सुबह हो चुकी थी और संजना और किंजल अभी भी सो रही थी..
" मोहित जा तो जरा दोनो बहनो को उठा के आ तो.. १० बजे पूजा है और अभी भी घोड़े बेच के सो रही है " रागिनी जी बोली और फिर पूजा कि तैयारियों मे लग गई..
" हा मम्मा.."
मोहित संजना को उठाने उसके कमरे में गया।
संजना को इतने सुकून से सोया हुआ देखकर मोहित का मन ही नहीं किया उसे उठाने का..
वो धीमे से उसके पास बैठ गया..और धीमे से उसके सिर पर हाथ फेरने लगा..तभी फिर से रागिनी जी ने आवाज लगाई.. और अब मोहित के पास और कोई रास्ता नहीं था.. संजना को उठाने के सिवा..
" संजू ओ संजू .. चल उठ सुबह हो गई है "
" भाई सोने दो ना थोड़ी देर .." संजना करवट बदल कर फिर से सो गई..
" तू एसे नहीं उठेगी ना .."
संजना ने कोई जवाब नहीं दिया..तो मोहित ने उसका कंबल पकड़ा और जोर से खींच लिया..
संजना तुरंत ही उठ गई ..
" भाई ये क्या बात हुई.. एसे कोई खींचता है कंबल ..! "
" पर तू उठ नहीं रही थी तो फिर में क्या करता ..! चल अब जल्दी से तैयार हो जा पूजा का टाईम हो जाएगा .."
" हा .. किंजल उठी क्या ..? "
" नहीं .. "
" नहीं .. तो फिर चलो ..." संजना एक्साइटमेंट से खड़ी हुई ..जैसे कोई शरारत करने का प्लान उसके दिमाग मे जन्म ले चुका था..
वो दौड़ती हुई किंजल के कमरे में जाने लगी और उसके पीछे मोहित भी..
संजना ने जाके देखा तो किंजल पूरे टेडे तरीके से सोई हुई थी और उसका कंबल जमीन पर बिचारा सो रहा था ..
" ये लड़की भी ना अभी तक एसे ही सोती है " संजना बोली और मोहित भी मुस्कुराने लगा..
" अब देखो भैया ... मे क्या करती हूं "
संजना ने एक काली काजल ली और किंजल के चहेरे पर मूंछ बना दी .. और डाकू वाला टीका भी कर दिया... और हा एक बड़ा तिल भी..
" हम्मम अब ठीक है .."
" चल अब मेरी बारी ..." मोहित बोला और वो भी कुछ ढूंढने लगा..
" हा मिल गया.."
मोहित ने एक रबरबैंड लिया और किंजल कि पोनी टेल को फॉल्ड कर के बांध दिया जिससे उसकी पोनी पहले से आधी ही दिख रही थी..
" सुन संजू वो तुम लोग वो नक़ली बाल लाए थे वो लेकर आ तो .."
" हा अभी लाई " संजना अपनी हसी दबाती हुई चली गई ..
" सोरी किंजल " मोहित भी हसता हुआ बोला..
" ये लो भाई .."
मोहित ने उस नक़ली बाल बीच में से काट लिए और किंजल के पास रख दिए और उसके पास एक कैची भी रख दी..
" वाह भाई क्या बात है .. जोरदार आइडिया.." संजना ने और मोहित ने एक दूसरे को धीरे से ताली दी और अपना ड्रामा शुरू कर दिया..
" किंजू .. ये क्या हो गया.. ये देख .. .." संजना चिल्लाती हुई बोली ..
" ओह माई गॉड ये क्या हो गया.. है भगवान .." मोहित भी जोर से ड्रामा करता हुआ बोला..
किंजल आवाज सुनकर उठ तो गई पर उसने आंखे नहीं खोली ..
" किंजू तू अभी भी सो रही है .. देख तो सही ..ये क्या हो गया.. " संजना घबराहट के साथ बोली..
संजना कि ऐसी आवाज सुनकर किंजल ने आंखे खोली और बैठ गई..
" संजू क्या हुआ है .. क्या हो गया ..? आप दोनो इतने घबराए हुए क्यों हो ? " किंजल भी उन्हें एसे देखकर घबरा गई ..
