Exploring east india and Bhutan... - Part 8 in Hindi Travel stories by Arun Singla books and stories PDF | Exploring east india and Bhutan... - Part 8

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Exploring east india and Bhutan... - Part 8

Exploring East India and Bhutan Chapter - 8

पांचवा दिन  : 

गंगटोक पहुंच कर होटल Denjong shangrilla में चेक इन किया, जो पहले से बुक किया हुआ था ।

गंगटोक पहुंचने के लिए सिक्किम राज्य परिवहन की बसें गंगटोक और सिलीगुड़ी के बीच उपलब्ध हैं. निकटतम रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी में स्थित है, जो गंगटोक से 117 km की दूरी पर है,और  निकटतम हवाई अड्डा 124km की दूरी पर बागडोगरा, पश्चिम बंगाल में, 5,410 ft की उचाई पर स्थित है.

 गंगटोक सिक्किम राज्य की राजधानी है, इसकी आबादी लगभग 100000 है, (सिक्किम का भारत मे विलय 1975 में हुआ था). गंगटोक इंडिया के सबसे सुंदर हिल स्टेशनो में से एक है, यहां से Mount Kanchenjunga (the third highest mountain peak in the world) के अद्भुत ओर मनमोहक दृश्य देखे जा सकते हैं।  

सुबह होटल DENJONG SHANGRILLA, से ब्रेकफास्ट ले कर पहले हम MG Marg पर आ गये, बाद में हमारा प्रोग्राम आस पास sight seeing करने का था. यह एक वैल्यू फॉर मनी होटल है, और होटल का दावा है, हमारे भोजन का स्तर उच्च व स्वादिष्ट है,  ब्रेकफास्ट ले कर पता चला इस बारे में होटल का दावा सही है .

 होटल से  निकल कर हम MG Marg पर आ गए, जो कि माल रोड के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ  पर वाहन का  प्रवेश निषिद्ध  है. यहाँ पत्थर से बनी साफ़ सुथरी सड़क के दोनों तरफ बेठने और धुप सकने के लिए बेंच लगे है, व् सड़क के दोनों तरफ लगभग हर बड़े ब्रांड के  शो रूम है, आप यहाँ पूरा दिन भी शौपिंग करते हुए , टहलते हुए मजे से गुजार सकते है, यहां टहलने  के लिए अलग से रास्ता बनाया गया है. मानसी ने बताया यहाँ से उसे  एक ड्रेस लेनी ही लेनी है, प्रोग्राम लेट हुआ जा रहा था, और  एक  घंटे की मशक्त के बाद मानसी ने अपने लिए एक ड्रेस पसंद की, मेने  राहत की सांस ली .

ड्रेस मानसी को खासी पसंद आई थी, और वो चहक रही थी.

“एक- एक काफी हो जाए “ मानसी चहकी

“नही, देर हो रही हे” मेने कहा

“भैया “ मानसी ने शिकायत भरी नजर से देखा

“मजाक“ मेने कहा, सब मुस्करा दिए.

 फिर हम SIGHTSEEING के लिये यहाँ से निकल लिए। गंगटोक में देखने के लिए, Ranka Monastery, Ganesh tok, Hanuman tok, Himalayan zoological park, Enchey monastery,Tashi view,Ban jhakri falls मुख्य व्यू पॉइंट है.

 व्यू पॉइंट्स क्योंकि चारों तरफ फेले हुए थे, तो हम ने आज एक साइड में स्थित व्यू पॉइंट्स देखने का प्लान पहले से बना रखा था, इससे Time और Money दोनों की बचत होती है.                                                                              

 Today Itinerary: Denzong Shangrila Hotel & Spa -Ganesh Tok, -Hanuman Temple,  -Plant Conservatory,  Tashi View Point,- Gonjang Monastery,  -Bakthang Waterfall,- Denzong Shangrila Hotel & Spa - 21 km 56 minute

हमारा पहला स्टॉप था, गणेश टोक मंदिर.

Ganesh Tok Temple,   India

गणेश टोक मंदिर: यह गंगटोक टाउन से लगभग 6 km की दूरी पर, 6,500 फीट की ऊंचाई स्थित है. यहाँ पर भगवान गणेश का एक छोटा परन्तु सुंदर मंदिर है, और इसका अपना धार्मिक महत्व है. मंदिर तक पहुँचने के लिए एक सीढ़ी वाला रास्ता है.

