अपनी बढ़ती हुई धड़कनों के साथ अमायरा ने दो और कदम बढ़ाए और कबीर को हल्का सा हग कर पीछे हटने लगी की कबीर ने अपनी बाहें उसकी कमर पर रख दी। बहुत ही सहजता से कबीर ने उसे अपनी बाहों में भर लिया था।
"छोड़िए मुझे," अमायरा ने कहा।
"अभी नही। तुम भूल गई थी मैने तुम्हे मुझे गले लगाने को कहा था। बस छू कर भागने को नही।" कबीर ने कहते हुए अपना मुंह अमायरा की गर्दन में छुपा लिया था। और अमायरा उसकी नज़दीकी से थरथरा उठी। पहल जब भी उसने कबीर को गले लगाया था, उसमे कभी भी वोह असहज नही हुई थी, और उसकी बाहों में हमेशा उसने सुकून पाया था। इस बार वोह नही जानती थी की वोह इस वक्त क्या फील कर रही है। कबीर की बाहें अमायरा की कमर पर कसी हुई थीं। और उसकी गरम सांसे तो अमायरा की होश उड़ाने का काम कर रही थी। अमायरा सोच रही थी की उसे इस वक्त थोड़ा अकवार्ड लगेगा लेकिन उसका उल्टा हुआ। भले ही उसका दिल जोरों से धड़क रहा था लेकिन वोह बहुत शांत और सुकून महसूस कर रही थी। अमायरा का दिल इतनी जोरों से धड़क रहा था की उसे पता था कबीर को भी पता चल ही गया होगा क्योंकि इस वक्त वोह दोनो इतने नजदीक थे। और सबसे अजीब बात यह थी की इससे अमायार को कोई फर्क नही पड़ रहा था। इस वक्त उसके लिए सब सही था। पर वोह यह भी जानती थी की उसे इन सब की आदत नही पड़ सकती। और फिर कुछ देर बाद अमायरा इस सुकून भरे स्पर्श से बाहर आ गई। कबीर ने जैसे ही महसूस किया की अमायरा उस से अलग होने के लिए हल्का सा हिली है, उसने उसकी गर्दन पर, जहां उसकी सांसे उसे छू रही थी और अमायरा बेचैन हो रही थी, वहां चूम लिया। कबीर सीधा हुआ लेकिन उसे उसकी बाहों की गिरफ्त से आज़ाद नहीं किया। अमायरा की आंखे हैरत में बड़ी हो गई थी की वोह कितनी बेवकूफ है। वोह सोच रही थी की यह सिर्फ एक हग ही तोह है इससे कोई फर्क नही पड़ेगा, पहले भी तोह कितनी बार हग किया है। पहले जब वोह कबीर से गले मिलती थी तोह उसे उसकी गरमाहट, केयर, कंसर्न, और सपोर्ट महसूस होता था। लेकिन अब वोह उसका पैशन महसूस कर रही थी जो सब पर भरी हो रहा था। और इसी सोच को महसूस करते हुए उसने थूक गटका। उसे अचानक एक सपोर्ट की जरूरत होने लगी क्योंकि उसे अपने पैरों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था की वोह ठीक से अब खड़ी भी हो पाएगी की नही। यह अच्छा हुआ की कबीर ने उसे अभी भी पकड़ा हुआ था।
"थैंक यू मिसिज मैहरा। यह बहुत ही अमेजिंग था। बस यह ध्यान रखना की कल तुम इतना समय मत लगाना। कुछ लोग हैं जो मेरा मेरे ऑफिस में इंतज़ार करते हैं।" कबीर ने कहा और अमायरा के माथे पर प्यार से चूम लिया। उसने अभी भी अमायरा को छोड़ा नहीं था।
"कल? कल क्या?" अमायरा ने पूछा। वोह चौंक गई थी।
"ओह! मैं तोह भूल ही गया था तुम्हे बताना। अब से यह हमारा रोज़ का काम रहेगा। तुम मेरे ऑफिस जाने से पहले मुझे रोज़ अपने गले से लगाओगी, एक लविंग वाइफ की तरह, और मैं प्यारे पति की तरह तुम्हे किस करूंगा, इस तरह।" कबीर ने जल्दी से उसके गाल पर चूम लिया और वोह हैरान रह गई।
"आप.....आप ऐसा नहीं कर सकते।" अमायरा ने गुस्से से मुंह फुला लिया था।
"क्यूं?"
