तान्या मानो आग में जल रही थी। उसने कार का हैंडल कसकर पकड़ा था। और गुस्से से तिलमिला रही थी। तभी रेहान एक बार उसकी ओर नजर करते हुए देखता हैं। तान्या बुरी तरह गुस्से से कांप रही थी । रेहान कहता है।
रेहान: तुम ठीक हो!?। तुम कहो तो मैं कार कहीं रोकू!?फ्रेश हवा के लिए!।
तान्या: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) नो! मैं इसे सहन करना चाहती हूं! क्योंकि यही गुस्सा,दर्द मैं उसे दो गुना लोटाऊंगी! ।
रेहान: ( चिंता भरे लहजे में ) पर... स्तु... ।
तान्या: ( रेहान की बात काटते हुए ) इट्स तान्या रेहान तान्या.... ।
रेहान: तुम्हे खुद पर इतने जुल्म करने की जरूरत नहीं! इतना गुस्सा तुम्हारे लिए अच्छा नहीं है! तान्या! अगर कुछ हो गया तो!? ।
तान्या: हाहाहाहाहा.... ( दर्द के साथ हंसते हुए ) जिस इंसान को उसके सबसे खास इंसान ने जख्म दिया हो!? जो मौत के मुंह में से लौट कर आया हो!?। उसे क्या ही होगा! कुछ नहीं होगा! डोंट वरी।
रेहान: पर! ।
तान्या: लीव ईट रेहान! बस तुम ये पता करो की केमेरा और रिकॉडर कैसे बंद हो गए । मैं उसके हर एक पल की खबर चाहती हूं! । क्या करता है! क्या खाता है! कहां जाता है! किससे मिलता है!। ताकि मैं उसे इतना तड़पाऊ की उसकी रूँह तक कांप उठे!। उसे अफसोस हो की वह इस दुनिया में क्यों जन्मा!। और में उसे अफसोस करवाके रहूंगी! यह मेरा वादा है। ( मानो जैसे तान्या की आंखों में ज्वाला जल रही थी। बदले की आग जो विक्रम को भस्म किए बिना बुझने वाली नहीं थी। ) ।
रेहान: फाईन ।
तान्या के मन में अभी भी विक्रम और सूझी ने जो थोड़ी देर पहले किया वही घूम रहा था । वह मानना तो नहीं चाहती थी पर उसका दिल जल के कोयला हुए जा रहा था। मानो जैसे उसने जो भी भावनाएं छुपाए हुई थी वह सब उमड़ रही थी। उसका दिल दुहाई दे रहा था। वह चिल्लाकर विकी को पूछना चाहती थी की वह कैसे कर सकता है उसके साथ ऐसा!? । जब की जूठे प्यार के नाम पर स्तुति को मारने में भी नहीं हिचकिचिया था। अब कहां गया वो प्यार!? कहां गया वो वादा जो विकी ने किया था!?। या फिर सिर्फ सिर्फ वह बुनी हुई बातें थी जो एक जिस्म से दूसरे जिस्म को देखते ही बदल जाती है। वह हंसते हुए रेहान से कहती है।
तान्या: यू नो रेहान! ये प्यार भी ना बड़ी कमिनी चीज है। जब नहीं होता तो जो प्यार में उन्हें पागल कहते है। और जब हो जाता है तो हमे ही पागल बना देता है। क्योंकि लाख कोशिश करो! आप अपने इस इडियट इमोशंस पर काबू कर ही नहीं सकते । नाटक तो कर लेते है की मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता पर... जितना नाटक करते है उतना ही दर्द बढ़ता जाता है। ना तो आप कह सकते हो और ना ही सह सकते हो! यह एक ऐसा जहर है जो जीना मुश्किल कर देता है और मरने देता नहीं । साला एक अच्छा खासा इंसान को चू**या बना देता है । ( रेहान कोई भी जवाब दे उससे पहले ही वह! आंखे बंद करके सो जाती है। क्योंकि थोड़ी देर और भी बात की तो वह जानती थी दिल को संभाल नहीं पाएगी! इससे अच्छा है आंखे बंद करके खुद को रोके रखे । ) ।
विकी सूझी के घर पर उसके लैपटॉप में कुछ देख रहा था। तभी सूझी कॉफी देते हुए कहती है।
सूझी: देखो! अभी तक कुछ पता तो नहीं चला की कब से यह सब चल रहा है लेकिन! यह बात तो पक्की है! वह लोग बिना परमिशन के तो तुम्हारे घर में नहीं आए होगे यह तो पॉसिबल नहीं है । तो...! ? ।
विक्रम: तो तुम्हारा मतलब की वह लोग पार्टी के दौरान ये सब सेट अप किया है!? ।
सूझी: डोंट नो!? ।
विक्रम: ( तभी विक्रम को याद आता है जब वह पहली बार मिला था । ) नो! यह आई थिंक उससे पहले ही हुआ है।
