Nakaab - 26 in Hindi Fiction Stories by Neerja Pandey books and stories PDF | नकाब - 26

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नकाब - 26

भाग 26

रश्मि की तबियत थोड़ी खराब होने पर लीला कोई लापरवाही नहीं करती। सुहास के साथ लेकर उसे डॉक्टर को दिखाने ले कर जाती है। क्योंकि उसे जो संदेह था उसका समाधान बड़े अस्पताल में ही हो सकता था।

सुहास रश्मि और मां को ले कर हॉस्पिटल पहुंचता है। लीला सुहास से पहले खुद आगे बढ़ कर लेडी डॉक्टर का पर्चा बनवा लेती है। बारी आने पर लीला सुहास को बाहर छोड़ रश्मि को साथ ले डॉक्टर के कमरे में चली जाती है।

डॉक्टर के पूछने पर रश्मि अपनी परेशानी बताती है। डॉक्टर नब्ज देखती है कुछ टेस्ट करती है। फिर रिपोर्ट आने तक बाहर बैठने को बोलती है।

थोड़ी देर बाद डॉक्टर फिर से उन्हे अंदर बुलाती है और बताती है कि रश्मि प्रेगनेंट है। इस कारण ही उसे परेशानी हो रही है। कुछ दवा और कुछ हिदायत के साथ उन्हे भेज देती है।

लीला साथ में लड्डू के कई डिब्बे ले कर घर लौटती है। पूरे घर के साथ ही गांव भर को मुंह मीठा करवाने के साथ ही ये खुश खबरी देती है। घर में खुशी का माहौल है। सुहास तो अभी इतनी जल्दी इस खबर पे यकीन नहीं कर पा रहा था। वो भी बेहद खुश था बाप बनने की खबर से। लीला ने मंजू और मिठाई को सब की पसंद का बढ़िया खाना बनाने को बोल दिया। वो अस्पताल आने जाने में ही इतना थक गई थी की उसकी हिम्मत रसोई में जाने की नही थी। मिठाई अलबत्ता खुश नही था। इस बार भी जगदेव सिंह ने पिछले चार महीने से बाकी वेतन को पूरा न दे कर सिर्फ एक महीने का दिया था। अब वो इसमें से अपने परिवार की कौन सी जरूरत पूरी करे और कौन सी रोके उसकी समझ में नही आ रहा था।

भले ही प्रभास नही था। पर पता नही क्यों लीला ने उसकी पसंद का भी शाही पनीर बनवा दिया था। रात में जगदेव जी के खाने के पश्चात सुहास लीला और रश्मि साथ खाना खाने बैठे। मंजू परोस रही थी। जैसे ही लीला ने पूरी का पहला कौर तोड़ा उसके मुंह से निकला,

"काश प्रभास भी होता..! तो कितना खुश होता..! भाई की शादी हो गई.., अब वो चाचा भी बनने वाला है। पर वो तो अपनी पढ़ाई में ही लगा हुआ है।"

इधर जैसे ही प्रभास के एग्जाम और प्रैक्टिकल खत्म हुए वो अपने घर आने का और नई भाभी से मिलने का सोच कर तुरंत चल पड़ा।

अभी लीला की बात खत्म ही हुई थी की प्रभास अपने खास अंदाज में "मां.." कहते हुए लीला के बिलकुल सामने खड़ा था। उसे सरप्राइज देना बहुत पसंद था। हमेशा वो ऐसे ही अचानक आता था, और ऐसे ही अचानक भी जाता था।

लीला इस तरह अचानक छोटे को देख कर आश्चर्य और खुशी से भर उठी। सुहास और लीला ने गले लगा कर उसका स्वागत किया। लीला ने मिठाई से लड्डू मांगा कर प्रभास के मुंह में खिलाया।

प्रभास हंसी करते हुए सुहास की ओर देख कर तेजी से बोला,

"क्या बात है भईया..? शादी को एक महीने पूरे हो गए और आप अभी तक रोज लड्डू खा कर खुशी मना रहे हो। क्या शादी के बाद आदमी इतना खुश हो जाता है की रोज लड्डू खाता है..?"

सुहास भाई प्रभास की इस ठिठोली पर झेंप गया और सर खुजाने लगा। वो क्या बताता की ये लड्डू किसी और खुशी के है..?

