सुलतान टावल लपेटे बाथरूम से अपने रूम में आया ही था की देखता है महरीन उसके कमरे में बेड पर बैठी हुई थी! । जैसे ही वह उसे देखता है! तो मानो किसीने उसे कच्चा करेला खिला दिया हो वैसे मुड़ बिगड़ जाता है। वह उसे नजर अंदाज करते हुए बेड पर पड़े शर्ट को लेने के लिए आगे बढ़ता है! । वह जैसे शर्ट उठाता है! महरीन भी उसे दूसरी और से पकड़ लेती है। जिस वजह से सुलतान गुस्से में उसकी ओर देखता हैं।
सुलतान: महरीन क्या बदतमीजी हैं! ये!? ।
महरीन: क्या मैने क्या किया!? ।
सुलतान: ( दांत भीसते हुए ) शर्ट छोड़ो! मुझे एक जरूरी काम के लिए देर हो रही है! ।
महरीन: मुझ से जरूरी क्या काम हो सकता हैं!? ।
सुलतान: ( गुस्से में ) महरीन खुदा के वास्ते मेरा शर्ट छोड़ो! वर्ना!... ।
महरीन: वर्ना क्या!? भला ऐसे भी कोई बात करता है अपनी मंगेतर से!? ।
सुलतान: ( आंखे बंद करते हुए गुस्से को काबू में लाने की कोशिश करता है। ) आइंदा! मेरे कमरे में या मेरी किसी भी चीज को मेरी इज़ाजत के बिना छू ना भी मत! आई बात समझ में ।
महरीन: वैसे काफी हॉट लग रहे हो! ये पानी की बूंदे तुम्हे तुम्हारी हॉटनेस बढ़ाने का काम कर रही है! । ( सुलतान के गले में हाथ रखते हुए ) ।
सुलतान: ( आश्चर्य और गुस्से में देखते हुए ) ये क्या घटियापन है!? ।
महरीन: ( मुस्कुराहट के साथ ) तुम्हे इसी तरह की लड़किया तो पसंद है! अब मेरे साथ क्यों शर्मा रहे हो!? ।
सुलतान: ( आपे से बाहर होते हुए! महरीन के हाथ गले से हटाते हुए... उसे बेड पर धक्का दे देता है। ) आइंदा अगर! ऐसी घटियापंती मेरे साथ की तो चाचा का तो पता नहीं लेकिन मै तुम्हारी जान जरूर ले लूंगा! । और हां इस शादी के लिए मैंने तुम्हे कहां था की मना कर दो! क्योंकि तुम्हे तो ऑप्शन दिया गया था लेकिन तुमने तो मेरी बात नहीं सुनी! तो अब भुगतो! और सबसे बड़ी बात! ( करीब जाते हुए ) मैं शादी के बाद भी उन सारी लड़कियों के साथ घूमूंगा और यह बात चाचा अच्छी तरह से जानते है। तो तुम यह ख्याल अपने दिमाग से निकाल दो की तुम मुझे बदल पाओगी! ( महरीन के चेहरे को कसकर पकड़ते हुए ) तो आइंदा मुझे यह जताने की कोशिश मत करना की मुझे क्या करना चाहिए या क्या नही! क्योंकि किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं जो सुलतान मल्लिक को बदल सके! आई बात समझ में ।
महरीन: यू आर हार्टिंग मि! ( आंखों में आसूं बह रहे थे। )।
सुलतान: आई *कीग डोंट केर! ( इतना कहते ही वह उससे दूर! फिर से बाथरूम की और जा रहा था । ) जब तक मैं बाहर आऊ! मुझे तुम यहां नजर नहीं आनी चाहिए! । ( इतना कहते ही वह जोर से बाथरूम का दरवाजा बंद कर देता है। ) ।
