रोज वो English के शब्दो की रट्टेबाजी और उस अजीब से टेंशन भरे माहौल से गुजरते हुए आज मेरी Exam खत्म हुई। रात में घर की छत पर बैठे हुए आसमान में बरसाती बादल को जाते हुए देख रहा था और ठंडी हवाओं को महसूस करके अपनी मातृभाषा में कहानी लिखते हुए आज दिल को एक अलग ही सुकून मिला,वो भाषा जो दिल और दिमाग़ दोनो को भाती है तो फिर चलिए कहानी को आगे बढ़ाते हैं।
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रिया की मौत हो चुकी थी, उसका बेजान पड़ा शरीर इस वक्त बेड पर पड़ा हुआ था और उसके बगल में ही राज रिया का हाथ पकड़ते हुए जोरो से रो रहा था, उसकी आंखों से निकलते हुए आंसू इस वक्त रिया के हाथ पर गिर रहे थे और कमरे में पूरा सन्नाटा छाया हुआ था। वहां पर खड़े सभी लोग बस राज की ओर देख रहे थे, इस वक्त किसी में भी उसे हौसला देने की हिम्मत नहीं रही थी क्योंकि उन्होंने अभी जो कुछ देखा उसके सदमे से वह खुद अभी बाहर नहीं आ पाए थे।
तभी कमरे का दरवाजा खुलता है और एक इंसान कमरे के अंदर दाखिल होता है सभी की नजरें उस आदमी की ओर जाती हैं। उस आदमी ने ड्राइवर जैसे कपड़े पहने हुए थे, देखने में वह करीब 34-35 साल का लग रहा था। वह राज को रोते हुए देख कर समझ जाता है कि रिया मर चुकी है वो सभी की ओर देखते हुए मनीष के पास आकर खड़ा होता है तभी पाटिल उसकी ओर देखकर पूछता है 'आप कौन?'
वह आदमी अभी कुछ बोलने ही वाला था कि तभी वहां खड़ी नर्स इंस्पेक्टर पाटिल की ओर देखते हुए कहती है कि 'इनका नाम अहमद है यही रिया को यहां लेकर आए थे और इन्होंने ही रिया को एडमिट करवाया था।'
अहमद पाटिल की ओर देखते हुए कहता है 'जी हां साहब और जंगल के पास जो हाईवे है, मैं वहां से गुजर रहा था कि तभी मेरी नजर मैडम पर गई, यह मुझे जख्मी हालत में वहां पर बेहोश पड़ी हुई मिली और मैं इन्हें यहां ट्रीटमेंट के लिए ले आया, पर जब मैं इन्हें यहां लाया तब तक तोये जिंदा थी तभी तो यह जिंदा थी अचानक इनकी मौत कैसे हो गई?' अहमद का यह सवाल सुनकर सभी लोगों की नजरें झुक जाती है क्योंकि कमरे में किसी के पास इसका जवाब नहीं था।
थोड़ी देर बाद सभी लोग कमरे के बाहर खड़े हुए थे। मनीष और राज एक चेयर पर और उसके सामने की चेयर पर अहमद बैठा हुआ था, उसकी थोड़ी दूरी पर राजीव और पाटिल खड़े हुए थे। राजीव इस वक्त 3 फुट बड़ी कांच की खिड़की से बाहर गिरती हुई बारिश को देख रहा था।
इमरजेंसी वार्ड हॉस्पिटल में बाई ओर कोने की तरफ था इसीलिए उस पिछले वाले हिस्से में कहीं घने पेड़ पौधे थे। बाहर इस वक्त बादलों के गरजने की और पेड़ों के पत्तों पर गिरती हुई पानी की बूंदों की आवाज आ रही थी, साथ ही आसमान में बिजली भी चमक रही थी।
पाटिल राजीव की ओर देखते हुए पूछता है 'सर अब क्या करना है?'
