Secret Admirer - Part 41 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 41

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Secret Admirer - Part 41

देखो। जितना देर करोगी उतना ज्यादा बाद में सब तुम्हे चिढ़ाएंगे क्योंकि फिर बाहर भी देर से ही निकलोगी। तुम्हारे लिए यही अच्छा होगा की मुझे मेरा थैंक यू जल्दी देदो और मैं यहां से जाऊं।" कबीर ने शरारत से कहा और अमायरा उसपर गुस्सा होने लगी।

"कम ऑन अमायरा। नाम में क्या रखा है? यह बहुत ही आसान है। बस कह दो कबीर। या फिर तुम मेरा कोई पर्सनल नाम रखना चाहती हो तोह भी कह सकती हो, मुझे कोई दिक्कत नही।" कबीर फुसफुसाते हुए उस पर झुकने लगा था और एस यूजुअल अमायरा पीछे हटने लगी थी, जो की वोह हमेशा करती थी।

"मैं कोई भी पर्सनल चीज में इंटरेस्टेड नही हूं।" अमायरा ने जल्दी से जवाब दे दिया।

"ठीक है तोह छोड़ दो इसे, अब तोह गले लगाना ही ऑप्शन बचा है। कम ऑन, जल्दी करो। यह भी आसान है क्योंकि इससे पहले भी हम कई बार एक दूसरे को गले लगा चुके हैं।"

कबीर ने ज़ोर दिया और अमायरा सोचने लगी कि अब इस मोमेंट पर वह क्या करें। कहीं इस तरह की छोटी-छोटी हरकतों से कबीर को कोई उम्मीद ना मिलने लगे।

"आप मेरे साथ ऐसा कुछ भी करने का नही सोच सकते। नही तोह मैं शोर मचा दूंगी।" अमायरा ने बच्चों की तरह कहा।

"आआह्ह! शोर मचाओगी और क्या कहोगी? की तुम्हारा पति तुमसे एक हग 🤗 मांग रहा है या फिर मिस्टर मैहरा छोड़ अपना नाम बुलवाना चाहता है? मेरा यकीन करो अमायरा, सब तुम पर सिर्फ हसेंगे की तुम पागल हो गई हो। यह सब किसी जुर्म के अंदर तोह नही आता।"

"पर आप मुझे वोह काम करने के लिए फोर्स कर रहें हैं जो काम मैं करना नही चाहती। क्या होगा अगर उन्हे पता चलेगा की आप मुझे पर ज़ोर जबरदस्ती कर रहें हैं?" अमायरा ने तुरंत जवाब दिया।

"मैं तुम्हे फोर्स कर रहा हूं? कैसे? मैने तोह तुम्हे उंगली से भी नही छुआ। और इसी से साफ पता चलता है की ज़ोर जबरदस्ती तोह नही है। जब भी मैं तुम्हे छूता हूं, जो की कभी कभी करता हूं, तुम कभी कंप्लेन नही करती, और इससे भी साबित होता है की कोई ज़ोर जबरदस्ती नहीं है। और इस वक्त मैंने तुम्हे पूछा है की या तोह मेरा नाम लो या फिर गले लगा लो। अब यह तुम पर है की तुम क्या चूस करती हो। मैं तुम्हे जबरदस्ती गले नही लगा रहा हूं। मैं बस तुम्हे कह रहा हूं की तुम ऐसा करो।"

"अगर मैं इन दोनो में से कुछ भी नही करना चाहूं तो? क्या ये आप मुझे पर फोर्स नही कर रहें हैं?"