महरीन: ( वहीं बेड पर पड़े हुए रोए! जा रही थी! उसे समझ नहीं आ रहा था की अचानक सुलतान बदल कैसे गया! । जब उन दोनों की शादी की बात नहीं हुई थी तब तो वह महरीन को सर आंखों पर चढ़ा के रखता था । और अब वह उसकी शक्ल भी देखना पसंद नहीं करता। आखिर क्यों!? क्या प्यार करना गुनाह है!? । वह भागते हुए सुलतान के कमरे से चली जाती है। ) ।
सुलतान: ( जैसे ही उसे लगा कि महरीन कमरे से चली गई वह बाथरूम का दरवाजा खोलते हुए! बेड पर आकर लेट जाता है। वह बस ऐसे ही छत को देखे जा रहा था।) सॉरी महरीन! लेकिन मैं तुम्हे अपनी दुनिया में शामिल नहीं कर सकता! ना ही मैं तुम्हे खुश रख पाऊंगा! इससे अच्छा है की तुम मुझ से नफरत करो! और ये मंगनी तोड़ दो इसमें हम दोनो की भलाई है । ( तभी उसका फोन बजता है! वह बेड पर से फ़ोन उठाते हुए । ) ।
हम्म! । नहीं मैं थोड़ी देर में पहुंच जाऊंगा! तब तक तुम उसे बेसमेंट में ले जाकर उसकी खातिरदारी करो! और हां कोई कमी नहीं रहनी चाहिए! अगर मैने देखा! तो फिर तुम्हारी मौत पक्की! ( इतना कहते ही वह कॉल काट देता है। और जल्दी से कपड़े बदलकर! वह अपने विला जाने के लिए सीढ़ी उतर ही रहा था की । ) ।
दिलावर: सुलतान!? ।
सुलतान: जी चाचा!? ।
दिलावर: कहीं जा रहे हो!? अभी तुम्हे आए हुए, दो घंटे भी नहीं हुए!? ।
सुलतान: चाचा एक अर्जेंट काम आ गया है! लेकिन मैं वादा करता हूं की! जल्द से जल्द लौटकर आऊंगा!... ।
दिलावर: लेकिन सुलतान ..... ।
सुलतान: खुदा हाफ़िज़ ( उसके चाचा कुछ बोले उससे पहले ही वह बहार की ओर आगे बढ़ चुका था । जैसे ही वह! अपनी गाड़ी की ओर आगे बढ़ रहा था की आवाज आती है। ) ।
लकी: सलाम छोटे बाबा! ।
सुलतान: लकी! कब आए तुम!? ।
लकी: बस कुछ दिन पहले ही वो, बड़े साहब को कुछ काम था तो मैं आ गया!...।
सुलतान: वैसे तुम्हारा कैस रफा दफा हो गया या नहीं!? ।
लकी: कौन से केस की बात कर रहे है आप छोटे बाबा!?।
सुलतान: ( हंसते हुए ) चलो जाने दो! मुझे देर हो रही है! फिर कभी तुम्हारे मुकदमे की बात करेगे! वैसे अभी तो तुम जेल में होने चाहिए! ना।
लकी: हां पर, अब बड़े साहब को काम था तो मुझे कैसे भी करके बाहर तो आना था।
सुलतान: ( हंसते हुए गाड़ी लेकर निकल जाता है।) ।
थोड़ी देर बाद जब वह अपने विला पहुंचता है! तो उसका आदमी दरवाजा खोलते हुए कहता है।
अजय: वो कुछ भी नहीं बोल रहा हम लोग कब से उसका मुंह खुलवाने की कोशिश कर रहे है।
सुलतान: ( बेसमेंट की ओर जाते हुए ) यहीं तो चाहिए था की उसे लगे ट्रेलर ही मूवी है!..... ताकि वह खुद को आगे आनेवाले दर्द के लिए तैयार करके ना बैठे । ( ग्लव्स पहनते हुए ) ।
अजय: ( सुलतान के लिए दरवाजा खोलता है। ) जी! बॉस।
सुलतान: ( अंदर जिस आदमी को रखा था उसके करीब जाते हुए। ) रग्गा....गा! मेरी पेटी कहां है!? ।
रग्गा: ये रही बॉस! ( सुलतान के लिए पेटी खोलते हुए! ( जिसमे हर तरह की छुरिया थी! छोटी से लेकर बड़ी!...।
