loyalty in Hindi Moral Stories by जॉन हेम्ब्रम books and stories PDF | निष्ठा

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निष्ठा

शाम का वक्त था परिणीति अपनी मां के लिए दवाइयां खरीदने बाजार गई हुई थी। उसके पिता बचपन में ही चल बसे थे उसका एक बड़ा भाई और सिर्फ मां थी,लेकिन उसकी मां अक्सर किसी बीमारी से पीड़ित हो जाती । उसकी मां के लिए वो बाजार के पास के एक मेडिकल से दवाइयां लेने अकेले ही गई थी।
दवाइयां खरीद वह बस स्टॉप पर आ पहुंची और बस का इंतज़ार करने लगी। काफी वक्त गुजर चुका था पर अभी तक एक भी बस आती नजर नहीं आई थी।
उसने अपनी नजरे इधर उधर दौड़ाई सामने ही एक बहुत बड़ा हाट लगता था आज बहुत भीड़ थी वहां। रोड पर गाडियां दो पल के लिए भी रुके बैगर सरपट से भागी जा रही थी। लोगो के बात और गाड़ियों के हॉर्न का शोर बढ़ता ही जा रहा था।

रोड के उस पार उसने एक अजीब सी चीज देखी बहुत से लोग उधर से पार हो रहे थे और एक बूढ़ी औरत भी उस ओर खड़ी थी जिसके कपड़े मैले और फटे पुराने थे बाल खुले और बिखरे हुए थे एक हाथ में खाली कटोरा और दूसरे हाथ में एक छड़ी लिए वह रोड पार करने की कोशिश कर रही थी। पर उस बूढ़ी औरत को कोई देख तक नहीं रहा था सारे लोग अपना काम किए आगे की और बढ़ जा रहे थे उसके मन में खयाल आया क्या इंसानियत मर गई है।
वह उठी और देखने लगी कही कोई बस तो नहीं आ रही। उसे कोई बस नजर आती नहीं दिखी। उसने रोड पार किया और उस ओर पहुंच गई।

उसने बूढ़ी औरत के पास पहुंचकर उससे कहा "चलिए मैं आपको रास्ता पार करा देती हूं" उस औरत ने कुछ नहीं कहा और हां में सिर हिला दिया। कुछ मिनटों में ही दोनो रोड के दूसरी ओर पहुंच चुके थे। उसने उस औरत को बस स्टॉप पर बिठाया और फिर सड़क के दूसरी ओर आने का कारण पूछा। उस बूढ़ी औरत ने कोई जवाब नहीं दिया। और बस एक बिल्डिंग की तरफ उंगली दिखा दी। उस बिल्डिंग से काफी शोर शराबे की आवाजें आ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे कोई लड़ रहा हो। परिणीति ने उसे कुछ पैसे देना का सोचा हालत देख उसे लगा ये कई दिनों से भूखी है।

उसने अपने पर्स से एक नोट निकाला और उसकी ओर बढ़ाया,फिर अचानक ही उसके मन में खयाल आया क्या दुकानदार इसे कुछ खाने को देंगे भी वो तो यही सोचेंगे की इस बुढ़िया ने कहीं से चोरी कर पैसे लाए होंगे।
उसने अपना हाथ पीछे कर लिया। "मैं अभी कुछ खरीद कर लाती हूं इधर में ही रहना।" उस औरत से ये कहकर वो पास के एक ढाबे से कुछ खरीद लाई। इतने में उसने देखा एक बस आ पहुंची है उसने वो खाने का पैकेट उसके हाथ में थमा दिया और कहा "इसमें कुछ जलेबियां है खा लेना" और वो बस पर चढ़ गई।

बस चल पड़ी उसने खिड़की से झांक कर देखा वो बूढ़ीऔरत उसे देख मुस्कुरा रही थी और हाथ हिलाते हुए उसका धन्यवाद कर रही थी।

– जॉन हेम्ब्रम