Junoon - ishq ya badle ka.. - 29 in Hindi Love Stories by Princess books and stories PDF | जुनून - इश्क या बदले का... - 29

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जुनून - इश्क या बदले का... - 29

राजावत पैलेस...💞💞💞💞

अगले दिन आरव अपने रोज़ के रूटीन के अकॉडिंग एक घंटा जिम में बिताने के बाद , वो शावर लेने चला जाता है ।

सिमरन आज जल्दी रेडी होकर बिना ब्रेकफास्ट किए ही ऑफिस के लिए निकल जाती है । क्यों कि आरव ने उसे एक प्रोजेक्ट कि फाइल रेडी करने को दी थी , जो वो कल नहीं कर पाई थी जिसे वो ऑफिस जल्दी जाकर करने का सोचती हैं ।

आरव रेडी होकर नीचे आ जाता है , और डाइनिंग टेबल पर आके ब्रेकफास्ट करने बैठ जाता है , उसे डाइनिंग टेबल पर सब लोग दिखते है , लेकिन सिमरन नहीं ।वो बिना ज्यादा ध्यान दिए अपना ब्रेकफास्ट करने लगता है ।

पर दादी अपनी नजरे चारों ओर दौड़ाते हुए पूछती हैं , " सिमरन कहीं दिखाई नहीं दे रही , अभी भी वो सो रही है क्या "...? , फिर कुछ सोचते हुए आरव की तरफ देख कर ," जरूर मेरे इस नालायक , अड़ियल घोड़े ने उसे बोहोत सारा काम दिया होगा इसी लिए वो बेचारी अभी तक सो रही है ।"

आरव तो बस दादी को हैरानी से देखता ही रह गया । " Wow , मतलब करें कोई , और भरे कोई , हद है यार मतलब घोड़े , ऊंट , हाथी बेचकर वो सो रही हैं , और गालियों से मुझे नवाजा जा रहा है । मुझे तो समझ में ही नहीं आ रहा कि में इनका पोता हूं , कि वो इनकी पोती है । " , आरव मन ही मन सोचते हुए चीड़ रहा था ।

"actually , मा वो तो कब कि ऑफिस जा चुकी हैं , और वो भी बिना कुछ खाए ।" , प्रांजलि कहती है ।

" क्या ...? मेरी बच्ची बिना कुछ खाए पिए जली गई , और तुमने उसे ऐसे ही जाने दिया " , दादी अपनी नाराजगी जताते हुए कहती हैं ।

मैने कहा था उसे मा कि वो ब्रेकफास्ट करके जाए , पर वो मानी ही नहीं , और ये केहकर निकल गई के उसे कोई फाइल सबमिट करनी है ।

" अच्छा ठीक है " , दादी बेमन से केहकर अपना ब्रेकफास्ट करने लगती हैं ।

" आरव आज सिमरन को लंच करवा देना बेटा , पता नहीं बेचारी ने कुछ खाया होगा कि नहीं । " , प्रांजलि आरव को देखते हुए कहती है ।

आरव जो अपना मोबाईल फोन चलाते हुए खा रहा था , अपनी मोम की बात सुन कर चीड़ जाता है ।

और अपनी नज़रे उठा कर उन्हे देखते हुए , " मोम आपको क्या वो कोई दूध पिती हुई बच्ची नजर आती हैं , जिसे आप मुझे खाना खिलाने को बोल रहे हो , अगर उसे भूख लगेगी तो वो खुद जाकर खा लेगी ना , उसमे आप मुझे मत घसीटो प्लीज़ " , इतना कहकर वो अपनी जगह से उठ कर अपना कॉट और लैपटॉप बैग लेकर वहां से ऑफिस के लिए निकल जाता है ।

आरव को जाता हुआ देख प्रांजलि ने तो अपना सर पीट लिया । " अगर मे कुछ करने को कह रही हूं , तो उसके पीछे कोई तो रीजन होगा ना , पर ये बात इस गधे को कौन समझाए , इसे तो अपने गुस्से के आगे कुछ दिखाई ही नही देता , क्या करू मे इस लड़के का " , वो मन ही मन सोचती है ।
राठौड़ पैलेस...💞💞💞💞

दादी सा , बड़े पापा, बड़ी मा , प्रेम , मुस्कान , दिव्या , प्रिया सब लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ कर ब्रेकफास्ट कर रहे थे कि तभी अक्षय रेडी होकर डाइनिंग हॉल मे आ जाता है ।

दिव्या को छोड़ कर सब लोग उसे यहां देखकर हैरान थे । और अपनी अपनी जगह से खड़े हो जाते है ।

दादी सा हैरानी से खुश होते हुए , " अक्षय बेटा आप कब आए । "

