Tom Kaka Ki Kutia - 11 in Hindi Fiction Stories by Harriet Beecher Stowe books and stories PDF | टॉम काका की कुटिया - 11

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टॉम काका की कुटिया - 11

11 - दारुण बिछोह

गोरे बनियों की अर्थ-लोलुपता के कारण अफ्रीकी उपनिवेशों के जो अभागे काले हब्शी अमरीका में ले जाकर दास बनाकर बेचे जाते थे, उनकी स्वाभाव-प्रकृति से हम भारतवासियों की किसी-किसी विषय में बड़ी समानता है। भारतवासियों की भाँति इन अभागे क्रीत दास-दासियों में भी संतान-वात्सल्य, दांपत्य-प्रेम, पारिवारिक स्नेह और कृतज्ञता की मात्रा बहुत अधिक दिखाई पड़ती थी। परिवार से किसी एक व्यक्ति को पृथक करके बेचने में इन्हें कैसा भयानक कष्ट होता था, इसे वज्र हृदय अर्थ-पिशाच गोरे बनिए क्या समझ सकते थे?

 शेल्वी साहब ने टॉम को हेली के हाथ बेच तो डाला ही था, पर इलाइजा की खोज से हेली के लौटने तक, कम-से-कम दो तीन दिन, टॉम को अपने परिवार में रहने का सुअवसर मिल गया। जिस दिन हेली के साथ उसके जाने की बात थी उस दिन उसने बड़े तड़के उठकर अपने बाल-बच्चो और स्त्री के कल्याण के लिए ईश्वर से प्रार्थना की, फिर उपासना के उपरांत अपने सोए हुए बालकों के बिस्तर के पास खड़ा होकर वह एकटक उनकी ओर देखने लगा। उसकी आँखों से आँसुओं की धारा बहने लगी। कुछ देर बाद एक आह भरकर वह बोला - "जान पड़ता है, तुम लोगों से मेरी यही अंतिम भेंट है।" उसकी यह बात क्लोई के कान में जा पड़ी और उसका हृदय भर आया। उसने रोते हुए पति से कहा - "तुम मुझे ईश्वर पर भरोसा रखकर शोक न करने को कहते हो, पर मैं ईश्वर पर भरोसा नहीं रख सकती। मेरे मन में कितनी ही आशंकाएँ उठ रही हैं। न मालूम वह तुम्हें कहाँ-का-कहाँ ले जाएगा, और जब-तब कितना दु:ख देगा। मेम दो-एक बरस में रुपए इकट्ठे करके तुम्हें फिर मोल लेने का प्रयत्न करेंगी, पर उतने ही दिनों में न जाने तुम पर कितनी आफतें आ सकती हैं। दक्षिण गए हुओं में बहुत थोड़े ही लौटकर आते हैं। दक्षिण के चाय के बगीचों और तंबाकू के खेतों में बेहद परिश्रम करके सैकड़ों दास-दासी असमय काल के गाल में चले जाते हैं। तुम्हीं कहो, यह सब जानते हुए मैं अपने हृदय के आवेग को कैसे रोक सकती हूँ।"

 टॉम ने कहा - "दीनबंधु भगवान सब जगह मौजूद है। वह मेरे साथ रहकर सदा मेरी खबर लेगा।"

 "परमेश्वर के साथ रहते हुए भी तो समय-समय पर कितनी ही घोर विपदाएँ आ पड़ती हैं। इसी से परमेश्वर पर भरोसा रखकर मैं अपने मन को नहीं समझा सकती।" क्लोई ने रुँधे गले से कहा।

 "हम सब मंगलमय ईश्वर के मंगल-शासन में हैं। उनकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। जिसे लोग विपदा समझते हैं, वही संपदा का मूल कारण है। देखो, मुझे बेचकर मालिक ने तुमको और बाल-बच्चो को बचाने की चेष्टा की। तुम लोग तो निरापद रहोगे। हम सब-के-सब जहाँ-तहाँ तीन-तेरह नहीं बिके, यही क्या कम सौभाग्य की बात है। मालिक ने केवल मुझे ही बेचा, इसके लिए मैं उनका बड़ा अनुगृहीत हूँ।"

 "मुझे तो इसमें मालिक के अनुग्रह की कोई बात नहीं दीख पड़ती। तुम्हारे जैसे प्रभुभक्त और विश्वासी दास को बेचना कभी उचित नहीं कहा जा सकता। वह तुम्हारी प्रभुभक्ति से प्रसन्न होकर एक बार तुम्हें दासत्व से मुक्त कर देने का वचन दे चुके हैं, पर आज उसे भूलकर ऋण से छुटकारा पाने के लिए बेखटके तुम्हें बेच डाला! गोरी जाति दूसरे के दु:ख का खयाल कभी नहीं करती। वह सदा अपने ही सुख में मस्त रहती है। जो मनुष्य स्त्री को पति-हीन और बालकों को पितृ-हीन करता है उसका विचार ईश्वर के यहाँ अवश्य होगा।"

