19 - दासता के बंधन तोड़ने का प्रयास
अब हम थोड़ी देर के लिए टॉम से विदा होकर जार्ज, इलाइजा, जिम और उसकी वृद्ध माता का वृत्तांत सुनाते हैं।
संध्या का समय निकट है। जार्ज अपने लड़के को गोद में लिए हुए और अपनी स्त्री इलाइजा का हाथ अपने हाथ में पकड़े हुए बैठा है। दोनों चिंता-मग्न और गंभीर जान पड़ते हैं। उनके गालों पर आँसुओं के चिह्न दीख पड़ते हैं।
जार्ज ने कहा - "हाँ, इलाइजा, मैं जानता हूँ कि तुम जो कहती हो, सब सच है। तुम्हारा हृदय स्वर्गीय भावों से पूर्ण है। इसके विपरीत, मेरा हृदय बिलकुल शुष्क है, लेकिन मैं तुम्हारे वचन-पालन की चेष्टा करूँगा। मैं तुमसे निश्चय कहता हूँ कि स्वतंत्र हो जाने पर मैं एक ईसाई का-सा श्रद्धालु हो जाऊँगा। सर्वशक्तिमान ईश्वर जानता है कि मैंने कभी अपने मन में बुरे विचारों को स्थान नहीं दिया। जब-जब मुझपर घोर अत्याचार हुए, तब-तब मैंने उसी का नाम लेकर अपने मन को धीरज दिया। अब मैं सारी पिछली सख्तियों और अत्याचारों को मन से भुला दूँगा। अपनी बाइबिल पढूँगा और सज्जन बनने की चेष्टा करूँगा।"
इलाइजा - "और जब हम कनाडा पहुँच जाएँगे, तब मैं तुम्हारी सहायता करूँगी। मैं बहुत अच्छे कपड़े सीना जानती हूँ। मैं बढ़िया धुलाई और इस्तरी का काम भी कर सकती हूँ। हम दोनों वहाँ कुछ-न-कुछ करके अपना जीवन-निर्वाह कर लेंगे।"
जार्ज - "हाँ, इलाइजा, मुझे पेट की इतनी चिंता नहीं है। इस बच्चे को और तुम्हें साथ लेकर जहाँ-कहीं रहूँगा, वहीं मेरे लिए स्वर्ग है। मैं अधिक नहीं चाहता। ईश्वर से इतनी ही प्रार्थना है कि तुमसे वियोग न हो। इस बालक को कोई हमसे छीन न सके। सोचने की बात है कि ये नर-पिशाच गोरे माता की गोद से बच्चो को छीनकर और पति से स्त्री को अलग करके बेच डालते हैं। इससे अभागे गुलामों के हृदयों को कितना कष्ट पहुँचता है। मैं ऐसी दशा में यही चाहता हूँ कि तुम पर और इस बच्चे पर मेरा अपना कहने का अधिकार हो जाए। इसके सिवा मैं ईश्वर से और कुछ नहीं माँगता। मैंने गत पच्चीस वर्ष की अवस्था तक प्रतिदिन कठिन परिश्रम किया है और उसके लिए कौड़ी भी नहीं पाई। न मेरे रहने के लिए झोपड़ी थी और न अपनी कहने के योग्य एक बालिश्त जमीन ही। इतने पर भी वे यदि मेरा पिंड छोड़ दें तो मुझे संतोष है। मैं उनका कृतज्ञ रहूँगा। मैं कमाकर तुम्हारे मालिक को तुम्हारा और अपने इस लड़के का मूल्य भेज दूँगा। अपने पुराने मालिक का तो मैं एक कोड़ी का भी कर्जदार नहीं। उसने मुझे जितने में खरीदा था, उससे पाँच गुना उसने मेरे द्वारा वसूल कर लिया। इलाइजा, स्वाधीनता बड़ा अमूल्य रत्न है, पर चिरपराधीन व्यक्ति स्वाधीनता के सुख को नहीं जान सकता। मिश्री खाए बिना उसका स्वाद नहीं जाना जा सकता। इसी भाँति जो सदा से पराधीन है, वह स्वाधीनता की महिमा नहीं समझ सकता। इस विपत्ति की दशा में रहते हुए भी मैं तुमसे स्वाधीनतापूर्वक बातें कर रहा हूँ, इतने ही से मेरा हृदय आनंद से नाच रहा है। आज स्वाधीनता ने मुझमें फिर जान डाल दी है। परमात्मा करे, संसार में कोई भी पराधीन न रहे, कोई स्वाधीनता के स्वाद से वंचित न हो। संसार में किसी जाति को पराधीनता की जंजीर से न जकड़ा रहना पड़े। इलाइजा, पराधीनता की बेड़ी से सर्वथा मुक्त हो जाने के लिए मैं बहुत छटपटा रहा हूँ।"
इलाइजा - "पर हम अभी संकट से पार नहीं हुए हैं। अभी कनाडा दूर है।"
जार्ज - "यह सत्य है, पर स्वाधीनता की वायु मंद-मंद लहराती जान पड़ती है और उसके स्पर्श मात्र से मैं सजीव-सा जान पड़ता हूँ।"
इसी समय बाहर किसी के बातचीत करने की आवाज सुनाई दी। तुरंत ही किसी ने दरवाजा खड़खड़ाया। इलाइजा ने जाकर दरवाजा खोल दिया।
बाहर से साइमन हालीडे एक क्वेकर-संप्रदाई भाई को साथ लिए हुए अंदर आए। इस दूसरे आदमी का नाम साइमन हालीडे ने फीनियस बताया। फीनियस लंबा-चौड़ा आदमी था। चेहरा देखने से कार्यदक्ष, चालाक और लड़ाका जान पड़ता था। साइमन हालीडे की भाँति इसके मुख पर शांत भाव न था। यह उस ढंग के आदमियों में था जो जितना होते हैं उससे अपने को अधिक समझते और प्रकट करने की कोशिश करते हैं। पर दिल का साफ था।
साइमन हालीडे ने अंदर आकर कहा - "जार्ज, बड़ी आफत है। तुम्हें पकड़ने के लिए आदमी तैनात हुए हैं। फीनियस ने उनकी कुछ-कुछ बातें सुनी हैं। अच्छा होगा कि इसी के मुँह से सारी बातें सुनो।"
