golden bird in Hindi Fiction Stories by Harshit Ranjan books and stories PDF | सोने की चिड़िया

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सोने की चिड़िया

प्राचीन काल में भारत का इतिहास बहुत ही स्वर्णिम था ।
भारत ने संसार को आयुर्वेद और योग जैसे बहुमूल्य उपहार दिए हैं । एक समय तो ऐस जब हमारे देेे को सोने कि चिड़िया कहा जाता था । लेकिन इस चिड़िया के पंख विदेशी आक्रांताओं द्वारा बार-बार काटे गए । अब यहाँ पर एक प्रश्न उठता है:-
अगर हमारा देश आर्थिक तथा सैन्यिक रूप से इतना ही समृद्ध था तब विदेशी आक्रांता बार-बार हमारे देश पर कब्ज़ा करने में सफल कैसे हो जाते थे ? उत्तर : इसका मुख्य कारण था हमारे राजाओं केे बीच की
आपसी फ़ूट जिसका आक्रांताओं द्वारा लाभ उठाया गया।

हमने अब तक ये जाना कि हमारे देश पर कई आक्रांताओं द्वारा आक्रमण किया गया है । लेकिन आक्रांता भी दो प्रकार के थे : एक वो जिन्होंने हमारे देश पर आक्रमण किया तथा हमारे राजाओं की संपत्ति को लूटकर अपने देश लेकर चले गए । तो दूसरे वो जिन्होंने हमारे देश पर आक्रमण किया तथा यहाँ पर अपनी शासन व्यवस्था स्थापित की ।
केवल लूटपाट करने के उद्देश्य से आक्रमण करने वाले मुख्य राजा थे : महमूद ग़जनी तथा मुहम्मद बिन कासिम।

भारत में अपना शासन स्थापित करने के उद्देश्य से यहाँ पर आने वाले मुख्य राजा थे : ज़हर-उद्दीन-मुहम्मद बाबर,
मुहम्मद गोरी तथा अंग्रेजी इष्ट इंडिया कंपनी ।

भारत में विदेशी शासन की जड़ें तब मज़बूत हुईं जब अफ़गानी सुल्तान मुहम्मद गोरी ने तराई के दूसरे युद्ध में सम्राट पृथ्वीराज चौहान को हराया था । पृथ्वीराज को हराने के पश्चात चौहान वंश का संपूर्ण साम्राज्य मुहम्मद गोरी के आधीन हो गया । इसके बाद गोरी ने अपने सेनापति कुतुबउद्दीन एबक को चौहानों के विशाल साम्राज्य की देखभाल करने के लिए नियुक्त कर दिया ।
मुहम्मद गोरी की मृत्यु के बाद कुतुबउद्दीन एबक ने स्वयं को सुल्तान घोषित कर दिया और दिल्ली के तख्त पर बैठकर अपना शासन चलाने लगा । और इस तरह से भारत में दिल्ली सल्तनत के शासन की नींव रखी गई ।
दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों ने करीब-करीब 300 वर्षों तक भारत के विभिन्न प्रांतों पर शासन किया ।
दिल्ली सल्तनत का अंत तब हुआ जब पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने दिल्ली के अंतिम सुल्तान :- इब्राहीम लोदी को हराया था । और इसी के साथ भारत में मुगल वंश के शासन का प्रारंभ हुआ जो लगभग 350 वर्षों तक चला ।

मुगल साम्राज्य का पतन :-

वैसे देखा जाए तो मुगलों के शासन का अंत सन् 1858 मे ं अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फर की गिरफ्तारी के साथ समाप्त हुआ था । लेकिन मुगलों के पतन की शुरुआत तो इस घटना से कई सालों पहले ही शुरू हो गई थी । मुगल वंश का अंतिम सक्षम शासक था बादशाह शाह-जहाँ का बेटा औरंगजेब । औरंगजेब ने हिन्दुस्तान के तख्त पर लगबग 50 सालों तक हुकूमत की थी । औरंगजेब के शासन में मुगलों का शासन पश्चिम मे अफ़गानिस्तान से लेकर पूर्व मे अस्सम तक तथा उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण मे कन्याकुमारी तक था । लेकिन आखिर इस विशाल का अंत इतनी जल्दी कैसे हो गया ?
आइए इस प्रश्न का उत्तर विभिन्न बिंदुओं की सहायता से जानते हैं :-

- औरंगजेब के मृत्यु के पश्चात जितने भी शासक मुगल तख्त पर बैठे उनमें से किसी में भी कोई भी फ़ैसला करने का सामर्थ्य नहीं था ।

- शासन को कमज़ोर पड़ते देखकर कई ज़मीनदारों तथा जागीरदारों ने अपने-आप को स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया ।

- औरंगजेब के हिंदू विरोधी फ़ैसलों से प्रजा का आक्रोश भी चरम सीमा पर था ।

- मराठा,सिख तथा जाट समुदाय का उदय भी मुगलों के पतन की मुख्य वजह थी ।

- औरंगजेब ने अपने शासन काल में कई राजाओं तथा सरदारों के साथ युद्ध लड़ा था जिसकी वजह से मुगल आर्थिक रूप से भी कमज़ोर पड़ गए थे ।

तथा बहुत से ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से मुगल साम्राज्य का पतन हुआ ।