यहाँ एक व्यूइंग लाउंज है, जहां से आप कंचनजंगा के बर्फ से ढके पहाड़ों को देख सकते हैं, व् गंगटोक शहर की खूबसूरती  देख सकते हैं. हमे यहाँ वातावरण में अद्भुत शान्ति महसूस हुई. यह सभी प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए एक आदर्श स्थान है.

मंदिर प्रवेश के समय ही, स्थानीय वस्तुओं का एक बहुत ही छोटा बाज़ार है, जहां आप लेडीज पर्स, मफलर, हैट, पहनने के वस्त्र व् अन्य गिफ्ट खरीद सकते है.

यहाँ जलपान की एक छोटी सी शॉप है, जहां आप चाय कोफी मेगी, आमलेट का आनंद ले सकते हैं. प्रवेश शुल्क कोई नहीं है.

यह ताशी व्यू पॉइंट, व् हनुमान टोक के एकदम  नजदीक है. यहाँ लगभग 45 मिनट का वक्त गुजार कर  हम हनुमान टेम्पल के लिए निकल लिए .

 

Hanuman Tok Temple, India

हनुमान टोक: टोक का अर्थ होता है, मंदिर. भगवान् हनुमानजी का यह बेहद सुंदर व् आकर्षक मंदिर गंगटोक से लगभग 9 km की दूरी पर, 7200ft की उचाई पर स्थित है. 1968 में इस पूरे क्षेत्र को भारतीय सेना को सौंप दिया गया था, तब से इस मंदिर का प्रबंध भारतीय सेना द्वारा किया जाता है. मंदिर तक पहुँचने के लिए यहाँ भी सीढ़ियों पर चढ़ना पड़ता है.

हनुमानजी का यह मंदिर एक धार्मिक महत्व का स्थान होने के साथ साथ,प्रक्रति सुंदरता से भरपूर,हरे-भरे पहाड़ों से घिरा है.आप यहाँ से विश्व की तीसरी सबसे बड़ी चोटी माउंट कंचनजंगा के बर्फ से ढके पहाड़ों का सुंदर दृश्य देख सकते है,साथ में  गंगटोक शहर के चारों तरफ फेली  पहाड़ियों और घाटियों का मनोरम दृश्य देख भी सकतें है.यहाँ पर अद्भुत शांती के मध्य जब आप प्रार्थना करते हैं, तो एक दिव्य और स्वर्गीय अनुभूति महसूस होती है.

 किद्वंती यह है कि रामायण काल में जब हनुमाजी, हिमालय पर्वत पर लक्ष्मण जी के उपचार हेतु संजीवनी बूटी लेने गए तो मार्ग में जब हनुमान जी ने इसी जगह पर कुछ क्षणों के विश्राम किया था, अत: इस पवित्र स्थान  पर हनुमान जी को समर्पित, एक सुंदर मंदिर का निर्माण किया गया.

यहाँ टॉयलेट की सुविधा प्रदान की गई है.

कोई प्रवेश शुल्क नहीं है.

यहाँ हमने मानसी और विनीता के साथ कुछ यादगार फोटो shoot की.महिलायें प्र्कार्तिक रूप से कलाकार होती हैं, और फोटो के लिए पोज़ देने में सर्वदा तेयार रहती हैं . वें लगातार बाते करती रहेंगी और आप कहो , फोटो प्लीज , वे एक पल में पोज़ बनाएंगी , और दोबारा अपनी बातचीत में मशगुल हो जायेंगी . तभी विनीता ने कहा :

 

Katie Thurmes ने क्या खूब कहा है :

“We take photos as a return ticket to a moment otherwise gone”

“तुम लोगों के लिए कहा होगा” मेने जलभुन कर के कहा, मुझे कोई भाव ही नही दे रहा था .

दोनों मुस्कराई , हम आगे चल दिए.

 हमारा अगला पडाव नाज्द्दीक में ही ताशी व्यू पॉइंट था .