"क्योंकि मुझे नही पसंद।"
"कौन कहता है?"
"मैं।"
"पर तुम्हारे दिल की धड़कन तो इस वक्त मुझे कुछ और ही इशारा कर रहीं हैं।" कबीर ने अमायरा के कान के नज़दीक जा कर फुसफुसाते हुए कहा। एसी की हवा में भी अमायरा के पसीने छूटने लगे थे। वोह इस बात से इंकार करना चाह रही थी लेकिन कर नही पा रही थी।
"खैर, कल ज्यादा समय मत लेना स्वीटहार्ट। और जैसा की मैने तुमसे वादा किया था, मैं तुम्हे अपनी गिरफ्त से आज़ाद कर रहा हूं। और अगर कल तुमने कोई प्लान बनाया कमरे से भागने का तो तुम जानती हो की मैं क्या करूंगा। और मैं तुम्हे यकीन दिलाता हूं की, सबके सामने तुम्हे गोद में उठाना, हमारे घरवालों को बहुत ही रोमांटिक लगेगा।" कबीर ने इतना कह कर उसे छोड़ दिया और अमायरा धीरे धीरे कदम पीछे लेने लगी। अमायरा ने एक नज़र अपने आपको शीशे में देखा। उसके निखरे हुए चेहरे के अलावा सब कुछ ठीक लग रहा था। वोह तुरंत ही दरवाज़े की तरफ भागी और कबीर को अकेला छोड़ गई।
आज के लिए इतना काफी था। अब मुझे ऑफिस के लिए निकलना चाहिए।
कबीर मुस्कुराते हुए अपने बाल ठीक करने लगा, जिसे अभी थोड़ी देर पहले उसने खराब कर दिया था। अपनी की गई अभी की हरकत याद करके कबीर खुद ही गुदगुदाने लगा। उसने आज तक कभी अपने बालों के साथ ऐसी छेड़ छाड़ नही की थी क्योंकि उसे अपने हेयर स्टाइल से बहुत प्यार था।
तुम्हारे लिए तोह कुछ भी मिसिज मैहरा।
तभी रेडियो पर गाना बदला और उसे सुनकर कबीर मुस्कुराने लगा।
इश्क की धूनी, रोज जलाए
उठता धुआं तो, कैसे छुपाए
अखियां करे जी हजूरी, मांगे है तेरी मंजूरी
कजरा स्याही, दिन रंग जाए, तेरी कस्तूरी रैन जगाए
मन मस्त मगन, मन मस्त मगन,
बस तेरा नाम दोहराए
चाहे भी तू भूल ना पाए
मन मस्त मगन, मन मस्त मगन,
बस तेरा नाम दोहराए
"सच है। आज कल मैं यही तोह कर रहा हूं। दिन रात बस तुम्हारा नाम ही तोह लेता रहता हूं।" कबीर के चेहरे पर लंबी मुस्कुराहट थी।
अमायरा तभी अपने कमरे में वापस आए जब उसने देखा कि कबीर की गाड़ी कंपाउंड से निकल गई है। अभी भी रेडियो ऑन था जो देख कर अमायरा को गुस्सा आने लगा था, की वोह जाने से पहले रेडियो बंद कर के भी नही गए। जो इस वक्त रेडियो पर गाना बज रहा था वोह सुनकर अमायरा और गुस्सा होने लगी। उसने जैसे ही उसे बंद करने के लिए कदम बढ़ाया फिर अगले ही पल रुककर वोह गाने के बोल सुनने लगी। वोह गाने में ही खो गई।
ऐसा क्यों होता है, तेरे जाने के बाद
लगता है हाथों में, रह गए तेरे हाथ
तू शामिल है मेरे, हंसने में, रोने में, है क्या कोई कमी मेरे पागल होने में,
मैनु इश्क़ तेरा ले डूबा
