आलोक ने हवेली पहुंच कर कहा बेटा जरूर हमने कुछ अच्छा किया जो तुमको पिया जैसी एक जीवन साथी मिली है।
वरना आज कल लड़कियों का देखो।
आलेख ने कहा पापा पिया मेरी छोटी मां की परछाई है मैंने उसमें छोटी मां को देखा है।
आलोक ने कहा हां मैं समझ सकता हूं बेटा पर जब उसके साथ शादी करके इस हवेली में लाओगे तो तुम उस समय अपनी भावनाओं को व्यक्त मत करना वरना ये जहर की तरह पुरे जीवन को बर्बाद कर देगा।
अब चलो चल कर सो जाओ।।
आलेख ने कहा हां ठीक है पर थोड़ी देर मैं पढ़ना चाहता हूं।।
आलोक ने कहा हां ठीक है मैं जा रहा हुं।।
आलेख ने अपनी किताब लेकर लैंप जलाकर बैठ गया और फिर किताब पढ़ने लगा और फिर अचानक जैसे आहट सुनाई दी जैसे कोई बहुत पास ही खड़ा हो।।
आलेख इधर उधर देखने लगा और फिर बोला कि छोटी मां आप ही हो मैं अनुभव कर रहा हूं आप मुझे पढ़ता देख कर बहुत खुश हो रही है।
मुझे आशीर्वाद दिजिए ताकि मैं अपने डाक्टरी की पढ़ाई अच्छी तरह से कर सकूं।
फिर अचानक दरवाजा बंद हो कर खुल गया।
आलेख रोने लगा और फिर मग्न हो कर अपनी पढ़ाई करने लगा।
चार बजे तक पढ़ाई करने के बाद वो सो गया।
दूसरे दिन सुबह आलोक भी निकल गए और साथ आलेख भी निकल गया क्योंकि उसको बस स्टैंड पर उतरना था।
आलोक ने कहा चलो अब मैं चलता हूं अगले शनिवार को मिलता हुं।
आलेख ने कहा हां पापा मै इन्तजार करूंगा।
आलेख अपना बैग लेकर बाहर निकल आया और बस की प्रतीक्षा करने लगा और फिर देखा पिया नहीं आई।
आलेख ने घड़ी देखा तो वो समझ गया कि अब पिया नहीं आएगी।।।
आलेख ने मन में सोचा कि पिया कभी नागा नहीं करती है तभी बस भी आ गया और फिर आलेख बस में सवार हो गया और फिर बैठ गए।
कालेज पहुंच कर भी आलेख को इन्तजार था कि शायद पिया आएगी पर वो नहीं आईं।
फिर आलेख लेक्चर सुनने लगा और फिर लाइब्रेरी में जाकर बैठ गया और पढ़ने लगा पर उसे जरा सा भी पढ़ने का मन नहीं था।
फिर वहां से बेमन सा कैंटिन में जाकर बैठ गया और फिर देखा तो पिया की सहेलियां हंसी मज़ाक कर रही थी।
तभी वहां से माया आ कर आलेख को हाथ हिलाते हुए कहा अरे बाबा आज पिया कहा है।
आलेख ने कहा आज वो नहीं आईं।
माया ने कहा हां पर क्यो?
आलेख ने कहा मैं जाते समय एक बार उसके घर जाऊंगा।
माया ने कहा हां ठीक है।
फिर माया अपने दोस्तों के साथ बात करने लगी।
मेडिकल कॉलेज में आलेख का कोई दोस्त नहीं था पिया के अलावा।पर उसे हमेशा से किताबों से दोस्ती थी।
फिर आलेख बिना कुछ खाए पीए वहां से निकल गए और कोई एक्स्ट्रा क्लास नहीं था।
जाते समय आलेख ने देखा तो परीक्षा की तिथि लग गई थी।
आलेख ने जल्दी से नोट कर लिया और फिर वहां से सीधे बस पकड़ कर पिया के घर के लिए निकल पड़ा।
बस स्टैंड से बस दो मिनट का रास्ता था।
आलेख घर तक पहुंच गए पर वहां देखा तो गेट पर ताला लगा था।
आलेख ने कहा ओह तो ये बात है।
सब कहीं चले गए हैं।
कैसे पता करूं।
फिर सामने के गेट पर जाकर आलेख ने बेल बजाया तो एक औरत ने दरवाजा खोला।
आलेख ने कहा नमस्कार मैं जतिन अंकल के घर आया तो देखा ताला लगा है।
वो औरत ने कहा हां बेटा वो लोग कल रात ही निकल गए जतिन जी की बहन की तबीयत बिगड़ गई थी तो उनको जाना पड़ गया।
आलेख ने कहा ओह ये बात है।
फिर आलेख वहां से मायुस हो कर बस पकड़ कर हवेली लौट आए।
हवेली पहुंच कर ही बहुत ही थक गया था और फिर बोला छाया जी पानी देना।
छाया ने कहा हां बाबू ये लो शर्बत पी लो नींबू का।
आलेख चौंक गए और फिर बोला अरे ये तो पिया कहती थी।
छाया ने कहा और नहीं तो क्या दो बार फोन आ चुका और तभी बोला दीदी ने कि बाबू को नींबू का शर्बत देना उसके सर में दर्द होगा।
आलेख ने कहा हां ऐसा कहा पिया ने।
छाया ने कहा तो मैं झूठ बोल रही हूं।
लो अब पी लो।
आलेख सोफे पर बैठ गए और फिर जल्दी से गिलास ले लिया।
और झट से पुरा पी लिया और फिर बोला अरे कब फोन करेंगी।
तभी फोन की घंटी बजने लगा और फिर आलेख ने फोन उठाया और उधर से आवाज आई अरे आलेख कैसे हो?