 "क्लोई मालिक के बारे में ऐसी बातें मुँह से न निकालो। इससे मेरे हृदय को बड़ी वेदना होती है। मेरे साथ यही तुम्हारी अंतिम भेंट है। इस समय मेरे सम्मुख ऐसी बातें मत कहो। दूसरे दासों के मालिकों से हमारे मालिक कहीं अच्छे हैं। वह दास-दासियों को कभी व्यर्थ तंग नहीं करते। वह किसी को बेंत नहीं मारते। किसी की विवाहिता स्त्री को कभी रखैल बनाकर उसका धर्म नहीं बिगाड़ते। इसी लिए ईश्वर के सामने ऐसे मालिक के कल्याण के लिए प्रार्थना करना अपना कर्त्तव्य है। इसी केंटाकी में देख लो; सैकड़ों लोगों के असंख्य दास-दासियाँ हैं। जरा उनकी दु:ख-दायक घोर यंत्रणा से अपना मिलान तो करो।"

 क्लोई फिर कुछ नहीं बोली। मन-ही-मन वह सोचने लगी कि आज सदा के लिए उसके लज्जा का सुख-सूर्य अस्त हो जाएगा। अब ऐसी एक भी संध्या आने की आशा नहीं, जब उसको अच्छा भोजन मिलेगा। इसी से क्लोई ने अपने लज्जा के भोजन के निमित्त भाँति-भाँति की चीजें बनाई और तैयार हो जाने पर बड़े प्रेम से उसको खिलाई। भोजन कर चुकने पर टॉम ने अपनी दो बरस की छोटी कन्या को गोद में उठा लिया और बार-बार उसका मुँह चूमने लगा। क्लोई उस बालिका का हाथ पकड़कर कहने लगी - "न जाने कब इसको भी माँ की गोद छोड़कर अलग हो जाना पड़ेगा। दास-दासियों की संतान होना केवल एक खेल ही है।" क्लोई की बातें समाप्त न होने पाई थीं कि शेल्वी साहब की मेम वहाँ आ पहुँची। टॉम और क्लोई को आँसू बहाते देखकर उनकी भी आँखें डबडबा आईं। ज्यों-त्यों धीरज रखकर वह कहने लगीं - "टॉम, मैं चाहती थी कि तुम्हें कुछ रुपए दूँ। पर विचार कर देखा कि उससे तुम्हारा कोई फायदा न होगा। तुम्हारे पास जो कुछ होगा, उसे वह अर्थ-पिशाच दास-व्यवसायी हेली कभी हड़प लिए बिना न छोड़ेगा। टॉम, तुमसे मैं अब क्या कहूँ! मैं कुछ भी कहने के योग्य नहीं। पर मैं तुमसे इतनी प्रतिज्ञा अवश्य करती हूँ कि रुपए जुड़ते ही मैं तुम्हें तत्काल छुड़ा लूँगी। जब तक रुपया इकट्ठा नहीं होता, तब तक अपने को ईश्वर के हाथों में सौंपकर धीरज रखना!"

 इसी समय वहाँ हेली आ पहुँचा। आते ही टॉम से बोला - "चलो बच्चू, और देर करने की जरूरत नहीं।"

 टॉम यह सुनते ही उसके पीछे जाकर गाड़ी पर सवार हो गया। क्लोई इत्यादि घर के सब दास-दासी उस गाड़ी के पास जमकर खड़े हो गए। हेली ने टॉम को गाड़ी में बैठाकर लोहे की जंजीर से उसके दोनों पैर कस दिए। यह देखकर सब दास-दासियों के हृदय को बड़ी भारी चोट लगी। वे सब मन-ही-मन हेली को गालियाँ देने लगे। उन लोगों की टॉम पर बड़ी श्रद्धा और भक्ति थी, उसे वे अंत:करण से प्यार करते थे। इससे टॉम को लोहे की सांकल से बाँधे जाते देखकर वे बार-बार लंबी साँसें भरने लगे। टॉम के दो बड़े लड़के भी पिता की यह दशा देखकर चिल्लाने लगे। तब शेल्वी साहब की मेम ने हेली से कहा - "महाशय, टॉम भागनेवाला आदमी नहीं है। इसे आप नाहक बाँध रहे हैं। इसके बंधन खोल दीजिए।" हेली ने उत्तर दिया - "मेम साहब, बस, अब आप माफ कीजिए। आपके यहाँ सौदा करके मैं पाँच सौ रुपया दंड भुगत चुका हूँ। अब मैं इसे ढीला नहीं छोड़ने का!"

