Dard e ishq - 34 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | दर्द ए इश्क - 34

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दर्द ए इश्क - 34

विकी बस अपने ही ख्यालों में गुम था! उसे समझ ही! नहीं आ रहा था कि! कैसे बीहेव करे! कई सारी भावनाएं एक साथ उमड़ रही थी!..। वह समझ ही नहीं पा रहा था की खुशी से हंसे!? इतने सालो के गम में रोए!? या फिर गुस्सा हो की स्तुति जिंदा होते हुए भी एक बार विकी से मिलने की कोशिश नहीं की! या फिर खुद पर गुस्सा हो! की वह जिंदा होते हुए भी उसे ढूंढ नहीं पाया! कैसी मोहब्बत है उसकी! जो वह उस लड़की को नहीं ढूंढ पाया जिससे वह इस दुनिया में सबसे ज्यादा चाहता है! । वह बस इसी ख्यालों में इतना डूब गया था! की उसे डोरबेल कब की बज रही थी वह सुनाई ही नहीं दे रही थी। सुलतान कमरे से निकलकर! जब देखता है तो विकी अभी भी अपनी जगह पर बैठा था। वह सिर को ना में हिलाते हुए! दरवाजे की ओर बढ़ते हुए खोलता है!। जब देखता है तो उसके आदमी थे! । वह फाइल को लेते हुए! कुछ बात करने के बाद दरवाजा बंद करते हुए सोफे की ओर आगे बढ़ता है। वह विकी के बगल बैठते हुए! कहता है।

सुलतान: विकी फाइल आ गई है ।
विकी: ( कापते हुए हाथ आगे करते हुए! ) ।
सुलतान: ( पहली उसके चेहरे की ओर देखने की कोशिश करता है लेकिन उसने मुंह दूसरी ओर कर रखा था। फिर एक गहरी सांस लेते हुए फाइल विकी के हाथ में रख देता है।) तुम ठीक हो!? पानी चाहिए!? ।
विकी: ( सिर को ना में हिलाते हुए जवाब देता । )



