यादों के पन्नों में हिसाब लिखे हैं l
वादों के पन्नों में सैलाब लिखे हैं ll
बहोत निकले मेरे अरमान लेकिन.. l
ग़ालिब ने शेर लाजवाब लिखे थे ll
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खुशी से गुनगुनाता हैं ये हसीन मौसम l
प्यारा गीत सुनाता हैं ये हसीन मौसम ll
बारिस की रिमझिम बूँदों की रागिनी l
राग मल्हार गाता हैं ये हसीन मौसम ll
महफिल में मुसलसल ग़ज़ल चल रहीं हैं l
शमा नशीला बनाता हैं ये हसीन मौसम ll
कभी जो ख्वाबों में देखा करते थे l
चैन-सुकूं लाता हैं ये हसीन मौसम ll
अजीब सी खुमारी छाई है फ़िजा में l
गुलाबी कहलाता हैं ये हसीन मौसम ll
२०-६-२०२२
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बड़े नायाब क़ुदरत के नज़ारे हैं l
हसीं जिंदगी जीने के इशारे हैं ll
खूबसूरत हसीन रात में देखो l
चांद चंदा के दिल को प्यारे हैं ll
अज़ीब एजाज छाया हुआ है l
महफिल में तहनात सितारें हैं ll
जन्नत की हूर परी दिखती हो l
नसीब से गर्दिशों में तारे हैं ll
इश्क में बार बार रूठ जाना l
सखी नाज़ नखरे तुम्हारें हैं ll
जरा दूर ही रहना तुम तो l
खूबसूरत तोहफ़े हमारे हैं ll
जमे इश्क़ में सर झुकाया है l
जिद के सामने हम हारे हैं ll
२१-६-२०२२
एजाज़ – जादू
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क्या कह रहा हैं बहता झरना?
वक्त के साथ बहो कहता झरना ll
मुसलसल खुशियो संजोता l
अपनी मस्ती में रहता झरना ll
ऊंचाई से गिरते गिराते रास्ते में l
चटटानो की मार सहता झरना ll
सदा बेफिक्री के साथ ख़ुद को l
मिट्टी के साथ ढहता झरना ll
दर्द, काटे, फूल, कीचड और l
जो मिला प्यार से गहता झरना ll
२२-६-२०२२
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आंखे सजल हैं l
कौन अमर हैं ?
किसने छुआ ?
हाथ गरम हैं ll
किस बात पर l
आती शरम हैं ll
गीत गुनगुनाओ l
रूठे सनम हैं ll
मुहब्बत हसीन l
प्यारा सफ़र हैं ll
२३-६-२०२२
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जिंदगी में हार जीत तय है ll
समंदर से घेरा वलय है ll
एक दूसरे से जुड़कर ही l
रिसते नातो का विलय हैं ll
मसर्रतें का खजाना हैं ये l
साथ जीने का समय हैं ll
रियासत हैं सुकून से रहो l
आत्माओ का आलय हैं ll
खूबसूरत ख्वाबों में l
मासूमों का निलय हैं ll
२४-६-२०२२
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आज दिल में उदासियों को ठहरने ना दिया l
खुशी का नकाब पहनके सँवरने ना दिया ll
कैसे भी समझाया बहलाया पर किसी l
दिल फेंक खेलों के हाथों में धरने ना दिया ll
रुख़सत कर दिया बेवफाओ को मुस्कराके l
दिल के दामन को तार तार करने ना दिया ll
बड़ी चालाकी से संजोया कमज़ोर पलो को l
बेचेनीओ को दिल में उतरने ना दिया ll
दर्द को बिदाई देदी हस्ते हस्ते आज सखी l
आंसूंओ से नशीली आंखको भरने ना दिया ll
२६-६-२०२२
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बेइंतहा दर्द में वक्त गुज़ारा है l
कठीन ही सही पर दुलारा है ll
हद से बढ़ गई है जोहुक्मी l
इसलिए ख़ुदा को पुकारा है ll
सुकून साँस लेने के लिए l
दर्द भरा गाना सुनाया है ll
ख़ुद के भरोसे पे जीकर l
क़ायनात को झुकाया है ll
वफ़ा का दामन पकड़कर l
बेवफाओंको रुलाया है ll
२७-६-२०२२
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आंख बनी हैं आँसुओं का सागर l
आज छलक रहा है ग़मों का सागर ll
महफिल झमाई हैं यार दोस्तों की l
गले से बह रहा है सुरों का सागर ll
जल्द ही लौट कर आएगे वापस l
वो खाके गये हैं कसमों का सागर ll
छुपा लेना चाहते हैं आँचल के अंदर l
बाहर बह रहा है रश्क़ों का सागर ll
बड़े बेईमान होते हैं चुगलखोर लोग l
बेनक़ाब कर दिया राज़ों का सागर ll
२८-६-२०२२
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