Mahila Purusho me takraav kyo ? - 14 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 14 - पुरूषों को शक की बिमारी क्यों होत

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 14 - पुरूषों को शक की बिमारी क्यों होत

केतकी व अभय में आपस में बात चीत चल रही थी, केतकी अभय के प्रश्नों से दुःखी थी । उसी समय सामने से अपने भाई को आते देख .. केतकी बोली.. भाई मै यहां हूँ ..इधर आजाओ ..चलो.. मैं मंदिर दिखाती हूँ .. अभय ने अपने साले को देखकर कहा ..आप कहां रह गये थे ..? केतकी जाते हुए अभय की तरफ देखकर बोली.. मै भाई से ही बात कर रही थी ..इसको जब अपने साथ नहीं देखा तो मुझे फिकर हो गयी थी .. अभय मन ही मन सोचने लगा भाई से बात कर रही थी किन्तु यह तो कह रही थी मैं तुुमसे बहुत प्यार करती हूँ ..तुम्हारे बिना मेरा मन लग रहा .. यह कुछ छुपा तो नही रही ..फिर मुझसे इसका यूं बेरूखापन.. रात में इसने मेरे सामने कैसी कैसी शर्ते रखी .. मेरे साथ में मुम्बई मे रहना होगा , या फिर अलग से कोई मकान या फ्लेट लेना होगा मैं तुम्हारे मम्मी पापा के साथ नही रहुंगी ..ये शर्ते यदि मानो तो हमारा रिश्ता आगे बढेगा
.. ऐसा सोचते सोचते अभय मंदिर से बाहर आगया ।
केतकी ने अपने भाई को मंदिर में चारों तरफ घुमाया और पूछा कैसा लगा ..उसने हाथ से इशारा कर बताया कि अच्छा लगा ..
थोड़ी देर बाद ..
सभी अपनी अपनी गाड़ियों के पास आगये ..केतकी की सास केतकी के सिर पर हाथ रखकर बोली ..बस अब दादी बनूंगी तब फिर तुम्हें लेकर आऊंगी ..केतकी ने नजरे नीची कर ली और अगर बगल देखने लगी .. मन ही मन सोचने लगी .. अब ये दादी बनने की सोचने लगी है हमारा तो अभी मेल ही नही हुआ, कितने सपने देखे थे सब चूर चूर हो गये । सोचा था कहीं विदेश में हनीमून के लिए जायेंगे ..यह भी सही है फौजी को कहां छुट्टी मिलती है ..बीजा बन भी जायेगा तो फौज से परमीसन लेनी होगी ..फौज के भी अपने कानून हैं ..खैर अब आगे सब ठीक हो .. अभय की चोट ठीक हो जाये .. वैसे अभय बहुत सीधा सादा लगता है.. इसे छेड़ने में बड़ा मजा आता है .. इसकी निगाह मुझे ही ढूंढती रहती है ..ऐसा सोच मन ही मन खुश होते हुए मुस्कुराई..इतने मे ही
अभय का पापा बोला ..चलो चलो अब गाड़ियों में बैठो ..ड्राईवर को इशारा किया ..आजा भाई अब तू किसकी राह देख रहा है? .. केतकी की सास बोली ..हां हां बैठो बैठो ..
सालासर से सभी रवाना हो गये ..
करीब दो घंटे बाद सकुशल सभी घर पहुंच गये । अगले दिन .. केतकी को पीहर जाना था ।
केतकी के पीहर लौटने की तैयारियां होने लगी
बुआ केतकी के सामान को जमा रही थी ..केतकी भी बुआजी के साथ अपना सामान जमा रही थी ..बुआ बोली ज्यादा साड़ियां लेजाकर क्या करेगी ..वहां तो तुम साड़ी थोड़े ही पहनेगी ? ..वे साड़ी बेस रख ले जो यहां तुम्हें परिवार की महिलाओं ने व भाभी ने दी है .. उधर केतकी के साथ जाने के लिए अभय के पापा ने अभय से कहा ..अभय तुम भी साथ जाओगे तो तेरे सास ससुर की चिंता दूर होगी ..वे सोच रहें होंगे एक्सीडेंट मे कहां कहां लगी होगी .. ठीक है पापा मै भी चला जाता हूँ
केतकी के साथ अभय भी जाने की तैयारी करने लगा ..
उधर केतकी के पीहर में बेटी की राह देख रही केतकी मा खुश नजर आ रही थी । केतकी की एक सहेली कजरी भी अपने ससुराल से आई हुई थी ..जब उसे पता चला कि केतकी आ रही है..तो..वह भी काफी उत्साहित थी ... कजरी केतकी की सहपाठी थी..वह केतकी की शादी मे नही आसकी थी.. कजरी कॉलेज मे अपनी नेतागिरी से हमेशा सुर्खियों मे रहती थी । उसकी शादी एक वकील से हुई थी , उसका ससुर एमएलए रह चुका था , कजरी को अपनी खुद की प्रकृति के अनुरूप ससुराल मिली थी । वह खुश थी अपने ससुराल को लेकर । कजरी अपना एक एंजिओ भी चलाती थी .. वह अधिकतर अपने कार्यों में व्यस्त रहती थी ..कजरी प्रेग्नेंट थी इस लिए अपने पीहर मे कुछ महिनों के लिए आई थी । वह सोच रही थी कि अब पीहर में मन कैसे लगेगा ? किन्तु जब केतकी के आने की बात सुनी तो खुश हो गयी..