वह एक गहरी सांस लेते हुए! फाइल को खोलता है! जब उसकी नजर पहले पन्ने पर पड़ी थी! तो स्तुति की एक तस्वीर थी! एक पल के लिए तो मानो उसकी सांसे थम सी गई थी! वह स्तुति की तस्वीर पर हाथ फेरते हुए उसे प्यार भरी नजरो से देखे ही जा रहा था। फिर थोड़ी देर बाद जब उसकी नीचे वाली तस्वीर पर ध्यान जाता है तो वहां किसी और लड़की की तस्वीर थी! । जिसे वह शायद एक बार मिल चुका है! लेकिन वह याद नहीं कर पाता कहां!? फिर जब वह दूसरे पन्ने की ओर देखता है तो! वहां पे सारी डिटेल्स लिखी हुई थी । जिसमे स्मृति नाम लिखा हुआ था । नाम सुनते ही उसे एक झटका सा लगा क्योंकि वह फिर से पहले पन्ने को फेरते हुए देखता है तो याद आता है! । स्मृति! वहीं एयरहोस्टेस जिसे वह यूके से आने के बाद पहली बार मिला था । मानो जैसे उसके पांव तले जमीन खिसक गई थी। वह मेरी स्तुति नहीं हो सकती! क्योंकि होती तो मेरा दिल उसे पहचान लेता! नहीं ऐसा हो ही नहीं सकता । लेकिन फिर उसकी बाते जब याद आती है! तो विकी को एक और बड़ा झटका लगता है। क्योंकि उसकी बाते बिलकुल स्तुति जैसी ही थी। या फिर यूं कहूं मेरी स्तुति थी मेरी स्तुति जिसे मैं पहचान नहीं पाया!? । कैसी मोहब्बत है ये मेरी जो मैं..... वह लड़की जो सामने खड़ी थी फिर भी मैं उसे नहीं पहचान पाया!? क्या मैं गुस्से और नफरत में इतना अंधा हो गया था की खुद के दिल की भी आवाज नहीं सुन सका!? । शायद मैं उसके लायक ही नहीं हूं! इसलिए तो वह मेरे पास नहीं है! । कहीं जो रेहान कह रहा था वो सच तो नहीं की मैं बस स्तुति को पसंद करता हूं! मोहब्बत नहीं; क्या मैं सिर्फ उसकी और आकर्षित था!? क्या मेरी मोहब्बत जूठी थी!? । अगर नहीं तो फिर मैं क्यों नहीं पहचान पाया!? । माना की उसकी शक्ल बदल गई थी लेकिन दिल तो उसका वहीं था!.... । फिर क्यों मेरे दिल ने गवाही नहीं दी की वह मेरी स्तुति है, क्यों!? ।
सुलतान: तुम अभी मिलना चाहोगे या फिर बाद में!? ।
विकी: ( ख्यालों से बाहर आते हुए ) में.... ( आवाज भारी हो गई थी.... गला साफ करते हुए ) मैं..... कुछ दिन बाद खुद जाऊंगा मिलने! लेकिन अभी कुछ... कुछ सवाल है.... जिसके जवाब मुझे ढूंढने है..... अगर जवाब नहीं मिले.... तो.... ।
सुलतान: तो क्या!? ।
विकी: तो..... पता नहीं.... पर मैं उस पर खुद को थोपना नहीं चाहता.... ना ही उसे फिर से खोना चाहता हूं! ।
सुलतान: तो तुम उसे जाने देना चाहते हो!? ।
विकी: पता नहीं! कुछ समझ नहीं आ रहा! ।
सुलतान: ( गहरी सांस लेते हुए ) प्यार में गलती करना जायज है विक्रम.... क्योंकि आपको खुद ही नहीं पता होता! की क्या गलत है या क्या सहीं आप बस उस इंसान के साथ रहना चाहते हो! चाहे फिर कुछ भी करना पड़े! लेकिन अगर एक बार तुमने उसे जाने दिया! सारी जिंदगी खुद को कोसते रहोगे! ।
विकी: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) मैं उसे दूरी बर्दाश्त कर सकता हूं! लेकिन उसकी आंखों में मेरे लिए नफरत जीतेजी मौत के बराबर है! सुलतान!। एक बार तो मैने देखी थी उसकी आंखों में नफरत उसकी सजा अभी तक भुगत रहा हूं! अब अगर फिर से ऐसा हुआ! तो मेरे पास इतनी हिम्मत नहीं है की में सांस भी ले पाऊं! ।
सुलतान: ( हंसते हुए ) ये साली मोहब्बत भी कमिनी चीज हैं! अच्छे खासे इंसान को! बेकार बना देती है । उसके साथ रहो तो प्रॉब्लम ना रहो तो प्रॉब्लम!। इससे अच्छा तो मौत आ जाए! ।
विकी: ( आश्चर्य में देखते हुए ) तुम उसे अभी भी नहीं भूले है ना!? ।
सुलतान: ( विकी की बात को नजर अंदाज करते हुए सिगारेट जलाता है और विकी को बॉक्स देता है।) भुला उसे जाता है जिसे याद करना हो!? उसने तो.... ( खखार को निगलते हुए ) कभी मेरा पीछा छोड़ा हीं नहीं! । इस कदर निकम्मा बना दिया है! की अब मै दुआए करने लगा हूं! वह सुलतान मल्लिक जो लोगो को मारने में एक वक्त भी नहीं लगाता था! वह आज लोगो को माफ कर रहा है। समझ नहीं आता यह रहमत है या आजमाइश ।
विकी: ( सिगरेट पीते हुए ) अभी तक बताया नहीं उसे!?।
सुलतान: जानती है वो! लेकिन..... नफरत करती है मुझ से सदीद नफरत... उसे लगता है मेरा दिल बहलाने के लिए मैं हर लड़की को ऐसे ही बातो में लाकर उसका गलत फायदा उठाता हूं! ।
विकी: हाहाहाहाहा...... हहाहा.... चलो कोई तो है जो सुलतान से भी मेहनत करवा रहा है।
सुलतान: ( मुस्कुराते हुए.... सिगरेट का धुआं हवा में फुकता है । )।
विकी: वैसे मैंने सोचा नहीं था की तुम एक नजर में किसी से मोहब्बत कर बैठोगे! और वो भी उतनी सिंपल सी लड़की से ।
सुलतान: मैने कौन सा सोच समझकर ये किया है!? ।
विकी: अच्छा एक बात पूछूं!? ।
सुलतान: हम्म! ।
विकी: अगर उसे कोई और पसंद आ गया तो!? ।
सुलतान: ( आंखों का रंग बदल जाता है। ) मैं होने ही नहीं दूंगा! ।
विकी: अरे! पर अगर ऐसा हुआ तो!? ।
सुलतान: ( डार्क आंखों के साथ! मुस्कुराते हुए ) पहले तो मैं उस लड़के का वो हाल करूंगा! की सारी दुनिया को पता चले! वो सिर्फ मेरी है! । और अगर उसे मुझ से सारी जिंदगी नफरत करनी है करे! लेकिन आना तो उसे मेरे पास ही है! । चाहे फिर उसकी मर्जी हो या ना हो! मेरी मोहब्बत हम दोनों के लिए काफी है।
विकी: ( मुस्कुराते हुए ) यहां पे ऐसा नहीं चलता मेरे भाई! तुम्हे वो भी करना पड़ेगा जो तुम खुद नहीं चाहते! खैर! छोड़ो ये बात तुम्हे आगे समझ आएगी! ।
सुलतान: मेरा तो फिक्स है! मोहब्बत करो या नफरत बस उसके दिल ओ दिमाग पर में ही होना चाहिए, ।

विकी सिर को ना में हिलाते हुए अपने कमरे की ओर चला जाता है। वह... फाइल को टेबल पर रखते हुए! नहाने चला जाता हैं! । अब उसके आंखों में एक आंसू भी नही बचा जिसे वह और स्तुति के लिए बहा सके । वह अभी के अभी स्तुति के पास जाके पूछना चाहता था की क्यों उसने नहीं बताया वह स्तुति है!? क्या वह उसे इतनी नफरत करती है!? क्या वह विकी की मोहब्बत को बाकी लोगो की तरह जूठा समझती है। वह शावर लेते हुए फिर से इन सवालों के भवर में खो जाता है।