केतकी अपने ससुराल वालों के साथ सालासर जा रही है , केतकी की सास कनखियों से केतकी व अभय को रह रहकर देख रही है । गाड़ी में भजन बज रहा है , ड्राईवर गाड़ी चला रहा है ..ड्राईवर ने एकाएक ब्रेक लगाया.. ओह ..सभी आगे देखने लगे ..केतकी की सास का ध्यान टूटा ..हड़बड़ाहट से बोली क्या हुआ ..कुछ नही एक बिल्ली थी ..गाड़ी के नीचे ..आ गयी ..अभय गाड़ी से उतरकर देखने लगा ..बिल्ली गाड़ी के पीछे ..सड़क पर चित्त पड़ी थी ..ड्राईवर भी नीचे उतरकर आगया ..अभय ने ड्राईवर को कहा..पानी लाओ ..ड्राईवर ने गाड़ी से पानी की बोतल लाकर अभय को दी ..अभय ने बिल्ली पर पानी छिड़का..बिल्ली उठने का प्रयास कर रही थी..बिल्ली की नाक से हल्का सा खून निकल रहा था ..अभय बिल्ली को उठा ही रहा कि ..बिल्ली लड़खड़ाती हुई भागने लगी .. पास मे खाली प्लॉट की दीवार को फांदने लगी ..एकबार नीचे गिर गयी .. फिर उसने दुबारा प्रयास किया तो.. उसमें कामयाबी मिल गयी..बिल्ली आंखो से ओझल होगयी थी, फिर भी लोग.. ..थोड़ी देर .. बिल्ली को ताकते रहे..सड़क के दोनो ओर आने जाने वाले अपनी गाड़ी रोक रोक कर पूछ रहे थे ..क्या हुआ ?
अभय की मा ने आवाज दी ..अभय .. अभय आजाओ ..अभय गाड़ी मे आकर बैठ गया ..ड्राईवर भी बोलता हुआ ..बच गयी ..मैने तो सोच लिया था ..मर गयी होगी ..भगवान का शुक्र है .. बच गयी ।
केतकी मन ही मन सोच रही थी -
लोगों की मानसिकता ही ऐसी होती है ..कोई नकारात्मक बात हो या घटना हो उसे जानना जरूर चाहेंगे , वैसे यदि उनसे रूकने को कहा जाता या लिफ्ट मांगते तो नही रूकते ..काम की जल्दी या कही पर पहुंचने की जल्दी का बहाना बना लेते ।
बुआ ने केतकी के हाथ को छूकर कहा ..क्या सोच रही हो ? केतकी बोली कुछ नही बुआ जी ..नही.. नही.. तुम ख्यालो मे खोई हुई थी ।
हां बुआ जी मै यही सोच रही थी ..कैसे लोग है अच्छी बात मे रूचि नहीं लेंगे ..किन्तु निगेटिव में बहुत रूचि लेंगे ..अब देखलो ..क्या हुआ ..हम क्यों रूके हुए हैं यह जानने के लिए दोनों तरफ भीड़ जमा हो गयी ..
सही बात है केतकी ..ऐसी ही है यह दुनियां ..बुआ अपनी बात बताने लगी .. मैं और तेरे फूंफा जी एक बार हनुमान गढ से आ रहे थे , रात के 8:00 बज गये होंगे ..हम रोडवेज बस स्टैंड पर गये पता चला जयपुर जाने वाली आखिरी बस निकल चुकी है , वह अभी रेल्वे फाटक के उस पार रूकेगी ..वह रेल की सवारी लेकर जायेगी ..आप कोई रिक्सा से चले जाओ ..यह बात एक अपरिचित ने कही ..हमने पूछा अब बस कब जायेगी ..कांऊटर पर बैठे कर्मचारी ने कहा सुबह 4:00 बजे जायेगी । हमने वहां रिक्सा देखा ..वहा कोई रिक्सा नही था ..उसी वक्त एक जीप वहां आकर रूकी ..जो अपने परिजनों को लेने आयी थी,जीप मे एक स्त्री और पुरूष व एक बच्चा बैठ गये थे ..तेरे फूफा जी ने पूछा भाईसाहब ..आप हमे रेल्वे फाटक के पास छोड़ देंगे क्या .. वह बोला जल्दी मे हूँ ..सिर हिलाकर गाड़ी स्टार्ट कर चल दिया ..हम बस स्टैंड से बाहर आगये ..वहां पूछा तो.. पता चला कि प्राइवेट बस बीकानेर से आती है ..पुलिस चौकी के पास उसका स्टोपेज है ..आप वहां चले जाओ ..हमने पूछा कितनी दूर है ..अपरिचित बोला लगभग डेढ किलोमीटर होगा ..कितने बजे बस आती है ..अपरिचित ने कहा 9:00 के बाद कोई बस नही है आप जल्दी पहुंचे ..उसी समय एक रिक्सा आता दिखाई दिया ..हमने रिक्शे वाले से बात की वह चलने को तैयार हो गया ..