हां इश्क़ तेरा ले डूबाकबीर अभी भी कमरे में ही था, लेकिन अमायरा के खयालों में। कबीर के चले जाने के बावजूद वोह उसे अभी भी कमरे में महसूस कर रही थी। वोह उसे दिमाग से निकल ही नही पा रही थी। और वोह यही सोच सोच के पागल होए जा रही थी की वोह बचे उनतीस दिन कैसे बिताएगी जब पहले दिन ही पागल हो गई। वोह अनजाने में गाने के बोल सारा दिन गुनगुनाती रही और फिर अपने आप को थप्पड़ मरती जब भी उसे एहसास होता की वोह क्या कर रही है। वोह इसके लिए कबीर को दोष देने लगी।
उनके बारे में सोचना बंद करो अमायरा। नहीं तो उन्हे सारे दिन हिचकियां आती रहेंगी और उन्हे पता चल जायेगा की मैं उन्ही के बारे में सारा दिन सोचती रही। वोह बहुत तेज़ इंसान हैं।अमायरा अपने आप से बात कर ही रही थी की उसके फोन में मैसेज का बीप बजा और वोह नाम पढ़ कर इरिटेट हो गई।
कबीर- मत भूलना की कल फ्राइडे है। तैयार रहना जान💕
अमायरा- मुझे किसी रिमाइंडर की जरूरत नहीं है।
कबीर- इसका मतलब कि तुम भी एक्साइटेड हो मेरे साथ कल का पूरा दिन बिताने के लिए।
अमायरा- सपने देखते रहिए। मुझे खुशी होगी आपके सपने सुनने में जब भी आप बताना चाहो लेकिन आपके यह सपने कभी सच नहीं होंगे।
कबीर- ओह तुम मेरे सपनो के बारे में नही जानना चाहती। लेकिन मुझे कोई दिक्कत नही है तुमसे शेयर करने में। पर तुम अभी भी एक छोटी बच्ची की तरह बिहेव करती हो, तुम्हें थोड़ा बड़ा होने की जरूरत है। मेरे सपने थोड़ा एडल्ट कैटेगरी में आते हैं। और तुम हर जगह होती हो।
आखरी की लाइन पढ़ कर अमायरा झेप गई और हैरानी से उसका मुंह खुला का खुला रह गया।
कबीर- अपना मुंह बंद कर को स्वीटहार्ट। वरना कोई कीड़ा जल्दी से मुंह में घुस जायेगा।
फिर आए कबीर के मैसेज को पढ़कर मायरा हैरान-परेशान से इधर-उधर देखने लगी। वह डर गई थी कि कहीं कबीर यहां पहले से तो नहीं है और उसके हावभाव चुपके से देख रहा हो।
कबीर- मुझे बहुत ज्यादा याद कर रही हो डार्लिंग? चिंता मत करो। मैं शाम को तुम्हे लेने आयूंगा। लव यू💕
अमायरा ने अपना फोन साइड में रख दिया। वह डर रही थी, किस बात से, पता नहीं। कबीर ने कहा था की वोह उसे अनाथ आश्रम से लेने आएगा। अचानक अमायरा अब घर नही जाना चाहती थी। वोह जानती थी की इसका मतलब कबीर उसे एफेक्ट कर रहा है, और वोह तैयार नहीं थी यह बात कबीर के सामने मानने से या खुद के सामने। तोह वोह जल्दी से तैयार हुई और अनाथ आश्रम के लिए निकल गई।
उसी शाम जब वह अनाथ आश्रम से अपने घर जाने के लिए निकली तो उसने देखा बाहर कबीर पहले से ही गाड़ी में अपनी सीट से सिर टिकाए उसका इंतजार कर रहा था। कबीर ने अमायरा को देखा और मुस्कुरा कर हाथ हिला दिया। वह थोड़ा संकोच करने लगी क्योंकि अनाथ आश्रम के और भी स्टाफ मेंबर्स वहां आसपास ही थे। वह जल्दी से गाड़ी की तरह बड़ी और तुरंत उस में बैठ गई। उसके बैठते ही कबीर झुका और उसके गाल पर चूम लिया। आज सुबह की हरकत के बाद अमायरा को पहले से ही आशंका थी की आगे भी कबीर ऐसा कुछ कर सकता है और उसका शक सही साबित हुआ।
"हे डियर वाइफ। आई मिस्ड यू। क्या तुमने भी मुझे मिस किया?"
