Dard e ishq - 23 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | दर्द ए इश्क - 23

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दर्द ए इश्क - 23

विकी और सूझी शॉपिंग करके घर आए ही थे..... ये इस हफ्ते में तीसरी बार है जब वह दोनो शॉपिंग पर गए है। पिछले पंद्रह दिन से विकी और सूझी किसी ना किसी वजह से बाहर एक साथ जाना पड़ता था। जब विकी हॉल में देखता है तो विकी के पिता चाय पीते हुए किसी से बात कर रहे थे । जब उनकी नजर इन दोनो पर पड़ी तो वह फोन काटते हुए कहते है ।

धर्मानंद: अरे! आ गए तुम दोनों! थोड़ा घूम के आ जाते अभी तो शाम के चार ही बजे है!।
विकी: ( थक कर सोफे पर गिरते हुए ) प्लीज! डेड मुझ में बिलकुल हिम्मत नहीं है और कहीं जाने की और आपको किसने कहां था की हमे इतनी शॉपिंग करनी है!?।
धर्मानंद: अरे! भाई अब तुम दोनो की शादी होने वाली है तो साथ में घूमोगे फिरोगे तभी तो जान पाओगे एक दूसरे को! ।
सूझी: ( विकी की दाई ओर बैठते हुए ) अंकल हम दोनो काफी सालों से जानते है और मुझे नहीं लगता की कुछ जानने को बाकी है अब!? ।
धर्मानंद: ( हंसते हुए ) अरे! वो रिश्ता अलग था यह रिश्ता अलग है! अब तुम दोनों दोस्त नहीं बल्कि पति पत्नी बनने जा रहे हो! ।
विकी: ( चिढ़ते हुए ) प्लीज डेड! अभी काफी टाइम है तो जो रिश्ता अभी बंधा नहीं है उसके लिए मुझे टॉर्चर ना करे और अभी सगाई की हुए पन्द्रह दिन भी नहीं हुए और आप रोज एक नया बहाना बनाके मुझे और सूझी को बाहर भेजते है! आपको क्या लगता है मुझे समझ नहीं आ रहा कुछ! ।
धर्मानंद: ( हंसते हुए ) अब! सारा दोष मुझ पर मत डालो! मैं तो बस दो प्यार करने वालो को मिला रहा हूं! और वैसे ये पुण्य का काम होता है ।
विकी: ( चिढ़ते हुए ) थैंक यू.... आपके इस एहसान का पर अब बक्श दे डेड! आपके इस एहसान के चक्कर में पीस हम दोनो रहे है । यार! आप यहां से और वहां मल्होत्रा अंकल सूझी का जीना हराम करके बैठे है! ।
धर्मानंद: देखो भाई अब बाप है तुम्हारे! तो जब सगाई हो गई है तो हम यहीं चाहेगे की तुम दोनो घूमों फिरो! एक दूसरे के साथ वक्त बिताओ! लेकिन जब तुम दोनो अपने ही कमरों में खुद को कैद करके बैठोगे फिर हमे यहीं करना पड़ेगा ना! ।
सूझी: पर अंकल अगर हमे एक दूसरे की हेल्प चाहिए होती है तो हम एक दूसरे को बिना मिले भी फोन से बात कर लेते है! ।
धर्मानंद: यहीं! तो प्रोब्लम है तुम दोनों का! तुम बस एक दूसरे के साथ नॉर्मल कपल की तरह बाहर जाते हो ना बात करते हो बस सिर्फ काम की बात होती है तब बात करते हो! अब देखो भाई मैं और तुम्हारे डेड ऐसा तो बिलकुल नहीं होने देंगे! । फिर चाहे कुछ भी करना पड़े!।
विकी: डेड! फॉर गॉड सेक..... अब बस भी कर दे ( सिर को सोफे पर पटकते हुए...) मैं सच में घर छोड़ कर भाग जाऊंगा अगर आपने ये सब बंद नहीं किया तो.... सच्ची बता रहा हूं... आप चाहकर भी ढूंढ नहीं पाओगे! । तो आप..... बेहतर होगा मेरे साथ ये पॉलिटिक्स खेलना बंद कर दीजिए! ।
धर्मानंद: फाइन! फाइन! फिर शादी की शॉपिंग कर लो उसके बाद तुम्हे परेशान नहीं करूंगा! ।
विकी: अरे! और कितनी.... वैट ए मिनिट क्या कहां अभी आपने!? ।
धर्मानंद: यहीं की शादी की शॉपिंग शुरू कर दो! अगले महीना का मुहूर्त निकलवा चुके है तुम दोनों की शादी के लिए! ।
विकी और सूझी एक साथ चिल्लाते हुए! व्हाट! क्या!? ।
