रूही बुरी तरह घबराई हुई थी और अपने आप को कोष रही थी, काश वह एक बार केबिन चेक कर लेती तो उसे पता चल जाता की अमन यही उसके केबिन में बैठा है, काश वह अपनी रिसेप्शनिस्ट की बात एक बार सुन लेती शायद वह उसे यही बताने की कोशिश कर रही थी, की अमन उसके केबिन में बैठा है, रूही ने अपनी आंखे कस कर बंद कर ली थी और अपना चेहरा भी दीवार के तरफ मोड़ के खड़ी हो गई थी.
रूही की ऐसी हालत देख कर अमन को बहुत हंसी आ रही थी, लेकिन ना जाने क्यों उसे मन ही मन बहुत अच्छा भी फील हो रहा था, वो खुद भी रूही से सिर्फ दो बार ही मिला था लेकिन उसकी हालत भी बिल्कुल रूही जैसी ही थी, वो खुद भी जब से रूही से मिला था, उसके बारे में ही सोचे जा रहा था, और इत्तेफाक से उसे आज फिर रूही से मिलने का मौका मिल गया था.
तुमने जवाब नहीं दिया रूही?? क्यू तुम मेरे बारे में ही सोचे जा रही हो?? अमन ने रूही की टांग खींचते हुए पूछा.
नही तुम्हे कोई गलत फहमी हुई है, मेने ऐसा कुछ नही कहा और मेरी परमिशन के बिना आप मेरे केबिन में क्या कर रहे है?? मिस्टर सिंघानिया, अब रूही ने नॉर्मल होते हुए थोड़ा एटीट्यूड दिखाते हुए अमन से पूछा.
मैं आपका क्लाइंट हू मिस रूही और मैं जबरदस्ती आपके केबिन में नही घुसा हु आपकी रिसेप्शनिस्ट ने मुझे यहां बैठने की इजाजत दी है. अमन ने रूही को प्यार से जवाब दिया.
ओह... ओके... वैसे आपके डिजाइंस अभी रेडी नही हुई है मिस्टर सिंघानिया, जैसे ही आपके डिजाइंस रेडी हो जायेंगे मैं आपको कॉल कर दूंगी ओके.. अब आप जा सकते है, मुझे एक जरूरी मीटिंग अटेंड करना है, रूही ने अमन से थोड़ा तेवर दिखाते हुए कहा, उसे खुद भी अमन से इस तरह बर्ताव करते हुए अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन अभी अमन से बचने के लिए उसे और कोई रास्ता सुझा ही नही इसलिए उसने अमन को ये सब कह दिया.
अरे रूही तुम तो नाराज हो गई, अमन ने भी थोड़ा परेशान होते हुए कहा, उसे भी रूही का इस तरह बर्ताव करना थोड़ा अजीब लग रहा था, एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी तेवर तो देखो इस लड़की के पहले खुद ही गलती करती है फिर उसके बाद मुझे ही एटीट्यूड दिखा रही है, अमन मन ही मन सोच रहा था.
फिर अमन ने रूही से कहा- वैसे मुझे भी यहां रुकने में कोई दिलचस्पी नहीं है दरअसल मीसेज सोनल ने मुझसे कहा था की मैं अपनी मूवी के लिए चाहूं तो आपको ज्वैलरी डिजाइंस का प्रोजेक्ट दे सकता हु बस इसी सिलसिले में मुझे तुमसे बात करनी थी.
अमन की बाते सुन कर रूही एकदम शॉक्ड रह गई, अब तो उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है, उसके पास इतना बड़ा प्रोजेक्ट लगभग आ ही गया था लेकिन सिर्फ और सिर्फ उसकी हरकतों की वजह से शायद अब वह भी हाथ से निकलने वाला था,
फिर रूही ने अपने आप को संभालते हुए अमन से थोड़ा नरमी से पेश आते हुए कहा- ओह... आई... एम... आई एम सॉरी मिस्टर सिंघानिया वो मैं थोड़े ज्यादा वर्क प्रेशर की वजह से टैंशन में थी इसीलिए आपसे इस तरह बोल गई, आप बताइए कब मीटिंग रखनी है??? आप कहे तो अभी ही मीटिंग रख लेते है.
अभी??? लेकिन अभी तो आपको कोई जरूरी मीटिंग अटेंड करना है न मिस रूही?? आपने अभी मुझसे कहा था, अमन ने थोड़ा मुंह बिगाडते हुए रूही से कहा.
हां..वो... सॉरी...मैं भूल गई थी, रूही ने अपना सर नीचे कर के थोड़ा शर्मिंदगी भरे लहजे में कहा.
