एक तरफ शिवल्या और विक्रम की प्यारी सी नोकझोक हो रही है और दूसरी तरफ समीर के करीब आने की साज़िश.....
मुकम्मल किसकी होगी मांगी हुई ख्वाहिश....!
शिवल्या:- अच्छा विक्स। ये बताओ कि वो बूढ़े आदमी कहां गए जिनके कहने पर तुम मुझे यहां लेकर आए हो। और गांव वाले भी नज़र नहीं आ रहे है जिनका हमें इंटरव्यू लेना था।।
विक्रम:- ये तुम क्या कह रही हो शिवी। मुझे लगा तुम मुझे यहां लेकर अाई हो। और कौन सा इंटरव्यू?? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।
शिवल्या:- मज़ाक मत करो तुमने ही तो उस बढ़े आदमी से मैकेनिक के बारे में पूछा था और उसकी के साथ तो हम यहां आए थे।
विक्रम:- सीरियसली मुझे कुछ याद नहीं अा रहा। जब मै उस बूढ़े आदमी के पास गया मैंने उसे बस शॉप के बारे में पूछा था। पर जब उसने मुझे अपने साथ आने को कहा तो मैंने उसे साफ मना कर दिया पर उसके बाद का मुझे कुछ नहीं पता।।।
शिवल्या:- what you mean??? तुम्हे कुछ याद क्यों नहीं है। ये कोई हॉरर फिल्म तो चल नहीं रही है कि हीरो जंगल में अपनी लवर के साथ जाता है और गाड़ी खराब हो जाती है। फिर जंगल में कोई आदमी मिलता है जो हीरो को अपने काबू में कर लेता है और फिर हीरो अपनी लवर के साथ उस खौफनाक जंगल में कैद हो जाता है??? ये रियल लाइफ है तो ये सब फिर क्या है???
विक्रम:- काबू में कर लेता है व्हाट यू मीन??? मुझे बस इतना याद है कि जब मैंने उसकी आंखो में देखा तो बस कुछ याद नहीं आगे।।
शिवल्या:- याद नहीं!! कहीं उसने तुम्हे वश में तो नहीं किया। इसका मतलब सच में ये सब हमारे साथ हो रहा है जो मैंने ऐसे ही कह दिया। अब क्या होगा। मुझे बहुत डर लग रहा है।
विक्रम:- शांत हो जाओ शिवी!! तुम्हारी कही हर बात सही है। जंगल में आना गाड़ी रुक जाना और उस आदमी से टकराना। पर ये भी सही है कि जब तक तुम्हारे साथ में हूं तुम्हे किसी मुसीबत में अकेले नहीं छोडूंगा। डर नाम की तुम्हारी सभी तकलीफों को मै दूर कर दूंगा।
शिवल्या:- फिल्म के हीरो की तरह बात क्यों कर रहे हो तुम??
विक्रम:- क्योंकि तुम्हारा दोस्त किसी हीरो से कम नहीं। और हमारी दोस्ती उस हीरो के ट्रू लव को भी टक्कर दे देगी अगर सिनेमा में उतरे तो!!
शिवल्या:- क्या?? बेतुकी बाते क्या करते हो विक्रम। यहां मुसीबत हमारे गले मै फंदा बनकर बैठी है और तुम बड़ी बड़ी डिंगे हाक रहे हो।
विक्रम हंसते हुए :- मेरा मन चले तो इस मुसीबत की बला को उल्टा लटकाकर पटक पटक कर प्याज के आंसू रुलाकर कोयले का काजल लगाकर 440 वोल्ट का झटका देकर उसके कान मरोड़ कर और ये कहकर की स्वीटहार्ट तुझे शादी मुबारक। और उसकी अर्थी की डोली बजाकर बेंड बाजा बजाकर परदेस भेज दूं। पर क्या करे वो मेरी रिश्तेदार नहीं है इसलिए उसका पता मुझे नहीं पता।
शिवल्या इतने भर में हंस देती है।
शिवल्या:- बिना लॉजिक की बातो की वीणा बजाने वाले उस्ताद। आपको शत शत प्रणाम। पर लॉजिक के बिना लाइफ नहीं चलती।
विक्रम:- पर मस्ती तो चलती है ना। शिवी लाइफ गमो का पिटारा है जो अंधेरी रातो से भरा है जिसमें खुशियां बिल्कुल
रोशनी लेकर नहीं आती। जुगनू की तरह जगमग करती आती है और समझदारी इसी में है कि हम उन्हें पल पल कैच करके अपने आप को रोशन करे। सूरज की राह देखेंगे तो उस जुगनू से भी हाथ धो बैठेंगे। मेरी लाइफ में
तुम मेरी खुशी कि तरह ही हो। और मुसीबत से लड़ना हमे आता है। यू नो ना।
शिवल्या मन ही मन:- हां विक्रम। मेरी लाइफ के जुगनू और खुशी तुम ही तो हो। और तुमसे बेहतर मेरे लिए कौन हो सकता है!!
