Prem ka Kamal - 6 in Hindi Love Stories by Akshika Aggarwal books and stories PDF | प्रेम का कमल - 6

Featured Books
  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

  • शोहरत का घमंड - 102

    अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो...

Categories
Share

प्रेम का कमल - 6

फिर एक दिन मंगलवार की सुबह थी मार्च की हल्की सी ठंड में सूरज देवता भी मुस्कुरा रहे थे। नीरज रोज की तरह अपनी माँ के साथ दिल्ली के हनुमान मंदिर में दर्शन करने के बाद नीलिमा को कॉलेज के लिये पिक करने के लिए पहोंचा नीलिमा नीरज के बगल की सीट पर आकर बैठी हर रोज की तरह नीलिमा की सादगी नीरज के दिल को धड़का रही थी। नीलिमा उस दिन सादे कपड़ों में ही थी। फिर भी उसकी खूबसूरती नीरज को उसका दीवाना बना रही थी। उन्होंने अपने जीवन को लेकर कई फैसले लिये। उन्होंने बाते करते करते यहनिर्णय लिया की वह पढ़ाई खत्म होने के बाद अपने रिश्ते की बात अपने माता पिता को बताएंगे पर एक दिन नीयति ने उनपर ऐसा कहर बरपाया के रोशन ठाकुर ने एक दिन दोनो को BMW में साथ देख लिया। वह नीलिमा के कपड़े देख वह समझ गए कि नीलिमा गरीब घर की है। फिर क्या था रोशन ठाकुर का गुस्सा सातवें आसमान पर था। जैसे ही नीरज घर आया रोशन ने उसे जोरदार चांटा जड़ दिया। उस थप्पड़ की गूँज पूरे हॉल में गूंजी और नीरज का गाल भी पूरी तरह से लाल हो गया था उसके पिता ने उस से कहा "आज तक हमारे घर में किसी ने भी ऐसा नही किया है जैसा तुमने किया है तुम उस मामूली सी दिखने वाली लड़की के साथ घूम रहे थे। कहाँ वो कहाँ तुम ! वो मामूली सी सलवार कमीज़ पहने वालीऔर पाँव में चप्पल पहन ने वाली लड़की और तुम ब्रांडेड क्लोथ्स और महंगे जूते पहन ने वाले ठाकुर एम्पायर के मालिक! जिसकी जगह तुम्हारे पैरो के जूती के नीचे होनी चाहिए थी उसे तुम अपने सिर का ताज बनाना चाहते हो? हम ऐसा नहीं होने देंगे।" हॉल का शोर सुनते ही उसकी बड़ी बहन प्रिया लम्बी सी हरे रंग की फ्रॉक पहने हुए हाथ मे महंगे कड़े डायमंड के कड़े। और गले मे मोतियों हार पहने हुये नीचे आई सारी बात जान ने के बाद वो बोली" पापा बिल्कुल सही कह रहे है।ह चांदनी चौक के छोटे से चॉल में रहने वाली लड़की हमारी भाभी कभी नही बन सकती। तुम्हे उस से भूलना होगा। इतना सुनते ही आँखो मे आँसू लिए नीरज बोला "पापा, दीदी जिस दिन नीलिमा ने मेरी जान बचाई थी उस दिन मैं अमीरी गरीबी का भेद भूल गया था। मैं समझ गया था कि के दिल और दिमाग पर घर कर गई। और वह समझ गया कि गरीब भी इंसान होते है। उनका भी मान सम्मान होता है। स्वाभिमान होता है। और कुछ अमीर लोगो से गरीब लोगों का दिल बहोत बड़ा होता है।और मैं नीलिमा से प्यार करता हूँ और प्रेम ऊँच नीच अमीरी गरीबी कुछ नही देखता और मैं उसी से विवाह करूँगा।" उसकी माँ ने उसका समर्थन करना चाह पर उसके पिता अपनी बात पर अटल थे। वह माने नही वो बोले अगर तुम्हारा येही फैसला है तो ये घर बार दौलत शोहरत छोड़नी होगी। और हम सब से नाता तोड़ ना होगा। और नीरज भी ताओ में आकर घर छोड़कर चला वह नीलिमा के घर गया और उसे सारी बात बताई नीलिमा ने उसके फैसले का समर्थन किया। तब से नीरज उसी के चॉल में रहने लगा और HR मैनेजर की छोटी मोटी नोकरी करली। उसको चॉल में रहने मे गम्भीर परिस्थितियों का सामना करना पडता था । पर नीलिमा के प्रेम के साथ सब मुमकिन होगया दोनोम ने मंदिर मे जाकर भगवान को साक्षी और नीलिमा के माता पिता के आशीर्वाद से शादी करली अब दोनो साथ मे ग्रहस्ती भी सँभालते और साथ मे पढाई भी करते थे। दिन बितते गए। अब वो दिन आया जब नीलिमा IAS बन गयी उसकी काया पलट हो गयी IAS बन कर उसके गरीबी के दिन चले गए उसका वेतन लाखो में हो गया था। अब उसकी गिनती नामचिन लोगों में होती थी। अब वह एक चॉल में नही आलीशान बंगलों में रहती थी। गाड़िया नोकर चाकर सब था उसके पास। दिल्ली में बहोत नाम था। नीरज भी अब एक कंपनी का मालिक बन चुका था दोनो के बारे में किस्से अखबार में छपने लगे। नीरज के पिता को इस बात का पता चला उनकी रूढ़िवादी सोच को नीलिमा ने गलत सबित किया। जब एक साल बाद उन दोनों का एक बेटा हुआ तो नीरज के पिता को इस बात का पता लगा तो पाते के मोह में उन दोनों को अपनाने चले गए। जहाँ नीरज ने घर आने से मन कर दिया पर नीलिमा ने हां करदी वो बोली "पापा हमसे बडे है इनको हमारे साथ रहने का और अगर आज इनको अपनी गलती का एहसास है तो इनकी बातो भूल जाना हमारा फर्ज़ है।" यह बात रोशन के दिल को छू गयी वो हाथ जोडकर नीलिमा से माफी माँग ने लगे बोले जितना बड़ा तुम्हारा दिल है उतनी ही तुम समझदार हो मुझे मेरी ना समझी के लिए माफ़ करदो नीलिमा ने अपने ससुर जी के पैर छुए और घर जाने को तैयार हो गई। नीरज की माँ ने अपनी बहू का जोर दार स्वागत किया। और सब खुशी खुशी एक छत के नीचे रहने लगे। अब उनके घर मे अमीर गरीब का कोई भेद नही होता हैं और सब गरीबो और जरूरत मंदो की मदद करते है।