Dard e ishq - 28 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | दर्द ए इश्क - 28

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दर्द ए इश्क - 28

विकी अपने रूम में सीधा चला जाता है। वहां सूझी बैठी थी। अभी भी ख्यालों में डूबी हुई....! । यह देखकर बिकी आंखे बंद करते हुए गुस्सा काबू में करने की कोशिश करता है। वह गहरी सांस लेते हुए कहता है.... ।

विकी: नीचे डिनर रेडी है! तुम जाना चाहोगी या मैं ऊपर मंगवा लू!? ।
सूझी: ( ख्यालों में से बाहर आते हुए ) नहीं अभी भूख नहीं है!। (इतना कहते ही वह बेड पे सोने चली जाती है।)।
विकी: ( सीधा बालकनी में चला जाता है! मानो जैसे उसका दम घुट रहा हो। आसमान की ओर देखते हुए! वह तारो को हाथो से छूने की कोशिश कर रहा था। ) तुम.... सच में हार्टलेस हो स्तुति! कौन सी मुसीबत में छोड़ कर चली गई मुझे! खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही। मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा की तुम्हारा आना मेरी जिंदगी में मेरी अच्छी किस्मत थी या बुरी! ।
स्तुति: अच्छा अब मैं बुरी किस्मत बन गई!? ।
विकी: (आंखे मलते हुए ) अब तुम मुझे बिना शराब के भी दिखने लगी हो! ( हंसते हुए ) ।
स्तुति: ( मुस्कुराते हुए ) अब मैं तुम्हारे उस दिल में जो रहती हूं! क्या करु तुम चाहकर भी मुझे दूर नही कर सकते! ।
विकी: ( स्तुति जहां खड़ी थी उसके करीब आते हुए! पलके जपकाए बिना देखे जा रहा था। ) तुम फिर से दर्द देने आई हो! ।
स्तुति: ( बड़ी सी स्माइल के साथ ) ब्रिथ! अगर ऐसे ही सांस लेते रहोगे! तो भगवान को प्यारे हो जाओगे! ।
विकी: ( दर्द के साथ हंसते हुए ) अच्छा है ना! फिर तो इस जिंदगी से निजात मिलेगी! ।
स्तुति: ( अपने होठ पर उंगली रखते हुए ) शहहह! कितनी बार कहां है! की ऐसी बेतुकी बातें मेरे सामने मत करना! अभी भी नहीं बदले तुम! ।
विकी: ( मुस्कुराते हुए स्तुति को देख रहा था। हवा से लहराती जुल्फे! चमकती हुई आंखे! मुस्कुराहट बिलकुल वैसी ही थी। )
स्तुति: क्या! ऐसे क्या देख रहे हो! पहली बार थोड़ी देख रहे हो मुझे! ।
विकी: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) लेकिन चाहे कितनी भी बार देखूं! जी भरता ही नहीं... मैं एक बार तुम्हे छू सकता हूं क्या!? । सिर्फ! तुम्हारे चेहरे को जी भरके देखना है।
स्तुति: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) फिर! मैं चली जाऊंगी! अगर तुम ऐसा चाहते हो!? ।
विकी: ( आंखे बंद कर थोड़ी देर बाद खोलते हुए ) तुम दुनिया की सबसे पत्थर दिल इंसान हो! । काश मैं तुमसे प्यार ना करता आज इस हाल में ना पहुंचता! ।
स्तुति: वो तो तुम्हारी अपनी मर्जी थी! विक्रम! ।
विकी: ( मानो अपना नाम सुनकर उसकी धड़कने ही बढ़ गई थी! ।) हाहाहाहा! सपने में भी तुम! मुझे अपने इशारों पर नचा रही हो! ।
स्तुति: ये सपना नहीं है!।
विकी: हन!? ।
स्तुति: मैं सच में तुम्हारे सामने हूं! ये अलग बात है कि सिर्फ एक छलावा के रूप में! ।
विकी: तुम आई ही थी! छलावा बनकर! । अगर प्यार करती तो मुझे छोड़कर थोड़ी जाती!? अपनी जिंदगी के लिए लड़ती! पर तुमने तो जीने की चाहत ही छोड़ दी थी!? ।
स्तुति: ( मुस्कुराते हुए ) जब चौंट ही उस इंसान ने पहुंचाई थी जिसके लिए मैं जी रही थी तो फिर जीकर भी क्या करती! ।
विकी: हाहहहा.... इतना ही भरोसा था मेरी मोहब्बत पर!? ।
स्तुति: ( ना में सिर हिलाते हुए ) तुम जानते हो! इसका जवाब! ।
विकी: नहीं! अगर जवाब होता तो आज ये सवाल ही ना होता! ।
स्तुति: अगर जाने की बात है! तो मैं कौन सा तुम्हे छोड़ कर गई हू! अभी भी रह रही हूं! ( उंगली विकी के दिल पर रखते हुए ) तुम्हारे दिल में! ।
विकी: लेकिन तुम साथ तो नहीं हो ना यार! ।
स्तुति: गलत! मैं साथ भी हूं! बस किसी और रूप में! तुम्हे ढूंढना है! मुझे बस! ।
विकी: क्या बोल रही हो! ( आंसू को रोकते हुए ) तुम्हे मजा आ रहा है! मेरे और मेरे दिल से खेलते हुए! या मेरी गलती यह थी कि मैंने... मैने खुद से भी ज्यादा तुमसे प्यार किया! ।
स्तुति: अहान! उसका जवाब में नहीं दे सकती!।
विकी: क्यों!? हर बार भागती हो तुम! ।
स्तुति: मैं तो यहीं हूं शायद तुम मुझे पहचान नहीं पाए! ।
विकी: क्या मतलब..... ( तभी विकी का फोन बजता है! जैसे ही वह जेब में से फोन निकालता है स्तुति गायब हो गई थी! । ) तुम फिर से चली गई! खेल कर! ( आसमान की ओर देखते हुए ) काश में यह भी कह पाता की मैं तुमसे नफरत करता हूं! मैं चाहकर भी नहीं कर पा रहा हूं! ।

