akbar birbal ke kisse in Hindi Motivational Stories by destiny patel books and stories PDF | अकबर बीरबल के किस्से

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अकबर बीरबल के किस्से

अकबर बीरबल के किस्से और कहानी (akbar birbal ke kisse aur kahani) काफी ही बेहतरीन कहानी में से एक होती है। अकबर बीरबल के किस्से को पढ़ने में बहुत मजा आता है।

अकबर बीरबल के किस्से और कहानी (akbar birbal ke kisse aur kahani) को आज भी पढ़ा और पसंद किया जाता है। यहाँ पर हमने आपके लिए अच्छी अकबर बीरबल के किस्से को लिखा है।

अकबर बीरबल के किस्से (akbar birbal ke kisse) को पढ़ने से ज्ञान भी बढ़ता है। हमने अकबर बीरबल की कहानी भी लिखी है। अकबर बीरबल की कहानी हमने हिंदी में लिखा है।

अकबर का आदेश akbar birbal ke kisse
एक बार की बात है। महल के एक दिवार का चूना उखड गया। इसके साथ ही उसकी सफाई भी नहीं हुई थी। इस पर बादशाह अकबर की नजर पड़ गई।

उन्हें इस पर बहुत गुस्सा आया। बादशाह अकबर ने देख-रेख करने वाले नौकर को बुलाय। गुस्से में बादशाह अकबर ने उस नौकर को आदेश दिया, जाकर बाजार से चूना लेकर आओ, उस चुने को मैं तुम्हे पीलाऊगा तब जाकर तुम ऐसी गलती दोबारा नहीं करोगे।

नौकर कांपते हुए बाजार की ओर जाने लगा। उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? अगर वह चूना नहीं पीता है तो उसको बादशाह अकबर कड़ी से कड़ी सजा देंगे।

वही अगर चूना को पी ले तो फिर उसकी मौत ही हो जाएगी। यही सब सोचते हुए वह नौकर बाजार की ओर जा रहा था।

उस नौकर को रास्ते में बीरबल मिल गए। उस नौकर ने बीरबल को सब कुछ बताया। नौकर की बात सुनने के बाद बीरबल ने नौकर को कुछ समझाया और उसे भेज दिया।

कुछ समय के बाद नौकर बाजार से चूना से भरा एक मटका लेकर आया। बादशाह अकबर ने नौकर को आदेश दिया कि इस चूने को पिलो।

नौकर बादशाह अकबर का आदेश सुनकर चूनाको पीना शुरू कर दिया। वह नौकर लगातार चूना को पीता जा रहा था।

 

बादशाह अकबर के मन में ख्याल आया कि अगर यह ज्यादा चूना को पिलेगा तो मर भी सकता है। इसलिए बादशाह अकबर ने उसे रोक दिया।

फिर बादशाह अकबर सोचने लगे कि आखिर यह इतना चूना कैसे पी गया। उन्हें इस पर संदेह हुआ। जब उन्होंने चूना को देखा तो वह चूना नहीं था बल्कि वह मक्खन था।

बादशाह अकबर ने नौकर से कहा, तुम्हें यह करने का तरीका किसने दिया। अभी नौकर कुछ बोलता ही तभी वहाँ बीरबल आ खड़े हुए।

 

बीरबल ने कहा, इसको यह सब करने को मैंने ही कहा था। बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा, वाह बीरबल वाह! तुमने आज फिर अपनी बुद्धि से मुझे एक बड़ा पाप करने से रोक दिया।

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ईश्वर जो करता है, अच्छे के लिए करता है
एक बार की बात है। बादशाह अकबर और बीरबल शिकार पर गए हुए थे। शिकार करने के दौरान बादशाह अकबर के एक हाथ में चोट लगा गया। हाथ से बहुत खून भी गिरा।

बादशाह अकबर को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। बादशाह अकबर बोले यह मेरे साथ किया हुआ। इस पर बीरबल बोले ईश्वर जो कुछ भी करता है, अच्छा ही करता है।

यह बात बादशाह अकबर को अच्छी न लगी। उन्होंने सेना को आदेश दे दिया कि बीरबल को बंदी बना कर काल-कोठरी में डाल दिया जाए।

इसके बाद बादशाह अकबर अकेले शिकार के लिए चल दिए। कुछ दूर जाने के बाद उन्हें कुछ जंगली लोगो ने पकड़ लिया।

बादशाह अकबर को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा है। उन्होंने बादशाह अकबर को एक पेड़ से बाँध दिया।

 

उनके पास ही उन्होंने आग जाया। आग को जला कर वह कुछ करना शुरू कर दिया। इसके बाद उन जंगली लोगो में से एक बादशाह अकबर के पास तलवार लेकर बढ़ रहा था।

अब बादशाह अकबर को समझ में आ गया कि यह सब उनकी बलि चढ़ाने वाले है। वह इससे बहुत ज्यादा ही डर भी गए। उन्हें उनकी मौत नजर आ रही थी।

