Junoon - ishq ya badle ka.. - 25 in Hindi Love Stories by Princess books and stories PDF | जुनून - इश्क या बदले का... - 25

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जुनून - इश्क या बदले का... - 25

" अगर तुम घरके बाहर खड़े भी हो , तो उसमे हमे कॉल क्यों..." दिव्या इतना कहते कहते अचानक रुक जाती है । जब उसे रियलाइज होता है , कि अभी अभी अक्षय ने उसे क्या कहा...? " मे तुम्हारे घर के बाहर खड़ा हूं , मतलब वो हमारे घर के बाहर खड़ा है ।" ये विचार अपने मन मे आते ही वो लगभग अपने बेड से कूदते हुए शौक के मारे चिल्लाकर कहती है , " what "... ?

अक्षय जल्दी से फोन को कान से दूर करता है , और उसकी स्क्रीन को देखते हुए खुद से ही , " ये लड़की पागल हो गई है क्या ...? , जो इतनी जोर से चिल्ला रही है । "

फिर वो वापस मोबाईल को अपने कान के पास ले जाके चिड़ते हुए केहता है , " इतनी जोर से क्यों चिख़ रही हो...? पूरे राठौड़ खानदान को जगाने का इरादा है क्या तुम्हारा...

" तुम वो सब छोड़ो पहले तो हमे ये बताओ कि तुम यहां कर क्या रहे हो...? " , दिव्या पूछती हैं ।

अक्षय थोड़ा हस्ते हुए ," वो क्या है ना , मे यहां आधी रात को भजिए तल रहा हूं । तुम खाना पसंद करोगी...? तो यहां आ जाओ , हम दोनों मिलकर बनाएंगे और खाएंगे ।

दिव्या उसकी बात सुनकर चीड़ जाती हैं । वो उसे कुछ बोलती उससे पहले अक्षय अपनी बात को आगे कंटिन्यू करते हुए इस बार चीड़ कर केहता है ।

" अरे ओ मूर्खों कि महारानी , तुम्हारे अंदर दिमाग नहीं है , ये बात जाहिर करनी जरूरी है क्या , अपने ये उल्टे सीधे सवाल पूछकर ना मेरा दिमाग खराब मत करो , और यहां आके दरवाज़ा खोलो । " , और बिना दिव्या कि बात सुने कॉल कट कर देता है ।

" ये लड़की किसी दिन मुझे पागल बनाके छोड़ेगी । " , वो खुद से ही बड़बड़ाते हुए केहता है ।

दिव्या अपने मोबाईल स्क्रीन को देखते हुए खुद से ही" इस कि हिम्मत कैसे हुई हमे मूर्ख बोलने कि , इसे तो अब हम बताते हैं " , और गुस्से से कमरे से बाहर निकल जाती है ।

( ऐसा नहीं है कि , अक्षय दिव्या को आधी रात में परेशान करना चाहता था , लेकिन उसके पास दिव्या कॉल करने के सिवाय और कोई ऑप्शन नहीं था ।

क्योंकि अगर उसे बाहर से दरवाज़ा खोलना है तो उसके सिक्योरिटी सिस्टम में पहले पासवर्ड डालने के बाद एक कार्ड स्वाइप करना होता है , जो वो जल्द बाजी में अपने साथ लाना ही भूल गया ।

अक्षय यहां अक्सर आया जाया करता था , इसलिए उसके पास वो कार्ड पहले से ही था । लेकिन अभी उसके पास वो कार्ड ना होने कि वजह से वो दरवाजा नहीं खोल सकता था , अगर उसने बिना कार्ड के दरवाज़ा खोलने कि कोशिश कि तो कन्ट्रोल पैनल अलार्म बजने लगेगा । और सब को परेशानी होगी , और अक्षय ये बिल्कुल भी नहीं चाहता था और नाही वो आधी रात को डोर बेल बजाके सब कि नींद खराब करना चाहता था , इसी लिए उसे दिव्या को कॉल करना ही सही लगा ।)

दिव्या गेट के पास आकर उसे खोलती है । तो अक्षय ठीक उसके सामने ही खड़ा हुआ उसे दिखता है । वो उसे गुस्से से देखती हुई जैसे ही कुछ बोलने को होती है । कि अक्षय उसे अपने एक हाथ से साइड करते हुए अंदर आ जाता है ।

दिव्या तो अपना मुंह खोले उसे बस हैरानी से जाते हुए देखती हि रेह जाती है ।

अक्षय सीढ़ियों के पास पोहचता उससे पहले दिव्या उसके सामने जाके खड़ी हो जाती हैं ।

दिव्या चीड़ कर पर धीमी आवाज में , " तुम हमारे घर में आधी रात को बिन बुलाए मेहमान कि तरह क्यों टपक पड़े हो...? "

" O hello madam , मेरा जब मन करेगा मे तब यहां आ सकता हूं , और इस के लिए मुझे तुम्हारी या किसी और कि परमिशन की जरूरत नहीं है ।" , अक्षय उसकी आंखो म में देखते हुए कहता है ।

" अगर तुम्हे यहां आना ही था तो दिन मे , दोपहर में या शाम को भी तो आ सकते थे ना , लेकिन आधी रात को यहां प्रकट होने कि क्या जरूरत थी...? " , दिव्या झुंझला कर कहती हैं ।

" तुम्हे क्या वो पायलेट मेरा सगा संबंधी लगता है , जो मेरे केहने पर प्लेन टेक ऑफ करेगा और मेरे कहने पर लेंड करेगा । " अक्षय इरिटेट होकर केहता है ।
" मतलब तुम यहां फ्लाईट लेकर आए हो...? " , दिव्या थोड़ी हैरानी से पूछती है ।

" अरे नहीं ,नहीं... मुझे फ्लाईट से आने की क्या जरूरत है , मे तो सुपरमैन हूं ना मे तो हवा में उड़ते हुए यहां आया हूं । " , वो दिव्या का मजाक उड़ाने के लहजे में कहता है ।

" हमने ऐसा कब कहां कि तुम सुपरमैन की तरह हवा में उड़ते हुए यहां आए हो , हमे लगा के शायद तुम....

अक्षय बीच मे ही बोल पड़ता है । , " तुम्हे क्या लगा क्या नहीं मुझे उसे जानने मे कोई इंट्रेस्ट नहीं है । , और नाही इस बहस को और आगे बढ़ाने मे है , मुझे ऑलरेडी बोहोत जोरों कि भूख लगी है , इसी लिए जाओ और मेरे खाना बनाके लेके आओ , और वो भी जितना जल्दी है सके उतना जल्दी । "

" हम क्या तुम्हारे नोकर है , जो तुम हमे ऑडर दे रहे हो , अगर इतनी ही भूख लगी है , तो जाके खुद बना लो और खाओ वरना भूखे ही सो जाओ , हमारी बलासे " , दिव्या मुंह बनाकर केहाती है ।
To be continued....❤