धर्मानंद: ( हंसते हुए ) मैं जानता था की यहीं रिएक्शन होगा तुम दोनो का.... इसीलिए मैंने और मल्होत्रा ने छुपाए रखा था पर खैर! अब पता चल ही गया है तो अब इतना खुश होने की जरूरत नहीं है... चलो! अब आज आखिरी रैली है तो मुझे देर हो रही है! । ख्याल रखना तुम दोनों! ( इतना कहते ही विकी के डेड चले जाते है। )।
विकी: डेड! डेड! ( तब तक धर्मानंद जा चुका थे । ) ।
सूझी: ( बालो को भींचते हुए ) विकी कुछ कर यार वर्ना ये दोनों सच में हमें इस **तीया बंधन में बांध कर ही मानेंगे!। ये सगाई तक तो समझ आता है पर अब! ये! मेरे बाप का दिमाग बिजनेस करते करते ना सठिया गया है! पहले सगाई और अब ये शादी जैसे शादी बात मेरी नहीं उनकी हो रही हो! आह! फ**क! ये लोग मुझे पागल करके ही छोड़ेंगे! ।
विकी: ( सोफे पर बैठते हुए ) एक काम करते है! सुजेन! दोनो बुड्ढों का एक्सीडेंट करवा देते है! ना रहेगा बास ना बजेगी बांसुरी! ।
सूझी: अबे! क्या हो गया है! वो लोग कम थे... जो अब तुम भी बहकी बहकी बाते कर रहे हो! कम से कम तुम तो नॉर्मल रहो! एक साथ इतने लोगो को हैंडल करने की हिम्मत नहीं है ।
विकी: ( तिलमिलाते हुए ) ब* * **ड़ा, मा***द, साले, ब***द, कैसे नॉर्मल रहूं मैं! ये लोग ... ....... ।
सूझी: अबे! यार गाली! ....... बकना बंद कर...... कुछ सोच! ।
विकी: क्या करूं! ये दोनों!.........हमारी अस्थी निकालने पे तुले है और तुम मुझे शांत रहने को कह रही हो! वाह! क्या लॉजिक है! ।
सूझी: मैं यह नहीं कह रही की तुम गुस्सा ना हो! मैं बस इतना कह रही हूं की तुम शांत दिमाग से सोचो कैसे निकले क्योंकि गुस्से में तो कुछ सॉल्युशन मिलने से रहा!।
विकी: ( गहरी सांस लेते हुए ) ये लोग ना! अगर ऐसे ही परेशान करते रहे तो बेमौत मारे जाएंगे! लोगो की नाक में दम करने के अलावा और कोई काम भी है या नहीं।
सूझी: ( हंसते हुए ) तुम...! ।
विकी: तुम्हे हंसी आ रही है! ( गुस्से में सूझी की ओर देखते हुए ) सच में, यहां मेरी फटी पड़ी है! और तुम बतीसी दिखा कर हंसे जा रही हो! वाह! तुम जैसी दोस्त हो तो मेरे बाप जैसा इंसान जिंदगी में हो तो दुश्मन की क्या ही जरूरत है! तुम लोग ही काफी हो मेरा तमाशा बनाने के लिए! ऊपर वाले ने चुन चुन के लिखा है मेरी किस्मत में! ।
सूझी: अरे! चील यार! टेंशन तो मुझे भी हो रही है! लेकिन! तुम्हारा रिएक्शन ही ऐसा है की मैं हंसने से रोक नहीं पा रही।
विकी: अच्छा मैं यहां जोकर का कॉस्टयूम पहने, डांस कर रहा हूं जो तुम बतीसी बंद कर नहीं पा रही! ।
सूझी: अब ये कुछ ज्यादा हो रहा है, ये मत भूलो की मैं भी इस मुसीबत में फसी हूं! जितना टेंशन तुम्हे है उतनी ही बड़ी मुसीबत ये मेरे लिए भी है ।
विकी: हां तभी तो ऐसे खिलखिला रही हो जैसे कोई कॉमेडी सो देख रही हो! ।
सूझी: ( गुस्से में खड़े होते हुए ) भाड़ में जाओ तुम..... ,*क यूं..... ।
विकी: ( गुस्से में सूझी जिस दरवाजे से गई वहीं देखे जा रहा था । पैकेट में से एक सिगारेट निकालते हुए अपने रुम की ओर आगे बढ़ते हुए .... जला रहा था। एक ड्रैग लेते हुए .... वह मानो तेज रफ्तार से सोच रहा था पर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था । की इतनी क्या जल्दी है! उन लोगो को शादी की!। पहले सगाई अब शादी! । क्या कोई भागे जा रहा है जो इतनी जल्दी शादी करवानी है इन दोनों... को । तभी विकी का फोन बजता है। वह उठाते हुए किसी से बात करता है । फोन रखने के बाद वह और भी गुस्से हो जाता है और बेड पर फोन फेक देता है ।) *क, फ** एवरीवन, आज का दिन ही खराब है साला.... ( गुस्से में वहां से निकल जाता है। ) ।