" किंजू ये तेरे बाल ..." मोहित ने उसके बाल कि और उंगली दिखाते हुए कहा..
ये सुनकर किंजल ने अपनी पोनी पकड़ी और आगे करके देखने लगी .. जो बाल उसकी कमर तक आते थे वो सिर्फ उसके कंधे तक आ रहे थे ये देखकर किंजल भी घबरा गई ...
" अरे मेरे बाल.. इतने छोटे कैसे हो गए..! " तभी उसकी नजर पास पड़े हुए बाल और कैची पर गई ..
वो तुरंत खड़ी हो गई ..
" मेरे बाल किसने काटे .. अब मे क्या करूंगी..कोई एसा कैसे कर सकता है मेरे साथ " किंजल का चहेरा एसा हो गया था कि बस अब वो रो ही पड़ेगी..
" मुझे तो ये कोई चोटी काट चुड़ैल का काम लगता है .." मोहित गंभीर होते हुए बोला..
" हा.. मुझे भी .."
संजना कि बात सुनकर किंजल कि आंख से आसू बहने लगे...
" क्या बोल रहे है आप दोनो .. ? एसे कैसे कोई चुड़ैल आ सकती है.. अब मे क्या करूंगी.. " किंजल रोने लगी थी..
उसे रोता देखकर संजना और मोहित जो उसके मजे ले रहे थे वो भी सीरियस हो गए.. और एक दूसरे कि आंखो मे देखकर मजाक खत्म करने का इशारा दे दिया..
" अरे किंजू हम तो मजाक कर रहे थे.." मोहित उसके पास बैठता हुआ बोला..
" हा मेरी जान... ये देख ये नक़ली बाल है " संजना ने वो बाल किंजल को दिखाते हुए कहा..
ये सुनकर किंजल दोनो को घूरने लगी.. और उसने हाथ अपने बालो पर रखा .. और तभी उसे अहसास हुआ कि पोनी को रबरबैंड से फोल्ड किया है.. पहले थोड़े नींद मे और टेंशन में होने के कारण उसे ये समझ में ही नहीं आया था पर अब वो सब समझ गई थी..उसने तुरंत रबरबैंड निकाल लिया..
" मतलब ये आप दोनो का मजाक था ..? " किंजल गुस्से में बोली ...
" हा.. सोरी किंजल हमे पता नहीं था कि तुम इतनी सीरियस हो जाओगी .." संजना को अब लग रहा था कि अब किंजल ऊन लोगो को छोड़ने नहीं वाली है..
" पता है इस मजाक के चक्कर में मेरी जान अटक गई थी यहां... रुको ... मे अभी बताती हूं... " किंजल ने दो पिलो लिए और संजना और मोहित कि और जोर से फैंके ..
" लो और भी लो.."
किंजल उसके हाथ में जो आ रहा था वो उनकी तरफ फैंकने लगी..
" अरे.. अरे.. सोरी यार किंजल .. " संजना सभी चीजों से बचती हुई बोली..
" सोरी किंजू .." मोहित ने भी कान पकड़ के किंजल से माफी मांगी ..
पर किंजल अभी भी उनसे गुस्सा थी.. संजना धीमे से उसके पास गई और उसे गले लगा लिया.. मोहित भी आके गले लग गया..
" सोरी .." दोनो एकसाथ बोले..
किंजल का गुस्सा भी शांत हो गया..
" अच्छा ठीक है इस बार माफ़ कर रही हूं.. अगली बार एसा मजाक नहीं .."
" पक्का .." ये बोलते ही तीनो एक दूसरे के सामने देखने लगे और फिर जोर जोर से हसने लगे.. किंजल भी अपनी बेवकूफी पर हसे जा रही थी..
इस हसी वाले माहौल मे अचानक संजना सीरियस हो गई
" किंजल तेरे चेहरे को क्या हुआ? "
ये सुनकर मोहित भी उसे सीरियस हो कर देखने लगा..
" कुछ भी तो नहीं .." किंजल ने चहेरे को छूते हुए बोला..
" ये देख..." संजना ने किंजल को शीशे के पास ले जाते हुए कहा..