"मैं तुम्हे यह सब करने के लिए फोर्स नही कर रहा हूं। मैं तोह बस तुम्हे इस कमरे से बाहर जाने से रोक रहा हूं अगर इन दोनो चीजों में से तुमने कोई एक नही किया। इसके अलावा मैं तुम्हे कुछ भी फोर्स नही कर रहा हूं। तुम खुद ही दोनो में से कोई एक करो और अपनी आजादी ले लो। तुम यह कह सकती हो की मेरी यही कंडीशन है, यहां से आज़ादी पाने की और बाहर जाने की। नही तोह तुम्हे पता है इसके बदले क्या हो सकता है। हमारी फैमिली बाहर बैठी क्या सोचेगी और फिर कैसे चिढ़ाएगी यह तुम जानती हो।"

"आप ऐसा नहीं कर सकते।" अमायरा डर गई थी।

"मैं कर सकता हूं। अगले 1 महीने के लिए मुझे अपना प्यार साबित करने के लिए जो भी मुझे जरूरी लगेगा वह मैं करूंगा। मुझ पर भरोसा करना है या नहीं करना है यह तुम्हें चुनना करना है, लेकिन तुम मुझे रोक नहीं सकती। और जैसा मैंने तुम्हें प्रॉमिस किया था कि 1 महीने बाद मैं तुम्हें बिल्कुल भी परेशान नहीं करूंगा इसलिए तब तक तुम्हें मेरे साथ लॉयल रहना होगा। और मैं तुम्हें पूरी फैमिली के सामने गोद में उठाकर भी लेकर जा सकता हूं अगर तुम यहां से अभी भागने का कोई भी प्लान बना रही हो तो।"

कबीर ने अपने कंधे उचका दिए और अमायरा के पास शब्द ही नही बचे बोलने के लिए। समझ रही थी कि कबीर का अगला कदम क्या होगा। वोह पूरी तरह से कन्फ्यूज्ड हो चुकी थी कबीर की बात सुन कर और अपनी फीलिंग्स को लेकर। इसी बीच कबीर वहां से हट गया था और जा कर उसने रेडियो ऑन कर दिया था। अमायरा उसके थोड़ा दूर जाने से सहज होने लगी थी। गाना तो उसे हमेशा ही उसके दिमाग को शांत करा देता था। पर इस वक्त ऐसा कुछ नही हो रहा था। उसने देखा की कबीर ने अपना कोट उतार कर बेकद्री से बैड पर यूहीं फेक दिया है। अगले ही पल कबीर ने अपने बाल को खराब कर दिया और अपने जूते उतार के इधर-उधर यूं ही फेंक दिए। यह देखकर अमायरा की आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। वोह यह समझ रही थी कि कबीर जानबूझकर कुछ दिखाने की कोशिश कर रहा ताकी अगर किसी ने दरवाज़ा खटखटाया तोह वोह कबीर को देख कर कुछ और ही समझ ले और फिर शायद दुबारा कोई डिस्टर्ब करने न आए। इसका मतलब उसे जल्द से जल्द यहां से निकलना होगा।

पर अब मैं क्या ही कर सकती हूं? मैने उन्हे पहली ही बार में चांस देने के लिए राज़ी क्यों हो गई?

जो गाना रेडियो पर चल रहा था वोह अमायरा का फेवरेट था लेकिन वोही गाना आज उसे इरिटेट कर रहा था।

जी भर के तड़पा ले, जी भर के वार कर
सबकुछ गवारा है थोड़ा सा प्यार कर

कबीर गाने के बोल के साथ गुनगुना रहा था। वोह लगातार अमायरा की तरफ ही देख रहा था। अमयर अनकंफर्टेबल हो रही थी।

उसे बिलकुल समझ नही आ रहा था की वोह अब क्या करे। उसके पति मिस्टर मैहरा उसे चारों तरफ से घेर रखा था।

