Kahani Pyar ki - 10 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 10

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कहानी प्यार कि - 10

" किंजल ये तुम क्या बोल रही हो ? " संजना को कुछ समझ में नहीं आ रहा था किंजल कि कहीं बाते सुनकर।

" अरे संजू कुछ नहीं... ये शाज़िया ना एसे ही बकवास करती रहती है .."

" तू क्या जानती नहीं कि तेरा जूठ मे यू पकड़ लेती हूं .. फिर भी तू मुझे जूठ कह रही है .. तू आ मेरे साथ " संजना उसे अपने साथ कमरे में लेकर गई.. किंजल भी मुंह नीचा करे उसके साथ आई..

" चल अब पता करन कौन है .."

" करन मेरा क्लासमेट था .."

" क्या तू उसे पसंद करती है ..? "

" एसा नही है .. संजू .. हा कोलेज के टाइम मुझे वो पसंद था.. पर .. "

" पर क्या ? क्या अब तू उसे पसंद नहीं करती क्या ? "

" हा .. मतलब नहीं .. "

" हा या ना ..? "

" हा करती हूं .. पर वो किसी और को पसंद करता था और मुझे लगता है कि अब तो उसकी शादी भी हो गई होगी..."

" पर तुने उसे अपनी फीलिंग्स के बारे में बताया था कुछ ? "

" कैसे बताती वो तो अकडू मुझ पर गुस्सा ही करता रहता था.. आंखे दिखाया करता .. मे कुछ भी करू उसे हमेशा प्रॉब्लम होती थी.. उसे तो सिर्फ वो छिपकली ही दिखाई देती थी "

" अब ये छिपकली कौन है ? "

" मोनाली ... करन कि गर्ल फ्रेंड .."

" ओह तो एसा बोल ना .."

" हा यार पर इस सब के बारे में कोई डिस्कस करने का कोई पॉइंट नहीं है "

" है ना क्यों नहीं है ! तूने मुझे बताया क्यों नहीं ? "

" संजू बताने के लिए भी तो कुछ होना चाहिए ना .. वन साइड लव मे कोई उम्मीद होती है क्या कभी ? "

" हम.. शायद तू सही कह रही है .. उसकी लाईफ मे कोई और है तो हम कुछ कर भी तो नहीं सकते .. "

" हा इसीलिए तो मे इस सब के बारे में कभी बात नहीं करना चाहती हूं पर ये शाज़िया ना मुझे उसके बारे में याद दिलाती रहती है .."

" कोई बात नहीं .. शायद भगवान ने करन से भी कोई अच्छा तुम्हारे लिए ढूंढ कर रखा होगा.. और क्या पता एसा कोई तुम्हे मेरी शादी मे ही मिल जाए ..."

" नहीं नहीं एसा नहीं हो सकता .."

" क्यों नहीं हो सकता "

" तू खुद कैदी बनकर जा रही है और साथ में मुझे भी घसीदना चाहती है क्या ! भाई मुझे तो अपनी आजादी ज्यादा प्यारी है .. "

" ओए .. मे कोई कैदी बनकर नहीं जा रही हूं समझी .. और शादी से किसी कि आजादी नहीं छिनती है .."

" ये तो तूझे शादी के बाद पता चलेगा .. समझी देख लेना.."

" मे तो चाहती हूं की काश ये शादी ही ना हो " संजना बहुत ही धीमे से बोली

" क्या कहा तुमने ? "

" नहीं कुछ नहीं "

" अच्छा..."

इस तरफ अनिरूद्ध संजना के घर आने के लिए तैयार हो रहा था..

" सौरभ सुन आज मे संजना के घर जा कर मौका देखकर संजना को सच बताने कि कोशिश करूंगा आई होप मे उसे सच बता सकूं ... "

" हा अब तो तूझे उसे घर जाकर ही सब कुछ सच बताना होगा.. वो तो अब बाहर नहीं निकल सकती .. उसकी शादी कि रस्मे जो शुरू होने वाली है ..."

