PAHADIN - 3 in Hindi Love Stories by Jayesh Gandhi books and stories PDF | पहाडिन - 3

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

पहाडिन - 3

(सूरज और चंदा पहाड़ी के छोर से अलग होते है उसके बाद की कहानी)

आकाश आगे चला जा रहा था और सूरज पीछे पीछे मरा मरा सा चल रहा था। अपने दोस्त की दिली हालत से वाकिफ था इसलिए आकाश ढलान उतरने के बाद रुक गया। सूरज बुझा बुझा सा लग रहा था ,जैसे उनकी सारी शक्ति चंदा ले गयी हो। ये मासूम दिलो की मुहोबत भी मासूम है ज़माने के सामने ये कब तक टिकेंगे ये तो आकाश को नहीं मालुम लेकिन वो इन दोनों को मिलाके रहेगा।
कुछ देर चलते चलते वो लोग एक सड़क तक आ गये। सूरज निष्प्राण सा हो गया था जैसे किसे ने आत्मा निकल के शरीर को छोड़ दिया हो।
एक ट्रक उनके पास आ के रुकी "कहो चलोगे साब " ? " आकाश तत्काल ही बोल पड़ा "हमें चमोली जाना है " ठीक है जी बेथ जाव जी "
दोनों ट्रक में बैठ गए। सूरज का मौन आकाश को खलता ता था। उसने ही छुपी तोड़ी " देख यार, हम घर जाके सब कुछ बताके फिर वापिस आएंगे तेरी चंदा को ले जाएंगे लेकिन तू अगर हिम्मत ही छोड़ देगा तो ?"
सूरज की आँखों में दो बून्द पानी आके ठहर गया था। कोई किसी को इतना भी चाहता है ,किसी की तड़प इतनी सताती है की एक मर्द भी रोने लगता ह। चलती ट्रक में आकाश ने सूरज के आंसू पोंछे।
उस साइड चंदा तो माने जीना ही नहीं चाहती है। सबसे अलग बैठी रहती है खाना पीना छोड़ रखा है उसको तो बुखार भाई आया है। राम मनोहर और घर के सारे सदस्य चंदा की नजर उतार ने मे लगे ह। एक पहाड़ी बाबा को बुलाया है इसका इलाज करने के लिए । जब तक बाबा नहीं आते केवल रैना ही उसके साथ थ। सब लोग बहार थे।
चंदा तुजे कोई बुखार नहीं है केवल तूने खाना पीना बंद किया है उसीका ही ये नतीजा है। इतनी कमसीन उम्र में तुजे प्यार करने क्या जरुरत थी वो भी एक अनजान परदेसी से ,मेरी चहकती सहेली अब जिन्दा लाश हो गयी, आयने में सूरत देख अपनी जैसे कोई लम्बी बीमारी का मरीज हो।
चंदा कुछ बोल न पायी। केवल फफक कर रो दिया ,रैना ने उसे सांत्वना दी। इतने में बाबा त्रिलोकी ने अंदर कदम रखा। पहाड़ो में जब कोई बीमार हो तो दवाई बाद में होती है पहले बाबा को बुलाया जाता है। बाबा कोई ३५-४० साल का,लम्बे कद और घनी दाढ़ी वाला आदमी था ,सारा शरीर रंग बे रंगी धागो से लिपटा था। हर कोई उसे अजूबा मानते थे वो भुत,प्रेत और चुड़ैल के सायो से बचाता है। एक हाथ माँ तराशा हुआ लकड़ी का ही डंडा था।
वो आया देख के रैना बहार निकल गयी केवल चंदा और राम मनोहर और रहा त्रिलोकी बाबा।
उसने चंदा की आँख में आँख डालके कुछ मंत्र बोले जो किसी को भी समज नहीं आये। फिर डंडे से चंदा के आसपास एक लकीर बनायी फिर तीन धागे उसने लकीर में रखे और आँखे मुद के कुछ बड़बड़ाने लगा।
काफी देर के बाद उसने आँखे खोली; एक धागा उठाया और चढ़ा पर फेका ,फिर दूसरा और फिर त्रिसरा। चंदा जो की हिलने का नाम नहीं ले रही थी।
बाबा ने एक बड़ा सा काला धागा निकाल के राम मनोहर को दिया और बोला
" लड़की को भुत प्रेत नहीं किसी और का साया है ,अगर जल्दी ही इसकी शादी न की तो हमारे पहाड़ो की भगवन क्रोधित हो जाएंगे "अगली पूर्ण मस्सी के दिन इसका ब्याह रख दो। कह के बाबा जैसे आया था वैसे चला गया।

राम मनोहर अपनी लड़की के पास गया " बेटी, ये बाबा जो बता रहे हे वो सच है क्या ? " अपने भगवन नाराज हो ऐसा तो कुछ नहीं किया ने ?
"नहीं, बापू आप की कसम ,में केवल प्यार करती हु जैसा तुम मुझे करते हो ,रैना मुझसे करती है अगर ये पाप है तो बोलिये ?
राम मनोहर को कुछ कहते न बना। फिर भी बोला तुजे अगर कोई पसंद हो तो मुझे बताना अपने पहाड़ पे एक से एक ताकत वाले लड़के है जो मेरे बाद यहाँ का मुखिया भी बन सके।
"जी बापू "
राम मनोहर चले गए रैना फिर आ गयी साथ में खमीर की रोटी लाई थी।
"क्या कहा बाबा ने ?"
" उसने तो कहा ये मेरे बस का नहीं है ,लड़की की शादी करवा दो। उसपे भुत प्रेत कुछ नहीं है"
"अब मेरी बात सुन ,पहले खा पिले और घरवालोंको ये दिखा की तू बाबा की वजह से अच्छी हो गयी ताकि जबतक सूरज यहाँ न आ जाए तब तक यहाँ तेरी शादी की बात न हो। वरना सूरज के आने से पहले तू किसी और की हो चुकी होगी।
चंदा को उसकी बात सही लगी उसने खमीर की रोटी भी खाई ,और मुस्कुराती उसके बापू से मिली।
बापू ,ये बाबा तो चमत्कारी निकले मेरा सारा दर्द उनके धागो ने ले लिया "अब मुझे कोई दर्द नहीं।। कहती हुई अपने बाबा के हाथ को जोर से हिलाने लगी।
इतनी जल्दी अच्छी हो जायेगी ये तो किसी ने सोचा भी नहीं था। उधर सूरज चलती ट्रक से एक ढलान पर कूद गया और पेड़ो के झुरमुट पर गिर गया।
ट्रक ढलान चढ़ रही थी इसलिए रोकना मुश्किल था ट्रक ऊपर चढ़ गयी तब तक सूरज काफी निकल गया था। आकाश भी वहा से उतर गया और वापिस आने लगा।

(क्रमश)