Dard e ishq - 24 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | दर्द ए इश्क - 24

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दर्द ए इश्क - 24

विकी और उसके डेड के बीच में काफी दिनों से बहस चल रही थी। ना धर्मानद शादी की बात से पीछे हटने को तैयार थे ना विकी शादी के लिए तैयार था। उसे ऐसा नहीं था को कोई दिलचस्पी थी इस शादी में लेकिन वह यह शादी सूझी और खुद को आगे मुसीबत से बचाने के लिए करना चाह रहा था। लेकिन इतनी जल्दी वह खुद को तैयार नहीं कर पा रहा था। उसके डेड ने मानो उसका जीना हराम कर दिया था। ना तो उसे शांति से सांस लेने देते ना खुद लेते मानो जैसे विकी ने शादी कि बात करके जैसे कोई बड़ी गलती कर दी हो । विकी बस बालकनी में सोफे पर बैठे हुए एक और पेग बना रहा था । वह खुद को कैसे समझाए या अपने डेड को कैसे समझाए उसे समझाए उसे समझ नहीं आ रहा था । एक पल के लिए उसे ख्याल आया कि यहां से चुपचाप कही गायब हो जाए ! फिर उसे सूझी और अपने परिवार की इज्जत का खयाल आया और उसका मन उसे ऐसा करने से मना कर रहा था....! । ऊपर से एक और खबर जो की विकी को मिली थी की स्तुति की.... मौत के दिन उसकी लाश के साथ कोई फेरबदल हुई थी..... जिससे मानो उसके दिल में एक आस जगी है की कहीं स्तुति जिंदा तो नहीं.... उस दिन विकी निकला तो यहां से गुस्से में था लेकिन.... जब वह अपने आदमी के पास पहुंचा तो जो भी हॉस्पिटल की डिटेल्स उसने पढ़ी मानो उसके पैरो तले जैसे जमीन खिसक गई हो.... स्तुति की दाखिल होने की रिपोर्ट तो थी लेकिन स्तुति के मौत की कोई भी रिपोर्ट... टाइम कुछ भी लिस्ट में नहीं था । जिसे मानो विकी को खुद समझ नहीं आ रहा था की कैसे... कैसे... यकीन करे! क्योंकी स्तुति ने आंखिरी सांस उसके सामने ही ली थी। लेकिन फिर भी उसके दिल के एक कौने में एक आस सी जगी है की शायद शायद वह.... जिंदा हो.... इतना सोचते ही मानो..... विकी के दिल में एक अजीब सी हरकत होती है हर बार जब वह सोचता है की उसकी स्तुति जिंदा है या हो सकती है.... । उसके लिए यह खबर मरते मरते जिंदा होने जैसी बात है। उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे! कैसे करे! की जिससे वह पता लगाए की... उसके जाने के बाद क्या हुआ था हॉस्पिटल में!? । क्योंकि विकी में इतनी हिम्मत नहीं थी की स्तुति को आखिरी बार खुद से दूर जाते हुए देखे!? । इसलिए उस दिन उसने स्तुति के अंतिमसंस्कार में शामिल नहीं हुआ था। बस अपने कमरे में खुद को कैद कर लिया था। महीनो तक बस जिंदा लाश तक बस अपने कमरे में बस पड़ा रहा था...! । ना खुद बाहर जाता ना किसी को अंदर आने देता....! । जब बात हद से ज्यादा बढ़ गई तब उसके डेड ने उसे जबरदस्ती विदेश भेज दिया था पढ़ाई करने! । फिर जैसे तैसे करके विकी ने खुद को संभालना सिख लिया.... या फिर युंह कहे खुद को लोगों से छुपाना सिख लिया!। किसी को पता ही नहीं चलता की वह कब खुश है या कब दु:खी बस मुखौटा पहन लिया था... और लोग वही देखते जो वह दिखाते....! । ऐसा भी नहीं था की उसने स्तुति के भुलाने की कोशिश नहीं की उसने शायद ही ऐसा कोई तरीका छोड़ा था.... ड्रग्स, शराब, गांजा चरस के नशे में चौबीस घंटे डूबे रहना... मानो स्तुति के बाद यह सब ही उसकी गर्लफ्रेंड बन गए थे। उसने बाकी लड़कियों के साथ भी ना