किंजल ने जैसे ही अपना चहेरा शीशे में देखा वो जोर से चिल्लाई..
" संजू...."
और ये सुनते ही संजना और मोहित पेट पकड़कर हसने लगे...
जैसे ही किंजल संजना कि और मुड़ी.. संजना वहा से भागने लगी...
मोहित भी वहा से भागा...
" रुको भागते कहा हो..? " किंजल चिल्लाई और वो भी उनके पीछे भागी..
तीनो पूरे घर में इधर से उधर भाग रहे थे और सब किंजल का चहेरा देखकर हस रहे थे.. तीनो ही एसे भागते हुए थक गए और होल मे सौफे पर आकर बैठ गए..
" तुझे ना कल हल्दी मे देख लूंगी समझी संजना कि बच्ची..! "
" हा हा देख लेना पर पहले ये मुंह धोकर आ मुझे ये देखकर बहुत हसी आ रही है .."
ये सुनकर किंजल गुस्से मै खड़ी हुई और जाने लगी..
" भाई आप भी मूजसे बेचेंगे नहीं .. आज आपका दिन था कल मेरा भी आएगा " किंजल मोहित के पास से गुजरती हुई बोली और फिर चली गई.. संजना भी अपने कमरे में तैयार होने के लिए चली गई।
१० बजे संजना के हाथ से सत्यनारायण देव कि पूजा हुई और उनकी कथा भी सब ने मिलकर सुनी बाद मे सब ने प्रसाद लिया.. और पूजा समाप्त कि.. आज शाम को माता का जगराता रखा था वैसे तो नवरात्रि पर ज्यादा होता था पर रागिनी जी का कहना था कि इस अच्छे काम कि शुरुआत माता की भक्ति से हो तो और भी ज्यादा अच्छी बात है...
धीरे धीरे शाम ढल चुकी थी...
" अनिरूद्ध बेटा आज तो माता भी तुम्हारे साथ होगी ... जा जाके सब कुछ बतादे मुझे पूरा यकीन है कि सब कुछ अच्छा होगा..." दादी ने अनिरूद्ध को आशीर्वाद देते हुए कहा..
" हा भाई .. जा जाके सब कुछ ठीक करदे .." सौरभ अनिरूद्ध को गले मिलते हुए बोला..
अनिरूद्ध माता के और अपने परिवार के आशीर्वाद के साथ सिंघानिया मेंशन आने के लिए निकल चुका था...
आज वो अपने असली रूप के साथ बिना मास्क लगाए .. सिर्फ माथे पे पगड़ी और मूछ लगाकर आने वाला था ताकि उसे कोई और ना पहचान ले..
जैसे ही वो सिंघानिया मेंशन मे दाखिल हुआ.. वहा बहुत सारे गस्ट्स आ चुके थे.. संजना उसे अभी दिखाई नहीं दे रही थी.. मोहित उसे दिखाई दे रहा था जो महेमानों के स्वागत के लिए खड़ा था..
" आइए आइए पाजी.." मोहित ने अनिरूद्ध का स्वागत करते हुए कहा...मोहित उन्हें जानता नहीं था पर उसे लगा कि उसके पापा के दोस्त जगमिंदर और उनका बेटा आने वाला था तो ये शायद वही है..
थोड़ी देर बाद अनिरूद्ध को संजना ऊपर से आती हुई दिखाई दी.. लाल रंग के ड्रेस में वो बड़ी ही प्यारी लग रही थी साथ में किंजल भी थी.. थोड़ी ही देर में माता का जगराता शुरू हो गया... अनिरूद्ध सही मौके कि तलाश में रुका हुआ था..
" किंजल जाके संजना के कमरे से वो माता की चुनरी लेके आ तो जरा.." रागिनी जी ने कहा..
" हा मासी अभी लाई.." किंजल वहा से संजना के कमरे में चली गई..
कमरे कि अलमारी में किंजल चुनरी ढूंढ रही थी पर उसे मिल नहीं रही थी.. तभी उसे चुनरी दिखी और उसने वो लेने के लिए खींची.. उसके साथ ही नीचे रखा हुआ संजना और अनिरूद्ध का फोटो भी गिर गया....