फीनियस ने कहना आरंभ किया - "मेरा सदा से यह मत है कि आदमी को सर्वदा एक कान खुला रखकर सोना चाहिए। उससे बड़ा लाभ होता है। पिछली रात मैं एक होटल में ठहरा था। वहाँ एक कमरे में बिस्तर पर पड़ा हुआ था, पर अपने सिद्धांत के अनुसार मैं नींद में ऐसा बेहोश नहीं हो गया था, जैसे कि अक्सर लोग हो जाया करते हैं कि कोई उनके सिरहाने का तकिया भी खींच ले जाए तो उन्हें पता न लगे। हाँ, तो मुझे मालूम हुआ कि मेरे कमरे के बगलवाले कमरे में बैठे कुछ लोग शराब पी रहे हैं और बातें कर रहे हैं। उनकी बातें सुनने की मुझे उतनी परवा नहीं थी, पर जब मैंने उन्हें क्वेकर-मंडली का नाम लेते सुना तो मेरे जी में खटका हुआ और मैं ध्यान से उनकी बातें सुनने लगा। उनमें से एक ने कहा, "जरूर वे भगोड़े दास-दासी क्वेकरवालों के गाँव में ही छिपे हैं। जल्दी चलकर उस नौजवान को गिरफ्तार करना चाहिए। उसे केंटाकी ले चलकर उसके मालिक को सौंपना होगा। उसका मालिक जरूर ही उसे मार डालेगा। उसको ऐसी सजा हो जाने पर फिर गुलाम लोग भागने का दुस्साहस नहीं करेंगे। पर उस युवक के लड़के को जिस दास-व्यवसायी ने खरीदा था, उसी को दिया जाएगा, खूब माल मिलेगा और उस युवक की स्त्री को दक्षिण में बेचकर सहज में सोलह-सत्रह सौ मार लिए जाएँगे। वह स्त्री बड़ी सुंदरी है। जिम और उसकी माता को यदि उनके पहले मालिकों के यहाँ ले जाएँ तो वे जरूर हमें खूब इनाम देंगे। उस आदमी की बातों से मुझे यह भी जान पड़ा कि उनके साथ पुलिस के दो सिपाही भी हैं और तुम लोगों की गिरफ्तारी के लिए उनके पास वारंट है। इनमें से एक जो नाटा है, वह जरूर वकील है, क्योंकि बड़ी कानूनी बातें बनाता है। उसने निश्चय किया है कि वह अदालत में जाकर झूठमूठ कह देगा कि इलाइजा उसी की खरीदी हुई दासी है। फिर उसकी बात पर जब इलाइजा उसकी हो जाएगी तब वह उसे दक्षिण में ले जाकर बेच डालेगा। पुलिस के सिपाहियों के सिवा उनके साथ और भी कई आदमी हैं। मैं बड़ी तेजी से यहाँ आया हूँ। मैं समझता हूँ कि वह सवेरे सात या ज्यादा-से-ज्यादा आठ बजते-बजते यहाँ पहुँच जाएँगे। इसलिए अब जो करना हो, जल्दी किया जाए।"
इस वार्तालाप के उपरांत यह मंडली जिस विचित्र ढंग से खड़ी थी, वह द्रश्य चित्र लेने योग्य था। हालीडे के चेहरे पर काफी चिंता छा गई थी। फीनियस भी बड़ी गहरी चिंता में मग्न जान पड़ता था। इलाइजा अपने स्वामी के गले में हाथ डाले खड़ी हुई उसकी ओर देख रही थी। जार्ज की आँखों में सुर्खी छा गई थी। उसकी ऐसी दशा हो गई थी, मानो उसकी आँखों के सामने उसकी स्त्री की नीलामी हो रही हो और उसका लड़का किसी दास-व्यवसायी को बेचा जा रहा हो।
इलाइजा बड़ी दीनता से बोली - "जार्ज, अब क्या उपाय होगा?"
"मैं उपाय जानता हूँ।" - यह कहकर जार्ज कोठरी के अंदर गया और अपनी पिस्तौल लाकर बोला - "जब तक मेरे हाथ में पिस्तौल है, किसी का कुछ डर नहीं। जब तक मुझ में जान है, कोई गोरा तुम्हारा बाल बाँका नहीं कर सकता।"
साइमन हालीडे ने एक ठंडी साँस लेते हुए उससे कहा - "मैं तुमसे प्रार्थना करता हूँ कि ऐसा मत करना।"
इस पर जार्ज ने साइमन से कहा - "महाशय, आपने पिता की भाँति हम लोगों को शरण दी है, इसके लिए हम सब आपके कृतज्ञ हैं, परंतु यदि पकड़नेवालों से यहाँ हम लोगों का किसी प्रकार का झगड़ा हो गया तो देश-प्रचलित घृणित कानून के अनुसार आपको भी दंड-भागी होना पड़ेगा। इसलिए मैं चाहता हूँ कि आगे जाकर पकड़नेवालों से मुकाबला हो, जिससे आप पर किसी तरह की आपत्ति आने का अंदेशा न रहे। पकड़नेवालों से भेंट होने पर हम उनके छक्के छुड़ा देंगे। उन स्वार्थी, नर-पिशाच, विवेकहीन गोरों के खून की नदी बहा देंगे। जिसमें दैत्य का-सा बल है, वह बड़ा साहसी तथा मरने-मारने को सदा तैयार है। मुझे भी किसी का भय नहीं है।"
फीनियस अब तक खड़ा बातें सुन रहा था। उसने कहा - "हाँ, भाई, तुम बहुत ठीक कहते हो। पर तुम्हें एक गाड़ी हाँकनेवाले की तो जरूरत पड़ेगी ही, क्योंकि तुम्हें तो रास्ता मालूम नहीं। मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।"
जार्ज- "पर मैं नहीं चाहता कि तुम इस आफत में पड़ो।"
फीनियस - (आश्चर्य से) "आफत! जब आफत आए तो जरा कृपा करके मुझसे भी उसकी जान-पहचान करा देना।"
साइमन ने कहा - "फीनियस बड़ा साहसी और बुद्धिमान आदमी है। वह जी-जान से तुम लोगों की रक्षा करेगा। जार्ज, इतनी जल्दबाजी की जरूरत नहीं है। जरा धीरज से काम लो, युवकों का खून बहुत जल्दी उबल उठता है।"
जार्ज - "मैं पहले किसी पर आक्रमण नहीं करूँगा। मैं उनसे केवल इतना ही कहूँगा कि वह मुझे इस देश से जाने दें और मैं शांतिपूर्वक चला जाऊँगा। हाँ, यदि उन्होंने मेरे कार्य में किसी प्रकार की बाधा डाली तो वे हैं और यह पिस्तौल, मैं बिना उनकी जान लिए नहीं छोडूँगा। उनकी जान लेने पर उस दु:ख की शांति हो जाएगी, जो माता और बहन का वियोग होने से मुझे हरदम सताया करता है।" माता और बहन का स्मरण होते ही उसकी आँखों से आँसुओं की धारा बह निकली। उमड़े हुए शोक से उसका गला भर आया। वह अस्फुट-स्वर में कहने लगा - "बीती बात याद करके मेरा कलेजा फटा जाता है। मेरी एक बड़ी बहन थी। उसे मेरे नीच मालिक ने दक्षिण में बेच डाला। अब स्त्री और पुत्र से अलग करके मेरी दुर्दशा करना चाहता है। जब ईश्वर ने मुझे स्त्री-पुत्र की रक्षा के लिए ये दो दृढ़ भुजाएँ दी हैं तब यदि मैं उनके लिए इनका उपयोग न करूँ, तो ये व्यर्थ हैं। मैं निश्चय के साथ कहता हूँ कि मेरी देह में प्राण रहते मेरी स्त्री और पुत्र को कोई मुझसे अलग नहीं कर सकता। क्या आप इस आचरण के लिए मुझे दोषी कहेंगे?"
