Exploring east india and Bhutan... - Part 7 in Hindi Travel stories by Arun Singla books and stories PDF | Exploring east india and Bhutan... - Part 7

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Exploring east india and Bhutan... - Part 7

Exploring East India and Bhutan-Chapter -7

आज हम जल्द ही होटल वापिस आ गये थे, क्योंकि आज पूरा आराम करने का इरादा था. अपने रूम में आ कर में दोनों पैर मेज पर पसार कर बेठा ही था, की विनीता मेरे पास अपनी कुर्सी खिसका कर ले आई.

“चलो तुम्हे मानसी की बारे में मजेदार बातें बताती हूँ”  विनीता अपने आप को रोक नही पा रही थी

“SHOOT” मेने कहा

“ये तो तम्हे पता ही है की, ये दिल्ली की रहने वाली है व् एक न्यूज़ चैनेल में जॉब करती है, हालांकि इसे जॉब करने की कोई भी जरुरत नही है, तुम पूछोगे क्यों?, क्योंकि, इसके पापा एक बड़े बिज़नसमेन हैं और उनके दिल्ली में ज्युलेरी के तीन शो रूम हैं, जाहिर है, ये काफी आमिर हैं. मानसी उनकी इकलोती संतान होने के कारण, इसके पापा चाहते थे, की ये फेमली बिज़नस में आये, और वे इसी लिए मानसी को लन्दन से MBA करवाने चाहते थे, परन्तु मानसी की फेमली बिज़नस में कोई रुची नही थी, तो इसने MBA करने से इनकार कर दिया और फिर काफी जदोजहद और वो सारे तरीके अजमाने के बाद जो युवा बच्चे अपने पेरेंट्स पर अजमाते हैं, उसे  DU (Delhi University) से Journalism and mass media/communication course करने की इजाजत मिल गई, हालाँकि ये बात आजतक इसके पापा के गले से नीचे नही उतरी है, परन्तु मानसी की मम्मी, पापा और बेटी के बीच ब्रिज का काम करती है ’’

“Interesting” आगे चलो

“ ये बहुत जिद्दी व् धुन की पक्की है, अब तक ये तो तुम्हे भी मालूम हो चुका होगा, और मानसी की जिद है कि “में अपने बल बूते पर कुछ कर के दिखाना चाहती हूँ ”

“Good”

“मुझे किसी और को नही अपने आपको Prove करके दिखाना है, I Love Challenges, मानसी ऐसा बोलती है ”

“और ये बात खुद मानसी ने तुम्हे बताई “

“तो और कोन बताता “

“तुम्हारा क्या पता, तुम कुछ भी कर सकती हो “ मुझे कोई जवाब ना सुझा

“ सबसे मजेदार बात ये है कि अब तक इसका कोई boyfriend भी नही है”

“इसमें मजेदार क्या है “ मेने चुटकी ली

“ अच्छा तो ठीक है, अब में कुछ नही बताती, मुझसे पूछना भी मत“ कह कर विनीता कुर्सी से उठ कर बिस्तर  पर जा कर लेट गई, फिर थोड़ा रूठना मनाना चला

“बात निकालने में तुम्हारा कोई सानी नही “ मेने मक्खन लगया

“लगाते रहो“ विनीता ने मुहं बना कर कहा

“ना जाने तुम्हारे व्यक्तित्व में कोई  जादू है, या तुम्हारे चेहरे की मासूमियत, भोलापन की सामने वाला तुरंत तुम पर विश्वास कर लेता है, और पल भर में अपने सीक्रेट उगल देता है“ मेने सच्चाई ब्यान की

“काफी है“ विनीता मुस्कराई, और मेरे पास आ कर बेठ गई .

