Exploring east india and Bhutan... - Part 5 in Hindi Travel stories by Arun Singla books and stories PDF | Exploring east india and Bhutan... - Part 5

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Exploring east india and Bhutan... - Part 5

Exploring east India and Bhutan....Chapter -5

 

The Himalayan Mountaineering Institute (HMI darjeeling), Darjeeling West Bengal India

 हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग शहर से लगभग 5 km की दूरी पर स्थित है. हिमालय पर्वत पर 29028 फूट की उचाई पर चढ़ना, और उस पर विजय पाना लम्बे समय से उन लोगों का सपना रहा था, जो पहाड़ों की चुनौती को स्वीकार करते हुए प्रक्रति की नयी नयी खोज करना चाहते थे. तेनजिंग नोर्गे और एडमंड हिलेरी ने 1953 में माउंट एवरेस्ट, जिसकी उचाई 29,028 ft है, पर पहली बार विजय पाई. इस विजय के स्मारक के रूप में और पर्वतारोहण को प्रोत्साहित करने के लिए 4 नवंबर 1954 को HMI की स्थापना की गई थी.

 

दार्जिलिंग, शेरपा तेनजिंग नोर्गे का गृह नगर भी है. बाद में तेनजिंग ने अपने अधिकांश समय HMI के फील्ड ट्रेनिंग के निदेशक के रूप में बिताया था. इसे भारत के प्रधान मंत्री, जवाहरलाल नेहरू के प्रोत्साहन से स्थापित किया गया था, और उन्होंने कहा था : "उन लोगों के लिए मन और शरीर के रोमांच की कोई कमी नहीं होगी जो अनजान समुद्र में उद्यम करने और अज्ञात चोटियों पर चढ़ने के लिए तैयार रहते हैं" पर्वतारोहण केवल एक रोमांचकारी खेल, और अनुभव ही नहीं बल्कि एक कला और विज्ञान है.

हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान का उद्देश्य देश के युवाओं के बीच पर्वतारोहण को प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना है. एचएमआई ने विभिन्न देशों के 2500-45.000 से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित किया है. HMI यूआईएए द्वारा मान्यता प्राप्त है, और पर्वतारोहण प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक अलग जगह रखता है. यह दार्जीलिंग का दर्शनीय स्थल है, अगर आप की पर्वतारोहण में रूची नही भी रखते है, तो भी आप यहाँ अच्छा समय बिता सकते हैं. पर्वतारोहण में रूची रखने वालों के लिए तो यह मक्का मदीना है .

 

Samten Choling Monastery, Darjeeling, West Bengal, India

यह सैमटेन चोलिंग मठ दार्जिलिंग शहर से लगभग 7 km की दूरी पर हिल कार्ट रोड पर घूम में स्थित है. मठ के अंदर एक गिफ्ट शॉप है. जलपान का भी प्रबंध है. मठ में आप monk बच्चों के साथ मस्ती भी ले सकते हैं. मठ के प्रवेश द्वार पर रेलवे लाइन्स है जहां स्थानीय लोगों द्वारा निर्मित वस्तुओं का छोटा सा पर बहुत ही सुंदर बाज़ार लगता है, आप यहाँ से थोड़ी बहुत शौपिंग भी कर सकते हैं. यह एक बड़ा ही मनोरम दृश्य दिखाई देता है . यहाँ एक बात बताना जरुरी है कि पुराना और प्रसिद्ध मूल घूम मठ यिगा चॉलिंग मोनेस्ट्री (Yiga Choeling Monastery or Old Ghum Monastery), दुसरी जगह पर स्थित है. क्योंकि यह बाटासिया और टाइगर हिल (sightseeing tour) के रास्ते पर है, इसलिए जब तक आप विशेष रूप से नहीं बताते, तो टूर कराने वाले इसे घूम मोनेस्ट्री कह कर एक पॉइंट कवर कर लेते हैं.