साइमन - "कभी नहीं! इन स्वार्थी नर-पिशाच गोरों के सिवा और कोई तुम्हारे इस आचरण को बुरा नहीं कह सकता। दुर्बल से दुर्बल आदमी भी इतना अत्याचार सहन नहीं कर सकता। धिक्कार है इस पाप और अत्याचार-पूर्ण संसार को! पर उससे अधिक धिक्कार है उन पाखंडियों को, जिनकी स्वार्थपरता और अर्थ-तृष्णा के कारण इस संसार में पाप और अत्याचार फैला हुआ है।"
फीनियस अब तक खामोश बैठा हुआ था। साइमन की बात समाप्त होने पर वह बोला - "भाई जार्ज, ईश्वर ने मेरी इन दो भुजाओं में भी कुछ बल दिया है। मित्र, मुझे विश्वास है कि काम पड़ने पर ये भुजाएँ तुम्हारे लिए इस शरीर से अलग हो जाने को भी तैयार रहेंगी।"
साइमन ने कहा - "फीनियस, जार्ज पर जैसे-जैसे अत्याचार हुए हैं, उससे उसके मन में बदला चुकाने की प्रवृत्ति का आना स्वाभाविक है, लेकिन तुम तो शांत रहो। हाँ, सताए हुए अपने भाई-बंधुओं की सहायता के लिए सदा प्राण देने को प्रस्तुत अवश्य रहना चाहिए और अत्याचार के विरुद्ध इसी प्रकार कटिबद्ध रहना ठीक है। पर अब तो नेताओं ने इस विषय में इससे बहुत अच्छे मार्ग का अनुसरण करने की सलाह दी है। उनका कहना है कि मनुष्य को कोई कार्य क्रोधांध अवस्था में नहीं करना चाहिए। क्रोध और द्वेष दोनों मन के विकार हैं। अत्याचार को दूर करने के लिए इन दोनों शत्रुओं के वश में होकर कोई काम करना उचित नहीं है। क्रोध के समय मनुष्य को भले-बुरे का ज्ञान नहीं रहता है। अतः कुछ सोचना हो, करना हो, सब शांति में होना चाहिए। ईश्वर से हम लोगों को प्रार्थना करनी चाहिए कि हम भटकने न पाएँ।"
फीनियस पर इस उपदेश का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा, किंतु फिर भी वह अपनी प्रचंड प्रकृति को वश में करने की चेष्टा करने लगा। हम पहले कह आए हैं कि फीनियस एक भीम-प्रकृति का मनुष्य है, बड़ा संग्राम-प्रिय है, अवसर आने पर वह साक्षात यमराज की भाँति लड़ता है। विपदा किसे कहते हैं, यह तो वह स्वप्न में भी नहीं सोचता। असल में युद्ध के लिए शारीरिक बल की ही आवशकयता नहीं है बल्कि मानसिक बल भी इसके लिए बहुत जरूरी है। जो मौत के मुँह में जाने से डरता है, वह कायर संग्राम के उपयुक्त नहीं। उसे कभी देव-दुर्लभ वीर की पदवी नहीं मिल सकती। वीर की जान हथेली पर रहती है, मौत उसके लिए खेल की वस्तु है। फीनियस मृत्यु से कभी नहीं डरता था। पहले तो वह और भी आग-बबूला था, किंतु अब कुछ शांत प्रकृति का हो गया है। प्रेम की छूत वज्र-हृदय को भी कोमल बना देती है। क्वेकर-संप्रदाय की किसी सुशिक्षिता, सहृदया युवती के प्रेम में फँसने के बाद फीनियस की प्रकृति कुछ ठंडी हो गई है। इसकी परोपकार-वृत्ति बड़ी प्रबल है। दूसरे का भला होता हो तो यह अपनी जान दे सकता है। पर अब पहले का-सा भाव नहीं है। पहले वह बिना सोचे-विचारे, बिना बात की, लड़ाई मोल ले लेता था; किंतु अब अपनी प्यारी के शांत मुख कमल का स्मरण आते ही फीनियस अपनी दुर्दम्य प्रकृति को वश में करने की चेष्टा करता है। अब वह सदुपदेश के सम्मुख सिर झुकाता है। ज्ञानी और महात्माओं के वाक्यों पर बड़ी श्रद्धा रखता है।
फीनियस को गरम होते देखकर साइमन की सहधर्मिणी वृद्ध राचेल ने मुस्कराकर कहा - "फीनियस किसी काम के लिए कमर कस ले तो किसी की मजाल है कि उसे उसके इरादे से हटा दे लेकिन अब उसका हृदय प्रेम की पवित्र डोर से बँधा हुआ है। इस समय उसका दुर्दम्य मन कैदी बना हुआ है।"
राचेल की बात समाप्त हो जाने पर जार्ज ने साइमन से कहा - "खैर, आप जो कहते हैं, वह सब भी ठीक है, पर यहाँ से भागने के सिवा बचने की और क्या सूरत है? जहाँ तक हो, यहाँ से जल्दी ही हट जाना अच्छा है।"
इस पर फीनियस ने कहा - "हाँ, यह ठीक है। अभी यहाँ से निकल चलने से फिर पकड़नेवालों की दाल न गलेगी। मैं तो दो घंटा रात रहे ही वहाँ से चल दिया था। वे सब आज सवेरे तुम लोगों की तलाश में निकलेंगे। यहाँ से अभी निकल चलें तो वे हम लोगों से चार कोस पीछे रहेंगे। मैं अभी जाकर माइकल क्रास को बुला लाता हूँ। वह पीछे रहकर पकड़नेवालों का भेद लेता रहेगा। हम लोग कुछ आदमी गाड़ी पर चढ़कर आगे बढ़ चलेंगे।"
फीनियस जब माइकल क्रास को बुलाने चला गया, तब साइमन ने कहा - "जार्ज, फीनियस बड़ा चतुर और कामकाजी आदमी है। तुम इसी की सलाह पर चलना। वह अपनी सामर्थ्य भर तुम्हारी भलाई करने से नहीं चूकेगा।"
जार्ज - "और तो कुछ नहीं, मुझे इस बात का बड़ा खेद हो रहा है कि कहीं हम लोगों के लिए आपको किसी आफत में न फँसना पड़े।"