चाहते हुए रिश्ते बनाने की कोशिश की शायद जो ये गम है वो दूर हो जाए! लेकिन जैसे ही वह किसी के करीब जाता उसके दिल में और भी दर्द होने लगता.... इसलिए यह काम भी उसने छोड़ दिया था। फिर वह जब वापस अपने घर लौटा तो.... कैसे वह इन सारे मामलों में उलझ गया की उसे पता ही नहीं चला की वह स्तुति के साथ क्या हुआ था उसके लिए अपने आदमी लगाए हुए थे...! । वो तो जब उन लोगों का फोन आया तब उसे याद आया की... यह मामला भी निपटाना है। फिर से विकी... एक घूंट पीते हुए कुछ गहरी सोच में डूबा हुआ था... उसकी आंखों में एक चमक सी नजर आ रही थी। और चेहरे पर एक हल्की मुस्कान... । उसे समझ नहीं आ रहा था की इस बात को कैसे हजम करे!?। क्योंकि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी ऐसा दिन आएगा जब उसे इसी भी खबर मिलेगी... की स्तुति के जिंदा होने के भी चांस है। वह तो बस उन लोगो को पकड़ ना चाहता था जिसने स्तुति के साथ यह सब किया। और वह हाल करना चाहता था की उनकी रूह तक कांपे की उन लोगों ने इस दुनिया में क्यों जन्म लिया। विकी ने हजारों तरीके तैयार रखे थे उन लोगो को टॉर्चर करने के!। लेकिन ये खबर मिली विकी के सोच के विपरीत....! । पिछले दो दिन से इनकी प्रोब्लम होने के बावजूद उसके चेहरे से मुस्कुराहट जाने का नाम नहीं ले रही...! । मानो जैसे उसे वो मिल गया जिसे वह खो चुका था.... उसे यकीन नहीं हो रहा था की कुदरत उस जैसे इंसान पर मेहरबान है.... वह खुद जानता था कि वह अच्छा इंसान नहीं है... लेकिन जब से स्तुति उसकी जिंदगी में आई पहले दोस्त के रूप में फिर प्यार बनके.... विकी कितना बदल गया उसे खुद ही नहीं पता चला...! । स्तुति ने मानो जैसे विकी की नीव ही बदल दी थी। एक जैसे नया विकी बना दिया था। जैसे पहले वाला विकी और अब का विकी दोनो कोई अलग इंसान हों। विकी सोच में इतना डूबा था की उसे पता ही नहीं चला की उसका फोन कब से बज रहा है। जब अपनी सोच से बाहर आया तब उसका ध्यान उसके फोन पर पड़ा तो जल्दी से ग्लास को टेबल पर रखते हुए... फॉन उठाकर रूम में जा रहा था...! । मानो जैसे अब वह पागल हो रहा था... बिल्कुल... वैसे ही जब उसे पता चला था की वह स्तुति को पसंद करता है। उसकी आवाज में यह साफ साफ जाहिर हो रहा था। वह फिर गला साफ करते हुए.... कड़क लहजे में आगे की बाते करने में व्यस्त हो गया.... । जैसे इस फोन कॉल में उसकी जान बस रही थी... बिलकुल एक छोटे बच्चे की तरह उसके चेहरे पर भाव छलक रहे थे जो अपने पसंदीदा दोस्त के साथ खेलने के लिए इंतजार में खड़ा हो विकी का हाल भी बिलकुल वैसा ही था। उसे बस अगर स्तुति जिंदा है तो जी भर के देखना था। वह अभी कोई आस लगाकर नहीं बैठा था लेकिन... उसका दिल को वह रोक नहीं पा रहा था...! । उसे मानो जैसे लग रहा था की यह खबर सच हैं उसकी स्तुति जिंदा है.... और वह उससे फिर से मिलेगा....। लेकिन जब तक यह बात पक्की ना हो जाए वह खुद को रोके रखा था...! । वह कॉल को काटते हुए... बालकनी की ओर जा ही रहा था की... फिर से उसका फोन बजता है वह देखता है तो सूझी का फोन था... वह उठाते हुए उससे बात करता है... विकी ने दूसरे दिन ही सूझी से माफी मांग ली थी। क्योंकि वह जानता था कि सूझी पर गुस्सा उतारना सही नही था। वह मैं अभी आता हूं इतना कहकर कार की चाबी टेबल पर लेकर निकल जाता है।