Forgotten sour sweet memories - 13 in Hindi Biography by Kishanlal Sharma books and stories PDF | भूली बिसरी खट्टी मिठी यादे - 13

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भूली बिसरी खट्टी मिठी यादे - 13

इसलिए मुझे जो पगार मिलती थी।उसी में हम लोगो का गुजारा होता था।आम आदमी या मिडिल क्लास के लिए हमेशा ही महंगाई एक समस्या रही है।
यहां मैं एक बात और बता दूं।मेरे किसी भी रिश्तेदार ने मतलब ताऊजी या और कोई न भी फिर पीछे मुड़कर नही देखा।तेरहवीं के बाद गए तो फिर नही आये।मेरे मामा भी उनकी तो जिम्मेदारी थी अपनी बहन के प्रति पर ना वे आये। आगे बढ़ने से पहले कुछ और घटनाये।
मेरे कजिन इन्द्र की सगाई हो गयी थी।उस समय मेरे पिताजी आबूरोड में ही पोस्ट थे।मेरे पिताजी ताईजी को बहुत मानते थे।इसकी वजह थी।जब पिताजी दो या तीन साल के रहे होंगे तभी पिताजी के माता पिता का देहांत हो गया था।तब ताईजी ने ही उन्हें पाला था।इसलिए पिताजी ताईजी को भाभी नही माँ के रूप में मानते थे।कोई भी परेशानी या बात होती तब ताईजी पिताजी को ही बुलाती थी।ताऊजी जरा रंगीन मिजाज के भी रहे थे। ताऊजी में और पिताजी की उम्र में काफी अंतर था।ताऊजी का रोब था।सब डरते थे।लेकिन पिताजी से ताऊजी घबराते थे।
ताऊजी ने पिताजी को बिना बताए इन्द्र का रिश्ता तय कर दिया।इन्द्र के लिए गढ़ी से रिश्ता आया था।उनका होने वाले ससुर कांग्रेस पार्टी का कार्य कर्ता था।ताऊजी जब लड़की देखने गए तो उसने अपने घर के बाहर कई जीप और लोग इखट्टे कर लिए।ताऊजी इससे बड़े प्रभावित हुए और रिश्ता कर आये।
सगाई से पहले मै बांदीकुई आ गया था।जिस दिन सगाई थी उस दिन रात को 6 डाउन ट्रेन से पिताजी के साथ माँ और भाई बहन को आना था।
सगाई वाले दिन काफी रिश्तेदार आ चुके थे।7 अप पैसेंजर जो आगरा से जोधपुर के बीच चलती थी।उस से लड़की का बड़ा भाई आया।अपने साथ फल मिठाई आदि लाया था।
रिश्ता जब पक्का होता है उस समय मिलनी की रश्म भी होती है।चूंकि रिश्ता ताऊजी और ताईजी जाकर कर आये थे।और कोई साथ नही गया था और लड़की वाले लड़का रोकने के लिए भी नही आये थे।इसलिए मिलनी की रश्म नही हुई थी।सगाई का समय शाम का था।मेरे ताऊजी देवी सहाय अड गए कि पहले मिलनी की रश्म होगी उसके बाद सगाई।और फिर रिश्तेदार की लिस्ट बनाई गई और कुल 151 रु मिलनी के हो गए।शाम को सगाई हुई उसमे कुल 251 रु दिए गए थे।और ताऊजी बड़े नाराज हुए।उस समय पूरा बांदीकुई ताऊजी को जानता था। बस वो एक ही रट लगाए रहे,"रिश्ता केंसिल कर दो।लोग क्या कहेंगे।के एल शर्मा के लड़के की सगाई में सिर्फ 251 रु आये है।"
दूसरे रिश्तेदारों ने समझाया,"रामपाल को आ जाने दो।"
और उस रात कोई सो नही पाया।रात को करीब 3 बजे ट्रेन आती थी।मैं और शायद और कोई स्टेशन गए थे।रात को पिताजी को जब सब बात बताई गई तब पिताजी ताऊजी पर बहुत नाराज हुए और बोले,"रिश्ता तय करते समय मुझे क्यो नही बुलाया।"
पिताजी ने ताऊजी के रिश्ता केंसल करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। और तय दिन बरात गढ़ी जे लिए रवाना हुई थी।उन दिनों में लड़कियों को बरात में ले जाने की प्रथा शुरू नही हुई थी।
पिताजी व्यवहार कुशल के साथ किस तरह काम करवाना है उसमें माहिर थे।