साइमन - "हम लोगों के लिए तुम कोई चिंता मत करो। हमने जो कुछ किया है, अपने कर्तव्य के अनुरोध से किया है। कर्तव्य-पालन में हमारे प्राण भी जाएँ तो कोई चिंता नहीं।"
फिर साइमन ने अपनी स्त्री की ओर घूमकर कहा - "राचेल, अब शीघ्र ही इन लोगों के खाने-पीने का प्रबंध हो जाना चाहिए। हम अपने घर से इन लोगों को भूखा नहीं जाने देंगे।"
राचेल जब अपने बाल-बच्चो को लेकर जल्दी-जल्दी भोजन बनाने में लगी हुई थी, उसी समय जार्ज और उसकी स्त्री अपने छोटे कमरे में एक-दूसरे के गले में बाँहें डाले हुए बैठे कुछ ही देर में होनेवाले अपने वियोग के संबंध में बातें कर रहे थे। उनकी आँखों में आँसू भरे थे।
जार्ज ने कहा - "इलाइजा, जो लोग मित्रों से घिरे हुए हैं, और धन-धान्य, गृह तथा अनेकानेक संपत्तियों से पूर्ण हैं, उन्हें स्त्री-पुत्र का वियोग ऐसा दु:खदायी नहीं होता होगा। उनके सुख के अनेक साधन हैं, पर तुम्हारे और इस संतान के सिवा संसार में मेरे लिए तो और कुछ नहीं है। तुमसे ब्याह होने के पूर्व इस जगत में मेरी उस दुखियारी माता और बहन के अलावा और कोई प्राणी मुझे प्यार की निगाह से देखनेवाला न था। जिस दिन प्रात: काल मेरी बड़ी बहन एमिली को सौदागर खरीदकर ले गया, उस दिन की याद करके मुझे अपार दु:ख होता है। मैं दालान में पड़ा सो रहा था। उस समय उसने रोते हुए आकर मेरा हाथ पकड़कर उठाया और कहा, "जार्ज, आज तेरी अंतिम हिताकांक्षिणी जा रही है। अभागे बालक, तेरी क्या गति होगी?" मैं उठ खड़ा हुआ और उसके गले से लिपटकर रोने-चिल्लाने लगा। वह भी बहुत रोई। वे अंतिम स्नेह के शब्द सुने आज मुझे दस वर्ष हो गए। मेरा हृदय जल-जलकर खाक हो गया। तुम्हारे प्रेम से मेरे मुर्दा शरीर में कुछ जान आ गई थी। बीती बातों को भुलाकर मैं नया मनुष्य बन गया। इलाइजा, अब मुझे मरना कबूल है, पर मैं उन लोगों को तुझे अपने पास से कदापि न ले जाने दूँगा। मुझे इस जीवन की कोई परवा नहीं है। जीना है तो सुख से, अपने स्त्री-पुत्र सहित, नहीं तो इनसे बिछुड़कर जीने में क्या आनंद रखा है? यों कुत्ते की मौत मरने की अपेक्षा वीरों की भाँति, अत्याचारियों को, जो हमें सताते हैं, उन नर-पिशाच गोरों को मारकर मरना हजार दर्जे अच्छा है।"
इलाइजा ने सिसकते हुए कहा - "हे परमात्मन् दीनबंधु, हमपर दया करो। हम इतना ही माँगते हैं कि हम सबको इस देश से निर्विघ्न पार कर दो।"
जार्ज - "ईश्वर की इन अत्याचारियों से सहानुभूति है? क्या वह इनके अत्याचारों को देखता है? वह क्यों हम लोगों पर इतना अन्याय होने देता है? और वे अत्याचारी गोरे हमसे कहते हैं कि बाइबिल में गुलामी लिखी है। वास्तव में शक्ति ही सब कुछ है। उनके पास धन है, जन है, वे स्वस्थ हैं और सब तरह से सुखी हैं। इससे जो चाहते हैं, करते हैं। संसार की बुरी-से-बुरी बात को ये धर्म का फतवा दिला लेते हैं। इनका धर्म केवल ढोंग के सिवा और कुछ नहीं है। क्रिश्चियन कहलाने पर भी इनमें क्रिश्चियन का एक भी गुण नहीं है। जो बेचारे गरीब सच्चे क्रिश्चियन हैं, जिनमें ईसा की-सी सहनशीलता है, उन्हें ये धूल में लुटाते हैं और ठोकरें लगाते हैं। जहाँ तक बनता है, उन्हें सताते हैं। ये उन्हें खरीदते हैं और फिर बेचते हैं। उनके जिगर के खून का, उनकी आहों का, और उनके आँसुओं का सौदा करते हैं और ईश्वर उन्हें इसकी आज्ञा देता है।"
जार्ज की ये बातें सुनकर रसोईघर से साइमन ने पुकारकर कहा - "भाई जार्ज धीरज रखो। मेरी बात सुनो। ईश्वर बड़ा न्यायी है। सांसारिक माया-मोह में फँसे रहने के कारण हम उसकी लीलाओं को नहीं समझ सकते। तुम यह मत समझो कि जो बड़ा धनी है, ऐश्वर्यवान है, और जो बहुत लोगों पर हुकूमत करता है, वह बड़ा सुखी है। धन के नशे में बावले बने हुए विषय-मदांध अत्याचारी और दूसरों पर प्रभुता करनेवालों को इस संसार में तनिक भी सुख नहीं मिलता। आठों पहर चौसठ घड़ी उनके हृदय में अशांति की आग जला करती है। यदि तुम्हें उनके हृदय की वास्तविक स्थिति का पता होता तो तुम यों धन-संपत्ति और ऐश्वर्य के लिए ईश्वर से शिकायत न करते। तुम नहीं जानते कि अनेक अवसरों पर विपत्ति, दु:ख और दरिद्रता ही मनुष्य को पवित्र सुख और शांति प्रदान करती है। ऐश्वर्य के मद में मतवाला होकर मनुष्य ईश्वर को भूल जाता है और अंत में दुर्लभ मानव-जीवन के महत्व को खो बैठता है। विपत्ति और संकट मनुष्य को बहुधा ईश्वर की ओर ले जाते हैं। वह दरिद्रता और वह विपत्ति, जो मनुष्य को ईश्वर की याद करा दे, उस ऐश्वर्य और प्रभुत्व से हजार गुनी अच्छी है, जो मनुष्य को ईश्वर का स्मरण नहीं होने देती। विश्वास और भक्ति की भी क्या अनोखी शक्ति है!"