आलेख ने कहा पिया तुम कहां हो? मुझे बिना बताए चली गई सब ठीक है?
पिया ने कहा हां बुआ की तबीयत ठीक नहीं है तो आना पड़ा।
हम चार पांच दिन तक आ जाएंगे।
आलेख ने कहा हां ठीक है ज्यादा देर मत करना एक्जाम की डेट आ गई है।
और फिर तुम्हारे बिना कालेज वीरान हो गया था आज।
पिया ने कहा हां ठीक है मैं जब आऊंगी तो सारे नोट्स ले लुंगी तुमसे।
आलेख ने कहा हां ठीक है चलो अब रख दो।
पिया ने कहा हां अगर अपना ख्याल रखोगे तो मुझे खुशी होगी।
आलेख ने कहा तुम भी ना।
फिर आलेख फोन रख दिया और फिर शर्बत पीने लगा।
और फिर बैठक में ही पढ़ाई करने लगा।
काफी देर तक पढ़ाई करने के बाद छाया को आवाज लगाई और कहा एक अदरक वाली चाय।
छाया ने कहा हां ठीक है अभी लाती हूं।
फिर फोन की घंटी बजने लगी बाबू ने फोन उठाया तो आलोक में कहा बेटा कैसा रहा।
आलेख ने कहा हां ठीक रहा पर। आलोक ने कहा पर क्या?
आलेख ने फिर सब कुछ बताया।
आलोक ने कहा हां ठीक है बेटा अपना ख्याल रखना हां।
आलेख ने कहा कि हां पापा।
फिर फोन रख कर टीवी पर खेल देखने लगा और फिर छाया ने चाय पिलाई और फिर बोली बाबू कुछ नाश्ता कर लीजिए दोपहर को कुछ नहीं खाया।
बाबू ने कहा हां ठीक है कुछ दे दो।
फिर छाया चुडा मटर बना कर ले आईं और फिर आलेख मन से खा लिया। फिर आलेख पढ़ाई करने लगे पर उसका मन तो बार बार पिया को खोज रहा था और ओह ये पिया भी ना परीक्षा के समय उसे जाना पड़ा।
कुछ देर बाद बेल बजाया तो एक कोरियर वाला आया था। छाया ने आवाज लगाई।तो आलेख नीचे पहुंच गए और फिर बोला कि क्या हुआ किसका कोरियर है?
कोरियर वाले ने कहा आलेख के नाम का है।
आलेख जल्दी से जल्दी नीचे पहुंच गए और फिर बोला मुझे कौन कोरियर भेजा है
कोरियर वाले ने एक डिब्बा हाथ में देते हुए कहा यहां साइन करो।
आलेख ने साइन किया और फिर बोला धन्यवाद।
आलेख ने भेजने वाले का नाम देखा तो आलोक लिखा था।
आलेख ने कहा अरे पापा ने क्या भेजा होगा।
छाया ने कहा अरे सहाब ने भेजा है देखिए तो।
आलेख ने बैठक में जाकर बैठ गया और फिर डिब्बा खोला तो देखा एक बड़ा सा मोबाइल फोन था।
आलेख खुशी से झूम उठा और फिर तुरंत आलोक को फोन किया लेडलाइन नम्बर से।
आलोक ने कहा हेलो बेटा।
आलेख ने कहा पापा धन्यवाद आपका बहुत ही अच्छा उपहार भेजा आपने।
आलोक ने कहा तुम्हें पसंद आया है चलो अच्छा है।
आलेख ने कहा हां पापा बहुत ही खूबसूरत है।
आलोक ने कहा अच्छा चलो बाद में बात करते हैं।।
आलेख ने जल्दी से पिया का नम्बर मिलकर देखा तो रिंग जा रहा था कि पिया ने फोन उठाया और फिर बोली हेलो।
आलेख ने कहा हां हेलो पिया मेरा नम्बर सेव कर लो।
पिया हंसने लगी और फिर बोली कब का कर लिया?