राजीव बाहर की ओर देखते हुए ही जवाब देता है 'कुछ नहीं वैसे ही जैसे पहले करते आए हैं, अपनी इन्वेस्टिगेशन जारी रखो और इस बात के बारे में किसी को कानों कान खबर नहीं होनी चाहिए। ऐसी तो कई बातें हमने होटल बनाते वक्त ही कहीं दफन कर दी और वैसे भी ये तो सिर्फ एक लड़की है, तुम्हारे लिए यह ज्यादा मुश्किल नहीं होगा।'
पाटिल समझ गया था कि राजीव उससे क्या कहना चाहता है इसलिए वह अपना सर हां में हिला देता है। राजीव अभी बाहर की ओर ही देख रहा था कि तभी उसे झाड़ियों के पास कुछ हलचल होती हुई दिखाई देती है। वह गौर से वहां देखने की कोशिश करता है तभी वहां उसे एक इंसान नजर आता है। फटे पुराने कपड़े,चेहरे पर लंबी दाढ़ी और सिर के घुंघराले बाल उसके चेहरे पर आते थे, वह लाठी के सहारे खड़ा हुआ था। तभी तेज बिजली चमकती है और बिजली की रोशनी में उस इंसान का चेहरा राजीव को नजर आता है। चेहरे पर कई घाव के निशान और चेहरे पर आते बालों के बीच में से दिखाई देती वह दो आंखें। उन आंखों की नजरें राजीव पर ही टिकी हुई थी, वह इंसान उसे गुस्से से घूरे जा रहा था।
उस आदमी को देखकर राजीव जैसे सुन पड़ गया था, उसकी आंखें पलक झपकने का नाम नहीं ले रही थी, उसका दिल तेजी से धड़क रहा था, उसके चेहरे पर आती हुई पसीने की बूंदे उसका डर साफ जता रही थी।वह धीरे-धीरे पीछे चलने लगता है पर अचानक उसका बैलेंस बिगड़ता है और वह नीचे गिर जाता है। राजीव को ऐसे नीचे गिरा हुआ देखकर सभी का ध्यान उसकी ओर जाता है राजीव अभी भी अपनी उंगली खिड़की की ओर दिखाते हुए एक ही बात बोले जा रहा था 'वह अभी भी जिंदा है......अभी भी जिंदा है.....पर ऐसा कैसे हो सकता है?'
राजीव को इतना घबराया हुआ देखकर पाटिल उसके पास जाता है और उसे खड़ा करते हुए पूछता है 'क्या हुआ सर आप इतने घबराए हुए क्यों लग रहे हो?' पर राजीव का ध्यान पाटिल की बातों पर नहीं था, वह अभी भी खिड़की के बाहर देख रहा था। पाटिल ने राजीव की नजरों का पीछा करते हुए खिड़की के बाहर देखा पर उसे बाहर गिरती बारिश के अलावा कुछ दिखाई नहीं दिया।
पाटिल राजीव को पकड़कर एक चेयर पर लाकर बिठा देता है और उसके हाथ में पानी का ग्लास रखते हुए पूछता है 'क्या हुआ सर आप किसकी बात कर रहे हो?' राजीव एक सांस में पानी का पूरा क्लास खत्म कर देता है और पाटिल की ओर देखते हुए कहता है 'अजय.....मैंने खिड़की के बाहर अजय को देखा था वह अभी भी जिंदा है।' अजय का नाम सुनकर पाटिल भी चौंकते हुए पूछता है 'क्या ऐसा कैसे हो सकता है आपने तो खुद उसे गिरते हुए देखा है तो फिर इतनी ऊपर से गिरने के बाद वह कैसे बच सकता है?'
राजीव पाटिल की ओर देखते हुए कहता है 'मैं भी चाहता हूं कि यह सच ना हो,यह बस मेरा वहम हो पर जिसे मैंने थोड़ी देर पहले खिड़की के बाहर देखा अजय ही था, इस बात को भी झुठला नहीं सकते।' वह दोनों अभी बातें ही कर रहे थे कि तभी राजीव का फोन बजता है।वह देखता है तो निकुंज का कॉल का वह कॉल रिसीव करता है 'हेलो सर आप लोग जल्दी से होटल पर आ जाइए मुझे आप लोगों से कुछ जरूरी बात करनी है।'
To be continued......