 

और बातों का  सिलसला फिर अपनी राह पर चल पड़ा

“ मानसी एक स्टोरी  पर काम कर रही है”

“किस स्टोरी पर “

“टोको मत, मानसी का कहना है, इंडिया विश्व की सबसे बड़ी मार्किट है, और इस पर कब्ज़ा करने के लिए कुछ विकसित देश षड्यंत्र कर रहे हैं “

“ षड्यंत्र नही बिज़नेस कम्पीटीशन“ मेने फिर टोका

“एक तो ये मेरे नही मानसी के विचार हे, और वेसे भी बिज़नेस कम्पीटीशन Healthy होना चाहिए, एकदम ट्रांसपेरेंट, खेर मानसी का कहना है की ये षड्यंत्र  सुयोजनित तरीके से किया जा रहा है”

“और वो केसे”

“ इंडिया में टीवी शोज, OTT, और ब्यूटी कम्पीटीशन शोज द्वारा “

 “अच्छा, ये सब षड्यंत्र है” मेने  हेरानी से कहा

“अब तुमने बीच  में टांग अडाई तो, टांग की छोड़ो  तुम्हारी खेर नही “

“Done, आगे चलो “

मानसी का कहना है की “आजकल लगभग सभी रियल्टी टीवी शोज में विनर predecided, एक ओसत आय वाला, ग्रामीण पृष्ठभूमी वाला या लोअर इनकम  वाला होता है. यह सब  यह क्यों है, कभी  इस पर विचार किया है”.

मानसी के शब्दों में :

“मुझे बताओ ज्यादातर, क्यों दूसरी और तीसरी दुनिया के देश की लडकियां  सौंदर्य प्रतियोगिता जीतती हैं ? इसका एक ही उत्तर है- उपभोक्तावाद और व्यापार. क्यकि पश्चिमी दुनिया में उपभोक्तावाद चरम पर है, और इन देशों में उपभोक्तावाद और व्यापार के आगे बढ़ने की बहुत गुंजाइश नहीं बची है. आप यह जान कर हेरान होंगे की अभी तक सिर्फ दो फ्रेंच महिलाओं को मिस यूनिवर्स का ताज पहनाया गया है, जबकि सत्रहवीं शताब्दी से पेरिस दुनिया की फैशन राजधानी रहा है. और भारत ने यह खिताब  1994 1997 1999 2000  2017 2021  में जीता.

 

इंडिया ने आजाद होने के बाद दुसरा खिताब वर्ष 1994 जीता में यानी 1991 में देश द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था को विदेशी कंपनियों के लिए खोलने के केवल तीन साल बाद, और फिर यह सिलसला लगातार चलता रहा. ये  देश जानते है, वास्तव में भारत  सौंदर्य प्रसाधन उद्योग के अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों के लिए एक बड़ा बाजार है.”

“आज भारत में  सौंदर्य प्रसाधन उद्योग का बाजार मूल्य 15 बिलियन डॉलर से अधिक है. आप जानते है भारत में ग्रामीण एफएमसीजी बाजार का आकार लगभग 23.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है और ये बढता ही जा रहा है . यह एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है भारतीय बाज़ार पर कब्ज़ा करने के लिए, मेने इस बारे में पुरी खोज बीन

की है, और आगे खोजबीन के लिए वह विदेश जाना चाहती हूँ, मेने इस स्टोरी पर बहुत मेहनत की है.”

 

विनीता ने सब बता कर, मेरी तरफ देखा, कि मुझ पर क्या असर हुआ है .

“बात में दम है, ग्रेट आईडिया “ मेरे मुहं से निकला

“मुझे  भी यही लगता है “ विनीता ने कहा

“तो दिक्कत क्या है, वह तो काम ही न्यूज़ चैनेल में करती है, अपने एडिटर को बोले और टीवी पर दिखा दे, सारी दुनिया जान जायेगी “ मेने कहा

“और ये बात उसे सूझी ही नहीं, वाह क्या ज्ञान दिया है “

“और क्या बात हो सकती है “ में खिसयाया

“ मानसी का कहना है उसकी एडिटर से नही बनती, क्योंकि वह उसकी चापलूसी नही करती, ना ही उसे  करने की जरूरत है, इसलिए एडिटर उसे कभी ये स्टोरी नही करने देगा”

“फिर भी क्या दिक्कत है, एडिटर ज्यादा से ज्यादा उसे विदेश नही जाने देगा, वह मालदार बाप की ओलाद है, अपने पेसे से विदेश हो आये”

“ये बात भी नही है”

“तो फिर क्या बात है“

“उसने एक बार पहले भी एक स्टोरी पर काम किया था, और एडिटर को अपनी स्टोरी दे दी थे, जो उसने अपने चापलूस जर्नलिस्ट को बता दी, और वह स्टोरी उसी जर्नलिस्ट के नाम से टीवी पर दिखाई गई, अब  वह यह गलती दोहराना नही चाहती “

“तो उसने क्या सोचा है, ये भी बता दो “

“वह सीधे चेनेल के मालिक से मिलना चाहती है, बात करना चाहती है, और इसी सिलसले में उससे मिलने जा रही है “

 तो ये किस्सा था.