"नही। मैं बीसी थी।" अमायरा ने सामने देखते हुए बिना किसी भाव के कहा। कबीर उसका जवाब सुनकर मुस्कुरा गया। उसे खुशी थी की अमायरा ने कोई ऐतराज़ नहीं जताया उसके किस करने से और ना ही गुस्सा हुई।
"ओह मुझे लगा तुमने मुझे याद किया क्योंकि आज दिन भर मुझे हिचकियां आती रही, और बंद ही नही हो रही थी।"
"क्या? क्या मतलब?" अमायरा ने घबराते हुए पूछा। वोह सतर्क हो गई की जरूर ही कबीर उसे चुपके से देख रहे थे की उन्हे कैसे पता।
"तुम नही जानती? मॉम हमेशा कहती हैं की जब कोई तुम्हे दिल से याद करता है तोह हिचकियां आने लगती हैं। मैं सोच रहा था तुमने मुझे अपनी हिचकियों के बारे में क्यों नही बताया।" कबीर ने मुस्कुराते हुए पूछा।
"नही। मुझे ऐसी किसी भी चीज़ के बारे में नही पता। और मुझे हिचकियां भी नहीं आई। अगर आपको आज सारा दिन हिचकियां आती रही तोह आप को डॉक्टर की जरूरत है।" अमायरा ने बिना नज़रे मिलाए कहा। कहीं कबीर उसका झूठ पकड़ ना ले।
"डॉक्टर नही, मुझे किसी और चीज़ की जरूरत है। किसी के ध्यान की। और इसका मतलब यह हुआ की मुझे अपनी कोशिशें दुगनी करनी होगी। आज सुबह के बाद भी मैं अपना एहसास नहीं छोड़ पाया जैसे तुमने छोड़ दिया मुझ पर। मैं आज सारा दिन काम में फसा रहा लेकिन फिर भी तुम्हे याद करना नही छोड़ पाया।" कबीर ने इंटेंशियली उसकी तरफ देखते हुए कहा और अमायरा को अचानक गाड़ी की सीट अनकंफर्टेबल लगने लगी। "पर जल्द ही सब बदल जायेगा।"
कबीर ने इतना कह कर गाड़ी स्टार्ट करदी। अमायरा सोच रही थी की अगर कबीर को यह पता चल गया की वोह सारा दिन उसके ज़ेहन में ही थी तो वो क्या कहेंगे। की वोह अपनी जगह बनाने लगे हैं उसकी जिंदगी में, और अपनी इतनी गहरी छाप छोड़ दी है की अब यह नामुमकिन होगा कबीर के बिना अपनी जिंदगी इमेजिन करना। अचानक उसके जेहन में सुबह वाला गाना फिर घूमने लगा और उसने डर से थूक गटक लिया। डर इस बात का की वोह अपने आप को खो ने लगी थी कबीर के सामने। वोह भी बहुत तेज़ी से। और वोह यह सब रोक भी नही पा रही थी। वोह रोकना चाहता थी कबीर को उसके दिल में जगह बनाने से, उसके दिमाग में खलबली मचाने से, उसकी सोच में उसे याद करने से। और साथ ही वोह गाना बार बार अपने जेहन में गुनगुनाने से।
ऐसा क्यों होता है, तेरे जाने के बाद
लगता है हाथों में, रह गए तेरे हाथ
तू शामिल है मेरे, हंसने में, रोने में, है क्या कोई कमी मेरे पागल होने में,
मैनु इश्क़ तेरा ले डूबा
हां इश्क़ तेरा ले डूबा!!!
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