मैं इनमें से कोई भी चीज़ नही कर सकती। मैंने इन्हे हां ही क्यों किया जब मैं नही चाहती थी? पर अगर इन्होंने मुझे बाहर जाने नही दिया तोह। साहिल और दी मुझे बहुत चिढ़ाएंगे। और बाकी सब मुझ पर हसेंगे। यह सही नही है। वोह ज्यादा ही मेरे बॉस बन रहें हैं। वोह जो चाहे वोह मैं करूंगी क्या? मैं उन्हे इस तरह से जितने नही दे सकती। पर वोह तोह बाद में, अभी मैं क्या करूं? अगर मैने दोनो में से कोई एक चीज़ नही की तोह यह मुझे बाहर जाने नही देंगे। पर मैं इन्हें कबीर नही बुलाऊंगी। इट्स टू पर्सनल। मुझे इनसे थोड़ी दूरी बना कर ही रखनी है, इनके लिए मिस्टर खडूस मैहरा ही सबसे अच्छा नाम है।
तोह फिर गले लग जाऊं? यह भी तोह पर्सनल है। मैं उन्हे अब ऐसे ही गले नही लगा सकती। हां, मैने पहले भी इन्हे कई बार गले लगाया है लेकिन तब इन्होंने कभी फोर्स नही किया होता था। तब इसलिए होता यह क्योंकि उस समय मुझे उनका सपोर्ट चाहिए होता था। इसका मतलब क्या यह है की जब मुझे सपोर्ट की जरूरत होती थी तोह मैं गले लगा लेती थी, अब यह चाहते हैं की मैं गले लगूं तो मैं इंकार कर रही हूं। क्या मैं सेलफिश हूं? नही। सेलफिश नही हूं। वोह बस मेरे डर को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
ओह यह सिर्फ एक हग ही तोह है। अभी इससे आज़ादी पा ही लेते हैं और बाद का बाद में सोचेंगे।
मुझे लगता है इन्हे गले लगाना ही सही रहेगा। हमने पहले भी तोह एक दूसरे को गले लगाया है तो आज क्या नया या अलग हो जायेगा?

बहुत सोच विचार करने के बाद उसने अपना मन बनाया और कबीर की तरफ बढ़ गई, जो इस वक्त शीशे के सामने खड़े अपने सलीके से बने हुए हेयरस्टायल को बिगाड़ने में बिज़ी था। कबीर ने अमायरा को पास आते देखा लेकिन पर वोह अपना जरूरी काम करता रहा अपने बाल खुद बिगड़ने का।

"उउह्ह्ह..... मिस्टर मैहरा।" बहुत मुश्किल से अमायरा के मुंह से आवाज़ निकली।

"यस मिसिस मैहरा।" कबीर उसे देखने के लिए पीछे पलट गया। "तोह तुमने डिसाइड कर लिया है की मुझे मिस्टर मैहरा ही बुलाओगी, इसका मतलब यह है की तुम मुझे हग करोगी अभी। सही कह रहा हूं ना?" कबीर ने पूछा और अमायरा की सांसे अटकने लगी।

"कम ऑन अमायरा। तुम कर सकती हो। इतना आसान तोह है।" कबीर उसे इनकरेज कर रहा था।

अमायरा ने अपना एक कदम और आगे बढ़ाया। कबीर अपनी जगह से नही हिला, वोह वहीं खड़ा रहा। कबीर जनता था की वोह थोड़ा कठोर हो रहा है लेकिन वोह चाहता था की अमायरा अपने फ्रेंड ज़ोन से बाहर आ जाए। वोह जनता था की अमायरा को इसके लिए थोड़ा पुश की जरूरत है, और वो वोह सबकुछ करने को तैयार था। अभी के लिए तोह सिर्फ एक छोटा सा हग है लेकिन इन दोनो के आगे के रिलेशन के लिए एक जरूरी कदम है। हग नही, बल्कि अमायरा का खुद से आगे बढ़ कर करना जरूरी कदम है भले ही वोह बहुत ना नुकुर कर चुकी थी। अमायरा के पास ऑप्शन था की वोह कबीर को गले ना लगाए, पर फिर भी उसने यही ऑप्शन चुना। और अब इस वक्त कबीर को कोई फर्क नही पड़ता था की वोह थोड़ा बॉसी और पुशी हो रहा है।
अपनी बढ़ती हुई धड़कनों के साथ अमायरा ने दो और कदम बढ़ाए और कबीर को हल्का सा हग कर पीछे हटने लगी की कबीर ने अपनी बाहें उसकी कमर पर रख दी। बहुत ही सहजता से कबीर ने उसे अपनी बाहों में भर लिया था।

"छोड़िए मुझे," अमायरा ने कहा।

"अभी नही।"














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