Dard e ishq - 18 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | दर्द ए इश्क - 18

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दर्द ए इश्क - 18

विक्रम अभी भी सूझी की कहीं हुई बातों के बारे में सोच रहा था। मानों जैसे वह बातें उसे काफी हद तक सहीं भी लग रही थी!। जिससे ना वह जुटला सकता था और ना ही स्वीकार कर पा रहा था। लेकिन वह जानता था जो भी सवाल सूझी ने उठाए है। वह फिजूल भी नहीं है। तभी सूझी उसे कहती है।

सूझी: हाहाहाहाहा.... क्या हुआ विकी... देखा कहां था ना मैने!? तुम कभी दुनिया को फिर से नॉर्मल इंसान की तरह देख नहीं पाओगे। यह तो सिर्फ मैंने बाते कहीं है! अगर सच्चाई आंखो के सामने देखोगे तो दिल दहल जाएगा! इतनी कड़वी है। खैर! अब बहुत हुआ ये ड्रामा मुझे ऐसा लग रहा है मैं जैसे कोई संत हूं और प्रवचन दे रही हूं।
विक्रम: ( मुस्कुराते हुए सिर को ना में हिलाते हुए ) बिलकुल भी नहीं! तुम अपनी जगह बिलकुल सहीं हो! तुम्हारा देखने का नज़रिया भी। पर... ।
सूझी: ( आईब्रो ऊपर करते हुए ) पर... यह की मैं नहीं जानता मेरी मोहब्बत स्तुति के लिए कितनी सच्ची है! हां ये बात सच है हमारी दोस्ती के कुछ समय बाद में उसकी ओर आकर्षित हुआ था लेकिन फिर वह आकर्षण कब एक जरूरत बन गई पता ही नहीं चला। फिर शायद में उसे प्यार का नाम दे बैठा! और उसे अपना प्यार जताने के अलग अलग तरीके ढूंढने लगा! शायद उस वक्त तक तुम कह रही हो वह वक्त था! । पर.... जब मैंने उसे खो दिया शायद उसके बाद जो भी था आज जो भी है! मैं उससे मोहब्बत कहता हूं! क्यों जानती हो!? ।
सूझी: ( ना में सिर हिलाते हुए ) ।
विक्रम: क्योंकि मुझ में मेरा कुछ रहा ही नहीं है यार! कभी कभी तो मुझे लगता ही नहीं की मैं! मैं हूं!। मेरा दिल हमेशा उसे ही याद करते रहता है। दिमाग मानो! हर एक इंसान में उसकी हरकतों को देखता रहता है। अरे! ये स्तुति जैसी लग रही है। इसने स्तुति जैसे कपड़े पहने है। इसकी मुस्कुराहट बिलकुल मेरी स्तुति जैसी है। कभी कभी तो मैं खुद नहीं समझ पाता की मैं प्यार व्यार के चक्कर में इतना जा चुका हूं की मुझे मेरा अस्तित्व कहीं दिखता ही नहीं। और यह ऐसा नहीं है कि मैंने उसे पाया नहीं इसलिए महसूस कर रहा हूं! । हां शायद अगर कुछ साल पहले अगर मैने उसे पा लिया होता तो शायद आज इस मोहब्बत नाम के लफ्ज़ को कभी समझ नहीं पाता और बाकियों की तरह में भी होता। यूं नो सूझी! स्तुति के साथ रहकर मैने मोहब्बत क्या होती है सिर्फ जाना था। लेकिन मोहब्बत निभाना किसे कहते है यह मैने उसे खोने के बाद सीखा!। ना तो उसमे जिस्मानी ताल्लुकात की अहमियत होती है। ना ही आपको उस इंसान के साथ की अगर आप चाहे तो किसीसे भी बेइंतहा मोहब्बत कर सकते है! अपनी आखिरी सांस तक! चाहे फिर वह इंसान आपके साथ हो या ना हो। बिलकुल एक पागल की तरह जो अपनी ही दुनिया में खोया होता है!। आपको यह बाहरी दुनिया नजर ही नहीं आती।
सूझी: हाहाहाहा.... तुम तो पूरे के पूरे डूब चुके हो! ।
विक्रम: ( मुस्कुराते हुए सिर हां मे हिलाता है। ) ।
सूझी: क्या! फायदा है यार! यह जिंदगी ही बेकार है!। कुछ भी करो चैन मिलता ही नहीं किसीको! प्यार हो तो ना हो तो भी प्रॉब्लम! । अमीर हो तो प्रॉब्लम गरीब हो तो प्रॉब्लम!। सक्सेसफुल हो तो प्रॉब्लम ना हो तो प्रॉब्लम!। समझ नहीं आ रहा फिर खुश है कौन !? । अगर नहीं है तो दुनिया चल कैसे रही है!? ।
विक्रम: पता नहीं पर! एक बात तय हो! सब हमारी तरह ढोंग ही कर रहे है। दिखावे का मुखोटा! ।
सूझी: यार! वैसे हम कुछ ज्यादा ही सेंटीमेंटल नहीं हो रहे!?।
विक्रम: बिलकुल! बहुत ही ज्यादा ही!।
सूझी: गॉड अगर कोई सुनेगा तो यकीन नहीं होगा की हम दोनो इतनी सीरियस बात कर सकते है।
विक्रम: बिल्कुल! । ( हंसते हुए ) ।
सूझी: ( हंसने लगती है। ) ।
विक्रम: ( थोड़ी देर बाद अपनी हंसी को रोकते ) सुजेन!।
सूझी: हमम!?।
विक्रम: मैंने थोड़ी देर पहले कहां उस बारे में सच में सीरियस था। एक दोस्त की हैसियत से मैं सच में तुम्हे खुश देखना चाहता हूं! ऐसे बरबाद होते हुए नहीं!।
सूझी: ( मजाक के लहजे में ) अरे! मैं कैसे बरबाद हो सकती हूं! तुम जो जो मेरे साथ अगर कोई ना मिला तो तुमसे शादी कर लूंगी! वैसे भी कोई और रिश्ता बने या ना बने! एक दूसरे के काले काम छुपाने में मदद होगी! क्या कहते हो! ।
विक्रम: सूझी! यार आई एम सीरियस! ।
सूझी: ठीक है! ( हाथ जोड़ते हुए ) मैं सोचूंगी इस बारे में अब खुश!।
विक्रम: ( मुस्कुराते हुए ) बहुत ज्यादा !।
सूझी: चलो अब जल्दी से तैयार हो!? ।
विक्रम: क्या मतलब!? ।
सूझी: मतलब तुम भी मेरे साथ पार्टी में आ रहे हो! अब मॉम डैड तो पता नहीं कब तक लौटेंगे! तो तुम यहां अकेले क्या करोगे! ।
विक्रम: ( मना करते हुए ) बिलकुल भी नहीं! तुम जानती हो!।
सूझी: ( विकी को बाथरूम में धक्का देते हुए ) मैं कुछ नहीं जानती जल्दी से तैयार हो जाओ! ।
विक्रम: पर... मेरे कपड़े!?।
सूझी: जब मैं तुमसे मिलने आई थी उससे पहले ही इंतजाम करके रखा था! एमरजेनसी के लिए! तो बहाने बाजी छोड़ो और जल्दी से तैयार हो । ( बाथरुम का दरवाजा बंद करते हुए । ) ।