हम दोनो वहां पहुंचे .. वहां पर प्राइवेट बसों के एजेन्ट अपनी दुकान खोले बैठे थे । वहां तिराहे पर एक एजेंट से बात की वह बोला जयपुर के 100 रूपये एक टिकट के लगेंगे ..बस आने ही वाली है ..हमने टिकट ले ली ..पूछा कहां आयेगी ..वह बोला चाय की दुकान के पास आयेगी ..वहां कोई बस नही आई वह दुकान बंद करके जा चुका था ..हमने दूसरे एजेंट से पूछा भाईसाहब.. जयपुर जाने वाली बस कितने बजे आयेगी ..वह बोला वह खड़ी है ..टिकट ले लिया क्या ..हमने टिकट दिखाया ..यह बस तो कभी की बंद हो गयी है ..किसने दिया टिकट ..तेरे फूफा जी इशारे से बताया ..वह बोला टिकट गलत दे गया ..आपको दूसरी टिकट लेनी होगी ..जल्दी करो बस जा रही है ..तेरे फूफा जी को गुस्सा आया ..वे वही पर हल्ला करने लगे ..उस दुकानदार को गाली देने लगे ..वहां पर भीड़ इकट्ठा हो गयी ..उस भीड़ में वह जीप वाला भी था ..जो पूछ रहा था क्या हो गया .. वह बोला कहां जाना है आपको ? फूफाजी बोले ..जयपुर ..अरे ..वह बस तो चली गयी होगी ..मै खुद उसमें सवारी बैठाकर आया हूं .. आवो ..आवो ..शायद बस अभी वही हो ..मैं छोड़ देता हूँ ..हम जल्दी से उसमे बैठ गये .. वह बस रवाना हो गयी थी ..जीप वाले ने जीप दौड़ाकर..बस रूकवायी ..हमें बैठाया ..हमने शुक्रियादा किया .. तेरे फूफाजी उसे धन्यवाद देते हुए बोले ..भाईसाहब आप रोडवेज बस स्टैंड से उस समय बैठा लेते तो ..यह परेशानी नही होती ..वह शर्मिन्दगी से बोला ..माफ करना भाईसाहब उस समय मैने ध्यान से सुना नही ..खैर अब तो आपको बैठा दिया न ..
केतकी सास बोली ..रामायण पूरी होगयी कि अभी बाकि है ..पूरे रास्ते मे नही हुई ..सालासर पहुंच गये है ..अब तो बालाजी का ध्यान कर लो ..
केतकी की सास अभय से बोली ..तेरे पापा आगये क्या ? अभय बोला ..हां मा .आगये ..अभय का पापा पहले ही पहुंच गये थे ..पूजा सामग्री लेकर इंतजार कर रहे थे ..भीड़ न के बराबर थी ..सभी अंदर गये बालाजी के सामने खड़े हो गये ..पुजारी जी से कस्तुरी अभय की मा बोली ..पंडित जी महाराज ! हमारे छोरे व बहु के लिए पूजा कर दो ..पुजारी जी ने उन दोनो का नाम पूछा और पूजा का सामान मंदिर में चढाकर ..प्रसाद मिक्स कर उन्हे लोटा दिया .. सभी ने मंदिर मे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ किया
वहा पर बैठे महात्माओ को दक्षिणा दी और आगे बढ गये ..
केतकी का फोन बजा ..केतकी ने अपने फोन की आवाज कम कर रखी थी इस लिए किसी को सुनाई नही दिया ..किन्तु केतकी को पता चल गया ..उसने फोन उठाया और वहां से दूर चली गयी .. वह फोन पर बात कर रही थी किंतु नजर अपने ससुराल वालों पर भी थी.. अभय ने देख लिया ..वह उसके पीछे आकर खड़ा हो गया और सुनने लगा ..वह फोन पर बोल रही थी ..मुझे भी तुमसे बात करनी है ..तुझसे बात करूं पर क्या करूं अब मैं ससुराल में हूँ ..तुम मुझे फोन मत किया करो ..मैं खुद ही कर लिया करूंगी ..मुझे पता है तुम भी हमारे साथ ही सालासर आये हो ..ओके ओके अब मैं रखती हूँ ..उसने फोन कट कर दिया ..अपने पीछे अभय को खड़ा देख ..केतकी थोड़ा गंभीर होकर बोली ..अभय यह बेड मैनर्स है ..किसी की बात सुनना ..
अभय बोला केतकी ..तुम मेरी पत्नी हो अब, ..किससे बात कर रही थी ? केतकी बोली ..तुमसे मतलब ... मै किससे
बात कर रही थी .. अब यह भी तुमसे पूछकर बात करना पड़ेगा ? मेरी निजी जिंदगी मे तुम दखल क्यों देते हो यार ..अभय बोला तुम मेरी पत्नी हो .. तो ? केतकी बोली । पत्नी हूँ तो मुझ पर हुकुम चलाओगे..? इतने में ही सामने से आते हुए अपने ..
क्रमशः -