 परन्तु इस मठ का अलग महत्व है. इस मठ का निर्माण वर्ष 1850 किया गया था. Lachung Samtencholing Gonp पहले यह बॉन के उपासकों का मंदिर (gonpa) था, जिसे बाद में, 1930 में, स्थानीय लोगों ने बौद्ध धर्म को मजबूत करने के लिए बौद्ध मठ में परिवर्तित कर दिया गया था. मठ में एक बुद्ध की, गुरु की, चेनरेज़िग की प्रतिमाएं है, जो कि तांबे से बनी हैं, कांजीगर और तेंग्युर ग्रंथों के लेखों के साथ इन प्रतिमाओं को तिब्बत से लाया गया था, ताकि इस क्षेत्र में बोध धर्म का विस्तार हो सके. यह बौद्ध धर्म के निंगमापा संप्रदाय का अनुसरण करता है. यहाँ सर्दियों में annual mask dance के साथ सभी प्रमुख समारोह होते हैं.

 

HMI MUSEUM OR Everest Museum, Darjeeling West Bengal India

 एवरेस्ट संग्रहालय: यह जवाहर परबत पर लेबोंग कार्ट रोड पर 7000 ft की ऊंचाई पर, हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान (HMI) के परिसर के अंदर, दार्जिलिंग शहर से लगभग 5 km की दूरी पर स्थित है, और पद्मजा नायडू चिड़ियाघर (Padmaja Naidu Himalayan Zoological Park) से एक दम लगा हुआ है. एवरेस्ट संग्रहालय बनाने का उदेश्य दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर विजय पाने के इतिहास को याद रखना है. पहले इसे, चोटी XV के रूप में जाना जाता था. सबसे पहले एक भारतीय सर्वेक्षणकर्ता, राधानाथ सिकदर ने, चोटी XV को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी के रूप में पता चलाया. बाद में भारत के तत्कालीन सर्वेक्षण जनरल सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर इसका नाम माउंट एवेरेस्ट रखा गया. MOUNT EVEREST का नाम MOUNT RADHA NATH होना चाहिये था.

संग्रहालय में कई तरह की पांडुलिपियों, पर्वतारोहियों के पहनने के जैकेट, जूते, और पर्वतारोहियों से संबंधित पुस्तकों को रखा गा है. इसमे सभी पर्वतारोहियों को याद किया गया है, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर विजय पाई. शेरपा डेनजिंग नॉर्बे, जिन्होंने एडमंड हिलेरी के साथ माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की थी, इस संस्थान के निदेशक थे. संग्रहालय खुलने का समय : 9:00 बजे से 1:00 तक , दोपहर बाद 2:00 बजे से 5:00 बजे तक, मंगवार को बंद रहता है . प्रवेश शुल्क भारतीयों के लिए 20 और विदेशियों के लिए 100 रूपए है.

 

Passenger ropeway, Darjeeling west Bengal india

इसे Ropeway Rangeet Valley व् Passenger Cable Car के नाम से भी जाना जाता है. इसकी लम्बाई 1298 मीटर है व् यह इंडिया की सबसे लम्बी रोपवे है. यह चौक बाजार से जो कि दार्जिलिंग का मुख्य बाजार व् केंद्र है, से लगभग 3 km की दूरी पर स्थित है. इसमे 12 केबल कार (gondolas) हैं, व् एक केबल कार में 6 व्यक्ति एक बार में यात्रा कर सकते हैं.

पहले यह सिंगमरी से (जिसकी उचाई 7000 ft है), तुकवर, बर्नसेबेग हो कर सिंगला बाज़ार तक (8km दूरी, उचाई 800 ft) जाती थी. परन्तु अब यह तुकवर तक ही जाती है (उचाई 6000 ft). यात्रा के समय आप नीचे चाय के बागानों, घाटियों और पहाड़ों और रंगीत वैली के सुंदर दृश्य देख सकते है, फोटो शूट कर सकते हैं. पृष्ठभूमी में आप काचेनजंगा की बर्फ से ढकी चोटियों के दिल लुभाने वाले दृश्य भी देख सकते हैं. “अगर आप पहले केबल कार में नही बेठे तो ही इस रोपवे की यात्रा करें.”