साइमन ने अपने हृदय के गंभीर विश्वास के साथ जार्ज को यह उपदेश दिया था। अतः जार्ज के मन पर इसका असर हुआ और उसे इससे शांति मिली। इससे पहले जार्ज ने कितने ही क्रिश्चियन पादरियों के कितने ही उपदेश सुने थे, पर उसके मन पर उनका कोई प्रभाव न पड़ा। इस कान से सुना और उस कान से निकाल दिया। सत्य तो यह है कि यदि स्वयं उपदेश देनेवाले के मन में विश्वास और भक्ति न हो, तो वह चाहे जितना गला फाड़-फाड़कर उपदेश दिया करे, किसी पर उसका कुछ असर नहीं होता। और जो अपने सिद्धांत पर स्वयं चलता है, जिसे अपने सिद्धांतों से पूरी लगन है, उसकी बात में, उसके उपदेश में जादू का असर होता है। सच्चा उपदेशक अपने विश्वास की तस्वीर खींचकर रख देता है, क्या मजाल कि किसी के हृदय पर उसकी बात का असर न हो। साइमन ऐसे ही आदमियों में थे। उनका जीवन ही परोपकार के निमित्त था। ईश्वर पर उनकी अगाध भक्ति और श्रद्धा थी। वह संपूर्ण कार्यों को ईश्वर के निमित्त ही करते थे, फिर भला उनके उपदेश का असर जार्ज के हृदय पर क्यों न होता! ऐसे परोपकारी के उपदेश तो पत्थर को भी मोम बना देते हैं।
फिर राचेल प्रेम से इलाइजा का हाथ पकड़कर उसे भोजन कराने ले गई। वे सब लोग भोजन करने बैठे ही थे कि रूथ वहाँ आ पहुँची। रूथ और इलाइजा के परिचय का उल्लेख पहले हो चुका है। रूथ अपने साथ ऊनी मोजे और कुछ भोजन की सामग्री लाई थी। उसे इलाइजा को देकर बोली - "बहन, तुम्हारे बच्चे के पैर खाली देखकर कई दिन हुए मैंने ये मोजे बना रखे थे। अभी सुना कि तुम लोग यहाँ से चले जाओगे। इसी से जल्दी-जल्दी में हेरी के लिए मोजे और कुछ खाने को भी बनाकर लाई हूँ। बच्चो को हर वक्त कुछ-न-कुछ खाने को चाहिए ही।"
इतना कहकर रूथ ने हेरी को गोद में लेकर उसका मुँह चूमा और खाने की चीजें उसकी जेब में डाल दी।
इलाइजा बोली - "बहन, मुझपर तुम बड़ी कृपा करती हो। मैं इसके लिए तुम्हारी बड़ी कृतज्ञ हूँ और हृदय से तुम्हें धन्यवाद देती हूँ।"
राचेल ने कहा - "रूथ, आओ, तुम भी कुछ खा लो।"
रूथ - "नहीं, मैं इस समय ठहर नहीं सकती। मैं लड़के को जान को देकर आई हूँ और चूल्हे पर भात चढ़ा आई हूँ। मेरे जरा भी देर करने से जान की बेपरवाही से भात खराब हो जाएगा। और जो बच्चा रोया तो पास पड़ी हुई सारी चीनी वह उस लड़के को ही दे देगा। जब-तक वह ऐसा ही करता है।" जान रूथ का लज्जा था। इतना कहकर वह इलाइजा और जार्ज से विदा लेकर चली गई।
थोड़ी देर में सब के खा-पी चुकने पर एक बड़ी गाड़ी आई। सब लोग उसी में बैठ गए। फीनियस ने सबको ठीक से बैठा दिया। इलाइजा और जिम की वृद्ध माता गाड़ी के अंदर बैठीं। जिम और जार्ज सामने बैठ गए। फीनियस पीछे बैठा। जार्ज ने जरा मंद पर दृढ़ स्वर में पूछा - "जिम, तुम्हारी पिस्तौल तो ठीक है न!"
जिम - "जी हाँ, सब ठीक है।"
जार्ज - "उन लोगों से भेंट होने पर अवश्य तुम उसका उपयोग करोगे?"
जिम - (छाती फुलाकर और एक गहरी साँस ले कर) "इसमें भी क्या शक है? तुम क्या सोचते हो कि प्राण रहते मैं उन्हें अपनी माँ को फिर ले जाने दूँगा?"
गाड़ी चलने की तैयारी होने पर साइमन ने कहा - "मेरे बंधुओ, ईश्वर तुम्हारी रक्षा करे! तुम लोगों के सकुशल पहुँच जाने की खबर पाकर मुझे बड़ा आनंद होगा।"
इस पर गाड़ी में से सब बोले - "ईश्वर आपका भला करे।"
गाड़ी में बातचीत करने का सुभीता न था। एक तो रास्ता खराब था, दूसरे पहियों की घड़घड़ाहट भी कम न थी। हेरी अपनी माता की गोद में शीघ्र ही सो गया, पर भय के मारे बुढ़िया और इलाइजा की आँखों में नींद कहाँ! बड़ी दुविधा और उत्कंठा में उनका समय बीत रहा था। थोड़ी रात रहे मालूम हुआ कि गाड़ी पाँच-सात कोस निकल आई है। तब धीरे-धीरे उन लोगों की चिंता घटी। इस समय इलाइजा को कुछ तंद्रा-सी आ रही थी। फीनियस सारी रात गाड़ी के पीछे खड़ा रहा। रास्ते की थकावट दूर करने के लिए वह रात भर तरह-तरह के गीत गाता रहा।
रात को तीन बजे के करीब पीछे से जार्ज को घोड़ों की टापें सुनाई दीं। जार्ज ने फीनियस को यह बात बताई। उसने भी ध्यान से सुना। सुनकर कहा - "मैं समझता हूँ, माइकल होगा, मैं उसके घोड़े की टापों को पहचानता हूँ।" फिर वह सिर उठाकर पीछे घूम कर देखने लगा। एक सवार सरपट घोड़ा दौड़ाए दूर से आता दिखाई दिया।
फीनियस बोला - "हाँ-हाँ, वही तो है।"
जार्ज और जिम दोनों उछलकर गाड़ी से बाहर आ गए। सब चुपचाप खड़े आगंतुक की बाट देख रहे थे। अब वह एक दर्रे से उतर गया, जहाँ से वह उसे देख न सके, पर शीघ्र ही फिर वह उन्हें पहाड़ की चोटी पर दिखाई दिया।
फीनियस बोला - "है-है, माइकेल ही है। लो, यह आ गया।"
माइकेल ने पास आकर कहा - "फीनियस, तुम लोग यहाँ तक आ गए?"
फीनियस - "कहो, क्या खबर है? वे आ रहे हैं?"