सूझी: ( सोफे पर बैठते हुए ) क्या मतलब!? ।
विक्रम: मैं तान्या से पहले भी मिल चुका हूं!? ।
सूझी: ( श्यतानी मुस्कुराहट के साथ ) अच्छा! ।
विक्रम: ( सिर पीटते हुए ) कितनी गंदी सोच है तुम्हारी! ।
सूझी: अच्छा मेरी गंदी सोच है! जैसे तुम तो दूध के धुले हुए हो! ।
विक्रम: ( मुस्कुराते हुए ) मेरी मां! हमारी मुलाकात अचानक हुई थी ।
सूझी: ( मुस्कुराहट के साथ ) फिर!? ।
विक्रम: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) फिर क्या!? मैने उसे उसके घर छोड़ दिया ! ।
सूझी: बस!? और कुछ नहीं हुआ!? ।
विक्रम: सूझी!? ।
सूझी: क्या यार! तुम सच में बोरिंग हो गए हो! कहां वो विक्रम ठाकुर जो पार्टी की जान और लड़कियों की धड़कन हुआ करता था। और कहां ये सडू सा देवदास! ।
विक्रम: प्यार कमबख्त होता ही ऐसा है यार! आप चाह कर भी किसी ओर के बारे में सोच भी नहीं सकते! । कितनी भी कोशिश करु! मन ही नहीं मानता की किसी और से किसी भी तरह का रीश्ता रखूं! ।
सूझी: ( हाथ जोड़ते हुए ) ओह! भाई अब अपना प्रवचन शुरू ना कर देना! प्लीज! यह सब फिल्मी बातें है! फिल्मों में ही अच्छी लगती है । रियल लाइफ में तो एक जाएगा तो दूसरा आएगा!। तुम नहीं मिले तो तुम्हारी जगह कोई और बना ही लेता है। सो जितनी जल्दी इस फिल्मी दुनिया से बाहर आओ! उतना ही बेहतर है।
विक्रम: हाहाहाहाहा.... जब तुम्हे प्यार होगा तब मैं पूछूंगा! ।
सूझी: नो! थैंक्स! मुझे मेरी हस्ती खेलती जिंदगी बर्बाद नहीं करनी! मैं जैसी हूं वैसी ठीक हूं! यार एक ही लाइफ़ है मेरी क्यों मैं एक इंसान के पीछे बर्बाद करूं! उसके जैसे हजारों मील जायेगे! इनफेक्ट उससे भी बेहतर मिल जायेगे तो क्यों ही समय और दिल बर्बाद करना।
विक्रम: तुम अभी तक उसे नहीं भूली है ना! तुम्हारा और मेरा हाल एक ही जैसा है! बस तुम ऐसे खुद कुबूल नहीं करती और मैं! छुपा नहीं सकता। पर सूझी!.... ( विकी के आंख से एक आंसू गिरता है। जिस वजह से आंखे बंद करते हुए सिर छत की ओर कर देता है। ताकि वह आंसू छिपा सके। ) तुम कितनी भी कोशिश कर लो जब तुम दिन के अंत में अकेले पड़ते हो। तब वहीं इंसान याद आता है। चाहे लाखो हसीन चेहरे देख लो! आखिर में उसका चेहरा ही देखने को दिल तड़पता है। तो यह दर्द जितनी जल्दी बाहर निकालोगी। उतना ही जीना आसान हो जाएगा! वर्ना तुम खुद के दिल को और भी घुंटती जा रही हो।
सूझी: ( खुद को काबू करते हुए ) मैं.... मैं.... कॉफी लेके.... आती हूं..... । ( यह कहकर वह वहां से चली जाती है ।) ।
विक्रम: ( सिर्फ सिर को हां में हिलाते हुए जवाब देता है । क्योंकि उसने और कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी। ) ।
वह आंखे आंखे खोलकर छत की ओर देख रहा था। उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ जाती है। मानो जैसे वह कोई छत नहीं इंसान हो। मन ही मन सोचता है। " और कितना टाइम है स्तुति!? । अब बहुत ही दूरी हो गई है! कितना और नाराज रहोगी!? । अब बुला भी लो अपने पास!। तरस रहा हूं तुम्हारी एक झलक के लिए! तुम्हारी मुस्कान के लिए। अब तो दिन भी नहीं कट रहे है। जानती हो इतने सालो में तुम्हारे अलावा किसी और के लिए दिल धड़का था। जो की मैं भी नहीं जानता क्यों!? लेकिन मैं तुमसे किया हुआ वादा कैसे तोड़ सकता हूं स्तुति!?। वह वादा जो मैने किया था वह मैं कैसे तोड़ सकता हूं! तुम्हारे अलावा किसी ओर के बारे में! कभी नहीं।
फ्लैशबैक:
विक्रम: अच्छा लिस्टन ना यार! जल्दी से देना कुछ आईडिया!। ( नाखून चबाते हुए ) ।
स्तुति: अब मैं क्या करु इसमें! तुम्हारे डैड है तुम सोचो कैसे मनाओगे!? ।