 

Tashi View Point,   India

ताशी व्‍यू प्‍वाइं गंगटोक से लगभग 8 km की दूरी पर स्थित है, यह एक  सुंदर छोटी सी जगह है,  सड़क से आपको व्यू पॉइंट तक पहुंचने के लिए खड़ी सीढ़ियों चढ़नी पड़ती है,उपर पहुँच कर यहाँ से कंचनजंगा के पहाड़ों के लुभावने दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है.

यहाँ एक कैफेटेरिया होने के साथ एक ऑब्जरवेशन टावर  भी है. कैफेटेरिया में गर्म चाय, कॉफ़ी, स्नैक्स वगेरा उपलब्ध हैं. यहाँ पर एक दूरबीन के माध्यम से आप पहाड़ों की चोटियों को, फोडोंग और लैबरांग मठों को करीब से देख सकतें हैं,और देखने के लिए 10 रूपए का मामूली सा भुगतान करना होता है.

 ताशी व्‍यू प्‍वाइंट से आप सूर्योदय का दृश्य भी  देख सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको सुबह 5 बजे से पहले पहुंचना होगा.

कोई प्रवेश शुल्क नहीं है.

 यहाँ स्मृति चिन्ह वगेरा के एक गिफ्ट शॉप भी है. यादगार के लिए आप स्मृति चिन्ह खरीद सकते हैं.

ताशी व्‍यू प्‍वाइंट देख कर से बाहर निकले ही थे की विनीता ने कहा

“और कितने पॉइंट्स पर चलना है “ थकान उस  पर हावी होने लगी थी

“बस एक दो पॉइंट और “ मेने कहा

मुझे अगले व्यू पॉइंट  Plant Conservatory  में  विभिन प्रकार के पोधों का प्रदर्शन देखने में  गहरी उत्सकता थी, आप भी प्राकृती  प्रेमी हैं तो चलते हैं, इन्तजार किसका है :

 

Plant Conservatory,INDIA

यह गंगटोक से लगभग 8km की दूरी पर स्थित है, यह गणेश टोक,हनुमान टोक व् ताशी व्यू पॉइंट के नजदीक है.

प्लांट कंज़र्वेटरी प्रक्रति प्रेमियों के लिए नया आकर्षण है,इसे 2015 में खोला गया था.यहाँ पर विभिन प्रकार के पेड़ों और दुर्लभ पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती है.प्रवेश द्वार से प्लांट कंज़र्वेटरी तक एक पक्का परन्तु तंग रास्ता है,जिस के एक तरफ  विभिन प्रकार के पोधे व् दुसरी तरफ कहीं कहीं छोटी छोटी चट्टान है. रास्ते में तालाब,पुल दिखाई पड़ते है.एक छोटे से तालाब के चारों और रंग बिरंगे फूलों के सुंदर पोधे लगाए गए हैं.प्लांट कंज़र्वेटरी में स्टैंड्स पर हजारों गमलों में विभिन प्रजातियों के रंग बिरंगे फूलों के पोधे लगाए गए हैं. प्लांट कंज़र्वेटरी को देखने के लिए एक पक्का व् घुमावदार रास्ता है,जिस के दोनों तरफ बहुत ही सुंदर रंग बिरंगे पेड़ व् पोधे लगाए गए हैं,जो आप को तरोताजा कर देता है.

अगर पोधों से करते हैं प्यार,तो आयें यहाँ बार बार   

फोटो शूट के लिए ये आदर्श जगह है .

खुलने का समय: सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक

यहाँ हमने कुछ फोटो क्लिक लिए और यादे भविष्य  के लिए संजो कर रख ली .

 

Gonjang Monastery, India

यह गंगटोक एसएनटी बस स्टेशन से 8 km की दुरी पर, 6066 ft की ऊँचाई पर फाटक बोजहोगरी के पास स्थित है. यह गणेश टोक, हनुमान टोक व् ताशी व्यू पॉइंट के एकदम नजदीक है.

इसका अधिकृत नाम “Ugyen Dongak Chokhorling Gonpa है. गोंजंग मठ सिक्किम के सबसे प्रतिष्ठित बौद्ध मठों में से एक है. मठ के अंदर एक भगवान्  बुद्ध की एक विशाल प्रीतमा है.