माइकेल - "हाँ, वे पीछे चले आ रहे हैं। दस-बारह हैं। शराब के नशे में चूर हैं, लाल-लाल आँखें हैं। मुझे तो जंगली भेड़िए-जैसे लगते हैं।" ये बातें समाप्त हुई थीं कि पीछे से घोड़ों की टापों की खटखट सुनाई देने लगी।
फीनियस गाड़ी से कूद पड़ा। घोड़ों की लगाम जोर से खींचते हुए वह गाड़ी को रास्ते से हटाकर एक पहाड़ की तलहटी में ले गया। अब वे सब पीछा करनेवाले साफ-साफ दिखाई देने लगे। इलाइजा चिल्लाने लगी और बड़ी दृढ़ता से लड़के को अपनी गोद में चिपका लिया। जिम की वृद्ध माता कहने लगी - "हे भगवान बचाओ, हे भगवान, बचाओ! बचाओ!" जार्ज और जिम पिस्तौल तान करके नीचे खड़े हो गए। फीनियस ने सबसे कहा - "तुम लोग सब गाड़ी से उतर आओ और इस चट्टान पर चढ़ जाओ।" माइकेल से कहा कि तुम शीघ्र गाड़ी लेकर आमारिया के घर की ओर चले जाओ और उसे तथा उसके पुत्रों को साथ ले आओ।
फिर फीनियस ने हेरी को इलाइजा की गोद से लेकर अपने कंधे पर चढ़ा लिया और जल्दी-जल्दी चट्टान पर आगे-आगे चढ़ने लगा। बहुत शीघ्र ये लोग चट्टान पर चढ़ गए। वहाँ पहुँचकर फीनियस बोला - "अब तो तुम लोग रास्ते से मेरे गाड़ी हटा लेने और इस चोटी पर चढ़ आने का मतलब समझ गए होगे। यहाँ के सब घाट मेरे जाने हुए हैं। यह चोटी ऐसी है कि यहाँ एक आदमी पिस्तौल लेकर खड़ा हो जाए तो सौ आदमियों को हरा सकता है। इस चोटी पर एक साथ दो आदमियों के चढ़ने का रास्ता ही नहीं है। जो कोई हिम्मत करके आने की कोशिश करेगा, उसी को गोली मारकर गिरा दिया जाएगा।"
जार्ज ने कहा - "ठीक है, मैं तुम्हारी चतुराई की प्रशंसा करता हूँ। पर अब तुम बैठ जाओ। हमारा मामला है, जो कुछ बुरा-भला होगा, हम समझें-बूझेंगे, हम लड़-भिड़ लेंगे।"
फीनियस ने हँसकर कहा - "अच्छा, तुम अकेले ही लड़ना। यहाँ से लड़ने में कई आदमियों की आवशकयता भी नहीं पड़ेगी। एक आदमी ही काफी होगा। मैं खड़ा-खड़ा तमाशा देखूँगा। देखो, जरा नीचे की ओर देखो, वे सब खड़े-खड़े क्या सलाह कर रहे हैं। सब बिल्ली की-सी आँखें निकाल रहे हैं। उनके घूरने से ऐसा जान पड़ता है मानो एक ही छलांग में ऊपर आकर हम लोगों को खा लेंगे। अच्छा, पहले जरा इनसे पूछा तो जाए कि ये हजरत क्यों तशरीफ लाए हैं और क्या चाहते हैं? अगर कहें कि तुम लोगों को गिरफ्तार करने आए हैं, तो कह दिया जाए कि सीधी तरह अपना रास्ता नापो, नहीं तो सब अपनी जान से हाथ धो बैठोगे। इस बात पर अगर लौट जाएँ तो फिर झगड़ा बढ़ाने की जरूरत नहीं रहेगी।"
पकड़ने को आनेवालों में दो तो पाठकों के पूर्व-परिचित टॉम लोकर और मार्क ही थे। ये दोनों सबसे आगे खड़े थे। उनके पीछे दो सिपाही थे। साथ में और भी कई मतवाले थे। इनमें से एक मतवाले ने कहा - "दादा, लोग अच्छी जगह पहुँच गए हैं।"
टॉम लोकर - "यह रहा रास्ता। सब इसी रास्ते पर चढ़े हैं। मैं भी इसी रास्ते चढ़ता हूँ। आज वे नहीं भागने पाएँगे। जल्दी में कहीं कूदे तो हड्डियाँ चूर-चूर हो जाएँगी।"
मार्क - "अरे लोकर, जरा सँभलकर आगे बढ़ो। चट्टान की आड़ से किसी ने गोली दागी तो सीधे जहन्नुम पहुँचोगे।"
टॉम लोकर - "अहं, तुम्हें जब देखो तब जान ही की पड़ी रहती है, मारे डर के मरे जाते हो। क्या खतरा है? ये हब्शी गुलाम बेचारे क्या खाकर गोली चलाएँगे! एक धमकी में ही रोते-रोते नीचे उतर आएँगे।"
मार्क - "क्यों, जान की क्यों नहीं पड़ी रहेगी। रुपयों के लिए जान दूँगा? जान है तो जहान है। गुलाम समझकर मत भूलो। कभी-कभी ये काले गुलाम ही दैत्य की तरह युद्ध करते हैं। एक काला तीन गोरों को जहन्नुम की राह दिखा सकता है।"
इसी समय जार्ज ने उनके सामने की एक चोटी पर आकर बड़े धीरे और शांत भाव से स्पष्ट शब्दों में कहा:
"सज्जनों, आप लोग कौन हैं? क्या चाहते हैं?"
लोकर - "हम लोग भगोड़े गुलामों के एक दल को पकड़ने आए हैं। भगोड़ों के नाम हैं जार्ज हेरिस, इलाइजा और उनका लड़का, तथा जिम सेलडन और उसकी बूढ़ी माँ। हमारे साथ गिरफ्तारी के परवानों सहित पुलिस के कर्मचारी आए हैं। तुम केंटाकी प्रदेश के शेल्वी परगने के हेरि साहब के गुलाम जार्ज हेरिस हो न?"
