believe it or not in Hindi Horror Stories by Ravi Sharma books and stories PDF | मानो या ना मानो

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मानो या ना मानो

इस दुनिया मे ऐसी कई घटनाए होती है जिन पर विश्वास करना मुश्किल है, कुछ लोग इन बातो पर विश्वास करते है और कुछ इन सब बातो मे नहीं मानते, पर किसी के मान ने या ना मान ने से इन सब वास्तविकताओं पर कोई फरक नहीं पड़ता.

ऐसी ही एक वास्तविकता से जब अनुज का सामना हुआ तो उसके होश ही उड गए.

अनुज की जो एक न्यूज़ मीडिया चैनल मे रिपोर्टर था, हाल ही मे अनुज का एक शो की जो haunted place की reporting पर आधारित था वो काफ़ी प्रचलित हो चूका था. हालांकि अनुज इन सब बातो मे विश्वास नहीं करता था.

अनुज हर ऐसी नकारात्मक जगहों पर जाकर रात के दौरान वहां जांच पड़ताल करता और उस जगह पर विस्तार मे एपिसोड शूट करता.

अब तक हर जगह पर अनुज को ऐसा कोई असाधारण अनुभव नहीं हुआ था तो उसका भरोसा पक्का हो चला था की ऐसी कोई शक्तियां नहीं होती.

पर अगले एपिसोड के लिए अनुज को जहाँ जाना था उस जगह की तो कहानी ही कुछ अलग थी.ना कोई भूत, ना कोई प्रेत, ना कोई भटकती आत्मा, यहाँ तो एक जीवित व्यक्ति का खोफ किसी प्रेत आत्मा से ज्यादा बना हुआ था

इस बार अनुज को मध्यप्रदेश मे आये हुए असिरगढ़ जाना था. लोगो का कहना है वहा हर रात महाभारत काल के अश्वथामा आते है और किल्ले मे बने शिव मंदिर मे पूजा करते है.

जैसे की सब जानते है भगवान कृष्ण ने अश्वथामा के शिर से अमर शिरोमणि निकाल कर उसे कलयुग के अंत तक पृथ्वी पर रहने का श्राप दिया था.

इसलिए आज तक अश्वथामा भटक रहा है. अश्वथामा अक्सर मध्य प्रदेश के असिरगढ़ और नर्मदा नदी के आसपास देखा गया है. पर जिन लोगो से उनका सामना हुआ उनकी हालत ऐसी नहीं रही के वो अश्वथामा के साथ हुए मुलाक़ात का वर्णन कर सके.

अनुज को तो वैसे ही इन सब बातो मे विश्वास नहीं था सो वो तो इसको कहीसुनी बाते मान रहा था.अनुज ने असिरगढ़ और उसके आसपास के गांव मे जाकर लोगो से बात की पर अनुज को अब भी इस बात पे भरोसा नहीं था के कैसे 5000 साल से एक इंसान जिन्दा है. गाँव वालों से पूछतांछ करने पर पता चला की पूर्णमासी की रात अश्वथामा अचूक शिवपुजा के लिए आता है,और संयोग से आज पूर्णमासी ही थी.

बस फिर क्या था अश्वथामा को रिकॉर्ड करने अनुज अपनी पूरी टीम और अत्याधुनिक उपकरणों को ले कर असिरगढ़ के किल्ले मे पहोच गया, रात के 9 बजे तक पूरा सेटअप कर के अब अश्वथामा के आने का इंतज़ार कर रहा था अनुज.
रात बीतती जा रही थी पर अब तक अश्वथामा का इंतज़ार ही चल रहा था, जैसे जैसे सुबह पास आ रही थी अनुज का ये विश्वास मजबूत हो रहा था के ये सब बकवास बाते है.


आखिर कार सुबह क 5 बज चुके थे, अब अनुज की सहनशीलता जवाब दे चुकी थी, अनुज अब वहां और इंतजार नहीं करना चाहता था, अनुज ने अपनी पूरी टीम को पैक उप का आर्डर दे दिया था, जैसे ही टीम ने अपना सामान समेटा अनुज ने सारा सामान के साथ अपनी टीम को रवाना कर दिया, अनुज और उसकी टीम वही पास मे एक गेस्ट हाउस मे रुके थे सो अनुज अकेला ही जाना चाहता था.