मठ के प्रवेश पर एक विशाल द्वार बनाया गया है, व् मुख्य मंदिर तक जाने के लिए थोड़ा पैदल चलना पड़ता है. गोजंग मोनेस्ट्री की स्थापना वर्ष 1981 में हुई थी और संस्थापक H.E. Tingkye Gonjang Rimpoche थे.  यहाँ बोध भिक्षुओं को तिब्बती भाषा और अंग्रेजी में शिक्षा दी जाती है. यह मठ तिब्बती बौद्ध धर्म के Nyingma स्कूल का अनुसरण करता है ( Nyingma school of Tibetan Buddhism).  मठ में 100 से ज्यादा भिक्षु रहते हैं, जिनके  लिए यहाँ आधुनिक आवास बनाये गये है. मठ विशाल क्षेत्र में फेला हुआ है.

मठ में भिक्षुओं और स्थानीय लोगों को दवा उपलब्ध कराने के लिए Thadrol Dorjee Memorial Community Health Care Centre बनाया गया है .

मठ में एक रेस्टोरेंट है,  जिसमे चाय, कोफी , ब्रेकफास्ट ,लंच उपलब्ध हैं.

 

“ बस अब और नही चला जाता“ मानसी ने गुहार लगाई

“ हम वापसी पर ही हैं, और होटल भी नजदीक आ गया है, बस सड़क के किनारे ये एक छोटा सा व्यू  पॉइंट है, अगर रास्ते में ना होता तो शायद यहाँ आते भी नहीं “

“चलो “ मानसी ने ठंडी सांस भरी

 

Bakthang Waterfall, India

यह गंगटोक एसएनटी बस अड्डे से 5km की दूरी पर स्थित है. जब आप गणेश टोक,हनुमान टोक व् ताशी व्यू पॉइंट देखने जाते हैं, तो इसे या तो शुरू में या वापसी में देख सकते हैं.यह एकदम साधरण झरना है, और टूर व् ट्रेवल वालों ने एक व्यू प्वाइंट बडाने के लिए इसे भी अपनी लिस्ट में शामिल कर रखा है.

झरने की ऊंचाई ज्यादा नहीं है,पर इसकी चौड़ाई है,जो इसे सुंदर बनाती है.

यह सड़क पर ही है.कोई प्रवेश नही है,तो प्रवेश शुल्क भी नही है.

यहाँ जलपान के लिए एक कफेटेरिया है व् कुछ स्टाल भी लगे हैं.

यहाँ आप फोटो क्लिक कर सकते हैं,यह पॉइंट आमतोर पर टूर का लास्ट पॉइंट होता है.

और वापिस होटल में आ कर हम तीनों अपने अपने रूम में घुस गये .

 

थोड़ा फ्रेश ही हुए थे कि, डोर बेल बजी

“अब कोन है” विनीता ने नाक चढ़ा कर कहा

दरवाजा खोला तो सामने मानसी थी, और वह एकदम तरोताजा नजर आ रही थी.

“अरे वाह इतनी जल्दी कायाकल्प, बड़े मूड में नजर आ रही हो” विनीता ने उसके चेहरे के भाव पड़ते हुए कहा

“दीदी क्या बला हो तुम, बिना कहे केसे दिल का हाल जान लेती हो “ मानसी हेरानी से उसे देख रही थी

जवाब में विनीता केवल मुस्कराई

“चलो पार्टी करते हैं“ मानसी चहकी

“पार्टी, पार्टी “ में चिल्लाया

“पार्टी जरुर होगी, कोई खास बात“ विनीता ने पूछा

“दीदी तुम भूल रही हो, मेरे अलग होने का समय आ गया है, तो मेरी फेयरवेल पार्टी तो बनती है ,”

मानसी ने पलकों में आई नमी छिपाते हुए कहा, अचानक सारा माहोल गंभीर हो गया. मेरी और विनीता की ऑंखें मिली और हमने एक लम्बी गहरी सांस ली. एक अजनबी शहर में, एक अजनबी लडकी से सिर्फ दो दिन की मुलाक़ात, दो दिन में इतना लगाव, इतनी जल्द अजनबी से अपनेपन का अहसास, समझ से बाहर था . परन्तु  अजनबी रहना ही ठीक होता है, अपनापन अक्सर तकलीफ का ही वायस बनता है, दिमाग ने दिल को चेतावनी दी, पर दिल ने कहा मानसी अजनबी लग ही कहाँ  रही है . विनीता की आँखों  के कोर में आई नमी मुझ से छुप ना सकी.