 इतना कहकर उसने गाड़ी हाँकने की आज्ञा दी। जाते-जाते टॉम ने कहा - "मेम साहब, मुझे इस बात का बड़ा दु:ख है कि चलते समय मास्टर जार्ज से भेंट नहीं हुई।"

 टॉम के बिकने की बातचीत प्रकट होने के पहले ही जार्ज कुछ दिनों के लिए किसी आत्मीय के यहाँ चला गया था। टॉम के बिकने के संबंध में अभी तक उसे कुछ पता न था। टॉम को ले जाने के समय शेल्वी साहब ने पहले ही वहाँ न रहने का निश्चय कर लिया था और तदनुसार वे कहीं दूसरी जगह चले गए थे। टॉम को साथ लेकर हेली पहले एक लोहार की दुकान पर आया। वहाँ जेब से दो हथकड़ियाँ निकालकर लोहार से बोला कि इसके हाथ में पहना दो। टॉम को देखते ही लोहार चौंककर बोला - "ऐं, यह तो शेल्वी साहब का टॉम है! क्या इसे बेच डाला? भला ऐसे स्वामिभक्त दास को भी क्या कोई बेचता है!" फिर हेली से बोला - "साहब, आप अपनी हथकड़ी अपने हाथों में ही रखिए, इसे डालने की आवशकयता नहीं। मैं इसे खूब जानता हूँ। यह बड़ा ईमानदार आदमी है।"

 हेली बोला - "ज्यादा ईमानदार ही धोखा देते हैं। तुम अपनी बातें रहने दो। इसे हथकड़ियाँ पहना दो।"

 लोहार ने पूछा - "टॉम, अपनी स्त्री को छोड़ चला क्या?"

 उसके उत्तर में हेली ने कहा - "जहाँ यह बिकेगा, वहाँ क्या और दासियाँ नहीं मिलेंगी? इन लोगों को औरतों की क्या कमी है? दक्षिण देश में पैर रखते ही एक-न-एक को तुरंत पटा लेगा।"

 हेली से जब लोहार की ये बातें हो रही थीं, उसी समय बड़े वेग से एक घोड़ा दौड़ाता हुआ और एक तेरह वर्ष का लड़का वहाँ आया। वह घोड़े से उतरकर एकदम टॉम के गले से लिपट गया। टॉम उसे गोद में लेकर कहने लगा - "मास्टर जार्ज, मुझे बड़ा आनंद हुआ कि जाते समय तुमसे भेंट हो गई।"

 टॉम के पैर लोहे की जंजीर से बँधे देखकर जार्ज की आँखें लाल हो गईं। वह क्रुद्ध होकर बोला - "मैं अभी बदमाश हेली का सिर फोड़ता हूँ।"

 टॉम ने उसे मना करके कहा - "अब तुम हेली के साथ झगड़ोगे तो वह मुझे और सताएगा। इसलिए तुम कुछ मत बोलो।"

 यह सुनकर जार्ज सिर झुकाकर चुप रह गया, लेकिन उसकी आँखों से आँसुओं की धारा बहने लगी। कुछ देर बाद शांत होकर जार्ज कहने लगा - "कैसी लज्जा का विषय है... कितनी कठोरता का व्यव्हार है! बाबा ने तुम्हारे बेचने की बात मुझसे एक बार भी नहीं कही, यदि मेरा साथी लिंकन मुझसे तुम्हारे विक्रय की बात न करता, तो मुझे कुछ भी पता न चलता। मेरा जी चाहता है कि मैं अपना घर-द्वार सब फूँक दूँ। यह कष्ट तो सहा नहीं जाता।"

 टॉम ने कहा - "जार्ज, ऐसी बात मत कहो। अपने पिता के विषय में तुम्हें ऐसी बात कहना उचित नहीं।"

 टॉम के लिए जार्ज एक मोहर साथ लाया था, किंतु टॉम ने मोहर लेने से इनकार करके कहा - "जार्ज, यह मोहर मेरे किस काम आएगी? हेली साहब देखते ही ले लेंगे।"