लीला समझ गई की सुहास तो बोलने वाला नही। वो राज खोलते हुए बोली,

"ना.. रे.. प्रभास .! ये लड्डू तो किसी और ही खुशी के है..? अब तुझे तो पढ़ाई और इम्तहान से ही फुरसत नहीं है। अब तू तैयार हो जा भतीजे के साथ खेलने के लिए। अब तू चाचा बनने वाला है और ये लड्डू उसी के है।"

प्रभास इस खबर से चौक गया। सुहास से हाथ मिलाते हुए मजाकिया अंदाज में बोला, "क्या बात है भईया..? अभी तो एक महीना ही हुआ शादी के और मैं चाचा भी बनने वाला हूं…?"

इन सब के बीच रश्मि जो अभी सुबह मिले इस गुड न्यूज को ठीक से महसूस भी नही कर पाई थी कि जिस पल का सामना करने से वो डर रही थी वो पल आ गया। प्रभास की आवाज सुनते ही वो अपने सर के पल्ले को खींच कर माथे के नीचे तक कर लिया था। नजरे थाली पर झुकाए वो पूरी के टुकड़े से खेल रही थी। प्रभास पर अभी जो गुजरने वाला था। उसके डर से रश्मि का कलेजा कांप रहा था। ना तो वो उठ कर जा सकती थी, ना उससे बैठा रहा जा रहा था। काश..! प्रभास उसका जेठ होता तो उससे परदा कर के खुद को छुपा सकती थी। पर वो तो रिश्ते में देवर था। उससे तो चेहरा ढकना मुमकिन नहीं था।

तभी सुहास बोला,

"मां..! अब भाभी जी के चेहरे का दर्शन तो करा दो। आखिर इकलौता देवर हूं। देवर भी तो दूसरा वर होता है। अब मुझसे ये परदा करेंगी क्या..?"

लीला बोली,"ना.. रे .. ! परदा क्यों करेगी ये तुझसे भला..? वो तुझे अभी देखा नही है ना इस लिए शरमा रही हैं।"

फिर उठ कर आते रश्मि के पास आती हुई बोली,

"प्रभास आ तेरा भाभी से परिचय करवा दूं।"

प्रभास आकर रश्मि के सामने खड़ा हो गया।

लीला झुक कर रश्मि के सर से साड़ी का पल्ला थोड़ा सरकाते हुए बोली, "रश्मि बेटा…! बताया था ना तेरा एक देवर भी है। देख वो आ गया।"

रश्मि के साड़ी का पल्ला भले ही लीला ने सरका दिया था पर उसकी निगाहें नीचे ही थी। उसकी हिम्मत नही हुई की वो प्रभास की ओर देख सके।

प्रभास मुस्कुराता हुआ झुका और रश्मि के पैर छूते हुए बोला,

"भाभी जी अच्छे से पहचान लीजिए मैं आपका इकलौता.. देवर हूं। भईया एक बार आपका साथ भले ना दे। मैं हमेशा आपका साथ दूंगा।"

इतना कहते हुए प्रभास की नजरें रश्मि के चेहरे पर गई। जैसे ही उसने रश्मि के चेहरे को देखा उसके चेहरे का रंग उड़ गया। तेजी से पांव छूने को झुके हाथ ने जैसे किसी सांप को देख लिया हो उसे ही हाथ लगाने जा रहा हो। बिल्कुल वैसे ही झटके से प्रभास ने अपने हाथ हटा लिया। जैसे उसे पूरी दुनिया घूमती हुई महसूस होने लगी।

लीला के मुंह से निकले शब्द, "कैसी लगी भाभी..?"

जैसे कही दूर से आ रही हो।

"मां मैं बहुत थक गया हूं। अपने कमरे में जा रहा हूं। वही मिठाई से मेरे लिए पानी भिजवा दो।"

प्रभास तेजी से अपने कमरे की ओर चला गया।

सुहास और लीला हैरान थे की इसे अचानक इतनी ज्यादा थकान कैसे हो गई..? अभी तो हंस बोल रहा था। थकान का नामो निशान नहीं था। फिर आखिर उसे हुआ क्या.? ये बात लीला और सुहास के समझ से परे थी। लीला ने सुहास और रश्मि से अपना खाना खाने को बोला और खुद भी तेजी से खाने लगी। इसके बाद उसे प्रभास के लिए भी तो खाना ले कर उसके कमरे में जाना था।

अगले भाग मे पढ़े की क्या प्रभास इस सच्चाई को स्वीकार कर सका की उसका प्यार उसके भाई का हो चुका है.? कैसे सामना करेंगे वो एक दूसरे का..? क्या सुहास इस सच्चाई से अनजान ही रहेगा..? क्या लीला अपने इस लाडले छोटे बेटे के दिल की पीड़ा को समझ पाएगी..? जानने के लिए पढ़े सच उस रात का अगला भाग।

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