 “पार्टी जरुर देंगे पर फेयेर्वेल नही” विनीता ने कहा

“तुम क्या लोगी वाइन या स्कॉच “ मेने वातावरण को हल्का करते हुए कहा

“आप क्या लेंगे“ मानसी मेरी तरफ देख रही थी

“ chivas regal, चलेगी ”

“दोडेगी”

“ एक-एक स्माल यहाँ लेते हैं, फिर बाहर चलते हैं “

 मानसी जिस न्यूज़ चेनेल में काम करती थे, उसके ओनर मिस्टर भूषण सरीन, एक बहुत बड़े बिज़नसमेन थे, न्यूज़ चेनेल के साथ उनकी एक फार्मास्युटिकल फैक्ट्री रानिपूल में थी, रानीपूल गंगटोक से लगभग 10 km की दूरी पर स्थित है, रानीपूल का नाम उस पुल के नाम पर रखा गया है जो राष्ट्रीय राजमार्ग को गंगटोक से जोड़ता है. यहाँ से तीन सड़कें सिंगतम,पकयोंग और गंगटोक की ओर जाती हैं, साथ में गंगटोक, पश्चिम बंगाल जाने वाले सभी वाहन रानीपूल से होकर गुजरते हैं. यहाँ पर और भी कई जानी मानी फार्मास्युटिकल फैक्ट्रीस हैं.

मिस्टर भसीन जब भी दिल्ली के पोलयूशन से तंग आ जाते थे, तो परिवार के साथ रानीपूल आ जाती थे, और यहाँ बिज़नस और हॉलिडे दोनों हो जाते थे . मानसी मिस्टर भसीन से यहाँ रूबरू मिलने मानसी दिल्ली से आई थी, पर वो केसे मिलेगी, इसकी उसने अब तक कोई प्लानिंग नही की थी, प्लानिंग थी तो बस इतनी की मिलना जरुर है, चाहे केसे भी .

एक–एक स्माल पेग ले कर हम होटल के रूफ रेस्टोरेंट में आ गये, रेस्टोरेंट की एक साइड में बेठने का अलग से इंतजाम है, जहां से दूर पहाड़ों पर स्थित मकान की लाइट्स इसे तरह नजर आ रही थी,जेसे आसमान में बिखरे हुए तारे, बहुत ही शांत,शीतल वातावरण था .

 

“तो क्या सोचा, केसे मिलोगी“ विनीता ने बात आगे चलाई

“नही सोचा, पहले में यह सोच रही हूँ, वें मुझ से मिलेंगे भी या नही, मेरे सारे कोलीग बताते हैं वे बड़े रिज़र्व टाइप हैं, और स्टाफ से सीधे  बहुत कम, कम क्या मिलते ही नही, बस ख़ास मोकों पर स्टाफ को एक साथ एड्रेस करते हैं “

“आगे“

“ क्या आगे भइया, आप किस मर्ज की दवां हैं, आप भी तो अपनी स्वीट स्वीट बहिन की मदद करो,की में क्यां करू”

“बहना मुझे ये मर्ज कभी हुआ ही नहीं, मेंतो दवा क्या बताऊं

“तो में रिक्वेस्ट वाया दीदी करूँ”

“अरे ये बात नही, पर मेरी यही सलाह है की, कोलीग  क्या कहते है उनकी मत सुनो जाओ और खुद देखो, मिलो, कोई रास्ता जरुर निकलेगा, हमेशा निकलता है “

“और जो थोड़ा सा समय तुम्हारे पास है, उसमे तुम्हे ही ये फेसला लेना होगा” विनीता ने कहा 

“किसी  ने क्या खूब कहा है : मंजिल मिल ही जायेगी भटकते ही सही,
गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं” मेने उसकी होसला आफजाई की
“ थैंक्यू आप दोनोको, क्या बात कही है, अब में जरुर जाउंगी, बल्की कल ही जाउंगी” 

मानसी ने खड़े हो कर हम दोनों का दोनों हाथ उपर नीचे करके अभिवादन किया. उसके बाद खालिस मस्ती हुई.