“और ये जनाब याने मालिक रहते कहां हैं “

अब मुझे नींद आ रही है, बोल कर वह बिस्तर में घुस गई, मेने भी विरोध नही किया, क्यों आप नही समझे , इतने नादान तो नही लगते. मेरे अरमानों ने  तुरंत अंगडाई ली और मेने तुरंत बिस्तर में प्रवेश करना चाहा, परन्तु अभी घुसा भी नही था की किसी ने दरवाजा खटखटाया, या खुदा अभी मिलन की घड़ी  में देरी थी

“कोन” मेने आवाज लगाई

“मानसी “ आवाज आई

“सब ठीक है “ मेने दरवाजा खोलते हुए पूछा,” अब तक विनीता भी उठ कर बेठ गई थी

“इधर आ कर बेठो “ विनीता ने उसके लिए जगह बनाते हुए कहा

“ रात  काफी हो गई है तो में सीधे  मुद्दे पर आती हूँ, मानसी ने विनीता के साथ बिस्तर पर बैठते हुए कहा

“भैया में अपनी यात्रा पर आर्टिकल्स एक मैगजीन को भेज रही हूँ, अभी  में दार्जीलिंग के बारे आर्टिकल तेयार कर ही रही थी, तो मुझे महसूस हुआ मेने दार्जीलिंग घुमते हुए एक दो व्यू पॉइंट्स मिस कर दिए”

“कोन से पॉइंट्स”

“आप जानते ही हैं, दर्जीक्लिंग की चाय और दार्जीलिंग रेल विश्व भर में बहुत मशहूर हैं, पर क्या कहूँ, मेने दोनों मिस कर दिए”

“हो जाता है” विनीता ने दिलासा दिया

“आप जरुर दोनों जगह गए होंगे, मुझे विश्वास है, प्लीज़ मुझे दोनों के बार मे थोड़ा- थोड़ा बताएं. “ 

“अवश्य वत्स, सुनो “ मेने मुस्कराते हुए और उसके विश्वास पर खरा उतरते हुए कहा

मानसी के साथ – साथ आप भी जरा अपनी जानकारी बड़ा लें या ताजा कर लें :

TEA GARDEN, Darjeeling, west Bengal india

दार्जिलिंग को चाय उत्पादन का मक्का कहा जाता है. इसलिए यहाँ की चाय,  को चाय की शैम्पेन (Champagne of Teas) कहा जाता है . "दार्जिलिंग में लगभाग 80 चाय के  बागान हैं.

यहाँ की चाय यानी दार्जीलिंग टी को ज्यादातर निर्यात किया जाता है. इसे काली, हरी और सफेद चाय के रूप में प्रोसेस किया जाता है.  इसे अच्छी तरह से पीसा  (BREWED) जाता है तो यह thin-bodied, light-coloured वाली चाय के रूप में उभर कर आती है, जिसमे एक महक, एक सुगंध होती है.

परंपरागत रूप से, दार्जिलिंग चाय को काली चाय के रूप में बनाया जाता है, परन्तु अब  दार्जिलिंग में  हरी चाय का ज्यादा उत्पादन होता है, और कई टी एस्ट्रेट्स सफेद चाय का उत्पादन भी कर रहे हैं.

बगान में श्रमिक दोनों हाथों से चाय  के पते, पोधे से चुनते है, व् उनको मजदूरी पतियों के भार के अनुसार मिलती है. चाय के पोधे से चार बार पतियाँ चुनी जाती है, और ज्यादातर दुसरी  बार की चुनी पतियाँ जो गुणवता में सबसे बढिया होती है, उसे बड़े व्यवसायिक घराने ले जाते हैं, जो चाय का व्यापार करते हैं.  

