Dor to Dor Campaign - 3 in Hindi Children Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | डोर टू डोर कैंपेन - 3

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

Categories
Share

डोर टू डोर कैंपेन - 3

( 3 )

नन्हा पॉमेरियन जैसे ही कुत्तों की टोली में पहुंचा उसने एक सांस में सारी कहानी सबको सुना डाली। उसकी बात सुन कर सारे ख़ुशी से उछलने लगे। कोई नन्हे को गोद में उठा कर झुलाता तो कोई उसका मुंह चूमता।
एक विशालकाय बड़े शिकारी कुत्ते ने कहा- इस छोटे बच्चे ने बड़ा काम कर दिखाया है, किंतु अब हम सब को सोच समझ कर आगे कदम बढ़ाना है। शेर दूसरे जानवरों को भी राजा बनाने पर सहमत हो गया है यह जानकर कई बड़े- बड़े जानवर सामने आ जाएंगे। राजा तो सभी बनना चाहेंगे। लेकिन हम लोग सावधानी के साथ सभी पशुओं को अपने पक्ष में करेंगे ताकि कोई हमारा विरोध न करे और राजा बनाने के लिए हमारा ही समर्थन करे।
- मगर कैसे? एक ब्राज़ीलियन नस्ल के खूबसूरत से कुत्ते ने पूछा।
- डोर टू डोर कैंपेन करके! बुज़ुर्ग डॉगी ने कहा।
ये बात सभी को पसंद आई।
घर - घर जाकर, दर -दर जाकर सबको समझाने से कामयाबी ज़रूर मिलती है। ये ही सफ़लता का मूल मंत्र है। एक अन्य वयोवृद्ध कुतिया ने कहा।
यही तय किया गया कि बारी - बारी से एक- एक प्राणी के घर जाकर उसे समझाया जाएगा कि कुत्ते कितने महान हैं। यदि उन्हें राजा बनाया जाता है तो जानवरों की पहुंच आसानी से इंसानों के कोठी, बंगले, महल, पार्कों और बाजारों तक हो सकती है।
कुछ सुंदर कुत्तों की तस्वीर लगा कर कुछ पोस्टर्स भी तैयार कर लिए गए।
एक समझदार से दिखने वाले अल्सेशियन ने कहा- मैं बरसों तक सैनिक अधिकारियों के साथ छावनियों में रहा हूं। मैंने देखा है कि हम अगर लोगों का कष्ट दूर करने की कोशिश करते रहें तो लोग भी हमें बहुत सम्मान देते हैं। हमें सबसे जाकर पूछते रहना चाहिए कि उन्हें कोई तकलीफ़ तो नहीं है? किसी का दुःख दर्द पूछना ही उसके आधे कष्ट तो कम कर देता है। तो डोर टू डोर कैंपेन में हम जिससे भी मिलें, उससे ये जानने की कोशिश करें कि उसकी परेशानी क्या है।
बात सभी को पसंद आई।
कल से काम शुरू करना था।
पहला नंबर हाथी का रखा गया।

अगले दिन सुबह तीन चार डॉगी मिल कर पहुंच गए हाथी बाबू के ठीहे। कई विशाल पेड़ों के एक बड़े से झुरमुट के गिर्द हाथी अपने सब पारिवारिक साथियों के साथ रहता था।


उन्हें ये सुन कर सुखद आश्चर्य हुआ कि अब जानवरों की दुनिया में भी लोकतंत्र आने को है और उसे शेर की मंजूरी भी मिल चुकी है।
हाथी बाबू ने कुत्तों की बात को पूरी गंभीरता से सुना क्योंकि वो जानते थे कि इनकी पहुंच आदमियों की दुनिया में ज़बरदस्त ढंग से है। वो लोग केवल इन्हें अपनी गाड़ियों में ही लिए नहीं घूमते, बल्कि कभी कभी किसी पॉश इलाक़े में तो इनकी पॉटी तक उठाते पाए जाते हैं।
ऐसे में जब एक कुत्ते ने उनसे कहा कि आप अपनी प्रॉब्लम्स बताइए, हम उन्हें दूर करेंगे तो हाथी बाबू ने अपनी पत्नी और बच्चों को भी बुला लिया।
हाथी ने कहा- भाई, अगर आप अपने इंसान दोस्तों को समझा सकें तो उन्हें ये बताइए कि कम से कम हमारे जीते जी हमारे दांत न उखाड़ें। हम जानते हैं कि ये बहुत कीमती हैं और इनसे उन्हें बहुत से रुपए मिलते होंगे पर कम से कम इसके लिए वो लोग हमारे मरने का इंतजार तो करें। हमारे जीते जी हम पर तरह - तरह से आक्रमण करके दांतों को ले जाकर बेचा जाता है तो बहुत दुःख होता है। और केवल हमारे शरीर की किसी मूल्यवान वस्तु को पाने के लिए असमय हमारी जान ही ले लेना तो किसी भी तरह उचित नहीं है।
हम जानते हैं कि आदमियों में बहुत सी अच्छाइयां भी हैं। वो कई बार हमें भी पाल लेते हैं, हमें सजा संवार कर हमारी सवारी भी निकालते हैं। तब हमें अच्छा अच्छा खाना खाने को दिया जाता है।
सर्कस में भी हमें काम दिया जाता है, एक हथिनी ने कहा।
वहां से लौट कर कुत्तों को पूरा यकीन हो गया कि अगर वो इन हाथियों की हत्या रुकवा पाएं तो ये ज़रूर राजा बनाने के लिए हमारा समर्थन करेंगे।
चलो, शुरुआत तो अच्छी हुई, एक थके हुए कुत्ते ने कहा।

हाथी बाबू ने सड़क से गुजरते हुए कुत्तों को भौंकते हुए तो कई बार सुना था पर इतने मीठे सुर में घर के दरवाज़े पर आकर बोलते हुए पहली बार सुना।