तभी विकी का ध्यान गार्डन में जाता है! तान्या वहां पर बैठी हुई थी! । शायद ख्याल में डूबी हुई थी। विकी ने जो कुछ भी आज किया सारी यादें फिर से उसके दिमाग में दोहराने लगती है। और उसका दिल भी एक पल के लिए तेज धड़कने लगता है। वह अपने दिल पर हाथ रखते हुए सोचता है कि! नहीं मैं ऐसा सोच भी कैसे सकता हूं! और तो और ऐसा महसूस भी करना मेरे लिए पाप है! । वो ना ही कभी स्तुति जैसी है ना ही होगी! । कभी भी नहीं! मेरे जीते जी तो नहीं । और तो और मुझे नफरत करनी चाहिए उससे! । आज जिस मकसद से आई थी! वह मेरी इस फीलिंग की हकदार नहीं है! सिर्फ और सिर्फ स्तुति! । वह सिर्फ दुश्मन है और कुछ नहीं! । " अच्छा तो फिर इतनी सफाई क्यों देनी पड़ रही है!? । अब खुद से जूठ बोलना बंद भी करो! जब तुम उसके करीब थे तो तुम सच में उसे किस करना चाहते थे! । हैं ना!? ।" । नहीं! ऐसा मेरे लिए सोचना भी पाप है! मैं स्तुति के साथ धोखा नहीं कर सकता! । " मतलब तुम मानते हो की ! । " नहीं वो सिर्फ और सिर्फ मेरी दुश्मन है जो रेहान के साथ मिलकर हमे बरबाद करना चाहती है बस! । " मतलब अगर वह दुश्मन ना होती तो तुम उसे पसंद करते है ना! " नहीं बिलकुल भी नहीं मैं धोखेबाज नहीं हूं! । " हां पर जो तुम महसूस कर रहे हो! उससे कैसे मुकर सकते हो! " मैं ना ही कुछ महसूस करता हूं और ना ही कुछ करना चाहता हूं! बस एक स्तुति ही हैं जो इसकी हकदार है! चाहे जो भी हो, ये सिर्फ आकर्षण है उसके अलावा कुछ नहीं! । "अच्छा! तो ये बताओ तुम क्यों आकर्षित हुए उसकी ओर! बाकी कितनी लड़कियां है किसी के साथ भी तुम्हे कुछ महसूस नहीं हुआ!? " मुझे नहीं पता! मैं कुछ भी महसूस नहीं करना चाहता पर जैसे ही उसे देखता हूं!....। " तुम्हारा दिल जोरो से धड़कने लगता है! जैसे स्तुति को देखकर धड़कता था। है ना!? । "

विकी अपने चेहरे को हाथ में छुपाते हुए इस सवालो को दिमाग से निकालना चाहता था लेकिन एक के बाद एक सवाल उसके दिमाग और दिल को विचलित कर रहे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था की अभी बात स्तुति की थी उसने तान्या कहां से आ गई। और क्यों!? ।