जब बलि देने वाला व्यक्ति बादशाह अकबर के हाथ को देख तो जोर-जोर से चिल्लाने लगा। वह बोल रहा था कि यह अशुद्ध है।

यह देखो इसका हाथ कटा है और खून भी आ रहा है। इसके कारण उन जंगली लोगो ने बादशाह अकबर को आजाद कर दिया।

आजाद होने के बाद बादशाह अकबर को बीरबल की याद आई। वह बीरबल के पास तेजी के साथ जा रहे थे। काफी देर पैदल चलने के बाद वह बीरबल के पास पूछ गए।

उन्होंने बीरबल को गले से लगा लिया। बादशाह अकबर ने बीरबल को सब कुछ बताया और कहा, तुमने सही कहा था ईश्वर जो करता है, अच्छे के लिए करता है।

इसके साथ ही मैं इसके लिए काफी शर्मिंदा हु कि मैंने तुम काल-कोठरी में बंद करवा दिया। इस पर बीरबल बोले, आप मुझे काल-कोठरी में बंद करके बहुत ही अच्छा किया।

 अगर मैं आपके साथ शिकार पर जाता तो वह मुझे ही बलि चढ़ा देते। यह सुनकर बादशाह अकबर मुस्करा दिया।

बादशाह अकबर के सवाल

बादशाह अकबर अपने दरबारियों की बुद्धि को अक्सर परीक्षा लिया करते थे। एक बार कि बात है। बादशाह अकबर ने सभी दरबारी से एक सवाल किया।

सवाल था कि बारह में से चार गए तो क्या बचा? यह सवाल सुनकर अधिकार दरबारी के मुँह से निकला आठ।

लेकिन हम सब जानते है कि बादशाह अकबर के सवाल इतने आसान नहीं हो सकते है। इसका जवाब कोई भी नहीं दे पा रहा था।

जब सभी दरबारी बोल चुके थे तब बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा, तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया।

बातो मेरे सवाल का जवाब क्या होगा? बीरबल ने कहा, जहाँपना! मेरे हिसाब से अगर बारह में से चार जाएगा तो कुछ नहीं बचेगा। बादशाह अकबर ने कहा, वह कैसे?

फिर बीरबल बोले, जहांपनाह! एक वर्ष में बारह महीने होते है। उन बारह महीने को हम चार महीनो में बाट देते है, गर्मी, बरसात और ठंडी।

अब अगर हम इसमें से चार महीने का बरसात निकल दे तो कुछ भी नहीं बच सकता है। बरसात न होने के कारण न तो खेती होगी, ना ही पीने को पानी होगा और न ही हम होंगे।

इसलिए ही मैंने कहा बारह में से चार निकाल दे तो कुछ भी नहीं बचेगा। यह जवाब सुनकर बादशाह अकबर बहुत खुश हुए। उन्होंने बीरबल को बहुत से उपहार दिए।

दरबारियों की समस्या

एक बार की बात है। बीरबल दरबार में पहुंचे। दरबार में सभी दरबारी मौजूद थे, साथ ही बादशाह अकबर से मिलने आए कुछ मेहमान भी मौजूद थे।

लेकिन दरबार में बादशाह अकबर मौजूद नहीं थे। सभी लोग बादशाह अकबर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

बीरबल भी बादशाह अकबर का इंतजार करने लगे। कुछ देर बाद एक नौकर आकर सभी को संदेश देता है कि बादशाह अकबर की माँ अब इस दुनिया में नहीं रही।

अंत सलामत को आने में कुछ देर हो जाएगा। यह सुनकर सभी का मुँह उदास हो गया।

फिर से कुछ देर के बाद दरबार में एक नौकर आता है और वह नौकर सभी को सन्देश देता है कि सलामत के घर में एक बच्चे का जन्म हुआ है। अंत उन्हें आने में कुछ देर हो सकती है।

दरबार में मौजूद सभी लोग सोचने लगे कि जब दरबार में बादशाह अकबर आए तो हमें क्या करना चाहिए? माँ के मौत के लिए रोना चाहिए या फिर बेटे के जन्म की ख़ुशी माननी चाहिए।

बीरबल ने इस समस्या को भी हल कर दिया। उन्होंने सभी से कहा, जब बादशाह अकबर दरबार में आए और जैसा वह करे हमें भी वैसा ही करना चाहिए।

अगर वह खुश होते है तो हमें भी खुश होना चाहिए और अगर वह रोते है तो हमें भी रोना चाहिए। कुछ समय के बाद है बादशाह अकबर दरबार में आए।

बादशाह अकबर के चेहरे पर मुस्कान थी। इसको देख दरबार के साथ लोग ख़ुशी मानाने लगे।

हम अच्छी से अच्छी कहानी लिखते है ताकि आप लोगो को कहानी पसंद आए।

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