जार्ज - "जी हाँ, मैं ही जार्ज हेरिस हूँ। केंटाकी के एक हेरिस साहब मुझे अपनी संपत्ति समझते हैं, किंतु इस समय स्वतंत्र हूँ, परमेश्वर के राज्य में स्वाधीनतापूर्वक विचरता हूँ और मेरी स्त्री-पुत्र पर भी मेरे सिवा और किसी का अधिकार नहीं है। जिम और उसकी माता भी यहीं हैं। अपनी रक्षा के लिए हम लोगों के पास शस्त्र हैं और जरूरत हुई तो हम लोग उनका उपयोग भी करेंगे। तुम्हारी खुशी हो तो ऊपर आओ। पर याद रखो, जो कोई पहले ऊपर चढ़ा, वह हमारी गोली का निशाना बनकर यमपुर की राह नापेगा। उसके बाद फिर जो कोई आएगा, उसकी भी यही गति होगी। और अंत में एक-एक करके सबको जान से हाथ धोना पड़ेगा।"
मार्क बोला - "आओ-आओ, जल्दी नीचे उतर आओ, खड़े-खड़े बकवाद मत करो। तुम्हारे बोलने की जगह नहीं है। तुम देखते नहीं कि पुलिस-कानून हमारे साथ है। हम लोग कानून से चले हैं, तुम लोगों को पकड़ने का हमें अधिकार है। बहुत चीं-चपड़ न करो, जल्दी नीचे उतर आओ।"
जार्ज - "अजी, मैं खूब जानता हूँ कि तुम लोग कानून से चले हो और तुम्हारे हाथ में शक्ति है। तुम चाहते हो कि मेरी स्त्री को ले जाकर नवअर्लिंस में बेच डालो, मेरे बच्चे को बकरी के बच्चे की भाँति किसी व्यवसायी के कसाईखाने में बेच डालो और जिम तथा उसकी माता को उसके उसी नरपिशाच मालिक को सौंप दो। वहाँ पर वह इस बुढ़िया पर बेंत फटकारेगा और इसी के सामने इसके लड़के की जान लेगा। बस, यही तुम्हारा मतलब है। जहन्नुम में गया तुम्हारा कानून। मैं ऐसे कानून पर लात मारता हूँ, जो केवल गरीबों को सताने और धनिकों को फायदा पहुँचाने के लिए बना हो। लानत है तुम्हारे उस कानून पर और उस कानून के अनुसार चलनेवालों और विचार करनेवालों पर। हम इस कानून की जरा भी परवा नहीं करते। और न हम इसे अपना कानून मानते हैं, न तुम्हारे मुल्क ही को अपना देश समझते हैं। हम लोग यहाँ विस्तीर्ण आकाश के नीचे खड़े हुए उतने ही स्वाधीन हैं, जितने तुम लोग। हम भी उसी ईश्वर के बनाए हुए हैं जिसने तुमको बनाया है। हम मरते दम तक अपनी स्वाधीनता के लिए लड़ेगें। हमारा मूल मंत्र है - स्वाधीनता या मृत्यु।"
उपर्युकत बातों को करते समय जार्ज को बड़ा जोश आ गया। उसका चेहरा बहुत भयंकर हो गया। उसकी आँखों में क्रोध की लाली छा गई, मानो उनसे आग की चिनगारियाँ बरस रही हों। उसके ओठ फड़कने लगे और उसके दाहिना हाथ उठाकर बोलने के समय ऐसा जान पड़ने लगा, मानो वह देश में फैले हुए अत्याचार और अन्याय के विरुद्ध परमपिता जगदीश्वर के सिंहासन के सम्मुख अपील करता हुआ न्याय का पक्ष समर्थन करता हो। यदि किसी अंग्रेज युवक ने इंग्लैंड से अमेरीका को भगाते हुए ऐसी वीरता प्रकट की होती तो इतिहास में स्वर्णाक्षरों में उसका नाम लिखा जाता, पर क्रीत दासी के गर्भ से उत्पन्न गुलाम जार्ज की वीरता को गोरे इतिहास-लेखक कब स्वीकार करने लगे?
जार्ज की बातें सुनकर और उसके मुख का विकट भाव देखकर पकड़नेवाले सहम गए। वास्तव में कभी-कभी साहस और दृढ़ प्रतिज्ञा बड़े-बड़े बलवानों की छाती भी दहला देती है। मार्क को छोड़कर और सबकी हिम्मत जाती रही। अब मार्क ने निशाना ताककर जार्ज पर गोली चलाई। वह मन-ही-मन सोचने लगा कि इसकी लाश इसके मालिक को देकर उससे विज्ञापन में लिखा हुआ इनाम वसूलकर लूँगा।
इधर जार्ज उछलकर पीछे हट गया। इलाइजा चीख उठी। गोली उसके पास से सनसनाती हुई निकल गई। जार्ज ने कहा - "इलाइजा, डरो मत। कोई खतरे की बात नहीं।"
फीनियस ने आगे बढ़कर जार्ज से कहा - "इलाइजा को समझाने-बुझाने का यह समय नहीं है। इन दुष्टों का मार्ग बंद करना चाहिए। ये बड़े ही कमीने हैं।"
जार्ज - "जिम, देखो तुम्हारी पिस्तौल ठीक है? जो कोई पहला आदमी चढ़ने की चेष्टा करेगा, उस पर मैं गोली दाग दूँगा। दूसरे को तुम लेना, यही क्रम रहेगा। एक मैं और एक तुम। एक आदमी के लिए दो गोलियाँ बेकार खर्च नहीं की जाएँगी।"
जिम - "अगर तुम्हारा निशाना चूक गया तो फिर क्या करना होगा?"
जार्ज ने जोश से कहा - "ऐसा नहीं होगा। मेरा निशाना बिलकुल ठीक बैठेगा।"
फीनियस ने मन-ही-मन जार्ज के साहस को सराहा।
मार्क का निशाना चूका देखकर उसका दल सोचने लगा कि अब क्या किया जाए!
लोकर बोला - "मैं इन काले हब्शियों से कभी नहीं डरा और न इस समय डरता हूँ।"
इतना कहकर वह पहाड़ पर चढ़ने लगा। और लोग उसके पीछे-पीछे चलने लगे। कुछ दूर जाते ही जार्ज ने लोकर को ताककर गोली मारी, जो उसकी भुजाओं में लगी। किंतु चोट खाकर भी वह लौटा नहीं। पागल सांड की तरह आगे ही बढ़ता गया। तब फीनियस ने कहा - "मित्र, यहाँ तुम्हारी जरूरत नहीं, नीचे ही चलो।" यह कहकर उसने उसको धकेल दिया। लोकर एकदम वहाँ से लड़खड़ाता हुआ नीचे गिरा। इतनी ऊँचाई से गिरने पर वह अवश्य मर जाता, परंतु बीच में एक पेड़ से अटक जाने के कारण उसके ऊपर से गिरने का वेग कुछ घट गया। इससे वह मरा तो नहीं, पर जख्मी होकर बेहोश हो गया।
मार्क - "ईश्वर कुशल करे, सब-के-सब साक्षात दैत्य हैं। भागो, भागो, लौट चलो।"
अब तक सिपाही देवता चुप थे, पर लौटते समय भागने में वे भी बड़ी तेजी दिखाने लगे। यह उस श्रेणी के व्यक्ति थे, जो मारनेवालों के तो पीछे और भागनेवालों के आगे रहते हैं। फिर मार्क ने सिपाहियों को बुलाकर कहा - "भाई, तुम लोग जरा देखना, मैं अभी और सिपाहियों को लेकर आता हूँ।"
इतना कहकर वह घोड़े पर चढ़कर नौ-दो-ग्यारह हो गया।
उनमें से एक ने कहा - "क्या तुमने कभी ऐसा अधम कीट देखा था? बेईमान अपने ही काम के लिए हम लोगों को लाया और हम लोगों को इस आफत में फँसाकर आप साफ चलता बना। खैर, चलो, उसे बेचारे वीर लोकर की तो खबर ली जाए कि मरता है या जीता।"
लोकर के पास आकर उनमें से एक बोला - "कहो, हम लोगों के साथ चल सकोगे? क्या तुम्हें चोट ज्यादा लगी है?"