 जार्ज ने कहा - "मैंने इसे हेली के हाथ से बचाने का उपाय सोच लिया है। इसमें डोरा डालकर तुम्हारे गले में बाँध देने से यह हेली की नजर से बची रहेगी। तुम्हारे कपड़ों के नीचे छिपी रहेगी।" इतना कहकर जार्ज ने मोहर तागे में पिरोकर टॉम के गले में लटका दी। टॉम बड़े स्नेह से जार्ज को उपदेश देने लगा और बोला - "बच्चा जार्ज, सदा ध्यान से अपनी माता के सद्विचार और सदाचार पर चलना। परमात्मा संसार में सारी चीजें दो बार दे सकते हैं, पर "माँ" दुबारा नहीं मिलती। इस प्रदेश में दया-धर्म और सद्गुणों से भूषित कोई दूसरी स्त्री तुम्हारी माँ के समान नहीं है। ऐसी स्नेहमयी जननी संसार में दुर्लभ है। तुम कभी अपने मन-वचन-कार्य द्वारा उनके हृदय को मत दुखाना। देखना, उनके आदर-सत्कार में कभी त्रुटि न करना, उनकी आज्ञा का उलंघन न होने पाए। मनुष्य का स्वाभाव है कि युवावस्था में उसका मन पाप की ओर ढलता है। लेकिन सत्तसंग मनुष्य को उससे हटाकर सत्य-पथ की ओर ले जाता है। इसमें तनिक भी संदेह नहीं है कि अपनी माता के आदर्श चरित्र और सत्तकर्मो के प्रभाव से तुम एक बड़े पवित्र, साधु-प्रकृति मनुष्य बन सकोगे। बचपन में ईश्वर की भक्ति करना सीखोगे तो निर्विघ्न संसार में आगे बढ़ते जाओगे।"

 जार्ज ने टॉम का उपदेश सुनकर कहा - "टॉम काका, तुम मुझे सदा सदुपदेश देते रहे हो। तुम्हारे आज के उपदेश का मैं तन-मन से पालन करूँगा और सदैव सन्मार्ग पर चलने की चेष्टा करूँगा। जब मैं बड़ा होकर स्वयं काम-काज करूँगा, तब तुम्हारे रहने के लिए एक अच्छा घर बनवा दूँगा। वृद्धावस्था में तुम उसमें भले आदमियों की भाँति रहना। फिर तुम्हें गुलामी का दु:ख नहीं भोगना पड़ेगा।"

 जार्ज की बात समाप्त होने के पहले ही हेली हथकड़ी लेकर गाड़ी के पास आया। उसने टॉम के हाथों में हथकड़ी डाल दी। इस पर जार्ज ने कहा - "हेली, तुमने टॉम को बेड़ी और हथकड़ी से जकड़ दिया है, यह बात मैं अभी जाकर पिता और माता से कहूँगा।"

 "जाओ, कह दो, हमारा उससे क्या बनता-बिगड़ता है?"

 जार्ज ने फिर कहा - "हेली, क्या तुम जन्म-भर यही नीच काम करते रहोगे? क्या सदा तुम नर-नारियों का क्रय-विक्रय करोगे और कैदियों की भाँति उन्हें हथकड़ी-बेड़ी से जकड़कर यंत्रणा देते रहोगे? क्या तुम्हें इस व्यवसाय को करने में जरा भी शर्म नहीं आती?"

 हेली बोला - "तुम लोगों जैसे अमीर आदमी जब तक दास-दासी खरीदना नहीं छोड़ेंगे, तबतक हम लोगों का यह पेशा बंद नहीं होगा। तुम लोग खरीद सकते हो तो फिर हम लोग बेच क्यों नहीं सकते? जो खरीदें वे तो बड़े अच्छे, बड़े धर्मात्मा रहे... उनका तो कोई कसूर ही नहीं... और सारा दोष हम बेचनेवालों के सिर!"

 जार्ज ने कहा - "ईश्वर से यही मनाता हूँ कि मुझे यह दास-दासियों के लेने-बेचने का नीच काम न करना पड़े!"

 इतना कहकर जार्ज चला गया। हेली ने भी टॉम को साथ लेकर गाड़ी हाँकने का हुक्म दिया। जार्ज जिस मार्ग से जा रहा था, उसी ओर टॉम की टकटकी लगी थी। वह मन-ही-मन कहने लगा - "ईश्वर इस बालक को चिरंजीवी करें। केंटाकी प्रदेश में इसके समान उच्च हृदयवाले थोड़े ही लोग निकलेंगे।"

 थोड़ी दूर आगे जाकर हेली ने टॉम का बंधन खोल दिया और उससे कहा - "देखो, भागने की कोशिश नहीं करोगे तो अब तुम्हें हथकड़ी नहीं पहनाएँगे।" टॉम ने कहा - "मैं कभी नहीं भागूँगा।