विक्रम: अरे! यार वह तो मेरी शादी करवाने पे तुले हुए है। वह मान ही नहीं रहे! और मैं उस नकचड़ी से बिलकुल शादी नहीं करने वाला! इससे अच्छा! मैं मर जाऊं!।
स्तुति: ( खुद को हंसने से रोकते हुए! झूठ मूठ का खांस रही थी। ) ।
विक्रम: ( गुस्से में स्तुति की ओर देखता है। ) हंस ले! जी भर के हंस ले! तुझे तो बड़ा मजा आ रहा होगा! मेरी ऐसी हालत पर!। तुझ जैसी दोस्त हो तो दुश्मन की क्या जरूरत है।
स्तुति: ( हंसी को कंट्रोल करते हुए ) अच्छा सॉरी ना! देख मुझे खुद समझ नहीं आ रहा की क्या कहूं! और पहली बार विक्रम ठाकुर की बत्ती गुल देखी है। तो मेरा ऐसे रिएक्ट करना वाजिब है।
विक्रम: स्तुति! यार.! यहां मेरी जान जा रही है और तू मुझे! और सता रही है! अगर डैड ने कहीं मंगनी फिक्स कर दी तो। मेरी जिंदगी बरबाद होने से कोई नहीं बचा सकता ।
स्तुति: अरे! यार पर तुझे उससे शादी करने में क्यों एतराज है। लड़की सुंदर है! अच्छी फैमिली से है। तुम्हारे डैड के पॉलिटिक्स में भी फायदा होगा फिर... ।
विक्रम: मैं ऐसे कैसे किसी से भी शादी कर लूं!।
स्तुति: मतलब!?।
विक्रम: ( चिल्लाते हुए ) मतलब मैं जिससे प्यार करुंगा उसीसे शादी करना चाहता हूं! ।
स्तुति: ( बड़ी आंखे करते हुए विक्रम की ओर देखे जा रही थी। ) तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना। ( विकी के सिर को छूते हुए ) ।
विक्रम: ( स्तुति का हाथ हटाते हुए ) शट अप! इसमें इतना हैरानी की क्या बात है!?।
स्तुति: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) जो इंसान रोज एक नई गर्लफ्रेंड के साथ हो! वह अगर ऐसी बात करे! तो आश्चर्य होना लाजमी है।
विक्रम: ( स्तुति की बाह पकड़कर अपनी ओर खींचते हुए ) पहली बात! उन में से एक भी मेरे लिए खास नहीं है। और दूसरी बात जितना ये सारे रिलेशन मेरे लिए मायने नहीं रखते! उनके लिए भी बिलकुल वैसा ही है। मैने आज तक उन मैं से किसी को भी कोई वादा या जूठे सपने नहीं दिखाए! तो तुम मुझे ये ब्लेम करना बंद करो।
स्तुति: हां तो इससे जो गलत है वह सही नहीं हो जाएगा। तो तुम जितना जल्दी सुधार जाओ! तुम्हारे लिए बेहतर है।
विक्रम: ( मुस्कुराते हुए ) क्यों!? तुम्हे इतनी जेल्सी क्यों! हो रही है! कहीं मेरे लिए कोई फिलिंग विलिंग तो नहीं हो गई। ऐसा है तो बेबी आई स्वेयर! मैं अभी के अभी मंदिर में जाके शादी कर लूंगा। ( सोचने के बाद ) अरे! वाह फिर तो मुझे उस नकचड़ी से शादी भी नहीं करनी पड़ेगी।
स्तुति: ( मुक्का मारते हुए ) तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता! इस हालत में भी तुम्हे मजाक सूज रहा है। अच्छा है तुम ऐसी मुसीबत में फंसे हो। तुम इसी लायक हो। ( कमरे से बाहर जाते हुए ) ।
विक्रम: ( हंसते हुए स्तुति के पीछे जाते हुए ) हेय! स्तुति ( चिल्लाते हुए ) आई स्वेर! अगर तुम सच में हां कहोगी! तो मैं किसी के साथ रिलेशन तो दूर की बात है । किसीके लिए दिल में भी नहीं सोचूंगा! । चाहे जो भी हो! यह विक्रम ठाकुर का वादा है। याद रखना जिस दिन तुम मेरी होगी! उस दिन समझ लेना विक्रम ठाकुर सारी दुनिया के लिए मर गया!। जब तैयार हो तब बता देना ।
स्तुति: हाहाहाहाहा.... सपने देखो सपने! । यह कहते हुए वह घर से निकल जाती है।
विक्रम को जब सूझी की आवाज आती है तो वह सोच में से बाहर आ जाता है। उसकी मुस्कुराहट चली जाती है। वह फिर से सोचता है। और कितनी देर लगेगी स्तुति! प्लीज थोड़ा जल्दी करो! जी भर के देखना है तुम्हे! अगर ज्यादा टाइम है मेरे पास तो ऊपर वाले से कहकर थोड़ा शॉर्ट कट करवा दो प्लीज... । इससे पहले मैं भटक जाऊ प्लीज... मैं नहीं चाहता ये ( दिल की ओर उंगली करते हुए ) तुम्हारे सिवाय किसी और का हो।