Pyaar ka Zeher - 20 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | प्यार का ज़हर - 20

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प्यार का ज़हर - 20

हयाती : अरे वाह भैया ये तो कमाल हो गया ना जो जान लेने आया था. वहीं जान देके चला गया.

राहुल : हा आप बिल्कुल सही बोल रहे हो हयाती मन तो कर रहा है. कि उस गुंडे को जाकर एक चुम लू गाल पर सिक्योरिटी उस गुंडे को यहा लाओ मेरे पास पुलिस स्टेशन से ठीक है.

सिक्योरिटी : ठीक है साहब अभी जाकर लाते है.

कुछ देर बाद...

प्रणाली : राज के पापा वहा क्या हुआ होगा. मुझे तो बहुत फिक्र हो रही है. हमारी मजबूरी तो कोई समझ ही नहीं सकता हम वहा जा भी नहीं सकते क्या करे हम कुछ समझ नहीं आ रहा है.

राज : मम्मी चलो हम भी चलते है भैया भले ही नाराज़ है. लेकिन हम ऐसे ही हाथ पे हाथ धरे बैठे रहेंगे तो क्या पता कल जाकर हम उन्हें हमेशा के लिए खो दे.

प्रणाली : अशुभ बाते मत बोल बेटा. और चलो जल्दी से वहा जाते है.

महेश : आप पहले रोना बंद करिए वो ठीक हो जाएगी. और वहा जाकर रोना.

राज : मम्मी आप रोवो मत सब ठीक हो जाएगा राहुल भैया मान जाएंगे.

महेश : ड्राइवर चलो अब और हा थोड़ा जल्दी चलाना ठीक है.

रवि शंकर : महेश जी हम भी आपके पीछे पीछे आ रहे है. ठीक है आप फिक्र मत करिएगा.

महेश : ठीक है चलो वहा राहुल को थोड़ी राहत तो मिलेगी हमारे जाने से कहीं ऐसा ना हो कि वो फिर उल्टा ज्यादा गुस्सा हो जाए हमे वहा थोड़ा अच्छे से रहना है. ठीक है उसने हमारे साथ बात करने की भी मनाई की है. बस यही सोच रहे है. की हम करेंगे क्या ना वो कुछ बताएगा ना कुछ हमे पता होगा खैर जो भी है हमे खुद पता करवाना पड़ेगा.

राज : आप ठीक बोल रहे हो पप्पा लेकिन समझ जाएगा भैया है मेरा तो बात करने की कोशिश करूंगा.

कुछ देर बाद...

राहुल : हा अब सब ठीक है. सारा जी हमे माफ करना आप पर हम कुछ ज्यादा ही चिला दिया हमे माफ करना लेकिन दिव्या हमारे दिल के बहुत करीब है. अगर उसे कुछ होता है. तो दर्द मुझे होता है. इस दुनिया में बस मेरा और उसका सिर्फ हम दोनों ही है. ना उसका कोई और है. और नहीं इसके अलावा मेरा कोई और है.

सारा : जी साहब हम समझ सकते है. आप फिक्र मत करिए दिव्या जी को कुछ नहीं होगा और कैसे हो सकता है. जिसके पास इतना सारा खयाल रखने वाला ध्यान रखने वाला लड़का हो.

राहुल : जी सारा जी ये बात तो आपने बिल्कुल सही बोली है. अगर मुझे कोई गलती से डाट भी से ये पहले अपना मुंह चला लेंगे बाद में मुझे सामने वाले से पूछना पड़ता है. कि कुछ ज्यादा तो नहीं सुनना पड़ा ना ऐसे करके.

सारा : शुक्रिया हमे समझने के लिए सारा जी अगर इन्हे कुछ हो जाता है. तो हम ना पागल हो जाते है. और कुछ सूझता ही नहीं है. जब तो उसको ख़तम ना करदे तब तक.

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