ठीक है तो फिर कल दोपहर एक बजे हम लंच पर चलते है वही पर मीटिंग कर लेते है, और हां वैन्यू मैं आपको मैसेज कर के बता दूंगा ओके मिस रूही.. अमन ने आंख मारते हुए रूही से कहा और केबिन से बाहर चला गया.
रूही तो पहले सोच में ही पड़ गई की क्या उसने जो सुना है वो सही सुना है या उसे कुछ और ही सुनाई दे गया है, मतलब अमन उससे सिर्फ दो ही बार मिला था और लंच पर भी इनवाइट कर दिया, इसलिए उसे थोड़ा अजीब लगा, कुछ देर बाद वह अमन के पीछे पीछे केबिन के बाहर निकली लेकिन तब तक अमन अपनी कार स्टार्ट कर के जा चुका था.
अब तक सूरज ढल चुका था लगभग अंधेरा होने ही वाला था, रूही भी बहुत परेशान थी, उसने घर जाना ही ठीक समझा, उसे आराम की भी जरूरत लग रही थी, उसने केबिन से अपनी कार की चाबी उठाई और सीधे स्टूडियो से बाहर निकल गई, रूही अभी अपने घर के आधे ही रास्ते पहुंची थी, उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था उसने अपने घर के रास्ते में पड़ने वाले एक बड़े से गार्डन के बाहर अपनी कार रोक दी, यहां वह अक्सर आया करती थी, इस गार्डन में बहुत शांति हुआ करती थी, इस गार्डन में एक जैन मंदिर था, और गार्डन के अंदर ही एक बड़ा सा तालाब भी था, तालाब के किनारे जगह जगह बैठने के लिए बड़ी बड़ी चेयर लगी थी, रूही वही जा कर बैठ गई.
रूही चेयर पर बैठी तालाब में तैरती बतखो को देख रही थी, उन्हें देख कर उसे शांति मिल रही थी, तालाब में बहुत सी मछलियां भी थी जो तालाब के साफ पानी में बिलकुल साफ साफ दिख रही थी, इन मछलियों को देख रूही का मन फिर से विचलित हो उठा, आखिर वह भी तो एक मछली की तरह ही हो गई है, जैसे किसी मछली को पानी से बाहर निकलने के बाद उसका जीवन ही नहीं बचता वैसे उसे भी तो नहीं पता था की शादी के बाद उसका जीवन बचेगा भी या नहीं या फिर वो भी एक मछली की तरह ही तड़पती रह जायेगी?? उसे अपना अभी का जीवन पानी की तरह लग रहा था जैसे वह एक मछली हो और उसका अभी का जीवन पानी हो जिसमे वह खुल के सांस ले सकती है, लेकिन इस जीवन या कहे पानी से बाहर निकलने के बाद तो उसे भी नही पता की क्या होगा उसके साथ?? उसे राहिल पर बिल्कुल भरोसा नहीं है, होगा भी कैसे वो तो उससे बात तक नहीं करता है, सिवाय गुड मॉर्निंग और गुड नाईट मैसेज के.
रूही इन्ही सब ख्यालों में डूबी हुई थी, की तभी उसे राहिल को फोन लगाने का मन हुआ पहले उसने उसे एक मैसेज किया ताकि उसे पता चल सके की राहिल कही बीजी तो नही है.
हाई...राहिल..रूही ने राहिल को मैसेज किया, दो सेकंड बाद ही उसे राहिल का रिप्लाई भी आ गया, रूही तो ये देख कर खुश हो गई थी, लेकिन मैसेज में सिर्फ एक "?" था जिसे देख कर रूही फिर से उदास हो गई.
राहिल हमेशा ही ऐसे बर्ताव करता है, उसे पता था की राहिल को मैसेज करने का कोई फायदा नही है इसलिए अब उसने सीधे उसे कॉल करने का ही सोच लिया था.
तीन रिंग जाने के बाद ही राहिल ने फोन उठा लिया था.
हेलो...राहिल..वो...मैं..रूही ने धीरे से कहा.
रुहू मैं तुमसे बाद में बात करता हु मै अभी जरूरी मीटिंग में हूं, पक्का तुम्हे कॉल करूंगा ओके... बाय... उधर से राहिल ने जवाब दिया और फोन डिस्कनेक्ट कर दिया.
रूही को ये ही उम्मीद थी, लेकिन उसके उम्मीद से थोड़ा उल्टा भी हुआ था, खडूस राहिल ने आज थोड़े प्यार से ही बात की थी, और पहली बार कहा था की वो रूही को पक्का कॉल करेगा, रूही तो इतने में ही थोड़ी रिलैक्स हो गई थी.
रूही फिर से तालाब की ओर उन बतख और मछलियों को देखने लगी.
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