" हम.. अब तो घर पर ज्यादा महेमान भी होंगे .. कुछ तो करना पड़ेगा संजना से मिलने के लिए "

" हा ये तो तू कर ही लेगा ... ओब्रोए जो है .."

" चल अब मे चलता हूं ..."

" हा जा ओल ध बेस्ट .."

अनिरूद्ध को अब घबराहट सी होने लगी थी।
" गोड प्लीज़ मुझे हिम्मत देना ..."
उसने कहा और गाड़ी स्टार्ट कर दी और सिंघानिया मेंशन जाने के लिए निकल पड़ा।

संजना अपने कमरे में तैयार हो रही थी । आज शादी के पहले कि कुछ रस्मे शुरू हो रही थी।

" संजना तैयार हो गई या नहीं ...? हमें देर हो रही है मंदिर जाने के लिए.. पूजा का मुहूर्त निकल जाएगा.." रागिनी जी संजना को बुलाने के लिए कमरे में आती हुई बोली।

" हा मा रेडी..."

" हा मासी .. हम दोनों रेडी है चलिए " किंजल बोली और फिर तीनो नीचे होल मे चले गए।

मोहित और राजेश जी भी सब तैयारी मे लगे हुए थे।
" राघव ये प्रसाद गाड़ी मे रखवा दो पूजा के बाद सबको बाट देना " मोहित ने मिठाई के डब्बे उसके कजिन भाई राघव को देते हुए कहा।

" ठीक है ...मोहित .. पर संजू कहा है ? "

" लो आ गई मे भी " संजना ने वहा आते हुए कहा।

" वाह बड़ी सुंदर लग रही है .." राघव कि बात सुनकर संजना मुस्कुराने लगी ।

" मोहित ये शादी के कार्ड्स है जो जगदीश जी ने भिजवाए है .. और ये कार्ड पूजा मे रखना है .. ये दूल्हे का छुआ हुआ कार्ड है ..इसीलिए ये सब मिक्स मत कर देना .." राजेश जी ने कुछ कार्ड्स मोहित को देते हुए कहा...

" ठीक है पापा चलो मे चलता हूं मंदिर .. राघव चल .. आप लोग आ जाना जल्दी से " मोहित एक हाथ मे कुछ और सामान और कार्ड्स लेते हुए बाहर जाने लगा।

" मे अभी पांच मिनिट मे आई " संजना ने कहा और वो ऊपर टेरेस पर जाने लगी..

" अरे संजू .. देर हो रही है.. अब कहा जा रही है ? " रागिनी जी ने उसे रोकते हुए कहा पर संजना बिना कुछ सुने वहा से चली गई ।

ये देखकर किंजल भी उसके पीछे जाने लगी..

अनिरूद्ध अब सिंघानिया मेंशन पहुंच चुका था। उसने गाड़ी पार्क कि और दरवाजे कि तरफ बढ़ने लगा। तभी उसकी नजर ऊपर टेरेस पर पड़ी..वहा देखते ही वो सब कुछ भूल गया और एकटक वहा देखने लगा..

संजना टेरेस पर खड़ी खड़ी आंखे बंध करके खड़ी थी और उसकी आंखो से आंसू भी बह रहे थे.. ये देखकर अनिरूद्ध को बहुत ही दर्द हो रहा था.. पर वो चाहकर भी कुछ कर नहीं पा रहा था।

तभी अनिरूद्ध को संजना के पीछे से कोई आता हुआ दिखाई दिया.. ये देखकर अनिरूद्ध दीवाल के पीछे छुप गया और वहा देखने लगा..

वो देखने कि कोशिश कर रहा था पर उसे उसका चहेरा दिखाई नहीं दे रहा था.. वो संजना से कुछ बात कर रही थी और उसके आंसू भी पौछ रही थी... अनिरूद्ध उसका चहेरा देखने के लिए दरवाजे कि तरफ आने लगा.. और उसे देखते ही उसके होश उड़ गए..

