my train journey in Hindi Travel stories by आरोही" देसाई books and stories PDF | मेरा ट्रैन का सफ़र

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मेरा ट्रैन का सफ़र

एक लड़की थी ,उसका नाम मीनल था ,वो गांव में रहती थी, और पढ़ने ने के लिए वो दूसरे जिले में जाती थी। अपने घर से माता पिता से दूर भाई से दूर वो पढ़ने जाती थी ।वो मास्टर ऑफ साइनस का अभ्यास कर रही थी। और वहा पे ही वो हॉस्टल में रहती हैं। और अभी उसका मास्टर ऑफ साइनस का दूसरा वर्ष चल रहा था। वो वैसे खुश भी थी, और दुःखी भी थी, खुश इसलिए थी की वो अब हॉस्टल जाके सब दोस्तो को मिलेगी और कॉलेज में जाते अपने अध्यापक और दूसरे कॉलेज को दोस्त को भी वो मिलेगी। और दुःखी इसलिए थी की अपने माता पिता से अपने घर को छोड़ कर उसे जाना था।

उसका मन ऐसा था की मन में हा और होठों पे ना कॉलेज के और घर के लिए वही दिल की फिलिंग्स थी।
उसे दूसरे जिले में जाना था दूसरे दिन उसके अगली शाम को वो खरीददारी करने गई अपनी माता के साथ , जीवन जरूरी सामान वो लेके आए, और अपनी माता से बहुत प्यार करती थी वो और आगे भी हमेशा करती रहेगी।
थोड़ी देर बाद रात होने वाली थी वो अपने सारे बैग पैक करती हैं, और सारा सामान कपड़े ठीक से रख देती हैं। और अब रात हो गई थी तब मीनल की माता ने वो जाने वाली थी , इसलिए सब अच्छा खाना बनाया उसकी पसंद का और फिर सबने खाना खाया। रात को वो बहुत ही उत्साहित थी। अपने भाई और बहन और मौसी की लड़की अपनी बहन सबको बता रही थी । और मौसी से और मामा मामी और अपने नाना नानी से फोन पे बात करके आशीर्वाद ले रही थी। नाना नानी उसके दिल से बहुत करीब थे। वो अपने नाना नानी को बहुत मानती थी। फिर सोते समय वो अपनी माता से बात करने लगी । मीनल माता इसे सलाह दे रही थी।

(सफ़र की अगली रात) मीनल की माता: ( थोड़ा दुःखी होकर) बेटा तुम ठीक से पढ़ना और टाइम पे खाना खा लेना । वहा में नही रहूंगी तुझे खाना खिलाने और तुजसे बात करने समझने के लिए, और अपना खयाल रखना।

मीनल: हा ठीक हैं। मम्मी आप मेरी चिंता मत कीजिए। और उसने कहा में अकेले थोड़ी पढ़ने जाती हूं, मेरे जैसे वहा पे कितने लोग अपने घर से दूर होके पढ़ाई करने आते ही हैं ना आप चिंता मत करो। में अपना ख्याल रखूंगी।

मीनल की माता: हमने तो देखा नहीं हैं , वहा पे कैसा होता है, तुम केसे पढ़ाई करते हो , अच्छे से पढ़ते हो भी या नही, मुझे बड़ी चिंता होती रहती हैं तुम्हारी , और उसने भी तुम और भाई चले जाते हो तब पूरा घर ख़ाली हो जाता हैं , हम अकेले हो जाते हैं , तूझे पता नहीं दिन भी नहीं गुजरता हैं, और रात नहीं होती। ऐसा लगता हैं की कब आओगे तुम लोग ऐसा हाल हो जाता हैं।

मीनल( उसकी माता को आश्वासन देते हुऐ): हम अब छुट्टी होके जल्दी से वापस आ जायेंगे । आप बिलकुल भी अब परेशान मत हो और शांति से सो जाओ। सुबह जल्दी भी उतना हैं और ट्रेन भी पकड़नी हैं।
दोनों मां बेटी फिर बात करते करते आराम से सो जाते हैं।

अब सुबह हुई ,आज उसे पढ़ने जाना था। अपने घर से दूर जाना था , और मीनल सुबह जल्दी से उठ गई। और जल्दी से उसने घर के काम करने लगी थोड़ा घर का कचरा निकल दिया, फिर नहा लिया फ्रेश हो गई। और फिर उसकी माता ने उसके लिए चाय बना कर तैयार रखी थी, फिर मीनल ने चाय पी के अपने माता का आशीर्वाद लिए और मां को बोला चलो मां अब में निकलती हूं आप मुझे स्टॉप तक छोड़ आए।

फिर मीनल की मां को गाड़ी चलाना आता था, इसलिए मीनल को गाड़ी पे बैठा के स्टॉप तक छोड़ने के लिए वो दोनों निकलते हैं। फिर बस आए तक तब उसकी मां उसके साथ खड़ी रहती हैं और मीनल को बस में बिठा के ही वो फिर से अपनी गाड़ी लेके घर जाती हैं।

मीनल बस में चढ़ जाती हैं , मगर उसे बैठने के लिए जगा नहीं मिलती, वो खड़ी रहते ही बड़े बस स्टॉप पे पहुंचती हैं।
उसकी ट्रेन का टाइम हो गया था , इसलिए वो जल्दी से अपने बैग लेके उतरती हैं , और थोड़ा धीरे से दौड़ते हुए, रेलवे स्टेशन की और निकल पड़ती हैं। मगर मीनल को टाइम का पता नहीं था की कितने बजे हैं वो क्युकी उसका फोन बैग में था। फिर तभी उसके एक दोस्त का फोन आता है। और मीनल उठाती हैं ।उसका दोस्त कहता है।, कहा हो जल्दी से रेलवे स्टेशन पहुंच जाओ, ट्रेन छूट जायेगी। फिर मीनल ने टाइम देखा फिर उसको पता चला बहुत देर हो गई हैं, फिर वो दौड़ते हुए रेलवे स्टेशन पहुंचती हैं।

उसके स्टेशन पहुंचते ही ट्रेन स्टेशन पर आ जाती हैं। फिर उसे कोन से डिब्बे में बैठना हैं , वो पता था मगर गाड़ी आ चुकी थी और वो लेट हो गई थी इसलिए वो फिर अपने टिकिट करवाया था । वो डिब्बे को ढूढने लगी। आखिर कार उसे डिब्बा मिल गया और वो अपने बैग को लेकर ट्रेन में बैठ गई। और अपनी मां को फोन करके बता दिया वो अच्छे से ट्रेन में बैठ गई हैं और आप अब चिंता मत करो परेशान मत हो।

ट्रेन में बैठे बैठे मीनल गाने सुन रही थी, और अपने आस पास के नजारे देख रही थी। और अपने ये सफ़र की अच्छी यादों और अनुभव को अपने कागज पे लिख रहीं थी।

फिर ४ घंटो में उसका स्टेशन आ गया था और उसका सफ़र खतम हुआ। दोपहर का समय था ।वहा उसका दोस्त उसे लेने के लिए आया था। फिर वो दोनों सोचने लगे अब क्या करे क्युकी दोनो को जोरो से भूख लगी थी। फिर दोनो ने होटल में खाना खाया, फिर अपनी कॉलेज की होस्टल की और की रिक्शा ले ली और अपने होस्टल की और निकल पड़े। दोनो सुख रूप होस्टल पहुंच गए, वो अपने दोस्तो से मिली और खुश थी। और मीनल का आज के दिन का ये सफ़र यहां खतम होता हैं।🙏🙏