सूझी आखिरीबार अपना टच अप करने के बाद पर्स में सारी चीज़े रखने में व्यस्त थी । थोड़ी देर बाद विक्रम बाथरुम से बाहर आता है। सूझी जब देखती है तो उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। विकी बिलकुल पहले जैसा लग रहा था। सूझी " क्या बात है! आज तो तुम लड़कियों पर कहर ढाओगे!। " । विकी " तुमने ये जानबूझकर किया है ना! यार! अब में टिनेजर थोड़ी ही हूं। " सूझी " शट अप मेन! तुम्हे खुद नहीं पता तुम कितने हॉट लग रहे हो! यह पूरा ब्लैक कॉम्बिनेशन तुम पर जच रहा है। अगर मेरे फ्रेंड ना होते तो मैं जरूर ट्राय करती! वैसे अभी भी क्या बुराई हैं । " विकी " सुजेन!?" । सूझी " चील ड्यूड मजाक कर रही हूं! । अब चले! । " विकी ना चाहते हुए हां में सिर हिलाता है। सूझी विकी के पास खड़े होकर एक सेल्फी लेती है!। लेकिन विकी सिर्फ ऐसे ही खड़ा था बिना मुस्कुराए! तब सूझी उसे मुस्कुराने के लिए कहती है! फिर से सेल्फी लेकर वह अपने सोशियल मीडिया पर लिखती है, विथ लव... । विकी देखकर कहता है " सूझी तुम पागल हो गई हो!?" । सूझी " चील ड्यूड कौन सा हमारे जीएफ-बीएफ ब्रेक अप कर लेंगे! । तो जलाओ जलने वालो को हमारा क्या ही नुकसान हो रहा है। विकी सिर को ना में हिलाते हुए ' यह लड़की कभी नहीं सुधरेगी। ' । और वह दोनो कार लेकर पार्टी के लिए निकल जाते है।