो गई थी..?"

कजरी व्यंगातमक लहजे में बोली, "चलो आपने पहचाना तो कम से कम सुहास बाबू। वरना मुझे तो लगा आप मुझे अपनी बीवी के प्यार के आगे भूल ही गए होगे। बच्ची अब आपकी है तो मेरी भी हुई न। मैं इसके संग खेल रही थी। शायद गर्मी से बेहोश हो गई।"

सुहास रोकना चाहता था दिया को। पर वो कजरी से हिली मिली लग रही थी। वो सुहास के मना करने के बाद भी कजरी के साथ ही गई। सुहास ने उसे और दिया को ड्राइवर से घर छोड़ कर आने को कहा।

शाम को रश्मि से इस बारे में पूछा तो रश्मि ने बताया,"हां कजरी नाम की एक औरत लगभग दो महीने से आती है मां उसे बहुत समय से जानती है। इस लिए वो रोज दोपहर को आती है और बच्चों के संग खेलती भी है। उन्हे नहलाती धुलाती भी है। घर के और काम भी कर देती है। बिचारी गरीब है दुख की मारी। उसे किसी ने धोखा दिया है। वो बच्चों के संग खुश रहती है। इस लिए ही रख लिया। सब कुछ तो है घर में उसे सहारा मिल जायेगा।

सुहास के तीनों बच्चे स्कूल जाने लगे। दीपू अभी केजी में था। सिया और दिया कक्षा तीन और चार में। वो भाई का पूरा ख्याल रखती। स्कूल की बस आती ओर तीनों उसी से जाते। सब कुछ बिलकुल ठीक चल रहा था। बच्चों के स्कूल जाना शुरू करने के बाद जगदेव जी का कहना था की अब बहू अपनी पढ़ाई का इस्तेमाल करे और फैक्ट्री का काम संभाले। इसके पीछे भी उनकी कंजूसी ही थी। अगर रश्मि जायेगी तो एक कर्मचारी का वेतन तो कम देना होगा। इतना संपन्न होने के बाद भी वो एक एक पैसे का हिसाब रखते। उनकी इस आदत से घर में सभी परेशान थे। खास कर मिठाई। वो सारी कंजूसी उसके वेतन ने ही करते थे।

आज जब रश्मि ना चाहते हुए भी फैक्ट्री के ऑफिस गई तो जिस बात से वो और प्रभास दोनो ही बचना चाहते थे वही हुआ। फैक्ट्री का सारा काम प्रभास के ही जिम्मे ही था। रश्मि को उससे ही अपने काम के बारे में पूछना था। झिझकते झिझकते रश्मि प्रभास के केबिन में पहुंचती है। वो अपनी कुर्सी पर बैठा कंप्यूटर पर कुछ कर रहा था। रश्मि दरवाजा खोल कर गला साफ करती है जिससे प्रभास उसकी ओर देखे। प्रभास दरवाजे की और नजरे उठाता है ये देखने के लिए की कौन है तो वो रश्मि को देख समझ जाता है की आखिर बाउजी ने भेज दिया रश्मि को।

रश्मि कभी नही चाहती थी की उसका और प्रभास का सामना अकेले में हो। पुरानी यादों से वो दूर ही रहना चाहती थी। पर बाऊ जी की जिद्द की वजह से उसे फैक्ट्री ज्वाइन करनी पड़ रही थी। उनका कहना था इतनी पढ़ाई लिखाई व्यर्थ नहीं जानी चाहिए। घर का काम तो मंजू और मिठाई कर ही लेते हैं। वो खाली समय का सदुपयोग करे और फैक्ट्री को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे।

रश्मि धड़कते दिल से सुहास का सामना करने ऑफिस पहुंचती है। क्या होता है जब रश्मि और प्रभास का सामना होता है..? क्या प्रभास को रश्मि अपनी बेवफाई की वजह बताती है..? क्या प्रभास उसे माफ कर देता है। अगले भाग मे पढ़े।

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