आलेख ने कहा हां क्या मतलब समझ नहीं आया।
पिया ने कहा मैं वापस आकर बताती हूं।
आलेख ने कहा ओह ठीक है।
आलेख सोचने लगा कि ये कैसा हो सकता है पिया को कैसे पता।
आलेख ने कहा जो भी हो अच्छा हुआ पापा ने दे दिया।
फिर आलेख भी सो गया।
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार हो कर नीचे पहुंच गया और फिर नाश्ता करने लगा और फिर मोबाइल बजने लगा देखा तो पापा का फोन आया था और फिर आलेख ने फोन उठाया और फिर बोला पापा गुड मॉर्निंग।
आलोक ने कहा हां बेटा गुड मॉर्निंग और कालेज जा रहें हो?
आलेख ने कहा हां पापा बस निकल रहा था।
आलोक ने कहा हां ठीक है चलो बाद में बात करते हैं।।
आलेख ने फोन रख दिया और फिर कालेज के लिए निकल पड़ा पर आज भी उसका मन नहीं हो रहा था क्योंकि पिया नहीं आई थी।
कुछ देर बाद बस आ गया और फिर आलेख बस में बैठ गए और फिर देखा तो फोन बजने लगा और वो फोन उठाया और फिर बोला अरे तुम मैं तो बस।
पिया ने कहा हां मेरी याद आ रही थी नाश्ता किया।
आलेख ने कहा अरे नहीं कर पाया।
पिया ने कहा ओह मुझे पता था।
आलेख ने कहा हां ठीक है मैं कर लूंगा।
पिया ने कहा हम सन्डे को आ रहें हैं।
आलेख ने कहा अरे बाबा इतना देर सोमवार से परिक्षा शुरू हो रहा है।
पिया ने कहा हां ठीक है मैं आ जाऊंगी।
फिर फोन रख दिया।
आलेख ने कहा अरे कोई फ़िक्र नहीं है परिक्षा है।
फिर कालेज पहुंच गया और पहले एडमिट कार्ड लेने के लिए लाइन लगी थी।
आलेख भी खड़ा हो गया लाइन में।
फिर एडमिट कार्ड भी ले लिया और पिया का भी एडमिट कार्ड ले लिया जिसके लिए एक अर्जी देना था।
आलेख ने जल्दी से लिख कर दे दिया और पिया का एडमिट कार्ड लेकर क्लास में जाकर बैठ गया।
और सारे लेक्चर सुनने के बाद जल्द ही घर लौट आए।
हवेली पहुंच कर सबसे पहले पिया को फोन किया और उसके एडमिट कार्ड के बारे में बताया।
पिया ने कहा हां मुझे पता था कि तुम जरूर लें लोगे।
चलो अब चलते हैं।
फिर आलेख ने कहा छाया जी समोसे बना दो और चाय भी।
छाया ने कहा हां बना दिया ये लो।
आलेख आश्चर्य हुआ और फिर बोला कि मैं तो अभी बोला पर आपको कैसे पता चला कि समोसे खानें हैं।
छाया ने कहा हां वो पिया दी का फोन आया था और उसने ही बताया।
आलेख समोसे खाते हुए कहा अरे बाबा हां ठीक है।
और लाओ।
फिर आलेख खाने लगे और फिर बोला बस अब आराम करना है।
फिर शाम हो गई और आलेख आराम करने लगे थे और फिर मोबाइल बजने लगा।
आलेख ने कहा अरे बाबा अब क्या होगा।।
आलेख ने कहा एक गाड़ी को यहां से ऐसे चलाना चाहिए था कि किसी को छोटा सा रूम मिलकर काम करने वाले कभी ऐसा सोचा नहीं था। अरे ये नम्बर किसका है पता नहीं चल रहा है।
पिया का यह नम्बर नहीं है पर क्या है जो मुझे बार-बार एक बार एहसास करवा रहा है।
क्रमशः