सुलतान: ( कुर्सी पर बैठते हुए ) सो! अहमद अब आखिरी मौका है! तुम्हारे पास! या तो उसका नाम बताओ जिसके साथ मिलकर तुमने मेरे माल को पोर्ट पर हाथ लगाने की कोशिश की या फिर मैं अपना खेल शुरू करू!? ।
अहमद: मैं.... कुछ नहीं जानता! कब से तुम्हारे आदमी को बता रहा हूं! लेकिन वह मान ही नहीं रहे ? ।
सुलतान: वेरी वेल धेन! ( इसके सारे कपड़े उतारो! तभी दो आदमी आके! उसके सारे कपड़े उतार रहे थे! । सुलतान सिगरेट पीते हुए! यह सब देख रहा था। ) मूव! ( दोनो आदमी पीछे हट जाते है। )
( थोड़ा डरावना पार्ट है! तो नहीं पड़ना चाहे तो स्किप )
सुलतान ब्रीफ केस में से एक छोटी सी छुरी लेते हुए! अहमद के करीब जाते हुए कहता है! तुम्हे पता है वैसे भी मुझे काफी दिन हो गए! खेल खेले हुए! और तुम ऐसे ही बता देते तो मुझे मजा नहीं आता! क्योंकि मेरा मन भी कर रहा था की मैं कुछ मजेदार करूं! । अहमद जो कुर्सी के साथ बंधा हुआ था वह बौखला रहा था । सुलतान उसके सामने आते हुए! उसके कंधे से लेकर पाव तक छुरी घुमाते हुए! उसकी पैर की उंगलियों तक ले जाता है। और अचानक उसकी छोटी उंगली कांट देता है। जिस वजह से अहमद चिल्ला उठता है लेकिन मानो जैसे उसकी आवाज किसी के भी कान में नहीं जा रही थी। सुलतान एक एक करके पांव की सारी उंगलियां कांट देता है! और फिर कहता है! । नेक्स्ट! जिससे रग्गा भागते हुए! एक दूसरे किस्म की छुरी सुलतान के हाथ में थमाता है। सुलतान धीरे धीरे उसके थाइस की और आगे बढ़ते हुए उसकी पसलियों तक आगे बढ़ ही रहा था लेकिन फिर अचानक वह एक दूसरी छुरी लेकर उसकी थाईस में चुभा देता है! जिस वजह से अहमद और भी चीख पड़ता है लेकिन! वह कुछ भी नहीं कर पा रहा था । सुलतान फिर से अपने अधूरे काम को पूरा करने के लिए आगे बढ़ता है! " इसे टेबल पर लेटाओ! जल्दी । " और देखते ही देखते उसे एक टेबल पर लिटा देते है! जैसे मानो उसका कोई ऑपरेशन होने वाला हो, उसके पांव और थाईस से काफी खून बह रहा था। सुलतान मैं बताने के लिए तैयार हूं! प्लीज मुझे जाने दो! खुदा से डरो! इतने भी बेरहम ना बनो! मेरे बीवी बच्चे हैं! प्लीज जाने दो । अरे! लेकिन अभी तो मैने शुरुआत भी नहीं की! और बीवी बच्चों की याद आ गई! अगर तुम्हे कुछ हो जाएगा तो कोई बात नहीं! मैं उन्हें भी तुम्हारे पास जल्द ही भेज दूंगा । इतना कहते ही! वह छुरी को उसकी पसली के पास ले जाते हुए! धीरे धीरे काटने लगता मैं मानो! जैसे वह! कोई कला का काम कर रहा हो, वैसी ही बारीकी से वह! एक एक पसली आराम से काट रहा था! । अभी एक या दो पसली कांटी ही थी की अहमद बेहोश हो गया! जिस वजह से सुलतान कहता है!। क्या यार! सारा मुड़ खराब कर दिया! इतना कहते ही वह छुरी फेकते हुए! ग्लॉव्स को निकालते हुए कहता है! अब मेरा मूड नहीं है उसे सारी इंफॉर्मेशन लेकर उसके मालिक तक पहुंचा दो! कहना सुलतान ने बड़े प्यार से तोहफा भेजा है। इतना कहते ही वह अपने विला से कार लेकर निकल जाता है।