अभी सुबह के कुछ 5:30 बजे होंगे और पूरी तरह उजाला भी नहीं हुआ था,कुछ देर किल्ले को निहार ने के बाद जैसे ही अनुज ने गेस्ट हाउस की और कदम बढ़ाये की तब ही उसका ध्यान एक आवाज की और गया .

दूर से एक भारी भरकम आवाज मे मंत्र जाप उसके कानो पर पड़े, अनुज ने अपनी नजर दोडाय तो उसने देखा दूर घनी झाडीओ के बिच बनी पगदंडी से किसी के अपनी और बढ़ने की आवाज आ रही थी,

धीरे धीरे कदमो की आवाज तेज और साथ मे एक तेज गुनगुनाहट भी आने लगी.

अनुज टकटकी लगाए उसी और देख रहा था की कौन है वहा, कुछ ही देर मे अब अनुज को एक काया सी दिखने लगी थी.

अनुज ने देखा एक लम्बा चौड़ा विशाल काय सुगठित शरीर वाला इंसान उसकी और बढे जा रहा था, शरीर से एक योद्धा दिखने वाला वो इंसान सफ़ेद धोती और सफ़ेद कपड़ा गले मे डाला हुआ किसी दिव्यपुरुष सा लग रहा था,
उसके एक हाथ मे पूजा की थाली और फूल थे,
दूसरे हाथ मे रुद्राक्ष की माला घुमाते और मंत्र जाप करते मंदिर की और तेजी से बढे जा रहा था.
उस के सर पर घनघोर जट्टा बँधी हुई थी,
ललाट से धीरे धीरे खून बहे जा रहा था, उस व्यक्ति ने जनोई धारण भी की हुए थी, उस रहस्यमयी इंसान का जैसा प्रभावित व्यक्तित्व आज के युग के इंसान का बिलकुल नहीं हो सकता.

अनुज को समझते देर नहीं लगी ये कोई और नहीं वही द्रोणाचार्य पुत्र अश्वथमा है.

अब वो मंत्र जाप भी साफ साफ सुनाय दे रहा था.

ॐ साधो जातये नम:।। ॐ वाम देवाय नम:।। ॐ अघोराय नम:।। ॐ तत्पुरूषाय नम:।। ॐ ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।

अनुज बुरी तरह काँप रहा था, अनुज ने ऐसा दिव्य व्यक्तित्व वाले इंसान को कभी सपने मे भी नहीं सोचा था.

अश्वथामा अनुज के सामने से ऐसे गुजरा जैसे अनुज वहा है ही नहीं, अनुज बिना पलके झपकाये अश्वथामा को ही देख रहा था, अश्वथामा की बेधड़क चाल, आँखों का तेज, मंत्र जाप ये सब देखने का अवसर उसे तो मिला पर वो ये सब दुनिया को भी दिखाना चाहता था.

अनुज ने झट से मोबाइल निकालने अपने जेब मे हाथ डाला पर उसका मोबाइल उसकी बैग मे रह गया था. अनुज बहोत हताश हुआ की वो ये चमत्कार दुनिया के सामने नहीं ला पायेगा.

अश्वथामा मंदिरकी सीढिया चढ़ कर मंदिर मे पहोच चूका था, शंखनाद की आवाज सुनकर अनुज मंदिर की और भागा, दरअसल अनुज के मन मे अश्वथामा को और देखने की लालसा जाग रही थी, अनुज ने मंदिर मे जाकर देखा तो वहां कोई नहीं था, शिवलिंग पर जल और फूल चढ़े हुए थे, शिवलिंग पे वही फूल थे जो अश्वथमा के हाथ मे थे, पर वहा अश्वथामा कही नहीं था.

अब दिन पूरी तरह निकल चूका था, अनुज पूरी घटनाक्रम सोच रहा था के पीछे से किसी ने अनुज क कंधे पर हाथ रखा, अनुज ने मूड क देखा तो मंदिर का पुजारी सामने था, पुजारी अनुज का चेहरे के उड़े हुए रंग देख कर समझ चूका था की जिस बात को अनुज दंत कथा और कही सुनी बाते मान रहा था अब उसकी राय बदल चुकी होगी.

पुजारी ने एक व्यंग भरे अंदाज मे मुस्कराते हुए अनुज से पूछा आश्वथामा आये थे क्या?