किंजल को संजना के साथ देखकर अनिरूद्ध को बहुत बड़ा जटका लगा था
" इसका मतलब किंजल अपनी बहन कि शादी मे आई है वो और कोई नहीं पर संजना है ..! ओह माई गॉड ..." अनिरूद्ध ने आंखे बंद करली थी अपनी...

" इससे पहले कि किंजल मुझे देख ले मुझे यहां से जाना होगा .." अनिरूद्ध हड़बड़ी में जैसे ही जाने लगा तभी वो मोहित से टकरा गया...

उससे टकराते ही मोहित के सारे कार्ड्स नीचे गिर गए और सब मिक्स हो गए..

" आई एम सॉरी मोहित .. मे अभी सब उठा लेता हूं.." अनिरूद्ध जल्दी से सारे कार्ड उठाने लगा.. उसने एक एक करके सभी कार्ड्स इकठ्ठे किए और खड़ा हो गया...

" ये लीजिए मोहित .."
मोहित को अनिरूद्ध का बर्ताव बड़ा अजीब लग रहा था...

" अरे मि. अनिरूद्ध आप इतनी जल्दबाजी में कहा जा रहे थे.. और वो भी बाहर से ..? अंदर भी नहीं आए .." मोहित ने कार्ड्स लेते हुए कहा।

" हा वो आपसे मिलने आया था ..पर में अंदर आऊ उससे पहले ही एक अर्जेंट काम आ गया इसलिए.."

" ओह .. मे आपको मना तो नहीं कर सकता पर आप थोड़ी देर के लिए आए होते तो अच्छा लगता .."

" हा इसीलिए मे आया था पर अभी मुझे जाना होगा .. "

" ठीक है पर आपको शादी मे आना ही होगा .."

" जी जरूर ..." अनिरूद्ध ने कहा और वो टेरेस पर एक बार नजर डालते हुए चला गया। पर तब तक संजना और किंजल वहा से जा चुकी थी।

" अरे ये सब कार्ड्स तो मिक्स हो गए .. इसमें से पूजा मे रखने वाला कार्ड कौन सा था...? जो भी हो.. ये वाला दे देता हूं .. सब एक जैसे ही तो है .." उसने एक कार्ड अलग निकाला और वो भी वहा से मंदिर के लिए निकल गया।

मोहित के जाते ही अनिरूद्ध कि जान मे जान आई । वो अभी भी सिंघानिया मेंशन के बाहर गाड़ी मे ही बैठा हुआ था।
" अब मे क्या करू... अंदर भी नहीं जा सकता .. किंजल ने और संजना ने साथ में मुझे देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी.. किंजल के लिए भी में कोई और अनिरूद्ध ओब्रॉय हूं और संजना के लिए भी .." अनिरूद्ध खुद ही अपनी किस्मत पर सीर पिट रहा था।

" ये सौरभ का पहचान बदल के संजना के पास जाने का आइडिया मैंने माना ही क्यों.. सौरभ .. मेरे भाई कहा फसा दिया तूने मुझे.. ? और मेरे प्यारे अंकल .. अगर आप ने कसम ना दी होत तो मुझे संजना से ये सब छुपाना नहीं पड़ता .. " अनिरूद्ध अकेले ही बड़बड़ किए जा रहा था.. उसे पछतावा हो रहा था पर वो जानता था कि उन्होंने जो भी किया अनिरूद्ध कि भलाई के लिए किया था.. ये सब सोचने के बाद उसने गाड़ी स्टार्ट कि और वहा से चला गया।

मंदिर में सब आ चुके थे.. पूजा भी शुरू हो चुकी थी। मोहित ने गलती से अनिरूद्ध का ही छुआ हुआ कार्ड पूजा मे रख दिया। संजना के हाथो से पूजा कि गई और फिर बाद में पूजा का प्रसाद पूरे मंदिर में बाटा गया। शादी कि एक रस्म बड़े अच्छे तरीके से हो चुकी थी।

🥰 क्रमशः 🥰