किंजल कि नजर उस फोटो पर पड़ी और उसने उसे उठाया.. संजना के साथ अनिरूद्ध कि फोटो देखकर वो चौंक गई...
उसने तुरंत ही अलमारी मे और खोजना शुरू किया जिसमे से उसे संजना कि डायरी मिली और उसमे उन दोनों के कई सारे फोटोज थे.. किंजल को अपनी आंखो पर यकीन ही नहीं हो रहा था..
" नहीं ये नहीं हो सकता.. अनिरूद्ध तो एसा लड़का नहीं था...! " किंजल के आंख से आसू आ गए थे..
" मेरे ही दोस्त ने मेरी बहन कि जिंदगी बर्बाद करदी... इतना बड़ा धोका कैसे दे सकते हो अनिरूद्ध तुम संजना को और मुझे भी..पहले अनिरूद्ध सिन्हा बनकर मेरी संजना को धोका दिया अब और क्या चाहते हो तुम ? पहले उसे क्यों नहीं बताया कि तुम ही अनिरूद्ध ओब्रॉय हो? अब इस सब के जवाब तो मुझे लेने ही होंगे तुमसे और इसकी सजा भी भुगतनी होगी..तुम्हे" किंजल ने अपने आंसू पौछे और चुनरी लेकर नीचे चली गई..
पूरे टाईम वो ये सब ही सोच रही थी..
" मम्मा मेरा सीर दर्द कर रहा है मे थोड़ी देर अपने कमरे में जाना चाहती हूं " संजना ने रागिनी को कहा...
" हा बेटा थोड़ी देर जा आराम कर ले.." रागिनी जी संजना के सीर पर हाथ रखते हुए बोली..
संजना अपने कमरे में जाने लगी.. अनिरूद्ध और किंजल दोनो का ही ध्यान उस तरफ गया..
अनिरूद्ध इधर उधर देखकर कि कोई उसे देख तो नहीं रहा चुपके से संजना के पीछे जाने लगा..
किंजल ने उसे उपर जाते हुए देख लिया...
" अरे ! ये कौन है.. और ये संजना का पीछा क्यों कर रहा है ..? मुझे जाना होगा.."
मे अभी आती हूं .. कहकर किंजल भी उसके पीछे जाने लगी..
संजना अपने कमरे में गई और दरवाजा बंद कर दिया..
तभी अनिरूद्ध वहा आया और एक कार्ड जिसमे लिखा था कि " हाय संजना ! मे अनिरूद्ध ओब्रॉय.. मुझे तुमसे कुछ बहुत ही जरूरी बात करनी है .. इट्स रियली वेरी इंपॉर्टेंट.. टेरेस पर में तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं .. प्लीज़ जरूर आना.. "
अनिरूद्ध ने कार्ड दरवाजे के पास नीचे रखा और दरवाजा नोक किया और जल्दी से वहा से टेरेस पर चला गया..
किंजल पीछे से ये देख रही थी .. संजना दरवाजा खोले उससे पहले ही किंजल जल्दी से आई और वो कार्ड ले लिया..
तभी संजना ने दरवाजा खोला..
" अरे ! किंजल तुम ? "
" हा वो तुम्हारा सर दर्द कैसा है ये पूछने आई थी.."
" हा अब थोड़ा ठीक है अभी मेडिसीन ली है .."
" ठीक है तुम आराम करो मे चलती हूं "
किंजल ने कहा और वो भी टेरेस कि और जाने लगी...
उसने जाते जाते वो कार्ड पढ़ा..
वो जैसे ही टेरेस पर पहुंची उसे अनिरूद्ध पीछे मुड़े दिखाई दिया..
अनिरूद्ध ने पगड़ी और मूछ निकाल दी थी .. वो चाहता था कि वो अपने असली रूप मे ही संजना के सामने आए..
अनिरूद्ध को जैसे ही पीछे से किसिके आने कि आवाज सुनाई दी .. वो तुरंत पीछे मुड़ा..
पर सामने किंजल को देखकर वो शॉक्ड रह गया..
" किंजल तुम ? " वो बस इतना ही बोल पाया..
सामने किंजल गुस्से में उसे ही देख रही थी..
🥰 क्रमश: 🥰