विक्रम:- अब जो हुआ उसे भूलकर सुबह हम जंगल से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ लेंगे।
तभी विक्रम अपनी घड़ी को देखने लगा जिसमें समय ग्यारह बजे पर ही रुका हुआ था। वो ये देखकर हैरान हो गया। शिवल्या ने भी अपने पर्स में फोन निकालकर देखा तो समय वहीं था।
शिवल्या:- विक्स। रास्ते में जब मैंने तुमसे टाइम पूछा था तो तुमने बताया था कि बारह बज चुके है। पर टाइम तो अभी तक घड़ी में उसी वक्त का है जब हम गाड़ी से उतरे थे। ये सब क्या हो रहा है? मै कुछ समझ नहीं पा रही हूं।
विक्रम:- शिवी मुझे भी इस बारे में कुछ याद नहीं। ये सब क्या हो रहा है???
शिवल्या:- जब बस काबू में ना हो तो भगवान ही राह दिखाते है और हम तो मंदिर में है। भगवान शिव से प्रार्थना करके हमे उनसे कोई ना कोई राह जरूर मिलेगी। चलो प्रार्थना करे।
विक्रम:- ठीक है शिवी। अब शिवजी ही हमे राह दिखाए।
शिवल्या आंखे बंद करके:- हे शिवजी। ये क्या हो रहा1 है?? आप मुझे रास्ता दिखाओ भगवान।
इतने भर में ही शिवल्या को अतीत के कुछ पन्ने दिखने लगे जो उसने पहले देखे थे। कर्तव्य या प्रेम किसका चयन करोगी शिविका?? उत्तर दो?? ये शब्द सुन शिवल्या बेचैन हो गई और इतनी बेचैन हो गई कि सर फटने लगा। और मिनट भर में ही वो बेहोश हो गई। विक्रम उसे ऐसे हाल में देखकर हैरान हो गया और उसे उठाने की कोशिश करने लगा पर वो ना हटी। बेहोशी में वो कुछ धीमे से कहने लगी।
शिवल्या बेहोशी में:- दूर हट जाओ?? मै तुम्हारी कभी नहीं होंगी??
विक्रम:- शिवी ये क्या हो रहा है तुम्हे?? होश में आओ। अपनी आंखे खोलो।
शिवल्या बेहोशी के चरम पर:- गुरु मा। आपको आना होगा गुरु माँ!! आपने वचन दिया था......
और इतना कहकर वो पूरी तरह बेहोश हो गई। विक्रम रोते हुए उसे देखता रहा। उसकी सांसे बंद हो गई। विक्रम चिल्लाते हुए बोला:- शिवल्या.....................
उसी पल एक तेज रोशनी फैलने लगी। एक साध्वी औरत वहां आकर कहने लगी:- ये शिव का न्याय है?? उस हैवान के अंत का सिंहनाद। अलख निरंजन।।।
विक्रम उसे हैरानी की नज़रों से देखते हुए बोला:- कौन हो आप?? और ये क्या बेकार की बात कर रही हो। मेरी शिवी मर गई और आप यहां आकर उसकी मौत का मजाक बना रही हो। मेहरबानी करके चली जाइए।
गुरु मा:- शिविका मरी नहीं है। एक नया जन्म ले रही है। और ये जनम तुम्हारे जैसे साधारण इंसान की समझ से परे है। उसका कर्तव्य उसे यहां खींच लाया है जो पिछले जनम में अधूरा था।
विक्रम:- और मै आपकी बात पर विश्वास कैसे करू?? जब इंसान की सांसे बंद हो जाती है तो वो मर जाता है।। वापिस जिंदा नहीं होता।
गुरु मा:- पर शिविका की कहानी अलग है हम सब से अलग। हमारे पास केवल एक जीवन ज्योति है पर शिविका के पास शिव के आशीष से दो जीवन ज्योति।
जिससे दो जीवन जीना उसका प्रारब्ध बन गया है। मुझे आज खुद शिविका ने यहां बुलाया है। मै उसकी गुरु मा हूं जिसका नाम वो आधी सुप्तावस्था में लेे रही थी। बाकी मुझ पर विश्वास करना ना करना तुम्हारे हाथ में है।।।
विक्रम:- ये मेरी दोस्त शिवल्या है शिविका नहीं.......
गुरु मा:- पर ये कल शिविका थी। और ये सत्य है और अटल सत्य है। आज शिविका जागेगी क्योंंकि नियति की ये लेखनी है कि वापस शिव मंदिर आने पर शिविका जागेगी। अपना कर्म करेगी।
विक्रम:- और मेरी दोस्त शिवल्या का क्या??? शिविका जागेगी का मतलब क्या है??
गुरु मा:- जब एक ज्योति जागेगी तो दूसरी बुझ जाएगी। यही ऊपर वाले का न्याय है और उसकी लाठी भी।
विक्रम:- ये सही नहीं है। मेरी दोस्त शिवल्या वो नहीं जा सकती। उसके बिना मै अधूरा हूं। आप ऐसा नहीं कर सकती। सुना आपने।
गुरु मा:- दो क्षण बाद शिविका वापिस आएगी। ये अटल सत्य है।
और फिर रोशनी चारो और फैल गई
विक्रम के चेहरे पर ना खत्म होने वाली मायूसी छा गई।
क्या समझ पाएगा वो अपने दिल के दर्द का कारण
और ला पाएगा अपनी शिवी को वापिस
जवाब मिलेगा आगे......