पहले तो सिंगामरी केबल कार स्टेशन तक पहुंचने के लिए आपको एक संकरी और खड़ी सीढ़ी चढ़नी होगी, लाइन में खड़े हो कर टिकेट खरीदें, फिर आपको केबल कार में बेठने वालों की एक लम्बी लाइन नज़र आयगी, आपकी हिम्मत जवाब दे देगी, अगर नहीं देती तो लाइन में लग जाए, एक से दो घंटे में आप का नंबर आ ही जायेगा. तब तक सोचते रहें, मेरा नंबर आयेगा. वापसी में लाइन में लगने से बचने के लिए तुकवर में नहीं उतरें, और उसी गोंडोला पर वापस आ जाएं तो राउंड ट्रिप के लिए लगभग 40 मिनट लगेंगे.

खुलने का समय: Off season यानी सर्दियों और मानसून के दौरान सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक और peak season यानी गर्मियों और शरद ऋतु के दौरान 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक. हर महीने की 19 तारीख को, रोपवे बंद रहता है. टिकट : adults 200/- रुपये प्रति व्यक्ति, childs (3-8 वर्ष) 100 रूपए.

 

Lamahatta Eco Park, Lamahatta Darjeeling . लमहट्टा इको फार्म हाउस: यह लगभग 5700 फीट की ऊंचाई पर, सिलीगुड़ी से लगभग 72 km, कालिम्पोंग से 41 km व् दार्जिलिंग से 23 km की दूरी पर स्थित है. यह दार्जीलिंग आते हुए रास्ते में पड़ता है. Lamahatta शब्द बौद्ध भिक्षुओं के समान बुख़ास (Bukhus) पहनने वाले लोगों से लिया गया. इको-टूरिज्म के लिए स्थानीय लोग पर्यटन विकास के लिए साथ मिलकर काम करते हैं, व् पर्यावरण संतुलन (ecological balance) और पर्यावरण की जैव-विविधता (bio-diversity) को पहले की तरह बनाये रखने में सहयता करते हैं, और यही इन की कमाई का साधन भी है. पार्क में पाइन, बड़ी इलायची के पेड़, लकड़ी और बांस से बने बेंच हैं, और यह 6 एकड़ में फैला हुआ है. बस 10 -15 मिनट रुकें, ताज़ा हवा में सांस लें. चाय कोफी लें, फोटो खींचें और आगे चल दें प्रवेश शुल्क मामूली 10 रूपए प्रति व्यक्ति

 

Teesta Rangeet View Point lovers meet view point 7th mile view point

 यह संगम दार्जीलिंग से 12 km की दूरी पर गंगटोक जाते समय र्रस्ते में आता है. यहाँ चारों ओर से पहाड़ों से घिरे क्षेत्र में तीस्ता नदी और रंगीत का संगम होता है. तीस्ता नदी की उत्पत्ति Tso Lhamo lake (also called Cholamu) सिक्किम में होती है, जो की 17500 ft की उचाई हैरंगीत नदी की उत्पत्ति कंचनजंगा क्षेत्र के glacier of Mount Kabru से होती है. संगम का दृश्य प्रकृति प्रेमियों के लिए एक ना भूलने वाली याद है. यहाँ आप दोनों नदियों का पानी दो अलग-अलग रंग में देख सकते हैं.

रंगीत नदी अपने गहरे हरे रंग और क्रिस्टल साफ पानी के साथ, तीस्ता नदी के पन्ना हरा (emerald green) रंग के साथ मिल कर एक हो जाती है. आगे यह नदी बांग्लादेश में चली जाती है. यहाँ फोट शूट करने के लिए एक व्यू पॉइंट है, जिसे तीस्ता रंगीत व्यू पॉइंट या लवर्स व्यू पॉइंट भी कहा जाता है. यहाँ जलपान के लिए एक दो छोटी दूकान हैं. आप यहाँ रुक कर 1-2 घंटे का समय चाय काफी लेते हुए आनंद पूर्वक बिता सकते है .

 

 देर रात तक नामची पहुंचे और चार धाम में स्थित यात्री निवास में डेरा जमाया .