 

TEA GARDEN में स्टे के लिए श्रमिकों और ग्रामीणों ने अपने घरों को कम बजट पर पर्यटकों के लिए होम स्टे का इंतजाम किया हुआ है. हालांकि लक्जरी वर्ग के लिए, स्टे, स्थानान्तरण, भोजन, दर्शनीय स्थलों का पैकेज भी है .

“काफी है या और ELOBRATE के जरुरत है “ मेने जानना चाहा

“ काफी है बस अब दार्जीलिंग ट्रेन के बारे में और बता दो तो आप का भी पीछा मुझ से छूटे,” उसने मुझे व् विनीता को शरारती नजर से दीखते हुए कहा

“ तो अब ट्रेन की सवारी करो “ मेने उसकी शरारत को नजर अंदाज़ करते हुए कहा

 

The Darjeeling Himalayan Railway, Darjeeling WEST BENGAL INDIA

दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, जिसे डीएचआर या टॉय ट्रेन के रूप में भी जाना जाता है, 1879 और 1881 के बीच निर्मित हुई . यह ट्रेन न्यू जलपाईगुड़ी से जिसकी समुद्र तल से उचाई लगभग 328 ft है और दार्जिलिंग जिसकी समुद्र तल से उचाई लगभग 7,218ft है, के बीच चलती है, और लगभग 88 KM की दूरी तय करती है. ट्रेन सुबह 9 बजे चलती  होती है, और लगभग 3 बजे दार्जिलिंग पहुँचती है.

ट्रेन को लगभग 88 km की दूरी तय करते हुए 7404 ft की ऊंचाई तक चढ़ना पड़ता है, रास्ते में तेज ढ़लान, मोड़ और तीन loop आतें है.  प्रसिद्ध बाटासिया लूप में ट्रेन घूम कर एक पूरा सर्कल बनाती हुई, सबसे ऊँचे स्थान यानी घूम नाम के स्टेशन  पर पहुंचती है, जिसकी उचाई 7,404 ft है.  Ghum यह एशिया का सबसे ऊंचा,  और दुनिया का बाईसवा(22)  सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन है. 2 दिसंबर 1999 को, यूनेस्को ने इसेको विश्व विरासत स्थल घोषित किया था.

ट्रेन में प्रथम श्रेणी के कोच हैं, आप को इस की बुकिंग पहले से online करवा लेनी चाहिए वरना स्टेशन पर जा कर बुकिंग करवाने से समय भी बर्बाद होता है व् अक्सर टिकेट भी नहीं मिलती . ट्रेन दर्शनीय पर्वतीय मार्गों से होकर,  दार्जीलिंग शहर के बीच से गुजरती है, और ट्रेन से दार्जीलिंग शहर का भ्रमण, सुंदर  बाज़ार, सड़कों  पर घुमते  हुए पर्यटक व् स्थानीय लोगों को देखना सुखद लगता है. आगे रास्ते में पहाड़ों, घाटियों, जंगलों, चाय के बागानों और स्थानीय गांवों के लुभावने दृश्य दिखाई देते हैं. एक तरफ बर्फ से ढके कंचनजंगा पर्वत के सुंदर दृश्य दुसरी तरफ मनमोहक प्रक्रति के नजारे,  आप आनद विभोर हो जाते हैं, और यह एक  यादगार सफ़र बन जाता है .

न्यू जलपाईगुड़ी से से दार्जिलिंग मार्ग के लिए, पहले भाप इंजन का प्रयोग होता था, जिसे अब डीजल इंजन से बदल दिया गया है,  भांप वाला इंजन  डीज़ल से चलने वाली TOY ट्रेन से 10 घंटे से अधिक समय लेता था.

मार्क ट्वेन एक बार 1896 में दार्जिलिंग आये थे , और इस ट्रेन से यात्रा की थी , यहाँ की ट्रेन यात्रा के बारे में अपने किताब में लिखा है:  "यह पृथ्वी पर बिताए सबसे सुखद दिन हैं"

मेने बात पुरी करके एक गहरी सांस ली, और मानसी की तरफ बेचेन नजरों से देखा

“थैंक्यू“ कहती हुई वह कमरे से दोड गई

विनीता ने घूरते हुए मुझ पर तकिया दे मारा, मेने उसे संभलने का मोका दिए बिना बाहों में जकड लिया .

कल गंगटोक जाना है, सुबह के लिए तेयार रहना, गंगटोक में मिलेंगे.