लोकर - "क्या पता, एक बार मुझे उठाकर तो देखो। यह क्वेकर न होता तो मैं और सभी को आनन-फानन में पकड़ लेता।"
फिर दोनों ने किसी तरह सहारा देकर लोकर को घोड़े पर लादा। इधर घोड़े का हिलना था कि वह धड़ाम से जमीन पर आ रहा। यह दशा देखकर दोनों सिपाहियों ने सोचा कि यह तो बड़ी आफत है। इसे लेकर सारी रात मुसीबत में भी कौन फँसे!
यह सोचकर उन दोनों सिपाहियों ने लोकर को उसी दुर्दशा में छोड़कर अपनी-अपनी राह पकड़ी। लोकर मुर्दे की भाँति वहीं पड़ा रहा।
लोकर को छोड़ और सबके चले जाने पर वह दल नीचे उतरा। इधर स्टीपन, आमारिया और दूसरे दो क्वेकरों को साथ लेकर माइकेल गाड़ी समेत वहाँ पहुँच गया। इलाइजा ने पहाड़ के नीचे आते ही लोकर को देखकर कहा - "देखना चाहिए कि इसमें साँस बाकी है या नहीं? मैं तो भगवान से यही मनाती हूँ कि यह मरा न हो।"
फीनियस - (मुस्करा कर) "बुरे काम का नतीजा बुरा ही होता है। लेकिन इसके उन नालायक साथियों को क्या कहा जाए, जो इस बेचारे को इस दशा में छोड़कर चल दिए!"
इलाइजा - "यह बेचारा घावों की पीड़ा से छटपटा रहा है। हम लोगों को इसकी सेवा का प्रयत्न करना चाहिए।"
जार्ज - "इसकी जीवन-रक्षा का उपाय अवश्य किया जाएगा। दुश्मन पर दया करना ईसाई धर्म का एक अंग है।"
फीनियस - "मैं इसे लेकर किसी क्वेकर के यहाँ रखूँगा। फिर सेवा-शुश्रूषा और दवा-पानी से आराम हो जाने पर इसे इसके घर पहुँचा दूँगा। इसे यों छोड़ चलना बड़ी नीचता का काम होगा। देखो तो, इसकी क्या दशा है?"
लोकर के निकट जाकर फीनियस ने उसके शरीर की जाँच की। पहले फीनियस एक नामी शिकारी था। इससे वह घाव की मरहम-पट्टी तथा बहते हुए रक्त-प्रवाह को रोक देने की विधि खूब जानता था। वह अपनी जेब से रूमाल निकालकर पट्टी फाड़-फाड़कर लोकर के घावों पर बाँधने लगा। लोकर ने कहा - "मार्क!"
फीनियस हँसकर बोला - "मार्क कहाँ है? वह तो तुम्हें छोड़कर भाग गया। सिपाही भी चलते बने। हम लोग अब तक तुम्हारे शत्रु थे, पर अब हम लोगों को अपना शुभचिंतक समझो। जहाँ तक हो सकेगा, तुम्हारी पीड़ा दूर करने का यत्न करेंगे।"
लोकर - "मैं बचता नहीं जान पड़ता। नीच कुत्ते मुझे छोड़कर चले गए। मेरी माँ मुझसे सदा करती थी कि ये साथी विपदा में तेरा साथ न देंगे। उसकी बात आज सच निकली।"
जिम की माता ने कहा - "इसकी माँ है। ओफ, उसे कितना कष्ट होगा? हे ईश्वर, इसे जीवन-दान दो।"
लोकर ने फीनियस से अपना हाथ झटककर छुड़ा लिया और तेज होने लगा। तब फीनियस ने कहा - "मित्र, जरा धीरज रखो। बहुत लाल-पीले मत पड़ो।"
लोकर बोला - "तुम्ही ने तो मुझे धकेल दिया था।"
फीनियस - "जी हाँ, अगर मैं तुम्हें धकेल न देता तो तुम हम सबों को धकेल देते। अब उन बातों को जाने दो। मैं चाहता हूँ कि तुम्हारे घावों पर फौरन पट्टी बाँध दी जाए। अब धक्का-मुक्की का काम नहीं है। अब मैं तुम्हारी भलाई ही करूँगा। चलो, तुम्हें किसी क्वेकर के परिवार में पहुँचा दूँ। वहीं तुम्हारी बहुत अच्छी सेवा होगी - इतनी अच्छी कि शायद तुम्हारी माता भी उससे बढ़कर न करती।"
शारीरिक यंत्रणा के कारण लोकर अचेत हो गया। सबने उसे पकड़कर गाड़ी में लिटाया। फिर सब लोग गाड़ी पर बैठे। गाड़ी चल पड़ी। जिम की माँ ने अपनी गोद में लोकर का सिर रख लिया। इलाइजा, जार्ज और जिम सब उसके लिए काफी जगह छोड़कर बैठे।
जार्ज ने फीनियस से पूछा - "आप क्या सोचते हैं कि लोकर अवश्य बच जाएगा?"
फीनियस - "हाँ, जरूर बच जाएगा। बेहोश तो वह ज्यादा खून निकल जाने की वजह से हो गया है। इसमें शक नहीं कि यह बहुत जल्दी अच्छा हो जाएगा।"
जार्ज - "आपकी बात सुनकर मुझे बड़ा हर्ष हुआ। यद्यपि मैंने अपनी जान बचाने के लिए इस पर गोली चलाई थी, फिर भी यदि मेरे हाथ से इसकी मौत हो जाती तो सदा के लिए मेरे माथे पर इसका कलंक लग जाता। अब कहो, इसका करोगे क्या?"
फीनियस बोला - "हमारे क्वेकर संप्रदाय में ग्रांडमय स्टीफन नाम की एक वृद्ध स्त्री है। वह बड़ी दयालु है। इसे उसके यहाँ पहुँचा देने से इसकी खूब सेवा होगी।"
घंटे भर में सब लोग एक साफ-स्वच्छ घर के सामने पहुँचे। लोकर को सब लोगों ने पकड़कर उतारा और वहाँ उस घर में उसे बहुत अच्छे और मुलायम बिस्तरे पर लिटा दिया। बड़ी मुस्तैदी से उसकी सेवा होने लगी।