" कल रात को ही D.S.( दादी सा ) कहते हुए उनके तरफ आकर उनके सामने खड़ा हो जाता है और दादी सा के पैर छूकर उन्हे गले लगाकर , " आप कैसी है D.S. ...? "

" हम ठीक है बेटा और आप बताइए कि आप कैसे हैं...? और घर में बाकी सब कैसे हैं...? " , वो अक्षय से अलग होते हुए पूछती हैं ।

अक्षय दादी सा के दोनों हाथों को अपने हाथों में लेते हुए , " मुझे क्या होना है D.S. , देखिए मे तो आप के सामने खड़ा हूं । और रही बात घर वालों कि तो वो सब ठीक है , और आप सब को बोहोत याद करते हैं ।

" और हम सब भी उन्हे मिस करते हैं , इसी लिए हमने सोचा है कि अंगद जैसे ही अपने बिजनेस ट्रिप से वापस आ जाएंगे तब हम उनकी और नियति ( अंगद कि गर्लफ्रेंड ) कि सगाई के लिए एक अच्छा सा मुहूर्त निकलवाकर उनकी सगाई करवा देंगे ताकि इसी बहाने हम सब सह परिवार आपस में मिले भी लेंगे । " , दादी सा सब कि और देखते हुए कहती हैं। उन कि बात सुनकर सब लोग खुश हो जाते है ।

अक्षय जाके बड़े पापा और बड़ी मा के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेता है और प्रेम , मुस्कान , प्रिया के गले लगने के बाद अपने लिए एक चेयर खींचकर बैठ जाता है । सब लोग बाते करते हुए अपना ब्रेकफास्ट कर रहे थे । तो वही दिव्या बिना कुछ बोले चुपचाप अपना ब्रेकफास्ट कर रही थी क्योंकि उसके दिमाग में तो कुछ और ही चल रही था ।

प्रेम दिव्या को इतना शांत देखकर काफी हैरान था , क्योंकि उसकी बड़बोली बहन इतनी शांत तो कभी नहीं रहती , जरूर कोई गड़बड़ है ।

" वैसे आज सूरज कोन सी दिशा से निकला है , जो मेरी नॉनस्टॉप बिना रुके बोलने वाली बहन आज इतनी चुपचाप बैठी है । " , प्रेम दिव्या कि टांग खिचते हुए कहता है।

प्रेम कि बात सुन दिव्या उसकी तरफ देखते हुए चिडकर, " सूरज तो अपनी दिशा से ही निकला है , जैसे वो रोज निकलता है , लेकिन हमे आपका समझ में नहीं आता , मतलब हम जब बोलते हैं , तो आप कहते हैं कि बोलती हि रहती हैं कि किसी को बोलने ही नहीं देती , और अब जब हम बिना कुछ बोले चुपचाप बैठे हैं । तब भी आप हमारी टांग खिचने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहे हो ।

आपसे तो हम बाद में बहस कर लेंगे , लेकिन अभी ( वो अपनी हाथ में पहनी वॉच को देखते हुए ) हम लेट हो रहे हैं , ऑफिस जाने के लिए । सो बाय " 😏, और मुंह बनाकर वहां से निकल जाती है ।

" प्रेम तुम भी ना , क्यों बिचारी को परेशान करते रहते हो " मुस्कान प्रेम से धीरे से फुसफुसाते हुए कहती है ।

प्रेम भी उसी तरह से , " दो ही तो बेटियां हैं , राठौड़ खानदान कि जिस मे से एक वो है जिनका अता , पता , ठिकाना कुछ पता नहीं होता किसी को , और दूसरी वो है जो किसी मेहमान से कम नहीं लगती , अब हमे रोज रोज कहां मौका मिलता है , कि हम अपनी बहनों कि टांग खिंचे , उन्हे परेशान करे , तो जब भी मौका मिलता है , तो हम उन्हे थोड़ा बोहोत तो परेशान कर ही सकते है ना । , इतना केहकर वो अपना ब्रेकफास्ट करने में लग जाता है ।

प्रेम कि बात सुन कर , मुस्कान तो बस अपना सर हिलाती हुई रह जाती हैं ।

प्रेम एक लॉयर है , तो वही मुस्कान ज्वेलरी डिज़ाइनर है , और प्रिया एक डॉक्टर है । दादी सा अपने देव गढ़ कि रियासत को संभालती हैं । क्योंकि उनके पोतों और पोतियों को देव गढ़ कि रियासत को संभाल ने में कोई इंट्रेस्ट नहीं था , सब लोग अपना ब्रेकफास्ट करके अपने अपने काम के लिए निकल जाते है । अक्षय भी अपने ऑफिस चला जाता है क्योंकि उसकी यहां भी अपनी एक कंपनी है ।

To be continued......